रविदास
भारतीय संत कवि और 15 -16वीं सदी के भारतीय सतगुरु , संत रविदास / From Wikipedia, the free encyclopedia
गुरु रविदासजी मध्यकाल में एक भारतीय संत कवि सतगुरु थे। इन्हें संत शिरोमणि सत गुरु की उपाधि दी गई है। इन्होंने रविदासीया, पंथ की स्थापना की और इनके रचे गए कुछ भजन सिख लोगों के पवित्र ग्रंथ गुरुग्रंथ साहिब में भी शामिल हैं। इन्होंने जात पात का घोर खंडन किया और आत्मज्ञान का मार्ग दिखाया।
संत शिरोमणि सतगुरु श्री रविदास जी महाराज | |
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गुरु रविदास | |
जन्म |
रवि (जन्म नाम) c. 1388[1][2] वाराणसी, (दिल्ली सल्तनत) |
मौत |
c. 1518[1][2] वाराणसी, (दिल्ली सल्तनत) |
आवास | सीरगोवर्धन काशी |
उपनाम | रैदास |
पेशा | संत |
प्रसिद्धि का कारण | सतगुरु के रूप में सम्मानित और गुरु ग्रंथ साहिब में शामिल भजन, मीराबाई के गुरु और कबीर से मिलन |
गूगल के द्वारा जो भी जानकारी लिखी गई है इसके विपरीत कुछ जगह पर संत रविदास जी की जयंती पर कुछ गलत बातें बताई जा रही है कहा जा रहा है कि संत रविदास जी की वाणी को विशेष जाति ब्राह्मण के द्वारा कह गए शब्दों को गलत तरीके से बात कर पेश किया जा रहा है जो बहुत ही सोचने वाली बात है इस नई पीढ़ी के लिए जो अज्ञानता की उसे ओर चल पड़ा हैं सच्चाई को बिना जान न जाने की कोशिश कर रहे हैं सुनी सुनाई बातों को सुनकर लड़ाई झगड़ा पर उतारू हो चले हैं आज का समाज विभिन्न सोचो से उत्पन्न होकर एक विशेष सोच बना रहा है जो ही खराब भाषा का प्रयोग कर विशेष समुदाय को भड़काकर उसे जाति के और उकसाना और सामाजिक विशेषताओं की बंधन से मुक्त कर आपस में भेदभाव कर रहा है आप लोग अच्छे से अच्छे संत रविदास जी के वाणी को सबके पास पहुंचा है जो उनका सही विचार था अन्यथा गांव में तो बहुत ही बुरा हाल है लोग यह समझ बैठे हैं कि संत रविदास केवल हरिजन विशेष जाति के ही विशेष बनकर रह गए हैं ब्राह्मणों ने अभद्र व्यवहार जैसे किया हो ऐसी इनकी परिकल्पना कर कुछ और सामाजिक व्यक्तियों द्वारा बखान कर समाज को बताया जा रहा है कृपया इसे बदलने की और सही बातों को बताना जरूरी है नहीं तो आने वाले भविष्य में बहुत ही बड़ा विद्रोह खड़ा हो जाएगा धन्यवाद।