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2011 की रोहित शेट्टी फिल्म विकिपीडिया से, मुक्त विश्वकोश
सिंघम 2011 में बनी हिन्दी भाषा की फिल्म है जिसका निर्देशन रोहित शेट्टी ने किया है व अजय देवगन, काजल अग्रवाल और प्रकाश राज मुख्य भूमिकाओं में है। यह २०१० में बनी तमिल फ़िल्म सिंगम का हिन्दी रूपांतरण है जिसमें सूर्य ने मुख्य भूमिका अदा की थी। फ़िल्म का निर्माण रिलायंस इंटरटेनमेंट द्वारा किया गया है जिन्होंने तमिल फ़िल्म का सह-निर्माण किया था। फ़िल्म को २२ जुलाई २०११ को रिलीज़ किया गया था और यह सर्वाधिक कमाई वाली फ़िल्मों में से एक बन गई।
सिंघम | |
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सिंघम का पोस्टर | |
निर्देशक | रोहित शेट्टी |
निर्माता | करण मल्होत्रा |
अभिनेता |
अजय देवगन, काजल अग्रवाल, प्रकाश राज, सोनाली कुलकर्णी, सचिन खेडेकर, गोविन्द नामदेव, मुरली शर्मा, सुधाँशु पांडे, अशोक सर्राफ, |
संपादक | स्टीवन एच बर्नार्ड |
संगीतकार | अजय-अतुल |
वितरक | रिलायंस इंटरटेनमेंट |
प्रदर्शन तिथियाँ |
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लम्बाई |
138 मिनट |
देश | भारत |
भाषा | हिन्दी |
लागत | ₹20 करोड़ (US$2.92 मिलियन)[1] |
कुल कारोबार | ₹160 करोड़ (US$23.36 मिलियन)[2] |
फ़िल्म की शुरुआत एक ईमानदार पुलिस अफसर राकेश कदम (सुधाँशु पांडे) के आत्महत्या करने से होती है क्योंकि उसपर रिश्वत लेने का झूठा आरोप जयकांत शिकरे (प्रकाश राज) ने लगाया गया था जो गोवा का गुंडा राजनेता है। कदम की पत्नी मेघा कदम (सोनाली कुलकर्णी) इस बात का बदला लेने की कसम खाती है।
कहानी शिवागढ़ में बढती है जहां बाजीराव सिंघम (अजय देवगन), कदम की तरह ही एक ईमानदार पुलिस अफसर वहां के स्टेशन का मुखिया है। वह अपने गाँव की अधिकतर परेशानियां अहिंसा व आपसी सामंजस्य से सुलझाता ह। वह बल का उपयोग तभी करता है जब उसकी आवश्यकता होती है और इस कारण उसे गांववालों से सम्मान व प्यार दोनों मिलता है। गौतम भोसले ("गोटया", सचिन खेडेकर) एक व्यापारी है और सिंघम के पिता मानिकराव सिंघम (गोविन्द नामदेव) का मित्र है। एक दिन वह गाँव में अपनी बेटी काव्या (काजल अग्रवाल) के साथ आता है। सिंघम व काव्या एक दूसरे से प्यार करने लगते है।
सब कुछ अच्छा चल रहा होता है जब एक दिन जयकांत, जिसे बेल पर खून के आरोप में छोड़ा होता है, को शिवागढ़ आकार हर चौथे दिन बेल के कागज़ात पर हस्ताक्षर करने पड़ते है। स्वयं आने के बजाए वह अपने दो आदमियों को कार्य पूरा करने भेजता है जिससे सिंघम चिढ जाता है और जयकांत को स्वयं आकार हस्ताक्षर करने को कहता है। अपमानित हो कर जयकांत शिवगढ़ पहुँच जाता है पर गाँव वालों के सिंघम के प्रति निष्ठां व प्रेम देख कर बदला नहीं ले पाता। वह अपनी राजनैतिक शक्ति का प्रयोग करके सिंघम का तबादला गोवा में करवा लेता है ताकि उसे सबक सिखा सके।
सिंघम इस बात से अनजान की उसके तबादले के पीछे जयकांत का हाथ है, कोलवा पोलिस थाने में कार्यरत हो जाता है। उसके सहकारी, सब-इन्स्पेक्टर फडनिस (विनीत शर्मा), सब-इन्स्पेक्टर अब्बास (अंकुर नय्यर), मुख्य कांस्टेबल सावलकर (अशोक सर्राफ) जयकांत को उसके जुर्मों की वहजह से नफ़रत करते है परन्तु उसकी राजनैतिक तकाद के कारण उस पर कोई आरोप नहीं लगा पाते। डीएसपी पाटकर (मुरली शर्मा), सिंघम का सीनियर, जयकांत के लिए कार्य करता है और इसके खिलाफ़ सारे सबूतों को मिटाता रहता है। सिंघम इस बात को डीजीपी विक्रम पवार (प्रदीप वेलंकर) के पास ले कर जाता है परन्तु कुछ सिद्ध नहीं कर पाता क्योंकि जयकांत और पाटकर के खिलाफ उसके पास कोई सबूत नहीं होते। वहां का मंत्री अनंत नार्वेकर (अनंत जोग) भी सिंघम को मदद करने से इनकार कर देता है व उसे जयकांत के मामलों से दूर रहने को कहता है। हार कर सिंघम अपने गाँव वापस जाने का निर्णय लेता है परन्तु उसे काव्या रोक लेती है और उसे जुर्म से भागने की जगह उससे लड़ने को उकसाती है।
क्र॰ | शीर्षक | गायक (यिका) | अवधि |
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1. | "मौला मौला" | कुणाल गांजावाला, रिचा शर्मा | 04:04 |
2. | "साथिया" | श्रेया घोशाल, अजय-गोगावाले | 05:10 |
3. | "सिंघम" | सुखविंदर सिंह | 05:50 |
4. | "मौला मौला" | कुणाल गांजावाला, रिचा शर्मा | 03:44 |
5. | "साथिया" | श्रेया घोशाल, अजय-गोगावाले | 05:00 |
6. | "सिंघम" | सुखविंदर सिंह | 03:23 |
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