महात्मा गांधी की हत्या
महात्मा गाँधी जी की हत्या 30 जनवरी 1948 को नाथूराम गोडसे द्वारा की गई। / From Wikipedia, the free encyclopedia
मोहनदास करमचंद गांधी की हत्या 30 जनवरी 1948 की शाम को नई दिल्ली स्थित बिड़ला भवन में गोली मारकर की गयी थी। वे रोज शाम वहां प्रार्थना किया करते थे। 30 जनवरी 1948 की शाम जब वे संध्याकालीन प्रार्थना के लिए जा रहे थे तभी नाथूराम गोडसे उनके पैर छूने का अभिनय करते हुए उनके सामने गए और उनपर बैरेटा पिस्तौल से तीन गोलियाँ दाग दीं। उस समय गांधी अनुचरों से घिरे हुए थे।
मोहनदास करमचंद गांधी की हत्या | |
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एक स्मारक बिड़ला हाउस (अब गांधी स्मृति), नई दिल्ली में उस स्थान को चिन्हित करता है, जहां 30 जनवरी 1948 को शाम 5:17.30 बजे महात्मा गांधी की हत्या की गई थी।। | |
स्थान | बिड़ला भवन |
तिथि | 30 जनवरी 1948 |
लक्ष्य | मोहनदास करमचंद गांधी |
हथियार | अर्ध - स्वचालित पिस्तौल (बैरेटा) |
मृत्यु | 1 (महात्मा गान्धी) |
घायल | कोई नहीं |
अपराधी | नाथूराम गोडसे |
इस मुकदमे में नाथूराम गोडसे सहित आठ लोगों को हत्या की साजिश में आरोपी बनाया गया। इन आठों लोगों में से तीन आरोपियों शंकर किस्तैया, दिगम्बर बड़गे, विनायक दामोदर सावरकर, में से दिगम्बर बड़गे के सरकारी गवाह बनने के कारण बरी कर दिया गया। शंकर किस्तैया को उच्च न्यायालय में अपील करने पर माफ कर दिया गया। सावरकर के खिलाफ़ कोई सबूत नहीं मिलने से अदालत ने उन्हें मुक्त कर दिया। अन्त में बचे पाँच अभियुक्तों में से तीन - गोपाल गोडसे, मदनलाल पाहवा और विष्णु रामकृष्ण करकरे को आजीवन कारावास हुआ तथा दो- नाथूराम गोडसे व नारायण आप्टे को फाँसी दे दी गयी।