समावयवता
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रासायनिक यौगिकों का जब सूक्ष्मता से अध्ययन किया गया, तब देखा गया कि यौगिकों के गुण उनके संगठन पर निर्भर करते हैं। जिन यौगिकों के गुण एक से होते हैं उनके संगठन भी एक से ही होते हैं और जिनके गुण भिन्न होते हैं उनके संगठन भी भिन्न होते हैं। बाद में पाया गया कि कुछ ऐसे यौगिक भी हैं जिनके संगठन, अणुभार तथा अणु-अवयव एक होते हुए भी, उनके गुणों में विभिन्नता है। ऐसी विशिष्टता वाले यौगिकों को समावयवी (Isomer, Isomeride) संज्ञा दी गई और इस गुण का नाम समावयवता (=सम + अवयवता / Isomerism) रखा गया।
- उदाहरण C3H4
हाइड्रोकार्बन के तीन समावयव हैं। नीचे देखेंगे कि यह 'संरचनात्मक समावयवता' का उदाहरण है।
I
प्रोपेडाइ-ईन (Propadiene) |
II
प्रोपीन (Propyne) |
III
साइक्लोप्रोपीन (Cyclopropene) |