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शीला केये-स्मिथ (४ फरवरी १८८७- १४ जनवरी १९५६) एक अंग्रेज़ी लेखिका थी। क्शेत्रीय परंपरा में ससेक्स और केंट की सीमाओं पर रचित उनके उपन्यास केलिये वे जाने जाते हैं। १९२३ में लिखित "दी एंड ऑफ द हाउस ऑफ अलार्ड" पुस्तक ने उनको प्रसिद्धी दी। इसके बाद उसको बहुत सफलताएँ मिली और इनकी पुस्तकों ने दुनिया भर में बिक्री का आनंद लिया।
एक चिकित्सक की बेटी शीला, सेंट लिओनार्डो में, हेस्टिंग्स के पास सस्सेक्स में पैदा हुई थी। अपनी जवानी के कुछ साल लंडन मे गुज़ारने के अलावा उनहोंने अपनी ज़िंदगी का बडा हिस्सा ससेक्स में रह के गुज़ारा है। शीला एक प्रसिद्ध लेखक एं एं केय की दूर की रिश्तेदार हैं।
१९२४ में उनहों ने थिओडर पेन्रोस फ्रै से शादी कर ली जो एक अंग्रेज़ी पाद्री थे। अपने पती से प्रेरित शीला ने १९२५ में "एंग्लो कैतलिसिसम" पर एक किताब लिखी। १९२९ में पती और पतनी दोनों रोमन कैथलिक बने,[1] और इस बदलाव की वजे से फ्रै को अपना पद छोडके शीला के साथ नोर्थियम जाके बसना पडा जहा पे वह एक ओस्ट घर में रहने लगे। यहाँ आते ही उन्होंने देखा की आस पास के लोगों की ज़रूरत एक गिरिजाघर थी और जल्द ही उनहों ने सेंट थेरेसा ऑफ़ लिसीएक्स को समर्पित एक पूजास्थान स्थापित किया जहाँ पे अब भी संचय देखने को मिलता है। सालों बाद, उसी कब्रिस्तान में शीला को दफन किया गया।
जनवरी १४, १९५६ को उनका मरण हुआ।[2] उनकी जीवनी को शॉन कूपर ने अपने "द शैनिंग कार्ड" पुस्तक में दिया है।
जब केये स्मिथ ने अपने बाल्य में लिखना आरंभ किया, तब वह काल्पनिक रूप की कथाएँ लिखती थी जिनमें कल्पित पात्र जुडे होते थे। फिर उन्की भरी जवानी में वह पेम प्रसंगयुक्त उपन्यास लिखने लगी। इस के बाद वह प्रौढ़ रूप के लेखन लिखने लगी जिसमें वह धार्मिक विषयों की बात करती है।[3]
उनके उपन्यास में हम ग्रामीण आलोचनाएँ और चिंताओं को पाते हैं। उन में कृषी अवसाद, खेती, विरासत, हमलों, महिलाओं की बदलती स्थिति, ग्रामीण इलाकों पर औद्योगीकरण के प्रभाव और प्रांतीय जीवन जैसे विषय को हम पाते है। जी।बी।स्टर्न, थामस हार्डी और नोएल कोवार्ड जैसे अदभुत लेखक इन के प्रशंसक है।
केय स्मिथ के उपन्यास एक से अधिक शैली के उपन्यासों में फैला हुआ है। उनके पहले सारे उपन्यास दुनियादार ग्रामीण श्रेणी के हुआ करते थे।[4] इस श्रेणी से प्रेरित हो कर स्टेल्ला गिब्बन्सन "कोल्ड कंफर्ट फार्म" के नाम पे एक हास्यानुकृति लिखती है। अपनी पुस्तक "अ वेलियंट वुमन" में स्टेल्ला के पुस्तक को विषय बना कर तेज़ी से आधुनिकता की ओर बढती हुई एक गाँव के बारे में, शीला ने लिखा है। शीला ने अनेक छोटी कहानियाँ और पत्रिकाएं लिखी है जो राष्ट्रीय पत्रिकाओं और समाचार पत्रों में प्रकाशित हुआ है। केय स्मिथ का सबसे प्रसिद्ध उपन्यास "जोआना गोडडेन" को चलनचित्र में अनुवाद किया गया।
ससेक्स देश, तट और मार्श के केए-स्मिथ का विवरण अब भी बेहतरीन रूप का माना जाता है।[5] उनकी अनेक नायिकाएँ बिना शादी के माँ बन जाती है और हर कोई लिंग संबंधित परीक्शण का सामना करता है। यह उसकी नारीवाद भावनाएँ और उस पर पडे जॉर्ज मूर और थॉमस हार्डी के प्रभाव को दर्षाता है। उनके उत्तर काल के पुस्तकों में उन्ही के धार्मिक अति-व्यवस्तथाओं को हम देखते है जहाँं अनेक पात्र धार्मिक उल्झनों में फसे होते है। एंग्लिकनों, एंग्लो-रोमन कैथोलिक ईसाई और कैथोलिकों के बीच चर्चा होती है। पर उन्की कथाओं का सार द्वितीय विश्व युद्ध के स्थितियों को दर्षाता है जिसमे महिलाएँ मुख्य भाग लेति हैं।
सेंट लिओनार्ड-ऑन-सी में स्थित शीला केय स्मिथ साहित्यिक समाज नियमित रूप से मिलती है।[6] इन्होंने शीला की जीवन का घटनाक्रम लिखा है और 'द ग्लीम" नामक वार्षिक पत्रिका भी लिखी है।
उनकी कुछ रचनाएँ- आइल ऑफ़ थॉन्स (१९१३), जोआना गोडडेन (१९२१), ससेक्स में संत (१९२३), जोआना गोडडन विवाहित और अन्य कहानियां (१९२६), बच्चों के ग्रीष्मकालीन (१९३२), जेन ऑस्टेन की बातें (१९४३) जी।बी।स्टर्न की साथ, ऑल द बुक्स ऑफ माई लाइफ़ (१९५६)[7] आत्मकथा आदी है।[8]
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