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लवणता पानी में नमक या लवण की मात्रा को कहते हैं। इसका मापन सामान्यतः द्वारा किया जाता है जो एक विमाहीन राशि है।
इस लेख में सन्दर्भ या स्रोत नहीं दिया गया है। कृपया विश्वसनीय सन्दर्भ या स्रोत जोड़कर इस लेख में सुधार करें। स्रोतहीन सामग्री ज्ञानकोश के उपयुक्त नहीं है। इसे हटाया जा सकता है। (सितंबर 2018) स्रोत खोजें: "लवणता" – समाचार · अखबार पुरालेख · किताबें · विद्वान · जेस्टोर (JSTOR) |
सामान्य रूप से सागरीय जल के भार व उसमें घुले हुए पदार्थों के भार के अनुपात को सागरीय लवणता कहते हैं। डिटमार( Dittmar ) महोदय के अनुसार समुद्र ( महासागरीय लवणता Archived 2021-03-13 at the वेबैक मशीन ) के जल में 47 विभिन्न प्रकार के लवन है.
महासागरीय जल में उपस्थित लवणता के कारण समुद्र का जल खारा होता है. एक 1 किलोमीटर समुद्री जल में 4.10 करोड़ टन लवण होता है. इस आधार पर यदि सारे जलमंडल के नमक को समतल रूप से बिछाया जाए तो संपूर्ण पृथ्वी पर 150 मीटर मोटी नमक की परत हो जाएगी.
गणितीय रूप से सागरीय लवणता को प्रति 1000 ग्राम जल में उपस्थित लवण कि कुल मात्रा (प्रति हजार) में व्यक्त किया जाता है. समुद्री की लवणता लगभग 35 प्रति हजार समुद्र है तो 1000 ग्राम जल में लगभग 35 ग्राम लवण होता है. महासागरीय लवणता का मुख्य स्रोत पृथ्वी है. मुख्य रूप से लवण इकट्ठा करने के साधनों में नदियां, समुद्र की लहरें, हवाएं, ज्वालामुखी विस्फोट आदि है|
सागरीय जल में लवण की मात्रा में भिन्नता पाई जाती है तो भी लवणों का सापेक्षिक अनुपात लगभग एक सा ही रहता है.
महासागरीय क्षेत्रों में समान लवणता वाले स्थानों को मिलाने वाली रेखाएं समलवणता रेखाएं कहलाती है.
खुले महासागरों में लवणता का वितरण - अयनरेखीये क्षेत्रों में लवणता की मात्रा सर्वाधिक 36 प्रति हजार पाई जाती है. उच्च तापमान, प्रचलित उष्ण व शुष्क पवनें, वर्षा का अभाव एवं स्वच्छ जल की कम आपूर्ति के कारण इस क्षेत्र में लवणता अधिक पाई जाती है. अयनरेखीय क्षेत्रों से दोनों और अर्थात भूमध्य रेखा एवं ध्रुवों की ओर लवणता कम होती जाती है. किंतु लवणता की मात्रा भूमध्य रेखा क्षेत्रों की अपेक्षा ध्रुवीय क्षेत्रों में कम पाई जाती है. इसका कारण यह है कि ध्रुवीय प्रदेशों में हिम पिघले हुए जल की आपूर्ति अधिक एवं वाष्पीकरण कम होता है. भूमध्यरेखीय क्षेत्रों में स्वच्छ जल की आपूर्ति एवं वाष्पीकरण दोनों ही अधिक रहते हैं. महासागर के तटीय क्षेत्र में लवणता के वितरण में भी स्थानीय भिन्नता मिलती है. उदाहरण के लिए अमेज,कांगो, नाइज़र व सिंध आदि नदियों के मुहानो पर स्वच्छ जल की आपूर्ति होते रहने के कारण लवणता कम पाई जाती है.
उत्तरी अटलांटिक महासागर के सारगोसे क्षेत्र में लवणता 38 प्रति हजार मिलती है. इस उच्च लवणता का कारण यह है कि यहां महासागरीय धाराओं के चक्रीय प्रवाह से मध्यवर्ती जल का मिश्रण अन्य क्षेत्रों के जल से नहीं हो पाता.
आंशिक रूप से घिरे सागर में लवणता का वितरण स्थानिक परिस्थितियों पर निर्भर करता है. भूमध्य सागर में लवणता का वितरण काफी भिन्न पाया जाता है. इसके उत्तर पूर्वी भाग में लवणता 39 प्रति हजार एवं दक्षिण पूर्व में 41 प्रतिशत पाई जाती है. लाल सागर के उत्तरी भाग में 41 प्रति हजार एवं दक्षिणी भाग में 36 प्रति हजार लवणता की मात्रा मिलती है. फारस की खाड़ी में लवणता की मात्रा 48 प्रति हजार पाई जाती है.
वर्षा का अभाव, स्वच्छ जल की कम आपूर्ति, वास्पीकरण की अधिकता,उच्च तापमान आदि कारणों से यह लवणता अधिक रहती है.
नदियों द्वारा प्रचुर स्वच्छ जल की आपूर्ति,हिम से पिघले जल की आपूर्ति, निम्न तापमान,निम्न वास्पीकरण दर आदि कारणों से काला सागर में लवणता की मात्रा 18 प्रति हजार, बाल्टिक सागर में 15 प्रति हजार और फिनलैंड की खाड़ी में केवल 2 प्रति हजार ही पाई जाती है.
आंतरिक सागर एवं झील पूर्णतया स्थल से घिरे रहते हैं. अत्यधिक गर्म एवं शुष्क पवने, वर्षा का अभाव,उच्च तापमान व वाष्पीकरण कि अधिकता के कारण मृत सागर में लवणता की मात्रा 238 प्रति हजार पाई जाती है. कैस्पियन सागर के दक्षिणी भाग में लवणता की मात्रा 170 प्रति हजार एवं उत्तरी भाग में केवल 14 प्रति हजार पाई जाती है. कैस्पियन सागर के उत्तरी भाग में युराल, वोल्गा आदि नदियां स्वच्छ जल की आपूर्ति करती है. विश्व में सर्वाधिक लवणता टर्की कि वॉन झील में 330 प्रति हजार मिलती है.
गहराई की ओर लवणता की वितरण में कोई निश्चित प्रवृत्ति देखने को नहीं मिलती. फिर भी लवणता की गहराई के साथ परिवर्तन की कुछ प्रवृतियों उभरकर आती है. 1. ध्रुवीय क्षेत्रों में सतह पर लवणता कम तथा गहराई की ओर बढ़ती है. हिम के पिघले स्वच्छ जल की आपूर्ति होते रहने से लवणता सतह पर कम रहती है.
2. मध्य अक्षांशो में 400 मीटर की गहराई तक लवणता बढ़ती है. ततपश्चात गहराई के साथ इसकी मात्रा कम होती जाती है. सतह पर स्वच्छ जल की आपूर्ति कम व वाष्पीकरण अधिक होने से ऐसा होता है.
3. भूमध्यरेखीय क्षेत्रों में सतह पर लवणता कम 1000 मीटर तक वृद्धि तत्पश्चात पुनः कम होती जाती है.
उपरोक्त प्रवर्तियाँ सामान्य है. वैसे विभिन्न महासागरों में भिन्न भिन्न प्रवर्तियाँ देखने को मिलती है. उदाहरण के लिए दक्षिणी अटलांटिक महासागर में सतही लवणता 33 प्रति हजार है. 400 मीटर गहराई पर 34.5 प्रति हजार,1200 मीटर पर 34.8 प्रति हजार. किन्तु 20° दक्षिणी अक्षांश के निकट सतह पर 37 तथा तली पर 35 प्रति हजार है. भूमध्यरेखीय भाग में सतह पर 34 एवं तली पर 35 प्रति हजार है. उत्तरी अटलांटिक महासागर में सतह पर 35.5 व तली पर 34% लवणता रहती है. आंशिक रूप से घिरे सागरों में लवणता के वितरण में काफी विभिन्नताएं मिलती है.
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