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स्पार्टा (डोरिक: Σπάρτα; ऍटिक: Σπάρτη) अथवा लासदेमों, दक्षिण-पूर्वी पेलोपोन्नेस के लैकोनिया में यूरोटस नदी के तट पर बसा प्राचीन यूनान का प्रमुख नगर-राज्य था। १०वीं सदी ईसा पूर्व के आसपास यह एक राजनीतिक इकाई के रूप में उस वक़्त उभर कर सामने आया, जब हमलावर डोरियंस ने स्थानीय गैर-डोरियन आबादी को अपने कब्जे में कर लिया। सी. से 650 ईस्वी सन पूर्व से प्राचीन यूनान में यह प्रभावशाली जमीनी सैन्य-शक्ति (स्थल-सेना) बन कर उभरा।
अपनी समारिक श्रेष्ठता के कारण, यूनानी-फ़ारसी युद्धों के दौरान स्पार्टा को संयुक्त यूनानी सेना-वाहिनी के समग्र नेता के रूप में मान्यता मिली। ईसा-पूर्व 431 और 404 के बीच, पेलोपोनेशियल युद्ध के दौरान स्पार्टा एथेन्स का प्रधान शत्रु रहा, जिससे यह महान विजेता बनकर उभरा, हालांकि, काफी क्षति उठानी पड़ी। ईसा पूर्व 371 में लेयुकट्रा के युद्ध में स्पार्टा को थेबेस के हाथों हार सहनी पड़ी जिसने यूनान में स्पार्टा की महत्ता समाप्त कर दी. हालांकि ईसापूर्व 146 तक इसने अपनी राजनैतिक आजादी बरकरार रखी।
अपनी सामाजिक व्यवस्था और संविधान के कारण प्राचीन यूनान में स्पार्टा बेजोड़ था, जिसने सैन्य-प्रशिक्षण और उत्कृष्टता पर पूरी तरह अपना ध्यान केन्द्रित किया। इसके निवासियों को स्पार्टीएट्स (स्पार्टन नागरिकों, जिन्हें संपूर्ण अधिकार प्राप्त थे), मोथाकेस (गैर-स्पार्टन जो स्पार्टन से ही स्वाधीन होकर बाहर आए), पेरियोइकोई (स्वाधीन कर दिए गए लोग), एवं हेलटॉस (सरकार के अधीन कृषिदास, गुलाब बना लिए गए गैर-स्पार्टन की स्थानीय आबादी). स्पार्टीएट्स को सख्त उत्तेजित प्रशिक्षण और शैक्षणिक शासन-प्रणाली से होकर, गुजरना पड़ता था तथा स्पार्टन सिपाहियों के संघटित व्यूह युद्धों में अजेय समझे जाते थे। स्पार्टन महिलाएं पुरुषों की तुलना में विशेषरूप से अधिक अधिकार और समानता उपभोग करती थी जो कि सभ्य सुंस्कृत जगत में कहीं भी उपलब्ध नहीं था।
अपने जमाने में स्पार्टा आकर्षण का विषय हुआ करता था साथ ही साथ पश्चिम ने भी सांस्कृतिक (क्लासिकल) शिक्षा के पुनरुद्धार का अनुकरण करना आरम्भ कर दिया. स्पार्टा पश्चिमी संस्कृति को मोहित करता रहा, स्पार्टा के प्रति प्रशंसा को सारगर्भिता (लैकोनोफिलिया) कहा जाता है।
प्राचीन यूनानियों द्वारा स्पार्टाको आमतौर पर लैसेडेमॉन (Lacedaemon)(Λακεδαίμων) के रूप में उल्लेख किया जाता है अथवा लासदेमोनिया Lacedaemonia (Λακεδαιμονία) के रूप में, इन नामों का प्रयोग साधारणतया होमर और एथेनियन इतिहासकारों हेरोडोटस (Herodotus) एवं थुसाईडाईड्स (थुसाइडाइड्स) की रचनाओं में किया गया है। हेरोडोटस ने केवल पहले वाले का ही प्रयोग किया है और कुछ परिच्छेदों में तो ऐसा लगता है कि स्पार्टा शहर के निचले हिस्से के विपरीत, थेरापन के मैसिनियन ग्रीक दुर्ग को ही उद्धृत करने के लिए ही किया गया है। स्पार्टा नगर के काफी करीबी अंचल में, टैगेटॉस (Taygetos) पहाड़ों के पूर्वी पठार को, आमतौर पर लेकोनिया (Λακωνία) के रूप में उल्लेख किया जाता था। किसी समय इस शब्द का साधारणतया स्पार्टन के सीधे नियंत्रण वाले सभी क्षेत्रों (अंचलों) के लिए प्रयोग किया जाता था, जिसमें मेसेनिया भी शामिल था। लैसेडेमॉन (Lacedaemon) के सन्दर्भ में शुरूआती शब्द माइसेनेइयन ग्रीक (Mycenaean Greek) रा-के-डा-मी-नि-जो (ra-ke-da-mi-ni-jo) था, जिसका शाब्दिक अनुवाद "लैंसी डेमोनियन" हुआ जिसे आक्षरिक लिपि में रैखिक बी (Linear B) के रूप में लिखा जाता था।
यूनानी मिथकशास्त्र में (पौराणिक कथाओं में), लैसिडेमॉन सुंदरी अप्सरा टाय्गेट से जन्मा जीयस (यूनानी देवराज) का बेटा था। उसने स्पार्टा से शादी की, जिससे वह एमिक्लास (Amyclas), युरिडाईस (Eurydice) और एसिन (Asine) का पिता बना. वह देश का राजा बना जिसका नामकरण उसने अपने ही नाम पर और राजधानी का नामकरण अपनी पत्नी के नाम पर किया। ऐसा मानना है कि उसने ही चैरेटिज़ के अभयारण्य का निर्माण किया था, जो स्पार्टा और एमिक्ले (Amyclae) के मध्य अवस्थित था, तथा क्लेटा (Cleta) एवं फेन्ना (Phaenna) नामक दो देवताओं को प्रदान कर दिया गया था। थेरापन (Therapne) के पड़ोस में ही एक पवित्र समाधि-स्थल का निर्माण किया गया.
आधुनिक यूनान में लैकोनियन के प्रशाशक के एक प्रांत का अब नया नाम लैसिडेमॉन (Lacedaemon) है।
स्पार्टा दक्षिण पूर्वी पेलोपोन्नेस (Peloponnese) के लैकोनिया क्षेत्र में अवस्थित है। प्राचीन स्पार्टा की स्थापना लैकोनिया की प्रमुख नदी, इवरोटस रिवर (Evrotas River) के तट पर की गई थी, जो इसे शुद्ध जल का स्रोत मुहैया कराता था। इवरोटस की घाटी एक प्राकृतिक किला है, जिसका पश्चिमी हिस्सा माउंट टेगेटस (Mt. Taygetus) और पूर्वी हिस्सा माउंट परनॉन (Mt. Parnon) (1935 मीटर) से घिरा हुआ हैं। उत्तर में, लैकोनिया आर्केडिया की उंची पहाड़ी भूमि से घिरा हुआ है जिसकी उंचाई 1000 मीटर तक भी पहुंच जाती है। इन प्राकृतिक सुरक्षा के घेरों ने स्पार्टा को सुविधाजनक स्थिति तो प्रदान की ही है साथ-ही-साथ स्पार्टा को कभी नहीं लूटे जाने में भी योगदान किया है। जमीन से घिरे होने के बावजूद स्पार्टा के पास लैकोनिया की खाड़ी में, गेथियो नामक एक बंदरगाह भी था।
स्पार्टा के प्रागितिहास को पुनर्गठित करना दुष्कर है, क्योंकि घटनाओं के विवरण के लम्बे समयान्तराल से साहित्यिक साक्ष्य कभी के गायब हो गए हैं और लोककथाओं की मौखिक परम्परा ने सत्य को तोड़-मरोड़ दिया है। हालांकि स्पार्टा अंचल में लोगों के बसने के कई आरंभिक प्रमाणों में, मिटटी के बर्तन मिलते हैं जो मध्य नवपाषाण युग की अवधि के माने जाते हैं। ये बर्तन स्पार्टा से कुछेक दो किलोमीटर के आसपास के क्षेत्र कोफोवुनो में पाए गए। ये प्रारंभिक माइसेनियाई स्पार्टन सभ्यता के आरंभिक अवशेष है जिसका उल्लेख होमर के इलियड में किया गया है।
ऐसा लगता है ताम्र युग के अंत तक इस सभ्यता का पतन हो गया, हेरोडोटस के अनुसार, मैसिडॉनियन जन जातियों ने उत्तर से पेलोपोन्नेस पर हमला कर दिया, जहां उन्हें डोरियंस कहा जाता था और स्थायी रूप से निवास करने वाली स्थानीय जनजातियां उनके अधीन थीं। ऐसा लगता है कि डोरियंस ने अपने राज्य की स्थापना करने से प्रायः बहुत पूर्व ही स्पार्टन राज्य-क्षेत्र की सीमाओं का विस्तार करना आरंभ कर दिया था। पूरब और दक्षिण-पूरब में निवास करने वाले आर्गिव डोरियंस के विरुद्ध भी उन्होंने लड़ाई की और उत्तर-पश्चिम के आर्केडीयन एकीयंस से भी. इस प्रमाण से यह पता चलता है कि टेगेटन मैदानी इलाके की भौगोलिक बनावट के कारण स्पार्टा अपेक्षाकृत अगम्य है, जो प्रारंभिक काल से ही सुरक्षित था: इसकी मजबूती से किलाबंदी कभी नहीं की गई थी।
आठवीं और सातवीं सदी ईसा पूर्व के मध्य स्पार्टा (स्पार्तियों) ने नागरिक संघर्ष और अराजकता का अनुभव किया जिसे हेरोडोटस और थुसाईडाइड्स (थुसाइडाइड्स) दोनों ने ही बाद में चलकर प्रमाणित किया है। इसके फलस्वरूप वे उनके अपने ही सामाज के राजनीतिक और सामाजिक सुधारों के कार्यों को पूरा करने में लग गए, बाद में चलकर उन्होंने अर्ध पौराणिक विधायक लायकरगस (Lycurgus) को इसका श्रेय प्रदान किया। ये सुधार श्रेष्ठ सांस्कृतिक स्पार्टा के आरंभिक इतिहास के साक्ष्य हैं।
द्वितीय मेंसेनियन युद्ध में, स्पार्टा ने पेलोपोन्नेस तथा शेष यूनान में एक स्थानीय शक्ति के रूप अपने आपको स्थापित किया। आनेवाली सदियों के दौरान, स्पार्टा की स्थल युद्ध की ताकत के रूप में प्रतिष्ठा की कोई शानी नहीं थी। 480 ईसा पूर्व में, स्पार्तियों (सपार्टन्स) की एक छोटी-सी सेना-वाहिनी, थेसपियंस एवं थेबंस (Thespians, and Thebans) तथा किंग लेओनिडस (Leonidas) के नेतृत्व में थेबन्स (Thebans) ने (जिसमें लगभग पूरे 300 स्पार्ती 700 थेसिप्यंस तथा 400 थेबन्स थे; इनमें निर्णायक युद्ध में हताहतों की संख्या शामिल नहीं है), विशाल फारसी सेना-वाहिनी के खिलाफ थर्मोपाइले (थर्मोपाईलें) के युद्ध में अंत तक डट कर मुकाबला किया और अंत में चारों ओर से घेर लिए जाने से पहले फ़ारसी फौजें काफी बड़ी संख्या में हताहत हुई. उच्चस्तरीय गुणवत्ता वाले अस्त्र-शस्त्र, कुशल रणनीति, तथा यूनानी नगर राज्य की नागरिक सेना एवं उनकी संगठित सेना-वाहिनी के कांसे के कवच ने एक साल बाद भी उनकी योग्यता को पुनः प्रमाणित किया जब स्पार्टा पूरी ताकत के साथ संघटित हुआ और प्लाटाएया (Plataea) की लड़ाई में फारसियों के खिलाफ यूनानी गठबंधन का नेतृत्व किया।
प्लाटाएया (Plataea) में निर्णायक यूनानी जीत ने यूनानी-फ़ारसी युद्ध (Greco-Persian War) को हमेशा के लिए अंत कर दिया और इसके साथ ही यूरोप में फारसियों के विस्तार की महत्वाकांक्षा भी समाप्त हो गई। यद्यपि यह युद्ध अखिल-यूनानी सेना द्वारा जीता गया था, लेकिन स्पार्टा को ही श्रेय दिया गया, जो थर्मोपाइले एवं प्लाटाए (Plataea) में अगुवा बनने के बादजूद समग्र यूनानी अभियान का वास्तविक नेता था।
परवर्ती प्राचीन सांस्कृतिक काल में, एथेंस, ठेबेस और फारस के साथ-साथ स्पार्टा अपना वर्चस्व बनाने के लिए एक-दूसरे के खिलाफ लड़ने में प्रमुख शक्तियां रहीं. पेलोपोन्नेसिंयन युद्ध के परिणामस्वरूप, स्पार्टा परंपरागत तौर पर महाद्वीपीय संस्कृति, वाला होकर भी एक नैसैनिक शक्ति बन गया. अपनी शक्ति के शिखर पर पहुंचकर स्पार्टा ने कई प्रमुख यूनानी राज्यों को अपने अधीन कर लिया और यहां तक कि अभिजात एथेनियन नौवाहिनी पर भी अपना कब्जा जमाने में कामयाब रहा. 5वीं सदी ईसा पूर्व के अंत तक यह एक राज्य के रूप में ऊपर उठकर सामने आया जिसने एथेनियन साम्राज्य को परास्त किया और अनातोलिया के फारसी प्रान्तों पर आक्रमण किया। यह एक ऐसी अवधि थी जिसमें स्पार्टन आधिपत्य ने अपनी छाप छोड़ी है।
कॉरींथियन युद्ध के दौरान स्पार्टा को महत्वपूर्ण यूनानी राज्यों, थेबेस एन्थेंस, कॉरिन्थ एवं आर्गोस के प्रमुख गठबंधन का सामना करना पड़ा. शुरू-शुरू में इस गठबंधन को फारस का समर्थन प्राप्त हुआ, अनातोलिया में जिसकी भूमि पर स्पार्टा द्वारा आक्रमण किया जा चुका था और जिसे एशिया में स्पार्टा के और आगे के विस्तार का भय भी था। स्पार्टा को एक के बाद एक जमीनी लड़ाइयों में जीत हासिल होती रही, लेकिन किराए पर लिए गए जहाजी-बेड़ों के द्वारा जिसे फारस ने एथेंस को मुहैया कराया था, नाइड्स (Cnidus) के युद्ध में इसके कई जलयान नस्त कर दिए गए। इस घटना ने स्पार्टा की नौसैनिक शक्ति को काफी क्षति पहुंचाई लेकिन फारस पर आगे भी आक्रमण करने की इसकी आकांक्षा को तबतक समाप्त न कर सका जबतक कि एथेनियन सेनाप्रधान (कोनोन) ने स्पार्टा की समुद्री तटवर्ती सीमा को तबाह न कर दिया तथा बूढ़े स्पार्टन के मन में हेलौट विद्रोह के भय को उकसा दिया.
387 ई.पू. की लड़ाई के और कई वर्षों बाद अंटाल्सैड्ल की शान्ति (Peace of Antalcidas) कायम हुआ, जिसके अनुसार लोनिया के सभी यूनानी नगर पुनः फारस के कब्जे में हो जाएंगे और फारस की एशियाई सीमा स्पार्टन आक्रमण की आशंका से मुक्त हो जाएगी. युद्ध के प्रभाव-स्वरूप (फारस की योग्यता) यूनानी राजनीति में सफलतापूर्वक हस्तक्षेप करने की फारस की क्षमता की पुनर्पुष्टि थी तथा यूनानी राजनीतिक प्रणाली में स्पार्टा की प्रधानता वाली स्थिति को भी निश्चयतापूर्वक स्वीकार करना था। लियुकट्रा के युद्ध (Battle of Leuctra) में थेबेस इपामिनॉनडॉस के हाथों भयानक सैन्य पराजय के पश्चात स्पार्टा दीर्घावधि के लिए पतन की ओर उन्मुख हो गया. यह पहली बार था कि स्पार्टन सेना स्थल-युद्ध में पूरी तरह परास्त हो गई।
चूंकि स्पार्टन (स्पार्ती) नागरिकता रक्त संबंध से ही विरासत में मिलती थी, अतः स्पार्टा को अब तेजी से हेलोट (कृषि-दासों की एक श्रेणी) की आबादी झेलनी पड़ी, जिसकी संख्या नागरिकों की संख्या से बड़े पैमाने पर आगे निकल गई। स्पार्टन नागरिकों की संख्या में इसे खतरनाक गिरावट पर अरस्तू ने भी टिप्पणी की है।
371 ई.पू. में लियुकट्रा की लड़ाई एवं तत्पश्चात हेलोट विद्रोह में सपार्टन्स को जो क्षति सहनी पड़ी उससे स्पार्टा कभी भी उबर नहीं पाया। बहरहाल दो शताब्दियों से भी अधिक समय तक एक क्षेत्रीय शक्ति के रूप में अपने आपको बरकरार बनाने रखने में यह कामयाब रहा. न ही फिलिप द्वितीय ने और न ही उसके बेटे सिकंदर महान ने ही खुद स्पार्टा पर विजय प्राप्त करने की कोशिश की: स्पार्टन की सामरिक निपुणता अब भी इस हद तक अच्छी थी किसी भी हमले को संभवतः काफी नुकसान का जोखिम उठाना पड़ सकता था।
पूरब के सिकंदर के अभियान के दौरान, स्पार्टा के राजा, एजिस III ने 333 ईसापूर्व में क्रेट में इस उद्देश्य से सेना-वाहिनी भेजी कि स्पार्टा के लिए द्वीप पर कब्ज़ा कर लिया जाएगा. अब की बार मेसेडॉन के खिलाफ एजिस ने संयुक्त यूनानी सेना की कमान स्वयं संभाली और 331 ई.पू. में मेगालोपॉलिस (Megalopolis) की नाकाबंदी में घिर जाने से पहले शुरूआती सफलताएं भी हासिल की. सेनापति एंटीपेटर (Antipater) के नेतृत्व में एक विशाल मैसिडॉनियन सेना-वाहिनी ने राहत पहुंचाने के मकसद से कुच किया और स्पार्टन की नेतृत्व वाली सेना को जोरदार कांटे की लड़ाई में पराजित किया। 5300 से भी अधिक स्पार्टन्स एवं उसके सहयोगी इस संग्राम में मारे गए तथा एंटीपेटर की 3500 सैनिकों की टुकड़ी भी मरने वालों में शामिल थी। एजिस, जो अब घायल हो चुका था तथा खड़े होने में असमर्थ था, ने अपने लोगों को आदेश दिया कि वे उसे पीछे छोड़कर आगे बढ़ती हुई, मैसिडॉनियन सेना का सामना करें ताकि पीछे हटने के लिए उसे उनसे थोड़ी मुहलत मिल जाय. और अंत में भाले से मारे जाने से पहले, स्पार्टा के राजा ने अपने घुटनों के बल खड़े होकर ही शत्रु के कई सैनिकों को मौत के घाट उतार दिया.
यहां तक कि अपने पतन के दौरान भी, स्पार्टा ने "हेलेनिज्म का रक्षक" होने एवं लैकोनिक को तीक्षण बुद्धि अपने दावे को कभी भुला नहीं. इस सन्दर्भ में एक उपाख्यान है कि जब फिलिप द्वितीय ने स्पार्टा को एक सन्देश में यह कह भेजा कि "अगर मैं लौकिनिया में प्रवेश कर जाता हूं तो मैं स्पार्टा को परास्त कर मिट्टी में मिला दूंगा," स्पार्टन्स ने इसके जवाब में सिर्फ एक शब्द कहा: "अगर".
जब फिलिप ने फारस के खिलाफ यूनान के एकीकरण के बहाने यूनानियों का संघ (लीग) बनाया, स्पार्टन्स ने उसमें शामिल नहीं होना चाहा - अखिल यूनानी अभियान में शामिल होने की उनकी कोई दिलचस्पी थी ही नहीं अगर यह स्पार्टन नेतृत्व के अंतर्गत नहीं होता है तो. हेरोडोटस के अनुसार मैसिडोनियंस डोरियन वंश के लोग थे जो स्पार्टन्स के ही सजातीय थे, लेकिन इससे कोई फर्क नहीं पड़ता था। इस प्रकार फारस पर विजय प्राप्त करने के बाद सिकंदर महान ने एथेन्स को फारसी कवच वाले 300 सूट भेजे जिसके साथ यह शिलालेख भी था, "फिलिप का पुत्र सिकंदर एवं सभी यूनानी स्पार्टन को छोड़कर एशिया के रहने वाले विदेशियों से ली गई यह भेंट पेश करता है [अतिरीक्त महत्त्व दिया गया]".
प्युनिक युद्धों के दौरान स्पार्टा रोमन गणराज्य का चित्र राज्य (सहयोगी) था। अंततः स्पार्टा की राजनीतिक स्वाधीनता समाप्त कर दी गई ज्योहीं इसे एचियन लीग में शामिल हो जाने के लिए मजबूर कर दिया गया. 146 ई.पू. रोमन जेनरल लुसियस म्युमियस द्वारा यूनान पर जीत हासिल कर ली गई थी। रोमन विजय के दौरान स्पार्टन्स ने अपनी जीवन-यात्रा जारी रखी, तथा उनका नगर रोमन संभ्रांतों के लिए पर्यटक का आकर्षण बन गया जो मोहक स्पार्ती रीति-रिवाजों को करीब से देखने आया करते थे। ऐसा मानना है कि, एड्रियानोपल के युद्ध (378 ई.पू) में रोमन साम्राज्य की सेना पर जो तबाही बरपा हुई उसके साथ ही साथ, स्पार्टन सैनिकों के एवं जत्थे ने विसिगोथ्स पर चढ़ाई कर रही सेना को युद्ध में परस्त कर दिया.
बाइजेंटाइन के सूत्रों के हवाले, लैकोनियन क्षेत्र के कुछ हिस्से 10वीं सदी ई.पू. तक बुत-परस्त ही बने रहे और डोरिक भाषा-भाषी आबादी आज भी जकोनिया से बरकरार हैं। मध्य युग में, लैकोनिया का राजनीतिक और सांस्कृतिक केंद्र पड़ोस में ही बसे मिस्त्रास में स्थानांतरित कर दिया गया. यूनान के राजा ओट्टो (King Otto) के एक फरमान के अनुसार, वर्ष 1834 में आधुनिक स्पर्ती की पुनर्स्थापना की गई।
डोरिक क्रेटन्स की नक़ल करते हुए स्पार्टा के डोरिक राज्य ने एक मिलाजुला सरकारी राज्य विकसित किया। यह राज्य एजियाड (Agiad) और यूरोपौन्टीड्स (Eurypontids) के परिवारों कें दो वंशानुगत राजाओं द्वारा प्रशासित होता था, कथित रूप से दोनों ही हेराक्लिस के उत्तराधिकारी थे और दोनों के ही अधिकार एक सामान थे, ताकि उनमें से कोई एक अपने सहयोगी के खिलाफ निषेधाधिकार की कार्यवाई न कर सके. नागरिकों की विधानसभा द्वारा प्रयोग की जाने वाली सत्ता की ताकत का स्रोत मूल वस्तुतः अज्ञात है क्योंकि ऐतिहासिक दस्तावेजीकरण का अभाव और स्पार्टन राज्य की गोपनीयता इसके पीछे कारण हैं।
राजाओं के कर्तव्य प्रारंभिक तौर पर धार्मिक, न्यायिक और सामरिक हुआ करते थे। वे राज्य के प्रधान पुरोहित तो थे ही और डेल्फियन अभयारण्य के साथ संचार-व्यवस्था भी बनाए रखते थे, जो स्पार्टन राजनीति में हमेशा अपने अधिकार का पूरा प्रयोग करता था। हेरोडोटस के काल में (लगभग 450 ई.पू.), उनके न्यायिक कार्यकालयों पर उत्तराधिकार, दत्तक-ग्रहण तथा सार्वजनिक सड़कों जनित मामलों में प्रतिबन्ध था। दीवानी और आपराधिक मामलों के फैसले इफॉर्स के रूप में माने जाने वाले अधिकारीयों के एक वर्ग के साथ ही साथ गेरुसिया कहलाने वाली वयोवृद्धों की परिषद् द्वारा किए जाते थे। गेरुसिया में 28 वयोवृस्द शामिल होते थे जिनकी उम्र 60 साल से ऊपर की होती थी, आजीवन सदस्यता के लिए निर्वाचित होते थे और आमतौर पर राजघरानों एवं दो राजाओं के हिस्से हुआ करते थे। राज्य के उच्चस्तरीय नीतिगत फैसलों पर इस परिषद् द्वारा विचार-विमर्श किया जाता था जो तब कहीं जाकर दामोस के विकल्प में कार्यवाई का प्रस्ताव पेश कर सकता था। दामोस स्पार्टन नागरिकों का सामूहिक अंग था जो मताधिकार के माध्यम से विकल्पों में से किसी एक का चुनाव कर सकता था।
अरस्तू ने स्पार्टा के राजतंत्र का वर्णन "एक प्रकार का असीमित एवं सतत सेनापतित्व" के रूप में किया है। (Pol. iii. I285a), जबकि सुकरात ने स्पार्टन को "अन्दर से कुलीनत्तंत्र के अधीन से लेकर अभियान के संचालन तब राजतंत्र" (iii 24) के रूप में सन्दर्भित किया है। हालांकि, यहां भी समयान्तराल से राजकीय विशेषाधिकारों में कटौती कर दी गई। फारसी युद्धों के समय से ही, राजा ने युद्ध की घोषणा करने का अधिकार खो दिया एवं पर्यवेक्षी अधिकारों के साथ दो मजिस्ट्रेट (इफोर्स) राजा पर नजर रखने के लिए रणक्षेत्र में साथ भेज दिए जाते थे। विदेश नीति के नियंत्रण में भी मनोनीत मजिस्ट्रेट (इफोर्स) द्वारा उसे पदस्वलित कर दिया जाता था।
समयान्तराल से, राजा सेना प्रधानो की क्षमता के अलावा केवल नामधारी शासक रह गए। वास्तविक क्षमता इफोर्स और गेरुसिया को स्थानांतरित कर दी गई।
स्पार्टन (स्पार्ती) राज्य के सभी निवासियों को नागरिक नहीं माना जाता था। केवल वे ही योग्य पात्र माने जाते थे जिन्होनें उत्कंठित शारीरिक सामरिक के रूप में परिचित स्पार्टन (स्पार्ती) शिक्षा प्रक्रिया अंगर्गत शिक्षा ग्रहण की हो. हालांकि, आमतौर पर वे ही इस शिक्षा ग्रहण करने के पात्र समझे जाते थे जो स्पर्ती होते थे, अथवा वे लोग जो पुरखों को इस नगर के मौलिक निवासी होने का संकेत दे पाते थे।
इस बारे में दो अपवाद थे। ट्रोफिमोई (Trophimoi) या "पोस्य-पुत्रों" को जो विदेशी छात्रों को अध्ययन के लिए आमंत्रित किया जाता था। उदाहरण के लिए, एथेनियन सेनापति जेनोफोन ने, अपने दो बेटों को ट्रोफिमोई के रूप में स्पार्टा भेजा. एक दूसरा अपवाद यह भी था कि कृषिदासों के बेटों को सिंट्रोफॉस के रूप में नामांकित किया जा सकता था बशर्ते कोई स्पार्ती परिवार ने उसे गोद लिया हो और उसका व्यय अपने तरीके वहन किया हो. अगर एक सिंट्रोफॉस अपने प्रशिक्षण में असाधारण तरीके से अच्छा प्रदर्शन करता था, तो उसे स्पर्ती होने के लिए प्रायोजित कर लिया जाता था।
राज्य में अन्य नागरिकों के पेरिओइकोइ (पेरीओइकोई) थे, जो स्पार्टन के अधिकार क्षेत्र के स्वतंत्र निवासी थे लेकिन गैर-नागरिक, एवं बंधुआ दास (हेलोट्स), राज्य के स्वामित्व वाले कृषि-दास थे। गैर-स्पर्ती नागरिकों के उत्तराधिकारी शारीरिक-सामरिक शिक्षा के काबिल नहीं थे तथा ऐसे स्पार्टन जो एगौग के प्रशिक्षण का व्यय वहन नहीं कर सकते थे उनकी नागरिकता समाप्त हो सकती थी। इन कानूनों का मतलब था कि स्पार्टा युद्ध में खोए नागरिकों के बदले में तत्काल ही किसी और को प्रतिस्थापित नहीं कर सकता था, अथवा अन्यथा एवं अंततः राज्य की निरंतरता के लिए यह घातक प्रमाणित हो सकता था चूंकि राज्य के नागरिकों की संख्या को गैर-नागरिकों की संख्या से कम हो जाती और भी अधिक खतरनाक, हेलोट की संख्या बढ़ जा सकती थी।
लैकोनियन जनसंख्या में स्पार्टन्स (स्पार्ती) अल्पसंख्यक थे। निवासियों का सबसे बड़ा वर्ग हेलोट्स था (क्लासिकल ग्रीक में [52] / हेलोट्स (Heílôtes)).
हेलोट्स मूलतः मेस्सेनिया और लैकोनिया अंचल के रहने वाले स्वतंत्र ग्रीक थे जिन्हें स्पार्टन्स ने युद्ध में पराजित कर साथ ही साथ गुलाम बना लिया था। अन्य ग्रीक नगर-राज्यों में, स्वतंत्र नागरिक अंशकालिक सेनानी होते थे, जो युद्ध में व्यवहृत नहीं होने पर अन्य कामों में लगा दिए जाते थे। चूंकि स्पार्ती पूर्णकालिक सैनिक होते थे, इसलिए शारीरिक श्रम के कामों के लिए वे उपलब्ध नहीं थे। हेलोट्स का व्यवहार श्रमजीवी कृषि दासों के रूप में किया जाता था जो स्पार्टन की जमीन की जुताई करते थे। ग़ुलाम हेलोट महिलाएं अक्सर दाइयों के रूप में काम करती थीं। हेलोट्स पुरुष भी स्पार्ती सेना के साथ अयोधी सेवकों के रूप में यात्रा किया करते थे। थर्मोपाईले के युद्ध के अंतिम पड़ाव पर ग्रीक मृतकों में केवल सुविख्यात तीन सौ स्पार्टन सैनिक ही नहीं थे बल्कि सैकड़ों थेस्पियन तथा थेबन सैन्य-दस्तों के साथ एक बड़ी संख्या में हेलोट्स गुलाम भी थे।
हेलोट्स एवं उनके स्पर्ती स्वामियों के बीच रिश्ते अक्सर शत्रुतापूर्ण हो जाया करते थे। थूसाइडेड्स ने इस सन्दर्भ में टिप्पणी की है कि "स्पार्टन नीति हमेशा से ही मुख्यतः हेलोट्स के खिलाफ सावधानियां बरतने की आवश्यकता पर ही नियंत्रित रही हैं।
मध्य ईसापूर्व 3 सदी के प्राइन के मायरॉन (Myron of Priene) के अनुसार,
"They assign to the Helots every shameful task leading to disgrace. For they ordained that each one of them must wear a dogskin cap (κυνῆ / kunễ) and wrap himself in skins (διφθέρα / diphthéra) and receive a stipulated number of beatings every year regardless of any wrongdoing, so that they would never forget they were slaves. Moreover, if any exceeded the vigour proper to a slave's condition, they made death the penalty; and they allotted a punishment to those controlling them if they failed to rebuke those who were growing fat".[1]
प्लूटार्क का भी कहना है कि, स्पार्टन्स हेलोट्स के साथ "कर्कश और निष्ठुर" व्यवहार करते थे: वे उन्हें खालिस शराब पीने को मजबूर करते थे। (जिसे खतरनाक-शराब माना जाता था, आमतौर पर पानी नहीं मिलाये जाने की वजह से)"...एवं उन्हें सार्वजनिक सभागार (हॉल) में ऐसी हालत में छोड़ दिया जाता था कि, बच्चे देख सकें कि पियक्कड़ लोगों का क्या नजारा होता है; वे उन्हें भद्दे नृत्य और फूहड़ गाने गाने को मजबूर कर देते थे।.." सिस्सीया (syssitia) (पुरषों, विशेषकर युवकों के अनिवार्य सामजिक-सांस्कृति भोज समारोह में)
हेलोट्स को मताधिकार नहीं था, हालांकि यूनान के अन्य भागों के गैर-ग्रीक दासों की तुलना में अपेक्षाकृत रूप से इन्हें विशेषाधिकार कर प्राप्त थे। स्पार्टन कवि टाईरियो (Tyrtaios) ने हेलोट्स के सन्दर्भ में लिखा है कि उन्हें विवाह करने की अनुमति थी। ऐसा मानना है कि उन्हें धार्मिक संस्कार की परिपाटी के पालन की अनुमति भी थी और थूसाइडाइड्स के अनुसार, सीमित राशि में निजी संपत्ति भी रख सकते थे।
प्रत्येक वर्ष जब इफोर्स कार्यालय में कार्यभार ग्रहण कर लेते थे वे आनुष्ठानिक तौर पर हेलोट्स के खिलाफ रिवाज के अनुसार युद्ध घोषणा कर देते थे, जिससे कि स्पार्टन धार्मिक संस्कार के प्रदूषण के बिना उनकी हत्या बेधड़क कर सकें. ऐसा लगता है कि यह सबकुछ क्रिप्तिया (sing. κρύπτης), एगोग के स्नातकों द्वारा किया जाता था जो क्रिप्तिया (Krypteia) के नाम से जानी जाने वाली रहस्यमयी संस्था में भाग लिया करते थे।
424 ईसा पूर्व के आसपास स्पार्तियों ने एक सुचिन्तित योजनाबद्ध मंचस्थ अनुष्ठान में 2000 हेलोट्स की हत्या कर दी. थूसाइडाइड्स के विवरण के अनुसार:
"एक घोषणा के तहत हेलोट्स को आमंत्रित करते हुए कहा गया कि वे अपनी आबादी में से उन लोगों को ही चुने जो अपने आपको दुश्मन के खिलाफ सबसे अधिक जाने-पहचाने (प्रतिष्ठित) होने का दावा करते हैं, ताकि वे भी आजादी के हकदार हो सके; मकसद केवल उनकी जांच करनी थी, चूंकि यह सोच लिया गया था कि आजादी का दावा करने वाला सबसे पहला व्यक्ति ही सबसे ज्यादा साहसी बहादुर और सबसे योग्य विद्रोही मान लिया जाएगा. तदनुसार, लगभग दो हज़ार लोग चुने गए, जिन लोगों ने खुद को ताज पहनाया और नई आजादी का जश्न मनाते हुए, देवलयों की परिक्रमा करने लगे. हालांकि, स्पर्तियों ने, शीघ्र ही उनके साथ वही किया जो उन्हें करना था और किसी ने यह नहीं जाना कि उनमें से कितने लोग नष्ट हो गए।
पेरीओइकोई भी हेलोट्स की तरह मूलतः, इसी प्रकार आए लेकिन स्पर्ती समाज में इन्होनें अलग ही ओहदा बना लिया। हालांकि उन्हें पूरी नागरिकता का अधिकार प्राप्त नहीं था, लेकिन वे स्वाधीन थे और हेलोट्स की तरह उनके साथ सामान दुर्व्यवहार नहीं किया जाता था। स्पार्तियों के प्रति उनकी दासता कि ठीक-ठीक प्रकृति स्पस्ट नहीं है, लेकिन ऐसा लगता है कि वे आंशिक रूप से एक प्रकार से आरक्षित सेना के रूप में आंशिक रूप से दक्ष कारीगरों के रूप में और आंशिक रूप से विदेशी व्यापार के एजेंट के रूप में सेवारत थे। हालांकि पेरीओइकोई होपलाइट्स (प्राचीन ग्रीक नगर के नागरिक-सेनानी) कभी कभी स्पारती सेना में सेवारत होते थे, जिसमें प्लाटोया का युद्ध (Battle of Plataea) सबसे उल्लेखनीय है, लेकिन पेरीओइकोइ का सर्वाधिक महत्वपूर्ण कार्य लगभग निश्चित रूप से कवच की मरम्मत और हथियारों का निर्माण था।
कानून के जरिए स्पार्ती नागरिकों को व्यापार अथवा विनिर्माण से वंचित कर दिया गया था, फलस्वरूप पेरिओइकोइ के हाथों में यह कार्य-भार आ गया, एवं (सैद्धांतिक रूप से) सोने या चांदी रखने निषिद्ध (वर्जित) हो गया था। स्पार्ती मुद्रा में लोहे की सलाखें होती थी, इस प्रकार चोरी और विदेशी वाणिज्य बहुत ही मुश्किल एवं धान-संचय के मामले में निराशाजनक था। कम से कम सैद्धांतिक रूप से संपत्ति सम्पूर्ण रूप से जमीनी जायदाद से ही अर्जित होती थी एवं हेलोट्स द्वारा भुगतान किए जाने वाले वार्षिक प्रतिफल के अनुसार होता था, जो स्पार्ती नागरिकों को आवंटित भू-खण्डों की खेती करते थे। लेकिन जायदाद को इस प्रकार से एक सामान बराबर करने की कोशिश नाकाम साबित हुई: शुरूआती दौर से ही, राज्य में संपत्ति के उल्लेखनीय अंतर थे, एवं ये एपिटेडियश के कानून के बाद और भी अधिक गंभीर हो गए, जो पेलोपोनेसियन युद्ध के समय लागू किए गए थे, जिसने उपहार अथवा जमीन की वसीयत पर से विधि-निषेध हटा दिया.
किसी भी प्रकार के आर्थिक कार्य-कलापों से उन्मुक्त, पूर्ण नागरिकों को, एक भू-खण्ड दे दिया जाता था जिसकी खेतीबारी का काम हेलोट्स किया करते थे। जैसे-जैसे समय गुजरता गया जमीन का एक बड़ा हिस्सा बड़े जमींदारों के हाथों में संक्रेंदित होता गया, लेकिन पूर्ण नागरिकों की संख्या कम होती गई। 5वीं सदी ईसापूर्व के आरंभ में नागरिकों की संख्या 10,000 थी लेकिन अरस्तू के समय (384–322 ईसापूर्व) में यह घटकर 1000 से भी कम हो गई और आगे चलकर 244 ईसापूर्व में एगिस IV के राज्यारोहण के समय यह घटकर 700 हो गई। नए कानून बनाकर इस स्थिति से निपटने की कोशिशें की गई। जो अविवाहित ही रह गए अथवा जिन्होंने देर से विवाह किया उनपर अब दंड भी लगाए गए। हालांकि, इस कानूनों के लागू किए जाने में काफी देर हो चुकी थी और चली आ रही प्रकृति का पलटने में अप्रभावी थे।
स्पार्टा सर्वोपरि सैन्यवादी राज्य था और जन्म के समय से ही सैन्य फिटनेस पर विशेष जोर देना वस्तुतः जन्म से ही आरंभ हो जाता था। जन्म के फौरन बाद ही, मां बच्चे को शराब से नेहला देती थी सिर्फ यह देखने के लिए कि नवजात शिशु मजबूत है या नहीं. अगर बच्चा बच जाता था तो उसके पिता उसे गेरौसिया के पास ले जाता था। तब गेरौसिया इस बात का फैसला करता था कि उसका लालन-पालन किया जाय या नहीं. अगर वे उसे "ठिंगना और बेडौल" मां लेते थे, तो शिशु को माउंट टेंगिटॉस शिल्ट्भाषा में एपोथिताए (ग्रीक में ἀποθέτας, "जमा") की एक गहरी खाई में फेंक दिया जाता था। दरसल यह, सुज़ननिकी (यूजेनाइक) के आदिम रूप काम प्रभाव था।
एथेंस सहित अन्य यूनानी क्षेत्रों में अवांछित बच्चों को उजागर (खुलासा) करने की प्रचलित प्रथा के कुछ साक्ष्य उपलब्ध हैं।
जब स्पार्टन्स की मृत्यु हो जाती थी, प्रस्तर के स्मृति-सौध (कब्र पर बने स्मारक) केवल सैनिकों के लिए ही अनुभोदित होते थे जो विजय अभियान में संघर्ष में मारे गए अथवा उन महिलाओं के लिए जो या तो देवी सेवा में अथवा प्रसव के दौरान मर जाती थीं।
जब पुरुष स्पार्टन्स सात वर्ष की उम्र से ही सैन्य प्रशिक्षण शुरू कर देता था, उन्हें एगौग प्रणाली में प्रविष्ट होना पड़ता था। अनुशासन और शारीरिक सुदृढ़ता को प्रोत्साहित करने के लिए तथा स्पार्टन राज्य के महत्त्व को प्रमुखता प्रदान करने के लिए ही एगौग की रूप रेखा डिजाइने की गई थी। लड़के सामुदायिक मेसों में रहते थे और उन्हें जानबूझ कर अल्पाहार दिया जाता था ताकि उन्हें भोजन चुराने की कला में महारत हासिल करने के लिए प्रोत्साहित किया जाए. शारीरिक और शास्त्र शिक्षा के अलावे, लड़कों को पठन, लेखन, संगीत और नृत्य का अध्ययन करना पड़ता था। अगर लड़के पर्याप्त "लैकोनिक" तरीके से (अर्थात संक्षेप में तथा हजारिजवाबी के साथ) सवालों के जवाब देने में नाकामयाब हो जाते थे तो उनके लिए विशेष दण्ड-विधान लागू किया जाते थे। बारह की उम्र में, एगौग स्पार्टन लड़के को एक व्यस्त पुरुष गुरु आमतौर पर अविवाहित युवक के पास जाने को मजबूर करता था। व्यस्कव्यक्ति से यह उम्मीद की जाती थी कि वह वैकल्पिक पिता के रूप में काम करे और अपने कानिस्ट सहयोगी के लिए रोड मॉडल (आदर्श-चरित्र) की भूमिका निभाए, हालांकि, यह निविर्दादित कारणों से यह निश्चित था कि उनके बीच यौन संबंध थे। (हालांकि स्पर्ती व्यस्क व्यक्ति और किशोर के बीच यौन-संसर्ग की सटीक प्रवृति अस्पष्ट है).
अठारह वर्ष की उम्र में, स्पर्ती लड़के स्पार्टन सेना के आरक्षित सदस्य बन जाते थे। एगौग छोड़ देने के बाद, उन्हें विभिन्न समूहों में वर्गीकृत कर दिया जाता था, जिनमें से कुछ को देहातों में केवल एक छूरी देकर भेज दिया जाता था ताकि वे अपनी बुद्धि और चालाकी के सहारे जबरदस्ती जीने के लिए मजबूर रहें. इसे क्रिप्तिया कहा जाता था और इसका तत्काल उद्देश्य किसी भी हेलोट्स की तलाश करना और मार देना था और यह हेलोट्स आबादी को आंतकित करने और डराने के व्यापक कार्यक्रम का केवल एक हिस्सा था।
स्पर्ती लड़कियों की शिक्षा-दीक्षा के बारे में कम जानकारी उपलब्द्ध है, लेकिन ऐसा लगता है कि उन्हें काफी हद तक व्यापक औपचारिक शैक्षणिक चक्र से गुजरना पड़ता था, मोटे तौर पर लड़कों जैसे ही लेकिन सैन्य प्रशिक्षण पर कम महत्त्व दिया जाता था। इस मामले में प्राचीन यूनान में सांस्कृतिक स्पार्टा बेजोड़ था। किसी भी नगर राज्य में महिलाएं किसी भी प्रकार की औपचारिक शिक्षा नहीं पाती थी।
बीस वर्ष की उम्र में ही, स्पर्ती नागरिक किसी भी एक सिस्किया (भोजनालयों अथवा क्लबों) का सदस्य बन जाता था, प्रत्येक सिस्किया का गठन पंद्रह सदस्यों को लेकर होता था, जिसमें से प्रत्येक नागरिक को सदस्य बनना अनिवार्य माना जाता था। यहां प्रत्येक समूह यह सीखता था कि एक बंधन में कैसे बंधे रहें और एक दूसरे पर भरोसा करें. तीस वर्ष की उम्र से ही स्पर्ती अपने पूरे अधिकारों और कर्तव्यों का पालन करने लगते थे। स्पार्टा के केवल मूल निवासियों को ही पूरी नागरिकता के लिए विचारा जाता था और कानून के द्वारा निर्धारित प्रशिक्षण से होकर गुजरने के लिए वे बाध्य होते थे, साथ ही साथ किसी एक सिस्सिया में भाग लेने और आर्थिक रूप से योगदान करना होता था।
स्पार्ती पुरुष साठ साल की उम्र तक सक्रिय रिज़र्व (सेना का वह सदस्य जो जरुरत पड़ने पर प्रस्तुत रहे) बने रहते थे। पुरुषों को बीस वर्ष की उम्र में विवाह के लिए प्रोत्साहित किया जाता था लेकिन अपने परिवार के साथ तबतक नहीं रह सकते थे जबतक कि तीस वर्ष की आयु में सक्रिय सैन्य सेवा नहीं छोड़ देते थे। वे अपने आप को "होमोइकोई" (एक समान) कहा करते थे, सिपाहियों के संगठित व्यू के अनुशासन और आम जीवन शैली की और इंगित करते हुए, जिसकी यह सिफारिश थी कि कोई भी सैनिक अपने कॉमरेड से श्रेष्ठतर नहीं है। यथा संभव होपलाईट (प्राचीन युनाम नगर राज्य के नागरिक सैनिक) के युद्ध में परिपूर्णता पाने की स्पार्तियों ने भरसक कोशिश की.
थूसाईंडाईड्स की रिपोर्ट के अनुसार जब स्पार्ती पुरुष युद्ध में जाते थे, उनकी पत्नियां (अथवा कुछ महत्त्व की कोई दूसरी महिला) रिवाज़ की मुताबिक़ उन्हें ढ़ाल भेंट करती थी और कहती थी,:इसके साथ ही या इस पर ही (Ἢ τὰν ἢ ἐπὶ τᾶς, Èi tàn èi èpì tàs), अर्थात सच्चे स्पर्ती या तो विजयी बनकर ही स्पार्टा लौटेंगे (हाथों में ढ़ाल लिए) या फिर (इस पर लेटे हुए) मृत लौटेंगे. अगर के होपलाइट (प्राचीन यूनानी नगर-राज्य के नागरिक सैनिक) को हाथों में ढ़ाल के बिना ही जीवित लौटना ही होता था, तो यह मां लिया जाता था कि भागने के प्रयास में उसने अपनी ढ़ाल दुश्मन पर फेंक दी है; यह मृत्यु दण्ड या निर्वासन की सजा पाने लायक दण्डनीय कर्म था। अपने शिरस्त्राण, सीने या पैरों के कवच, बेस्टप्लेट और ग्रीव्स खोने वाले सैनिक को ठीक उसी तरह दण्डित नहीं किया जाता था, क्योंकि ये वस्तुएं किसी व्यक्ति के निजी सुरक्षा-कवच के अंग थी, जब कि ढ़ाल किसी एक सैनिक को व्यक्तिगत सुरक्षा ही नहीं प्रदान करती थी, बल्कि स्पार्तियों की ठसाठस भारी व्यूह-रचना के में सैनिक की सुरक्षा में भी बायीं और क्षति पहुंचने से बचाने में सहायक था। इस प्रकार ढ़ाल एक व्यक्तिगत सैनिक की अपनी टुकड़ी के प्रति अधीनता, इसकी सफलता में उसका अहम् अंग होना, तथा अपने हथियार बंद कॉमरेडो, भोजन लयों के साथियों एवं बंधुओं और अक्सर रक्त-संबंधों के प्रति उसका संपूर्ण पवित्र उत्तरदायित्व होना.
अरस्तू के अनुसार, स्पार्ती सामरिक संस्कृति दर-असल अदूरदर्शी और बे-असर थी। उन्होंने ध्यान से देखा:
सभ्य लोगों का न कि पशुओं का एक मान्य स्तर होना चाहिए, जिसे ध्यान में अवश्य रखना चाहिए, चूंकि ये जानवर नहीं बल्कि अच्छे लोग हैं, जो सचमुच के साहस के लिए सक्षम हैं। स्पार्तियों की तरह ही वे लोग जो किसी एक पर अपना ध्यान केन्द्रित करते हैं और दूसरे की शिक्षा में उपेक्षा करते हैं, वे मनुष्यों को मशीन में बदल देते हैं और नगरी जीवन के किसी एक पहलू पर ही अपने आप को समर्पित कर देते हैं, ऐसे में भी वे उन्हें निम्नतर बनाकर ही छोड़ते हैं।
यहां तक कि माताओं ने भी सैन्यवादी जीवन-शैली लागू की जैसा कि स्पार्ती पुरुष दृढ़ता के साथ जीते थे। स्पार्ती योद्धा की एक पौराणिक कथा है जो लड़ाई से भागकर अपनी मां के पास वापस चला गया था। हालांकि अपनी मां से उसने बचाव की उम्मीद की थी, लेकिन उसकी मां ने इसका उल्टा ही किया। सार्वजनिक शर्म से बचाने के बजाय, उसने एवं उसकी कुछ सहेलियों ने उसे सड़कों पर दौड़ते हुए उसका पीछा किया और लाठियों से उसे पीटा भी. बाद में, अपनी कायरता और हीनता के लिए चीखता हुआ वह स्पार्टा की पहाड़ियों पर ऊपर-नीचे दौड़ने को लाचार हो गया.
क्रिप्तिया (Krypteia) पूरा करने के बाद, स्पार्ती पुरुषों को 30 वर्ष की उम्र में विवाह करना जरुरी हो जाता था। प्लूटार्क की रिपोर्ट के मुताबिक़ स्पार्टन की शादी की रात के कुछ अजीबोगरीब रीति-रिवाज जुड़े हुए हैं:
विवाह के लिए औरतों पर कब्ज़ा करने की प्रथा थी (...) कब्ज़ा की गई लड़की का भार तथाकथित दुल्हन की सहेली ले लेती थी। सबसे पहले वह उसकी खोपड़ी की हज़ामत कर देती थी, तब उसे पुरुष के वस्त्र और सैंडल पहनकर अँधेरे में एक गद्दे पर लिटा देती थी। दूल्हा - जो नशे में नहीं रहता था और इसीलिए नपुंसक भी नहीं रहता था, पर हमेशा की तरह सौम्य और शांत बना रहता था - सर्वप्रथम मेस (भोजनालयों) में रात्री-कालीन भोजन ग्रहण करता था, तब चुपके से अन्दर प्रवेश करता था, उसके कमर बंद खोलता था, उसे बाहों में उठाता था और उसे बिस्तर पर ले जाता था।
विवाह के बाद पति चोरी-छुपे अपनी पत्नी से मिलना-जुलना जारी रखता था। ये रीति-रिवाज़, जो स्पार्तियों के लिए अनोखे थे, इन्हें विभिन्न तरीकों से व्याख्यायित किया गया है। "अपहरण" हो सकता है बुरी नज़रों से बचने का एक तरीका भी हो और पत्नी के केश कटवाना, शायद संस्कार का एक मार्ग हो जो उसकी नई जिन्दगी में प्रवेश-द्वार का एक संकेत मात्र हो.
स्पार्ती महिलाएं रुतबा, क्षमता, तथा आदर का उपभोग करती थी जो शेष क्लासिकल जगत के लिए अज्ञात था। वे अपनी निजी जायदाद को अपने नियंत्रण में रखने के साथ-ही-साथ उन पुरुष रिश्तेदारों की जायदाद की भी देखभाल करती थीं, जो सेना-वाहिनी के साथ दूर चले जाते थे। यह अनुमानित है कि औरतें स्पार्टा की संपूर्ण जमीन तथा जायदाद की कम से कम 35% की एकमात्र अकेली मालकिन थी। तलाक का कानून पुरषों और नारियों दोनों के लिए ही एक समान था। एथेंस की औरतों जैसी नहीं, अगर एक स्पार्ती औरत अपने पिता की उत्तराधिकारिणी बन जाती थी क्योंकि उत्तराधिकारी होने के लिए उसके पास कोई जीवित भाई नहीं हुआ करता था (एपिक्लेरोस), तो उस औरत के लिए उसके नजदीकी पैतृक रिश्तेदार से विवाह करने हेतु उसे अपने मौजूदा, पति से तलाक लेना आवश्यक नहीं माना जाता था। स्पार्ती औरतें शायद ही 20 वर्ष की कम उम्र में शादी करती हो और एथेनियन औरतों जैसी नहीं, जो भारी-भरकम, वस्त्राभूषणों से अपने आपको पूरी तरह ढक लेती थी तथा शायद ही कभी घर के बाहर दिखाई देती हो, स्पार्ती औरतें छोटी पोशाकें पहनती थी और जहां चाहें अपनी मर्जी के मुताबिक जा सकती थी। लड़कियां लड़कों की ही तरह नंगी रह सकती थी तथा युवकों की ही तरह युवतियां भी जिम्नोपीडिया (Gymnopaedia) में (नंगे युवक-युवतियों का महोत्सव) में भाग ले सकती थीं।
कई महिलाओं ने स्पार्टा के इतिहास में उल्लेखनीय भूमिकाएं अदा की हैं। क्वीन गोर्गो, राजगद्दी की उतराधिकारिणी लेयोनिदस प्रथम की पत्नी एक प्रभावशालिनी तथा अच्छी तरह से प्रलेखित हस्ती थी। हेरोडोटस के रिकॉर्ड के मुताबिक जब वह एक छोटी-सी लड़की थी तभी उसने अपने पिता क्लियोमेनेस (Cleomenes) को रिश्वत के लेन-देन से विरत रहने की सलाह दी थी। ऐसा कहा जाता है कि बाद में चलकर उसने ही एक चेतावनी का कूटानुवाद करने की जिम्मेदारी निभायी थी कि फ़ारसी फौजें यूनान पर हमला बोलने ही वाले हैं; जब स्पार्ती सेनाध्यक्ष मोम में लिपटी लकड़ी की तख्ती पर लिखे कूट-संदेश का कूटानुवाद न कर सके, उसने मोम को साफ-सुथरा कर चेतावनी को खुलासा करने का उन्हें हुक्म जारी किया। प्लूटार्क के मोरालिया (Moralia) में "स्पार्ती महिलाओं की कहावतों" का संग्रह शामिल है, जिसमें गोर्गों पर आरोपित चुटकुले भी हैं: अट्टीका से आई हुई एक महिला के पूछे जाने पर कि स्पार्ती महिलाएं ही संसार में एकमात्र ऐसी महिलाएं हैं जो पुरषों पर शासन कर सकती हैं, जवाब में उसने कहा, "क्योंकि हम लोग ही केवल ऐसी महिलाएं हैं जो पुरुषों की माताएं हैं".
लैकोनोफिलीया स्पार्टा एवं स्पार्टन संस्कृति अथवा संविधान के प्रति प्रेम या प्रशंसा है। अपने समय में स्पार्टा यथेष्ट प्रशंसा का विषय था, यहां तक कि अपने प्रतिद्वंदी, एथेंस में भी. प्राचीन काल में, कई कुलीन संम्भ्रांत एवं सबसे अच्छे एथेनियंस स्पार्टन राज्य को हमेशा एक आदर्श सिद्धांत की परंपरा की वास्त्वायित प्रतिमूर्ति मानते थे।" कई यूनानी दार्शनिकों ने विशेषकर प्लेटोवादियों ने, स्पार्टा की अक्सर एक आदर्श राज्य, सशक्त साहसी, एवं वाणिज्य और वित्त के भ्रष्टाचार से मुक्त कहकर प्रशंसा की है।
यूरोप के पुनर्जागरण के समय क्लासिकी शिक्षा के पुनः प्रवर्तन के साथ, लैकोनोफिलिया पुनः प्रकट हो जाता है, उदाहरण के लिए मैकियावेली के लेखन में यह स्पष्ट परिलक्षित है। एलिजाबेथन इंग्लिश संविधानी जॉन आयल्मेर ने ट्युडर कालीन इंग्लैण्ड की तुलना स्पार्टन गणराज्य से यह उद्धृत करते हुए की है कि, "लैसिडेमोनिया [अर्थात स्पार्टा], [था] सबसे संभ्रांत और सर्वकालीन सर्वोत्तम शासित शहर था". उसने इंग्लैण्ड के लिए इसे एक मॉडल (आदर्श-प्रतिरूप) कहकर सराहना की है। स्विस-फ्रेंच दार्शनिक ज्यां-जैक्स रूसों ने अपनी कला और विज्ञान पर संवाद प्रस्तुत करते हुए एथेंस के पक्ष में स्पार्टा के साथ वैषम्य की तुलना यह तर्क पेश करते हुए की है कि, इसका आडम्बरहीन कठोर संविधान एथेनियन जीवन के अधिक सुंसस्कृत स्वभाव के लिए श्रेयस्कर था। क्रांतिकारी और नेपोलियनी फ्रांस के द्वारा स्पार्टा का उपयोग सामाजिक स्वच्छता के मॉडल के रूप में भी किया गया था।
कार्ल ऑटफ्राइड मूलर (Karl Otfried Müller) के द्वारा जिसने स्पार्टन आदर्शों को यूनानियो के उप-जातीय समूह स्पार्तियों का भी जिससे सरोकार था, डोरियन्स की नस्ली श्रेष्ठता के साथ जोड़कर लैकोनोफिलीया में एक नया तत्व जोड़ दिया गया. एडॉल्फ हिटलर ने स्पार्टन की प्रशंसा की है, वर्ष 1928 में यह सिफारिश करते हुए कि जर्मनी को "जीने की अनुमति की संख्या" को सीमित कर उनकी नकल करनी चाहिए. उन्होंने कहा कि "किसी समय स्पार्टन्स ऐसे बुद्धि से भरे उपाय में सक्षम थे। 6000 स्पार्टन्स के अंतर्गत 350,000 हेलोट्स की अधीनता एकमात्र नस्लीय श्रेष्ठता के कारण ही संभव था।" स्पार्टन्स ने ही "सर्वप्रथम जातिवादी राज्य की स्थापना की".
आधुनिक समय में, "स्पार्टन" (स्पार्ती) विशेषण का प्रयोग सादगी, मितव्ययिता अथवा विलासिता एवं आराम से परहेज़ के अर्थ में किया जाता है। संक्षिप्त वाक्यांश लैकोनिक बोलचाल के शुद्ध एवं संक्षिप्त तरीके को जो स्पार्तियों का विशेष गुण था, का वर्णन करता है।
स्पार्टा आधुनिक लोकप्रिय संस्कृति को भी प्रमुखता से प्रस्तुत करता है (देखें लोकप्रिय संस्कृति में, स्पार्टा), विशेष रूप से थर्मोपाईलें का युद्ध (देखें, लोकप्रिय संस्कृति में थर्मोपाईलें का युद्ध).
थुसाइडाइड्स ने लिखा है:
मान लीजिए कि स्पार्टा शहर वीरान हो गया, जमीन का खाका (योजना की रूपरेखा) और धर्म-स्थलों के अलावा कुछ भी अवशिष्ट नहीं रह गया, ऐसे में आनेवाले सुदूरवर्ती युग के लोग यह विशवास करने में सर्वथा अनिच्छुक रहेंगे कि लैसिडेमोनीयंस की क्षमता उनकी ख्याति के साथ सम्पूर्ण रूप से समान थी। उनका शहर क्रमिक रूप से लगातार नहीं निर्भित होता रहा और उनके पास भव्य मंदिर अथवा अन्य इमारतें भी नहीं थी; उल्टा यह गांवों का एक समूह-जैसा देखने में प्रतीत होता था, हेलास के प्राचीन शहरों की तरह और इसीलिए एक कमजोर मामूली प्रदर्शन भी पेश करता है।
बीसवीं शताब्दी तक, स्पार्टा के प्राचीन प्रासाद थिएटर थे, हालांकि, जिसका थोड़ा सा हिस्सा बाकी बची हुई दीवारों के कुछ अंश के अलावे दिखाई देता था; तथा-कथित लेयोनिडास का मकबरा (Tomb of Leonidas), एक चौकोर भवन, शायद एक मंदिर, पत्थर के ब्लॉक्स (खण्ड) से निर्मित, एवं दो कक्षों वाले युरोटास नदी पर निर्मित प्राचीन पुल की नीवं वृत्ताकार संरचना के नष्ट अवशेष; अंतिम रोमन किलेबंदी के खंडहर, ईंट के कुछ मकान तथा मोजेक फुटपाथ.
अवशिष्ट पुरातात्विक संपदा में शिलालेख, प्रस्तर की मूर्तियां तथा अन्य सामान जो स्थानीय संग्रहालय में संगृहित हैं, जिसकी स्थापना वर्ष 1872 स्टामेटाकिस (Stamatakis) के द्वारा की गई (और वर्ष 1907 में जिसे विकसित किया गया). गोलाकार भवन की आंशिक खुदाई का भार वर्ष 1892 और 1893 में एथेंस के अमेरिकन स्कूल द्वारा लिया गया. चूंकि ढ़ांचे की संरचना हेलेनिक मूल की अर्धवृत्ताकार बची हुई दीवारें थीं जिसका रोमन साम्राज्य काल में पुनरुद्धार किया गया.
वर्ष 1904 में, एथेंस में स्थित ब्रिटिश स्कूल ने लैकोनिया का आद्योपांत अन्वेषण आरंभ किया और आने वाले वर्ष में थेलामी, गेरोंथ्रे तथा मोनेमवासिया के निकट एंजेलोना में खुदाइयां की गई। वर्ष 1906 में, स्पार्टा में खुदाइयां शुरू की गई।
लीक (Leake) के द्वारा वर्णित एक छोटे से सर्कस से यह प्रमाणित होता है कि थियेटर जैसी ही इमारत वेदी के चतुर्दिक और आर्टेमिस ओर्थिया (Artemis Orthia) के मंदिर के सामने ईसवीं सन 200 के शीघ्र बाद निर्मित हुई. यहां संगीत और जिमनास्टिक की प्रतियोगिताएं आयोजित होने के साथ ही साथ प्रसिद्ध शारीरिक प्रताड़ना की कठोर परीक्षा (diamastigosis) से होकर गुजरना पड़ता था। मंदिर, जिसका निर्माण-काल दूसरी सदी ईसापूर्व के आसपास माना जा सकता है, वह छठी सदी के एक प्राचीन मंदिर की आधार शिला पर खड़ा है और इसके करीब ही बगल में और भी एक प्राचीन मंदिर के अवशेष मिलें हैं, जो 9वीं अथवा 10वीं सदी के समय के माने जा सकते हैं। मिट्टी के बर्तनों में मन्नत के चढ़ावे, कहरुबा (अम्बर), कांसा, हाथी के दांत, एवं सीसा सीमित क्षेत्र के अंतर्गत ही प्रचुरता में पाए गए हैं, जिनका काल 9वीं से 4वीं शताब्दियां ईसापूर्व माना गया है, जो आरंभिक स्पार्टन कला के अमूल्य साक्ष्य की आपूर्ति करते हैं।
वर्ष 1907 में, "ब्राज़ेन हाउस के" एथेना का अभयारण्य (Chalkioikos) को थिएटर के ठीक ऊपर बने एक्रोपॉलिश पर अवस्थित पाया गया और यद्यपि वास्तविक मंदिर संपूर्ण रूप से विनष्ट हो चुका है, इस क्षेत्र ने लैकोनिया के पुराकालीन शिलालेखों के दीर्घतम प्रसार प्रस्तुत किए हैं जिसमें कांसे की कीले एवं तश्तरियां तथा काफी संख्या में मन्नत के चढ़ावे पाए गए हैं। यूनानी नगर की दीवार, जिसका निर्माण 4थी से 2री सदी के बीच क्रमशः कई चरणों में हुआ था, अपने सर्किट के एक बड़े भाग के कारण खोज में पाया गया, जिसका मापांकन 48 स्टेड्स या 10 किलोमीटर किया गया. (Polyb. 1X. 21). अंतिम कालीन रोमन दीवार, लघुनगर के चतुर्दिक बना, जो संभवतः वर्ष 262 के गॉथिक आक्रमण के बाद के वर्षों के समय में निर्मित हुई होगी, की भी खोज की गई। वास्तविक भवनों की खोज के अलावे, पावसेनिया (Pausanias) के विवरण के आधार पर, स्पार्टन स्थलाकृति विज्ञान के साधारण अध्ययन में कई विन्दु अवस्थित हैं जिनका मानचित्रण किया गया. खुदाइयों से यह पता चला कि माइसेनियन कला का शहर युरोटास नदी के बाएं तट पर स्पार्टा से थोड़े दक्षिण-पूर्व में अवस्थित था। भूमि की व्यवस्था मोटे तौर पर आकार में त्रिकोणीय थी, जिसका ऊपरी हिस्सा उत्तर की ओर निकला हुआ था। इसका क्षेत्रफल अनुमानतः "नए" स्पार्टा के क्षेत्रफल के सामने था लेकिन अनाच्छादान ने इसके भवनों पर तबाही बरपा कर दी है और नींवों के अवशेष तथा टूटे-फूटे बर्तनों के टुकड़ों के अलावे कुछ भी नहीं बचे।
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