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रोहिणी या ऐल्डॅबरैन, जिसे बायर नामांकन में ऐल्फ़ा टौ (α Tau) कहते हैं, पृथ्वी से ६५ प्रकाश-वर्ष दूर वृष तारामंडल में स्थित एक नारंगी दानव तारा है। इसका पृथ्वी से देखा गया औसत सापेक्ष कांतिमान (यानि चमक का मैग्निट्यूड) ०.८७ है और यह अपने तारामंडल का सब से रोशन तारा है। पृथ्वी से भी दिखने वाले सारे तारों में से इसकी चमक सब से अधिक रोशन तारों में गिनी जाती है। संस्कृत में रोहिणी का अर्थ "लाल हिरण" होता है जो इस तारे की लालिमा की ओर इशारा है।
रोहिणी को अंग्रेज़ी में "ऐल्डॅबरैन" (Aldebaran) कहते हैं जो मूलतः अरबी भाषा के "अल-दबरान" (الدبران) से आता है। अरबी में "अल-दबरान" का मतलब है "पीछा करने वाला" और सोचा जाता है के इस तारे का नाम यह इसलिए पड़ा क्योंकि आसमान में यह कृत्तिका तारागुच्छ (अंग्रेज़ी में "प्लीअडीज़ स्टार क्लस्टर") का पीछा करता हुआ प्रतीत आता है।[1]
रोहिणी अपने केंद्र में मौजूद हाइड्रोजन इंधन ख़त्म कर चूका है लेकिन अभी इतना गरम नहीं हुआ है के इसमें हीलियम का नाभिकीय संलयन (न्यूक्लीयर फ्यूज़न) शुरू हो सके। फिर भी गुरुत्वाकर्षण के दबाव से इसका तापमान बहुत बढ़ चुका है जिस से इसकी गैस के फैलने से इस तारे का व्यास (डायामीटर) हमारे सूरज से ४४.२ गुना बड़ा हो चुका है और इस वक़्त ६ करोड़ किलोमीटर से अधिक है।[1] इसकी चमक (निरपेक्ष कान्तिमान) हमारे सूरज की १५० गुना है।[2]
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