भावनगर रियासत
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भावनगर रियासत ब्रिटिश भारत के समय में वर्तमान गुजरात राज्य के काठियावाड़ विस्तार में स्थित एक रियासत थी। सूर्यवंशी गोहिल राजाओं का ये रियासत पे शासन था। इसलिए ये विस्तार आज भी गोहिलवाड़ से जाना जाता है। गोहिल राजपूतो को मारवाड़ में तीव्र स्पर्धा का सामना करना पड़ा इसलिए वह मारवाड़ छोड़कर गुजरात में आये थे। गोहिल शासको ने गुजरात (तब के समय में गुजरात राज्य का अस्तित्व नहीं था) में ईस्वी सन ११९४ में सेजकपुर में सत्ता स्थापित की। यहाँ से आगे बढ़कर १९५४ में राणपुर, १३०९ में उमराला और ई°स° १५७० में सिंहोर में राजधानी स्थापित की। १७२२-१७२३ में कंथा जी कड़ानी और पीपला जी गायकवाड़ की राहबरी तले गोहीलो की उस समय की राजधानी सिंहोर पर आक्रमण हुआ जिसमें गोहिलो को पराजय का सामना करना पड़ा। पराजय का मुख्य कार्ण सिंहोर की भौगोलिक स्थिति को माना गया और १७२३ में सिंहोर से ३० किमी दूर वडवा गाँव के पास समुद्र के किनारे विक्रम संवत १७७९ में वैशाख सुद-३ के दिन महाराजा भावसिंह गोहिल ने भावनगर रियासत की स्थापना की थी।[1] महाराजा भावसिंह के नाम से रियासत का नाम भावनगर रखा गया। १८०७ में ब्रिटिश शासन आया।
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समुदी व्यापार में अनुकूता और व्यूहात्मक अगत्यता को मध्ये नजर रखते हुए ये स्थल पसंद किया गया था। भावनगर रियासत के भौगोलिक विस्तार को बढ़ाने में वखतसिंह गोहिल का बड़ा योगदान हैं।