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बुनियाद
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दीवार, खंभे तथा भवन और पुलों के आधारस्तंभों का भार उनकी नींव अथवा बुनियाद (Foundation) द्वारा पृथ्वी पर वितरित किया जाता है। अत: निर्माण कार्य में बुनियाद, बहुत महत्वपूर्ण अंग है। अगर बुनियाद कमजोर हो, तो पूरे भवन अथवा पुल के भारवाहन की शक्ति बहुत कम हो जाती है। अगर बुनियाद एक बार कमजोर रह गई, तो बाद में उसे सुधारना प्राय: असंभव सा ही हो जाता है। अत: बुनियाद का अभिकल्प (डिजाइन) बहुत दक्षता से बनाना चाहिए।
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नींव का विशेष प्रयोजन यह है कि वह ऊपर से भार का बराबर से भूमि पर इस प्रकार वितरित करे कि वहाँ की मिट्टी (अथवा चट्टान) पर उसकी भारधारी क्षमता से अधिक बोझ न पड़े, नहीं तो मिट्टी के बैठने से भवन इत्यादि में दरार पड़ने का भय रहता है। नींव के अभिकल्प के लिए विभिन्न प्रकार की मिट्टी अथवा चट्टानों की भारधारी क्षमता का ज्ञान आवश्यक है। निम्नलिखित सारणी में भिन्न भिन्न प्रकार की मिट्टियों की भारधारी क्षमता दी गई है -
क्रमांक | जमीन की किस्म | भारधारी क्षमता (टन प्रति वर्ग फुट) |
---|---|---|
1 | काली मिट्टी | 1/2 से 1/4 |
2 | रेतीली मिट्टी | 3/4 से 1 |
3 | रवेदार कंकड़ और बालू मिश्रित मिट्टी | 1.5 से 2 |
4 | नम, साधारण रूप से कसी हुई मिट्टी | 1 से 1.5 |
5 | सूखी चिकनी मिट्टी | 2 से 3 |
6 | बहुत कड़ी चिकनी मिट्टी | 3 से 4 |
7 | बारीक बालुकामिश्रित मिट्टी | 1 से 2 |
8 | दृढ़ीभूत बालू (compact sand) 3 से 4 | |
9 | मोटी बालूदार मिट्टी (coarse sand) | 1.5 से 2 |
10 | चट्टान | 10 |
11 | कठोर चट्टान | 12 से 15 |
12 | बहुत कठोर चट्टान | 20 से 30 |
टिप्पणी-
(१) पृथ्वी की सतह से गहराई जितनी बढ़ेगी साधारणत: मिट्टी की भारधारी क्षमता भी गहराई के हिसाब से बढ़ती जाएगी।
(2) साधारणत: पानी की नमी से मिट्टी की भारधारी क्षमता कुछ कम हो जाती है। इसीलिए अधिकतर भवनों की नींव जमीन से कम से कम तीन चार फुट गहरी रखी जाती हैं, जिससे वर्षा में नमी का असर इस गहराई पर बहुत कम हो जाता है। ऐसी जमीन की जहाँ पानी भरा रहता है, भारधारी क्षमता औसत से थोड़ी कम लेनी चाहिए। बड़े भवन तथा पुल इत्यादि के लिए मिट्टी की पूरी जाँच मिट्टी जाँचनेवाली किसी प्रयोगशाला द्वारा करा लेनी चाहिए।