मंगल ग्रह
सूर्य से चौथा ग्रह / From Wikipedia, the free encyclopedia
मंगल गृह (प्रतीक: ) सौरमंडल में सूर्य से चौथा ग्रह है। इसके तल की आभा रक्तिम है, जिस वजह से इसे "लाल ग्रह" के नाम से भी जाना जाता है। सौरमंडल के ग्रह दो तरह के होते हैं - "स्थलीय ग्रह" जिनका तल आभासीय होता है और "गैसीय ग्रह" जो अधिकतर गैस से निर्मित हैं। पृथ्वी की तरह, मंगल भी एक स्थलीय धरातल वाला ग्रह है। इसका वातावरण विरल है। इसकी सतह देखने पर चंद्रमा के गर्त और पृथ्वी के ज्वालामुखियों, घाटियों, रेगिस्तान और ध्रुवीय बर्फीली चोटियों की याद दिलाती है। सौरमंडल का सबसे अधिक ऊँचा पर्वत, ओलम्पस मोन्स मंगल पर ही स्थित है। साथ ही विशालतम कैन्यन वैलेस मैरीनेरिस भी यहीं पर स्थित है। अपनी भौगोलिक विशेषताओं के अलावा, मंगल का घूर्णन काल और मौसमी चक्र पृथ्वी के समान हैं। इस ग्रह पर जीवन होने की संभावना को हमेशा से परिकल्पित किया गया है।
वास्तविक आंकड़ो पर आधारित मंगल की कंप्यूटर-जनित तस्वीर |
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उपनाम
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विशेषण | स्थलीय ग्रह | ||||||||||||||||||||||||||||||||||
युग J2000 | |||||||||||||||||||||||||||||||||||
उपसौर | २४,९२,०९,३०० कि॰मी॰ (१.६६५८६१ ख॰इ॰) |
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अपसौर | २०,६६,६९,००० कि॰मी॰ (१.३८१४९७ ख॰इ॰) |
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अर्ध मुख्य अक्ष | २२,७९,३९,१०० कि॰मी॰ (१.५२३६७९ ख॰इ॰) |
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विकेन्द्रता | ०.०९३३१५ | ||||||||||||||||||||||||||||||||||
परिक्रमण काल | ६८६.९७१ दिन १.८८०८ जूलीयन वर्ष ६६८.५९९१ मंगल सौर दिवस[3] |
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संयुति काल | ७७९.९६ दिन २.१३५ जूलीयन वर्ष |
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औसत परिक्रमण गति | २४.०७७ कि॰मी॰/से॰ | ||||||||||||||||||||||||||||||||||
औसत अनियमितता | १९.३५६४° | ||||||||||||||||||||||||||||||||||
झुकाव | १.८५०° क्रान्तिवृत्तसे ५.६५° सूर्यकी भूमध्यरेखा से १.६७° अविकारी सतह से[4] |
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आरोही ताख का रेखांश | ४९.५६२° | ||||||||||||||||||||||||||||||||||
उपमन्द कोणांक | २८६.५३७° | ||||||||||||||||||||||||||||||||||
उपग्रह | २ | ||||||||||||||||||||||||||||||||||
भौतिक विशेषताएँ
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विषुवतीय त्रिज्या | ३,३९६.२ ± ०.१ कि॰मी॰[5] ०.५३३ पृथ्वियां |
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ध्रुवीय त्रिज्या | ३,३७६.२ ± ०.१ कि॰मी॰ ०.५३१ पृथ्वियां |
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सपाटता | ०.००५८९ ± ०.०००१५ | ||||||||||||||||||||||||||||||||||
तल-क्षेत्रफल | १४,४७,९८,५०० कि॰मी॰२ ०.२८४ पृथ्वियां |
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आयतन | १.६३१८×१०११ ;कि॰मी॰३ ०.१५१ पृथ्वियां |
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द्रव्यमान | ६.४१८५×१०२३ कि.ग्रा. ०.१०७ पृथ्वियां |
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माध्य घनत्व | ३.९३३५ ± ०.०००४ ग्राम/से.मी.३ | ||||||||||||||||||||||||||||||||||
विषुवतीय सतह गुरुत्वाकर्षण | ३.७११ मीटर/सेकण्ड२ ०.३७६ ग्राम |
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पलायन वेग | ५.०२७ कि॰मी॰/सेकण्ड | ||||||||||||||||||||||||||||||||||
नाक्षत्र घूर्णन काल |
१.०२५९५७ दिन २४.६२२९ घन्टे |
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विषुवतीय घूर्णन वेग | ८६८.२२ कि॰मी॰/घंटा (२४१.१७ मी./सेकण्ड) |
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अक्षीय नमन | २५.१९° | ||||||||||||||||||||||||||||||||||
उत्तरी ध्रुव दायां अधिरोहण | ३१७.६८१४३° २१ घंटा १० मीनट४४ सेकण्ड |
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उत्तरी ध्रुवअवनमन | ५२.८८६ ५०° | ||||||||||||||||||||||||||||||||||
अल्बेडो | ०.२५ (Bond) ०.१७० (geom.) |
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सतह का तापमान कैल्विन सेल्सियस |
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सापेक्ष कांतिमान | +१.६ से -३.३ | ||||||||||||||||||||||||||||||||||
कोणीय व्यास | ३.५" — २५.१" | ||||||||||||||||||||||||||||||||||
वायु-मंडल
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सतह पर दाब | ०.६३६ (०.४–०.८७)किलो पास्कल | ||||||||||||||||||||||||||||||||||
संघटन |
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1965 में मेरिनर ४ के द्वारा की पहली मंगल उडान से पहले तक यह माना जाता था कि ग्रह की सतह पर तरल अवस्था में जल हो सकता है। यह हल्के और गहरे रंग के धब्बों की आवर्तिक सूचनाओं पर आधारित था विशेष तौर पर, ध्रुवीय अक्षांशों, जो लंबे होने पर समुद्र और महाद्वीपों की तरह दिखते हैं, काले striations की व्याख्या कुछ प्रेक्षकों द्वारा पानी की सिंचाई नहरों के रूप में की गयी है। इन् सीधी रेखाओं की मौजूदगी बाद में सिद्ध नहीं हो पायी और ये माना गया कि ये रेखायें मात्र प्रकाशीय भ्रम के अलावा कुछ और नहीं हैं। फिर भी, सौर मंडल के सभी ग्रहों में पृथ्वी के अलावा, मंगल को जीवन विस्तार का महत्वपूर्ण विकल्प माना जाता है।
वर्तमान में मंगल ग्रह की परिक्रमा तीन कार्यशील अंतरिक्ष यान मार्स ओडिसी, मार्स एक्सप्रेस और टोही मार्स ओर्बिटर है, यह सौर मंडल में पृथ्वी को छोड़कर किसी भी अन्य ग्रह से अधिक है। मंगल पर दो अन्वेषण रोवर्स (स्पिरिट और् ओप्रुच्युनिटी), लैंडर फ़ीनिक्स, के साथ ही कई निष्क्रिय रोवर्स और लैंडर हैं जो या तो असफल हो गये हैं या उनका अभियान पूरा हो गया है। इनके या इनके पूर्ववर्ती अभियानो द्वारा जुटाये गये भूवैज्ञानिक सबूत इस ओर इंगित करते हैं कि कभी मंगल ग्रह पर बडे़ पैमाने पर पानी की उपस्थिति थी साथ ही इन्होने ये संकेत भी दिये हैं कि हाल के वर्षों में छोटे गर्म पानी के फव्वारे यहाँ फूटे हैं। नासा के मार्स ग्लोबल सर्वेयर की खोजों द्वारा इस बात के प्रमाण मिले हैं कि दक्षिणी ध्रुवीय बर्फीली चोटियाँ घट रही हैं। नासा ने २०२० में में परसेवरेंस रोवर मंगल पर भेजा है जिसके साथ इनसाइट लघु वायूविमान की प्रथम परग्रही उड़ान के लिए तत्पर है, इसके शुरुआती २०२१ में मंगल पर पहुंचने की संभावना है।
मंगल के दो चन्द्रमा, फो़बोस और डिमोज़ हैं, जो छोटे और अनियमित आकार के हैं। ऐसा प्रतीत होता है कि यह 5261 यूरेका के समान, क्षुद्रग्रह है जो मंगल के गुरुत्व के कारण यहाँ फंस गये होंगे। मंगल को पृथ्वी से नंगी आँखों से देखा जा सकता है। इसका आभासी परिमाण -2.9 तक पहुँच सकता है और यह् चमक सिर्फ शुक्र, चन्द्रमा और सूर्य के द्वारा ही पार की जा सकती है, यद्यपि अधिकांश समय बृहस्पति, मंगल की तुलना में नंगी आँखों को अधिक उज्जवल दिखाई देता है।