भारतीय संविधान सभा
भारत में संविधान रचना के लिए गठित सभा थी / From Wikipedia, the free encyclopedia
भारत की संविधान सभा का चुनाव भारतीय संविधान की रचना के लिए किया गया था। ब्रिटेन से स्वतन्त्र होने के बाद संविधान सभा के सदस्य ही प्रथम संसद के सदस्य बने।
भारतीय संविधान सभा | |
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संविधान सभा की मुहर | |
प्रकार | |
प्रकार | |
इतिहास | |
स्थापना | नवम्बर 1946 (1946-11) |
भंग | 24 जनवरी 1950 (1950-01-24) |
पूर्व वर्ती | इम्पीरियल लेजिसलेटिव काउंसिल |
उत्तर वर्ती | भारतीय संसद |
नेतृत्व | |
अस्थायी अध्यक्ष |
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अध्यक्ष |
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प्रारूप समिति के अध्यक्ष |
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संवैधानिक सलाहकार |
बी एन राव |
उपाध्यक्ष |
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संरचना | |
सीटें |
389 (दिसम्बर 1946 -जून 1947) 299 (जून 1947 - जनवरी 1950) |
राजनैतिक गुट |
██ कांग्रेस: 208 seats ██ AIML: 73 seats ██ अन्य : 15 सीटें ██ रियासतें: 93 सीटें |
चुनाव | |
सरल बहुमत प्रणाली | |
बैठक स्थान | |
हाउस ऑफ पार्लियामेण्ट, नई दिल्ली |
1925 में महात्मा गांधी की अध्यक्षता में कामनवेल्थ ऑफ इण्डिया बिल प्रस्तुत किया। जो भारत के लिए संवैधानिक प्रणाली की रूपरेखा प्रस्तुत करने का प्रथम प्रयास था।
पहली बार संविधान सभा की माँग सन-1895 में बाल गंगाधर तिलक ने उठाई थी। अन्तिम बार (पाँचवी बार) 1938 में नेहरू जी ने संविधान सभा बनाने का निर्णय लिया था।
संविधान सभा के सदस्य वयस्क मताधिकार के आधार पर अप्रत्यक्ष रूप से निर्वाचित हुए थे। जिनका चुनाव जुलाई 1946 में सम्पन्न हुआ था।
भारत के विभाजन के बाद कुल सदस्यों (389) में से भारत में 299 ही रह गए। जिनमे 229 चुने हुए थे। वहीं 70 मनोनीत थे। जिनमें कुल महिला सदस्यों की संख्या 15 , अनुसूचित जाति के 26, अनुसूचित जनजाति के 33 सदस्य थे। बंटवारे के बाद 3 महिलाएं पाकिस्तान में चली गई और भारत के संविधान सभा में 12 महिलाएं रह गई जिनमे सरोजनी नायडू, एक मात्र दलित महिला दक्षिणायन वेलायुध्दन रह गई