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अंग्रेजी साहित्यकार एवं निबंधकार (1882-1941) विकिपीडिया से, मुक्त विश्वकोश
एडलीन वर्जिनिया वुल्फ़ (अंग्रेज़ी: Adeline Virginia Woolf) (२५ जनवरी, १८८२ - २८ मार्च, १९४१) [1] २०वीं सदी की एक प्रतिभाशाली अंग्रेज साहित्यकार और निबंधकार थीं[2]। ए रूम ऑफ वन्स ओन की लेखिका वर्जिनिया वुल्फ प्रसिद्ध लेखिका, आलोचक और पर्वतारोही पिता सर स्टीफन और मां जूलिया स्टीफन की बेटी थीं। उनका जन्म १८८२ में लंदन में हुआ था। बुद्धिजीवियों की आवाजाही उनके घर में होती रहती थी। जाहिर है वर्जिनिया का भी रुझान आरंभ से ही लिखने-पढ़ने की ओर रहा। वर्जिनिया की अधिकतर स्मृतियां कॉर्नवाल की हैं, जहां वह अकसर गर्मीयों की छुट्टियां बिताने जाती थीं। इन्हीं स्मृतियों की देन थी उनकी प्रमुख रचना - टु द लाइटहाउस। जब वह केवल १३ वर्ष की थीं, तब उनकी मां का आकस्मिक निधन हो गया। इसके दो वर्ष बाद अपनी बहन व १९०४ में पिता को भी उन्होंने खो दिया। यह उनका अवसाद भरा दौर था। इसके बाद आजीवन अवसाद के दौरे उन्हें घेरते रहे। इसके बाद भी उन्होंने कई महत्वपूर्ण कृतियों की रचना की। शारीरिक रूप से बहुत दुर्बल होने के कारण उनकी पढ़ाई-लिखाई घर पर ही हुई। बाद में उन्होंने अध्यापन कार्य आरंभ किया। ३० वर्ष की आयु में उन्होंने लोयोनार्ड वुल्फ़ से विवाह किया। उन्होंने डायरी, जीवनियां, उपन्यास, आलोचना सभी लिखे। लेकिन उनकी प्रिय विषयवस्तु स्त्री विमर्श ही थी। इसी का परिणाम था, उनकी महत्वपूर्ण पुस्तक ए रूम ऑफ वन्स ओन।
वर्जीनिया वूल्फ | |||||
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जन्म | एडेलिन वर्जीनिया स्टीफन 25 जनवरी 1882 केंसिंग्टन, मिडिलसेक्स, इंगलैंड | ||||
मौत | 28 मार्च 1941 59 वर्ष) लुअस, ससेक्स, इंगलैंड | (उम्र||||
पेशा | उपन्यासकार, निबंधकार, प्रकाशक, आलोचक | ||||
राष्ट्रीयता | ब्रिटिश | ||||
उच्च शिक्षा | किंग्स कॉलेज लंदन | ||||
उल्लेखनीय कामs | मिसेज डल्लोवे, टू द लाईट हाउस, द वेव्स | ||||
जीवनसाथी | लियोनार्ड वूल्फ (वि॰ 1912; मृत्यु पर्यंत 1941) | ||||
हस्ताक्षर | |||||
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१९४० में द्वितीय विश्वयुद्ध में नाज़ियों के हमले के दौरान वुल्फ दंपती बहुत परेशान रहा करते थे, क्योंकि उनके पति लियोनार्ड यहूदी थे, जिनसे नाज़ी घृणा करते थे। इसी वर्ष बमबारी में उनका प्रेस नष्ट हो गया। अवसाद की स्थिति में उन्होंने २८ मार्च १९४१ में नदी में छलांग लगा दी और आत्महत्या कर अपना जीवन समाप्त कर लिया। गूगल ने उनके १३६वें जन्मदिन को एक डूडल के साथ मनाया।[3]
25 जनवरी, 1882 को जन्मे, एडलिन वर्जीनिया स्टीफन को एक उल्लेखनीय घर में उठाया गया था। उनके पिता, सर लेस्ली स्टीफन एक इतिहासकार और लेखक थे, साथ ही पर्वतारोहण के स्वर्ण युग में सबसे प्रमुख शख्सियतों में से एक थे। वुल्फ की मां, जूलिया प्रिंसेप स्टीफन (नी जैक्सन), भारत में पैदा हुई थीं और बाद में कई प्री-राफेललाइट चित्रकारों के लिए एक मॉडल के रूप में सेवा की। वह एक नर्स भी थी और पेशे पर एक किताब भी लिखी थी। उसके माता-पिता दोनों विवाहित थे और एक दूसरे से शादी करने से पहले विधवा हो गए थे। वुल्फ के तीन पूर्ण भाई-बहन थेबी, वेनेसा और एड्रियन और चार सौतेले भाई लौरा मेकपीस स्टीफन और जॉर्ज, गेराल्ड और स्टेला डकवर्थ। आठ बच्चे 22 हाइड पार्क गेट, केंसिंग्टन में एक ही छत के नीचे रहते थे। वुल्फ के दो भाइयों को कैम्ब्रिज में शिक्षित किया गया था, लेकिन सभी लड़कियों को घर पर पढ़ाया जाता था और परिवार की रसीली विक्टोरियन लाइब्रेरी के शानदार संगम का उपयोग किया जाता था। इसके अलावा, वुल्फ के माता-पिता सामाजिक और कलाकार दोनों तरह से बहुत अच्छी तरह से जुड़े हुए थे। उनके पिता विलियम ठाकरे के मित्र थे, उनकी पहली पत्नी के पिता, जिनकी अप्रत्याशित रूप से मृत्यु हो गई, और जॉर्ज हेनरी लुईस, साथ ही कई अन्य प्रसिद्ध विचारक थे। उनकी माँ की चाची प्रसिद्ध 19 वीं सदी की फोटोग्राफर जूलिया मार्गरेट कैमरन थीं।[उद्धरण चाहिए]
वुल्फ को 20वी सदी की एक महत्वपूर्ण उपन्यासकार माना जाता है। वह एक आधुनिकवादी थी जिन्होंने चिंतन की धारा (स्ट्रीम ऑफ कांशसनेस) को कहानी के भाग के रूप में प्रोस्तुत किया। इस समय डोरोथी रिचर्डसन, मार्सेल प्रौस्ट, जेम्स जॉयस आदि जैसे लेखक इस तकनीक का व्यवहार कर रहे थे। वुल्फ की ख्याति १९३० के दसक में खूब रही मगर द्वितीय बिस्वयुद्ध के बाद कम हो गयी। १९७० के दसक में नारीबादी साहित्य समालोचना के उत्थान के वक़्त वुल्फ की प्रोसिद्धता का फिर एक बार स्थापना हुआ।[4]
वर्जिनिया वुल्फ़ ने निम्नलिखित तीन पुस्तकें प्रकाशित कीं जिन्हें उन्होंने आत्मकथा का उपशीर्षक दिया:
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