लाहौर संकल्पना
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लाहौर प्रस्तावना,(उर्दू: قرارداد لاہور, क़रारदाद-ए-लाहौर; बंगाली: লাহোর প্রস্তাব, लाहोर प्रोश्ताब), सन 1940 में अखिल भारतीय मुस्लिम लीग द्वारा प्रस्तावित एक आधिकारिक राजनैतिक संकल्पना थी जिसे मुस्लिम लीग के 22 से 24 मार्च 1940 में चले तीन दिवसीय लाहौर सत्र के दौरान पारित किया गया था। इस प्रस्ताव द्वारा ब्रिटिश भारत के उत्तर पश्चिमी पूर्वी क्षेत्रों में, तथाकथित तौर पर, मुसलमानों के लिए "स्वतंत्र रियासतों" की मांग की गई थी एवं उक्तकथित इकाइयों में शामिल प्रांतों को स्वायत्तता एवं संप्रभुता युक्त बनाने की भी बात की गई थी। तत्पश्चात, यह संकल्पना "भारत के मुसलमानों" के लिए पाकिस्तान नामक मैं एक अलग स्वतंत्र स्वायत्त मुल्क बनाने की मांग करने में परिवर्तित हो गया।[1][2][3]
हालांकि पाकिस्तान नाम को चौधरी रहमत अली द्वारा पहले ही प्रस्तावित कर दिया गया था परंतु [4] सन 1933 तक मजलूम हक मोहम्मद अली जिन्ना एवं अन्य मुसलमान नेता हिंदू मुस्लिम एकता के सिद्धांत पर दृढ़ थे,[5] परंतु अंग्रेजों द्वारा लगातार प्रचारित किए जा रहे विभाजन प्रोत्साह गलतफहमियों मैं हिंदुओं में मुसलमानों के प्रति अविश्वास और द्वेष की भावना को जगा दिया था इन परिस्थितियों द्वारा खड़े हुए अतिसंवेदनशील राजनैतिक माहौल ने भी पाकिस्तान बनाने के उस प्रस्ताव को बढ़ावा दिया था[6]
इस प्रस्ताव की पेशी के उपलक्ष में प्रतीवर्ष 23 मार्च को पाकिस्तान में यौम-ए-पाकिस्तान(पाकिस्तान दिवस) के रूप में मनाया जाता है।