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सूजाक
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सूजाक एक संक्रामक यौन रोग[1] (यौन संचारित बीमारी (एसटीडी)) है। सूजाक नीसेरिया गानोरिआ नामक जीवाणु से होता है जो महिला तथा पुरुषों में प्रजनन मार्ग के गर्म तथा गीले क्षेत्र में आसानी और बड़ी तेजी से बढ़ती है। इसके जीवाणु मुंह, गला, आंख तथा गुदा में भी बढ़ते हैं। उपदंश की तरह यह भी एक संक्रामक रोग है अतः उन्ही स्त्री-पुरुषों को होता है जो इस रोग से ग्रस्त व्यक्ति से यौन संपर्क करते हैं।[2]
Syphilis वर्गीकरण एवं बाह्य साधन | |
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Electron micrograph of Treponema pallidum | |
आईसीडी-१० | A50.-A53. |
आईसीडी-९ | 090-097 |
डिज़ीज़-डीबी | 29054 |
मेडलाइन प्लस | 001327 |
ईमेडिसिन | med/2224 emerg/563 derm/413 |
एम.ईएसएच | D013587 |
सूजाक रोग में चूँकि लिंगेन्द्रिय के अंदर घाव हो जाता है और इससे पस निकलता है अतः इसे हिंदी में 'पूयमेह ' , औपसर्गिक पूयमेह और ' परमा ' कहते हैं और अंग्रेजी भाषा में गोनोरिया (gonorrhoea ) कहते हैं. पश्चिमी देशों में इसे क्लेप (clap ) के नाम से भी जाना जाता है[3].
इसके संक्रमण का मूल माध्यम यौन संपर्क है; गर्भावस्था या जन्म के समय यह रोग माँ से बच्चे अथवा गर्भ में पल रहे बच्चे में भी संक्रमित हो सकता है, जिसके कारण पैदाइशी सिफलिस होता है। संबंधित ट्रेपोनेमा पैलिडम द्वारा होने वाली अन्य रोगों में याज (उप-प्रजाति परटेन्यू), पिंटा(उप-प्रजाति काराटियम) और बेजेल (उपप्रजाति एन्डेमिकम) शामिल हैं।
सूजाक के चिह्न और लक्षण इस बात पर निर्भर करते हैं कि यह अपने चार चरणों (प्राथमिक, द्वितीयक, अव्यक्त व तृतीयक) में से किस चरण में है। प्राथमिक चरण में एकल व्रण (एक स्थिर, दर्दरहित, बिना खुजली वाला अल्सर रूप) आम तौर पर उपस्थित होता है, द्वितीयक सिफलिस में फैले हुये दाने होते हैं जो अक्सर हाथों की हथेली और पैरों के तलवों में होता है, अव्यक्त सिफलिस में बेहद कम या कोई लक्षण नहीं होते हैं और तृतीयक सिफलिस में गुमा, तंत्रिका या हृदय संबंधी लक्षण होते है। हलांकि इसकी निरंतर असमान्य प्रस्तुतिकरण के कारण इसको "महान नकलची" भी कहा जाता है। इसका निदान आमतौर पर रक्त परीक्षण द्वारा किया जाता है; हलांकि बैक्टीरिया माइक्रोस्कोप के नीचे भी देखे जा सकते हैं। सिफलिस का इलाज प्रभावी ढ़ंग से एंटीबायोटिक्स द्वारा किया जा सकता है विशेष रूप से पसंदीदा इंट्रामस्क्युलर पेनिसिलीन जी (न्यूरोसिफलिस के लिये इंट्रावीनस तरीके से दी जाने वाली) या फिर सेफट्रियाक्सोन और गंभीर पेनिसिलीन एलर्जी वाले लोगों के लिये मौखिक डॉक्सीसाइक्लीन या एजीथ्रोमाइसिन।
माना जाता है कि सूजाक ने 1999 में पूरी दुनिया में 12 मिलियन लोगों को प्रभावित किया, जिसमें से 90% से अधिक मामले विकासशील दुनिया के हैं। 1940 में पेनिसिलीन की विस्तृत उपलब्धता के कारण नाटकीय रूप से कम होने के बाद, शताब्दी की शुरुआत के साथ बहुत सारे देशों में संक्रमण की दर बढ़ गयी है, अक्सर ह्यूमन इम्युनोडिफिशियेन्सी वायरस (HIV) के साथ यह दिख रहा है। यह आदमियों के साथ यौन संबंध रखने वाले आदमियों के बीच असुरक्षित यौन संबंधों के कारण, बढ़ी हुई अस्वच्छंदता, वैश्यावृत्ति और सुरक्षा साधनों के उपयोग की कमी के कारण भी आंशिक रूप से बढ़ा है।[4][5][6]