सनत्कुमार संहिता
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सतयुग (कृतयुग) में पूर्ण परब्रह्म परमेश्वर श्रीहंस भगवान के चार शिष्य हुए। वे चार शिष्य ब्रह्मा के चार मानस पुत्र सनक, सनंदन, सनातन और सनत थे। इन चारों ने भगवान हंस की शिक्षाओं को लिपिबद्ध करते हुए ‘अष्टयम लीला’ और ‘गोपी भाव उपासना’, पुस्तकों की रचना की। इन पुस्तकों को सनतकुमार संहिता भी कहा जाता है।[1]