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लिद्दर नदी (Lidder River), जिसका मूल संस्कृत नाम लम्बोदरी नदी (Lambodari River) था, भारत के जम्मू व कश्मीर राज्य की कश्मीर घाटी में बहने वाली एक ७३ किमी लम्बी नदी है। सिन्द नदी के बाद यह झेलम नदी की दूसरी सबसे बड़ी उपनदी है।[1][2]
लिद्दर नदी Lidder River لدر ندی लम्बोदरी नदी | |
---|---|
पहलगाम में लिद्दर नदी | |
स्थान | |
देश | भारत |
राज्य | जम्मू और कश्मीर |
क्षेत्र | कश्मीर घाटी |
ज़िला | अनन्तनाग ज़िला |
भौतिक लक्षण | |
नदीशीर्ष | कोलाहोइ हिमानी |
• निर्देशांक | 34.158136°N 75.309373°E |
• ऊँचाई | 4,653 मीटर (15,266 फीट) |
नदीमुख | झेलम नदी |
• स्थान |
गुरनार ख़ानाबल के पास |
• निर्देशांक |
33.752841°N 75.131652°E |
• ऊँचाई |
1,615 मीटर (5,299 फीट) |
लम्बाई | 73 कि॰मी॰ (45 मील) |
प्रवाह | |
• औसत | 206 m3/s (7,300 घन फुट/सेकंड) |
जलसम्भर लक्षण | |
जलक्रम | लिद्दर → झेलम → सिन्धु |
लिद्दर नदी का प्राचीन मूल नाम "लम्बोदरी नदी" था, और गणेशबल नामक स्थान पर नदी के बीच में एक गणेश (लम्बोदर) की मूर्ति थी। इसे सिकंदर शाह मीरी ने तोड़ा था। मान्यता है कि तोड़ते ही नदी में रक्त बहने लगा, और इस से डर के हिन्दू मन्दिरों व मूर्तियों को तोड़ने पर कुछ काल के लिए रोक लगा दी गई। समय के साथ "लम्बोदरी" नाम विकृत हो कर "लिद्दर" बन गया।[3][4]
लिद्दर नदी गान्दरबल ज़िले में सोनमर्ग शहर से २ किमी दक्षिण में स्थित कोलाहोइ हिमानी से ४६५३ मीटर की ऊँचाई पर शुरू होती है। यहाँ से यह एक पहाड़ी मैदान (या मर्ग) से गुज़रती है जिसका नाम लिद्दरवाट है। इसी से इस नदी का नाम पड़ा है। यहाँ से यह सनोबर (फ़र वृक्ष) से ढकी पहाड़ियों से निकलती है। आरू नामक प्रसिद्ध पर्यटन स्थल इसी के किनारे बसा हुआ है। यहाँ से ३० किमी दूर यह पहलगाम पहुँचती है जहाँ इसका संगम शेषनाग झील से आ रही पूर्वी लिद्दर धारा से होता है। यहाँ से पश्चिम चलकर यह अनंतनाग ज़िले के गुरनार ख़ानाबल गाँव में झेलम में मिल जाती है।[5]
लिद्दर नदी का पानी स्वच्छ और किशनगंगा नदी के पानी जैसा नीला दिखता है। इसमें से कई सिंचाई की नहरे निकाली जाती हैं जिनमें से शाह कोल नहर सबसे जानी-मानी है। नदी में ट्राउट जैसी कई मछलियाँ हैं।