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सारा गिल्बर्ट
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डेम सारा कैथरीन गिल्बर्ट डीबीई एफआरएस (जन्म अप्रैल 1962) एक अंग्रेजी वैक्सीनोलॉजिस्ट हैं, जो ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में वैक्सीनोलॉजी की प्रोफेसर और वैक्सीनटेक की सह-संस्थापक हैं।[1][2][3][4] वह इन्फ्लूएंजा और उभरते वायरल रोगजनकों के खिलाफ टीकों के विकास में माहिर हैं।[5] उन्होंने यूनिवर्सल फ्लू वैक्सीन के विकास और परीक्षण का नेतृत्व किया जिसका 2011 में नैदानिक परीक्षण हुआ।
सारा गिल्बर्ट | |
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जन्म |
अप्रैल 1962 (आयु 62) केटरिंग, नॉर्थहैम्पटनशायर, इंग्लैंड |
क्षेत्र | वैक्सीन |
संस्थान |
ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय वैक्सीनटेक डेल्टा जैव प्रौद्योगिकी लीसेस्टर बायोसेंटर ब्रूइंग इंडस्ट्री रिसर्च फाउंडेशन क्राइस्ट चर्च, ऑक्सफ़ोर्ड |
शिक्षा |
ईस्ट एंग्लिया विश्वविद्यालय (बीएससी) हल विश्वविद्यालय (पीएचडी) |
डॉक्टरी सलाहकार | कॉलिन रैटलेज, डॉ॰ एम॰ कीनन |
प्रसिद्धि | वैक्सीनोलॉजी |
उल्लेखनीय सम्मान |
अल्बर्ट मेडल (2021) प्रिंसेस ऑफ ऑस्टुरियस पुरस्कार (2021) किंग फैसल पुरस्कार (2023) |
जनवरी 2020 में उन्होंने प्रोमेड-मेल पर चीन के चार लोगों के बारे में एक रिपोर्ट पढ़ी, जो वुहान में अज्ञात मूल के एक अजीब प्रकार के निमोनिया से पीड़ित थे।[6] दो सप्ताह के भीतर ऑक्सफोर्ड में नए रोगज़नक़ के खिलाफ एक टीका तैयार किया गया था जिसे बाद में कोविड-19 के रूप में जाना गया।[7] 30 दिसंबर 2020 को ऑक्सफोर्ड वैक्सीन ग्रुप के साथ सह-विकसित ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका कोविड-19 वैक्सीन को यूके में उपयोग के लिए मंजूरी दे दी गई थी।[8] जनवरी 2022 तक दुनिया भर के 170 से अधिक देशों को वैक्सीन की 2.5 बिलियन से अधिक खुराकें जारी की जा चुकी हैं।[9]