मानव अंतरिक्ष उड़ान
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मानव अंतरिक्ष यात्रा या उड़ान (अंग्रेज़ी- Human spaceflight/ manned spaceflight) ऐसी अंतरिक्ष यात्रा होती है, जहाँ अंतरिक्ष यान में चालक दल या खगोलयात्री सवार होते हैं। लोगों को अंतरिक्ष में ले जाने वाले अंतरिक्ष यान को संचालित करने के कई तरीक़े हैं- इसे सीधे मानव चालक दल द्वारा संचालित किया जा सकता है, या यह पृथ्वी पर ग्राउंड स्टेशनों से दूर से संचालित हो सकता है या स्वायत्त भी हो सकता है, जो बग़ैर किसी मानव भागीदारी के एक विशिष्ट अभियान को पूरा करने में सक्षम होता है।
अंतरिक्ष में पहले मानव यूरी गगारिन थे, जिन्होंने 12 अप्रैल 1961 को वोस्तोक कार्यक्रम के हिस्से के रूप में सोवियत संघ द्वारा लॉन्च किए गए वोस्तोक 1 अंतरिक्ष यान को उड़ाया था। अमेरिकी अपोलो कार्यक्रम में मनुष्य 1968 से 1972 तक नौ बार चंद्रमा पर गया और २ नवम्बर, २००० से (अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर) अंतरिक्ष में लगातार मौजूद है।[1] अब तक के सभी मानव अंतरिक्ष यानों में मानव पायलट रहे हैं, किंतु 2015 में पहला स्वायत्त मानव-ले जाने वाला अंतरिक्ष यान भी डिजाइन कर लिया गया है।
रूस (सोयूज कार्यक्रम) और और चीन (शेनझोऊ कार्यक्रम) के पास मानव अंतरिक्ष यात्रा की क्षमता है। संयुक्त राज्य अमेरिका में, SpaceShipTwo 2018 में अंतरिक्ष के किनारे पर पहुंच गया; 2011 में स्पेस शटल के सेवानिवृत्त होने के बाद से यह अमेरिका का पहला अंतरिक्ष यान था। वर्तमान में, अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन, आईएसएस) के सभी अभियान सोयुज वाहनों का उपयोग करते हैं, जो आवश्यकता-अनुसार त्वरित वापसी की क्षमता बनाए रखने के लिए स्टेशन से जुड़े रहते हैं। संयुक्त राज्य अमेरिका आईएसएस और कम पृथ्वी की कक्षा में घरेलू पहुंच की सुविधा के लिए वाणिज्यिक चालक परिवहन (commercial crew transportation) विकसित कर रहा है। साथ ही, अमेरिका पृथ्वी की निचली कक्षा के परे (beyond-low-Earth-orbit) अनुप्रयोगों के लिए ओरियन वाहन भी विकसित कर रहा है।
इसके अलावा भारत का इसरो भी गगनयान विकसित कर रहा है, जिसका लक्ष्य २०२२ में तीन खगोलयात्रियों को अंतरिक्ष में पहुँचाना है।