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लुफ़्थान्सा उड़ान ६१५ का अपहरण
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२९ अक्टूबर १९७२ को लुफ़्थान्सा उड़ान ६१५ का अपहरण हुआ। इस अपहरण के पिछे फिलिस्तीनी आतंकवादी दल थे, जो फिलिस्तीनी मुक्ति संगठन के गुट ब्लैक सितंबर से सहानुभूति रखने वालों थे। म्यूनिख नरसंहार में शामील तीन आतंकवादी जो म्यूनिख, जर्मनी के कारागार में बंद थे, उन्हे छुडाने के लिए ये अपहरण किया गया था। विमान दमिश्क अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा से निकलकर अपने गंतव्य फ़्रैंकफ़र्ट हवाई अड्डा की ओर बढ रहा था जब बिच में इसका अपहरण हो गया। बंधकों के बदले में, पश्चिम जर्मन सरकार ने आतंकवादियों को रिहा कर दिया और अपहरण की घटना के कारण कोई हताहत नहीं हुए। इन आतंकवादियों को लीबिया के नेता मुअम्मर अल-गद्दाफ़ी द्वारा शरण मिली।
![]() लुफ़्थान्सा का बोईंग ७२७-१०० हवाई जहाज जो अपहरण हुए हवाई जहाज के समान है | |
अपहरण सारांश | |
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तिथि | २९ अक्टूबर १९७२ |
प्रकार | अपहरण |
स्थल |
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यात्री | १३ (२ अपहरणकर्ता मिलाकर) |
कर्मीदल | ७ |
हताहत | -कोई नहीं- |
उत्तरजीवी | २० (सभी) |
यान का प्रकार | बोईंग ७२७-१०० |
यान का नाम | काइल |
संचालक | लुफ़्थान्सा |
पंजीकरण संख्या | D-ABIG |
उड़ान उद्गम | दमिश्क अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा |
बारास्ता | बेरूत अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा |
द्वितीय विराम | एसेनबोगा अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे |
तइतीय विराम | म्यूनिख-राईम हवाई अड्डा |
गंतव्य | फ़्रैंकफ़र्ट हवाई अड्डा |
इजरायल और अन्य दलों द्वारा पश्चिम जर्मन सरकार की आलोचना की गई। जर्मन सरकार पर आरोप भी लगाए गए कि वे ब्लैक सितंबर संगठन के साथ गुप्त समझौता कर चुके हैंकि आतंकवादियों को रिहा करने के बदले ब्लैक सितंबर जर्मनी पर आगे हमले न करने का आश्वासन दे।