वी आर कृष्ण अय्यर
भूतपूर्व न्यायाधीश / From Wikipedia, the free encyclopedia
न्यायमूर्ति वी आर कृष्ण अय्यर (15 नवम्बर 1915 – 4 दिसम्बर 2014) भारत के एक न्यायधीश थे। 1970 के दशक में वो लगभग सात वर्ष तक वे सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश रहे। सर्वोच्च न्यायालय में अपने कार्यकाल में उन्होने देश के सबसे बड़े न्यायालय तक आम आदमी की पहुँच को सुलभ बनाया। उन्होने भारतीय दण्ड विधान में बहुत से सुधार किए तथा जेल एवं पुलिस में साहसिक परिवर्तन किए। उन्होंने विचाराधीन क़ैदियों के हित में 'जेल नहीं ज़मानत ही नियम है' का निर्णय दिया था।
इस लेख में सन्दर्भ या स्रोत नहीं दिया गया है। कृपया विश्वसनीय सन्दर्भ या स्रोत जोड़कर इस लेख में सुधार करें। स्रोतहीन सामग्री ज्ञानकोश के उपयुक्त नहीं है। इसे हटाया जा सकता है। (नवम्बर 2018) स्रोत खोजें: "वी आर कृष्ण अय्यर" – समाचार · अखबार पुरालेख · किताबें · विद्वान · जेस्टोर (JSTOR) |
न्यायमूर्ति वी आर कृष्ण अय्यर | |
जन्म | 15 नवम्बर 1915 पलक्कड, मालाबार जिला, मद्रास प्रेसिडेन्सी |
---|---|
मृत्यु | 4 दिसम्बर 2014(2014-12-04) (उम्र 99) कोच्चि, केरल |
राष्ट्रीयता | भारतीय |
आवास | एर्नाकुलम, केरल |
धर्म | हिन्दू |
आत्मकथा | Wandering in Many Worlds |
उन्होंने अपने समय में सर्वोच्च न्यायालय के इतिहास के सबसे ऐतिहासिक निर्णय दिये थे। उन्होंने तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की अपील तक ठुकरा दी थी, जो इलाहाबाद उच्च न्यायालय के निर्णय के विरुद्ध की गई थी।
वे केरल की ईएमएस नम्बूदरीपाद के नेतृत्व वाली कम्युनिस्ट पार्टी की सरकार में कानून मंत्री रहे थे। मंत्री के रूप में उन्होंने केरल में 1950 के दशक में भूमि सुधार क़ानून लागू किए थे।