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मलिक मोहम्मद जायसी
भक्ति काल के कवि / From Wikipedia, the free encyclopedia
मलिक मुहम्मद जायसी (1492-1548) हिन्दी साहित्य के भक्ति काल की निर्गुण प्रेमाश्रयी धारा के कवि थे।[1] वे अत्यंत उच्चकोटि के सरल और उदार सूफ़ी महात्मा थे। जायसी मलिक वंश के थे। मिस्र में सेनापति या प्रधानमंत्री को मलिक कहते थे। दिल्ली सल्तनत में खिलजी वंश राज्यकाल में अलाउद्दीन खिलजी ने अपने चाचा को मरवाने के लिए बहुत से मलिकों को नियुक्त किया था जिसके कारण यह नाम उस काल से काफी प्रचलित हो गया था। इरान में मलिक जमींदार को कहा जाता था व इनके पूर्वज वहां के निगलाम प्रान्त से आये थे और वहीं से उनके पूर्वजों की पदवी मलिक थी। मलिक मुहम्मद जायसी के वंशज अशरफी खानदान के चेले थे और मलिक कहलाते थे। फिरोज शाह तुगलक के अनुसार बारह हजार सेना के रिसालदार को मलिक कहा जाता था।[2] जायसी ने शेख बुरहान और सैयद अशरफ का अपने गुरुओं के रूप में उल्लेख किया है।
सामान्य तथ्य मलिक मुहम्मद जायसी जायसी, जन्म ...
मलिक मुहम्मद जायसी जायसी | |
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![]() "सबसे सुन्दर कौन है? मैं या पद्मावती? रानी नागमति अपने तोते से पूछती है; और वह अप्रिय उत्तर देता है..."; पद्मावत, १७५० ई० से संकलित। | |
जन्म | 1492 ई. जायस,अमेठी (हाल में उत्तर प्रदेश, भारत)ਬਿਜਲੀ ਰਾਜਭਰ |
मौत | 1548ਬਿਜਲੀ ਰਾਜਭਰ |
कब्र | ਬਿਜਲੀ ਰਾਜਭਰ |
पेशा | कवि, भक्त, |
भाषा | हिन्दी |
काल | भक्ति काल |
विधा | कविता |
विषय | सामाजिक, आध्यात्मिक |
आंदोलन | भक्ति आंदोलन |
उल्लेखनीय कामs | पद्मावत, अखरावट, आख़िरी कलाम, कहरनामा, चित्ररेखा |
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