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श्वेतशल्कता एक रोग-विषयक शब्द है जिसका प्रयोग श्रृंगीयता (केरेटोसिस) के धब्बों का वर्णन करने के लिए किया जाता है।[1] यह न केवल जीभ सहित मुख गुहा की श्लेष्म झिल्ली पर आसंजित (संलग्न) सफेद धब्बों[2] के रूप में बल्कि जठरांत्रिय नली, मूत्र नली एवं जननांगों पर भी सफेद धब्बे के रूप में दिखाई देते हैं। रोग-विषयक उपस्थिति अत्यधिक परिवर्तनशील होती है। श्वेतशल्कता किसी विशेष बीमारी का अस्तित्व नहीं, बल्कि अपवर्जन (बहिष्करण) का रोगनिदान है।[3] इसका उन बीमारियों से अंतर किया जा सकता है जो समान प्रकार के सफेद घाव जैसे कि कैंडिडा एल्बीकैंस नाम कवक द्वारा त्वचा, मुख की श्लेष्मिक झिल्ली, फेंफडों तथा योनि का संक्रमण (कैंडिडिएसिस) या मुख का शैवाक उत्पन्न कर सकते हैं।
कभी-कभी इसका वर्णन कैंसर से पहले प्रकट होने वाली स्थिति के रूप में किया जाता है।[4]. यह धूम्रपान से भी संबंधित है।[1]
तंबाकू, या तो धूम्रपान किए जाने पर या चबाने पर, इसके विकास में मुख्य रूप से दोषी माना जाता है। (1998-2010 चिकित्सा शिक्षा एवं अनुसंधान के लिए मेयो फाउंडेशन (एमएफएमईआर (MFMER)).
कभी-कभी "कैन्डिडा से संबंधित अथवा उससे उत्पन्न श्वेतशल्कता" शब्द का प्रयोग कुछ प्रकार के मौखिक कैंडिडिएसिस के लिए किया जाता है।[5]
यद्यपि "श्वेतशल्कता" शब्द अक्सर मुख की स्थितियों के संबंध में प्रयुक्त किया जाता है, इसका प्रयोग जननांगों एवं मूत्र नली की स्थितियों में भी किया जा सकता है।[1]
श्वेतशल्कता संबंधी घाव विश्व की लगभग 3% आबादी में पाए जाते हैं। श्लेष्मिक झिल्ली में लाल चकते होने (इरिथ्रोप्लेकिया) के समान ही श्वेतशल्कता आम तौर पर 2:1 पुरुष प्रधानता वाले 40 से 70 वर्ष की उम्र के बीच के वयस्कों में पाया जाता है।
श्वेतशल्कता प्रमुख रूप से तम्बाकू के प्रयोग के कारण होती है। रोग का कारण माने जाने वाले अन्य संभावित एजेंट एचपीवी (HPV's), कैंडिडा अल्बिकन्स एवं संभवतः शराब हैं। इसके साथ ही साथ, भारत में किए गए एक अध्ययन में श्वेतशल्कता के रोगियों में सीरम के स्तर विटामिन ए, बी-12, सी एवं फोलिक एसिड में कम पाए गए। अधिकांश की उत्पत्ति कैंसरकारी तत्व द्वारा श्लेष्म झिल्ली की जलन से होती है।[उद्धरण चाहिए] ब्लडरूट (Bloodroot), जिसे अन्य प्रकार से सैंगुइनेरिया कहा जाता है, को भी श्वेतशल्कता के साथ जुड़ा होना माना जाता है।[6]
श्वेतशल्कता के 5% से 25% तक घाव पहले से जहरीले घाव होते हैं; इसलिए सभी श्वेतशल्कताओं का इलाज दंत चिकित्सकों और चिकित्सकों द्वारा पहले से जहरीले घावों के रूप में किया जाना चाहिए - उनके ऊतक विज्ञान संबंधी मूल्यांकन या बायोप्सी (जीवोति-जांच) की आवश्यकता होती है। बालों वाली श्वेतशल्कता, जो एचआईवी संक्रमण और गंभीर प्रतिरक्षा की कमी वाले अन्य रोगों के साथ जुड़ा हुआ है, के एचआईवी (HIV) के साथ जुड़े होने पर वह लसीकार्बुद विकसित कर सकती है।
श्वेतशल्कता उपचार में मुख्य रूप से पूर्वानुकूल कारकों - तम्बाकू के सेवन की समाप्ति, धूम्रपान, पान चबाना छोड़ना, शराब से परहेज - एवं पुरानी तकलीफ़ देने वाली वस्तुओं, जैसे कि दांतों के पैने किनारों - से छुटकारा पाना शामिल है। कैंसर-पूर्व होने वाले परिवर्तनों या कैंसर का पता लगाने पर एक बायोप्सी किया जाना चाहिए और घाव को शल्य चिकित्सा द्वारा निकाल देना चाहिए.
मुख के द्वारा बीटा कैरोटीन लेने से मुंह की श्वेतशल्कता वाले रोगियों में सुधार होता प्रतीत होता है। इन परिणामों की पुष्टि करने के लिए और अधिक शोध की जरूरत है।[7]
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