समवाक
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समवाक, समग्लोस या आइसोग्लोस (अंग्रेज़ी: isogloss) ऐसी भौगोलिक सीमा को कहते हैं जिसके पार भाषा का कोई पहलु बदल जाता हो, मसलन किसी स्वर वर्ण का उच्चारण, किसी व्यंजन वर्ण को उच्चारण करने का लहजा, इत्यादि।[1] अगर ऐसे समवाकों का समूह किसी एक ही रेखा पर पड़ता हो तो वह दो उपभाषाओं के बीच में सीमा होने का बड़ा संकेत होता है। उदाहरण के लिए एक अध्ययन में पाया गया की हिन्दी क्षेत्र के पूर्वी इलाक़ों में 'ण' का उच्चारण 'न' जैसा किया जाता है, जबकि पश्चिमी क्षेत्रों में 'न' और 'ण' में अंतर किया जाता है। इन दोनों क्षेत्रों के गाँवों का अध्ययन करने पर बीच में एक सीमा बनती है जहाँ हिन्दी भाषा के इस पहलु का समवाक है।[2]
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