विद्युत के संबन्ध में प्राचीन काल से ही कुछ काम हुए थे किन्तु इस क्षेत्र में महत्वपूर्ण विकास उन्नीसवीं शदी में ही आरम्भ हुआ।
सत्रहवीं शताब्दी के आरम्भ में विलियम गिलबर्ट ने वर्सोरियम (versorium) का आविष्कार किया जिसकी सहायता से स्थैतिक विद्युत की उपस्थिति का पता लगाया जा सकता था।
बेंजामिन फ्रंकलिन (1746-52) ने वर्षा और तूफान के समय पतंग उड़ाया। वे यह प्रदर्शित करना चाहते थे कि तड़ित (lightning), स्थैतिक विद्युत (ESD) का ही एक रूप है।
१७७५ वोल्टा ने एलेक्त्रोफोरस (electrophorus) बनाया जो स्थतिक विद्युत आवेश पैदा करने के काम आती थी।
१७८५ - कूलॉम्ब (Charles Augustus Coulomb) (1736-1806) ने 'ऐठन तुला' (torsion balance) का विकास किया।
अट्ठारहवीं शताब्दि के अन्त के पूर्व ही वोल्टा ने 'पाइल' (Pile) बनाया जिसे आज की बैटरियों का 'पूर्वज' कह सकते हैं।
१८२७ - जॉर्ज ओम ने विद्युत धारा और विभवान्तर के बीच संबन्ध प्रतिपादित किया।