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व्यौहार राममनोहर सिंहा (1929 - 2007) एक भारतीय कलाकार थे जिन्होंने भारतीय संविधान का अलंकरण किया है। इनके ही चित्रों कारण भारतीय संविधान विश्व का सबसे सुन्दर संविधान माना जाने लगा। केवल 22 वर्ष की उम्र में व्यौहार राममनोहर सिंहा ने भारतीय संविधान जैसे बड़े कार्य के लिए अपना योगदान दिया था। भारतीय संविधान की मूलप्रति के प्रथम पृष्ठ में भारत की सांस्कृतिक एवं आध्यात्मिक धरोहरों का व्यक्त करते प्रतीकों के चित्रों को शामिल किया गया। इसके साथ ही कई अन्य चित्रों को भी भारतीय संविधान की मूलकृति में स्थान मिला। जिन चित्रों को इसमें स्थान नहीं मिल पाया उन बचे हुए चित्रों को शहीद स्मारक प्रेक्षागृह की दीवारों पर जगह मिली।
व्यौहार राममनोहर सिंहा | |
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जन्म |
15 जून 1929 जबलपुर, भारत |
मौत |
25 अक्टूबर 2007 78 वर्ष) इन्दौर, मध्यप्रदेश, भारत | (उम्र
राष्ट्रीयता | भारतीय |
शिक्षा | शांतिनिकेतन, चंगकिंग, बीजिंग |
प्रसिद्धि का कारण | चित्रकला (Revivalism, Contextual Modernism, Minimalism) |
संविधान के अलंकरण में राम मनोहर सिंहा का प्रत्यक्ष और उनके पिता एवं प्रसिद्ध हिन्दीसेवी व्यौहार राजेन्द्र सिंह का परोक्ष रूप से योगदान रहा है। 1935 में जबलपुर में ही डॉ० राजेन्द्र प्रसाद, काका कालेलकर, व्यौहार राजेन्द्र सिंहा ने एक चर्चा के दौरान कहा था कि भारत की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक विरासत को जन-जन तक चित्रों के माध्यम से पहुंचाया जाए। वर्तमान संविधान का निर्माण हो रहा था। डॉ.राजेन्द्र संविधान सभा के अध्यक्ष थे। तब उन्हें उस चर्चा की याद आई और उन्होंने संविधान को अलंकृत किए जाने की बात कही। उन्होंने शांति निकेतन के व्योवृद्ध चित्रकार नंदलाल बसु जो कि लगभग 70 वर्ष के थे, उनसे इस बारे में चर्चा की। नंदलाल बसु ने अपने प्रिय शिष्य व्यौहार राम मनोहर सिंहा को यह जिम्मेदारी सौंपी कि वे भारत भ्रमण पर जाएं। सांस्कृतिक एवं आध्यात्मिक विरासत, धरोहरों को चित्रों में शामिल करें।
ये काफी सूक्ष्म काम था जो नंदलाल 70 वर्ष की उम्र में कर पाना थोड़ा मुश्किल था। इस कार्य को समय पर पूरा भी करना था। व्यौहार राम मनोहर सिंहा उस वक्त शांतिनिकेतन में ही थे। उन्होंने अपने सहपाठियों के साथ मिलकर इस कार्य को पूरा किया। नवंबर 1949 में संविधान तैयार हो चुका था। 26 जनवरी 1950 को लागू भी हो चुका था, लेकिन इसकी मूलकृति तैयार होने में समय लगा। मई 1950 में भारतीय संविधान का अंतिम स्वरूप तैयार हुआ। मूलकृति मई 1950 में ही तैयार हुई। इसके पहले पृष्ठ पर भारतीय धरोहरों के सात प्रतीकों के चित्रों व कई अन्य चित्रों को जगह मिली। इस पर जब व्यौहार राम मनोहर सिंहा को हस्ताक्षर करने को कहा गया, तो उन्होंने इंकार कर दिया और कहा कि संविधान में ये मेरा बहुत ही छोटा योगदान है। नंदलाल जी के आग्रह पर उन्होंने संक्षेप में अपने हस्ताक्षर किए और 'राम' लिखा।
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