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मुराद चतुर्थ
तुर्क साम्राज्य के सुल्तान / From Wikipedia, the free encyclopedia
मुराद चतुर्थ (उस्मानी तुर्कीयाई: مراد رابع, मुराद-ए राबीʿ; 26/27 जुलाई 1612 – 8 फ़रवरी 1640) 1623 से 1640 तक उस्मानिया साम्राज्य के सुल्तान रहे। उन्होंने राज्य पर सुल्तान के शासन की पुनःस्थापना की थी और उन्हें अपने गतिविधियों की क्रूरता के लिए जाने जाते हैं। उनका जन्म क़ुस्तुंतुनिया में हुआ था। वे सुल्तान अहमद प्रथम (दौर: 1603–17) और यूनानी मूल की कौसम सुल्तान के पुत्र थे।[1] उनके चाचा मुस्तफ़ा प्रथम (दौर: 1617–18, 1622–23) को सुल्तान के पद से निकालने की साज़िश कामयाब होने के बाद मुराद चतुर्थ तख़्त पर आसीन हुए। उस वक़्त उनकी उम्र सिर्फ़ 11 साल की थी। उनके दौर में उस्मानी-सफ़वी युद्ध (1623–39) हुआ, जिसके नतीजे में संपूर्ण क़फ़क़ाज़ क्षेत्र दोनों साम्राज्यों के दरमियान विभाजित हुआ। इस विभजन ने लगभग वर्तमान तुर्की-ईरान-इराक़ देशों की सरहदों की नींव रखी।
मुराद चतुर्थ مراد رابع | |||||
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उस्मानिया साम्राज्य के सुल्तान क़ैसर-ए-रूम ख़ादिम उल हरमैन अश्शरीफ़ैन इस्लाम के ख़लीफ़ा | |||||
![]() बख़्तरबंद हुए मुराद का चित्रण | |||||
17वें उस्मानी सुल्तान (पादिशाह) | |||||
शासनावधि | 10 सितम्बर 1623 – 8 फ़रवरी 1640 | ||||
पूर्ववर्ती | मुस्तफ़ा प्रथम | ||||
उत्तरवर्ती | इब्रहीम | ||||
रीजेंट | कौसम सुल्तान (1623–1632) | ||||
जन्म | 27 जुलाई 1612 क़ुस्तुंतुनिया, उस्मानिया | ||||
निधन | 8 फ़रवरी 1640(1640-02-08) (उम्र 27) क़ुस्तुंतुनिया, उस्मानिया | ||||
समाधि | अहमद प्रथम का तुरबा, सुल्तान अहमद मस्जिद, इस्तांबुल | ||||
जीवनसंगी | आयशा सुल्तान सनावबर ख़ातून एक और बीवी (सम्भवतः) | ||||
संतान | नीचे देखें | ||||
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शाही ख़ानदान | उस्मानी राजवंश | ||||
पिता | अहमद प्रथम | ||||
माता | क़ौसम सुल्तान | ||||
धर्म | सुन्नी इस्लाम | ||||
तुग़रा | ![]() |