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विश्लेषी रसायन
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विश्लेषी रसायन (Analytical chemistry) के अन्तर्गत प्राकृतिक एवं कृत्रिम पदार्थों में विद्यमान रासायनिक घटकों का परिष्करण (separation), पहचान तथा प्रमात्रीकरण (quantification) किया जाता है। यह दो तरह का होता है - गुणात्मक विश्लेषण (Qualitative analysis) तथा मात्रात्मक विश्लेषण (quantitative analysis)। गुणात्मक विश्लेषण से किसी नमूने में विद्यमान घटकों की पहचान होती है तथा मात्रात्मक विश्लेषण के द्वारा इन घटकों की मात्रा निर्धारित की जाती है। रसायनविज्ञान में विश्लेषण शब्द का प्रयोग सबसे पहले [रॉबर्ट बॉयल] (Robert Boyle) ने पदार्थों का संघटन ज्ञात करने की विधि के लिए किया था।
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पुनः वैश्लेषिक विधियों को दो भागों में बांट सकते हैं- शास्त्रीय (classical) तथा यंत्रीय (instrumental)। शास्त्रीय वैश्लेषिक विधि को आर्द्र रसायन (wet chemistry) भी कहते हैं।
इन सबके अलावा विश्लेषी रसायन प्रयोगों के डिजाइन, रसायनमिति तथा मापन के नए औजारों के विकास आदि पर भी विचार करता है। विश्लेषी रसायन का उपयोग न्यायालयी विधिशास्त्र (फोरेंसिक्स), जैवविश्लेषण, चिकित्सीय विश्लेषण, पर्यावरणीय विश्लेषण और पदार्थों के विश्लेषण में किया जाता है। विश्लेषण के परिणामों से पदार्थ की संरचना से सम्बन्धित जानकारी भी मिलती है।