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विद्युत्चुम्बकत्व में (विद्युत जनित्र के लिए) फ्लेमिंग का दक्षिण-हस्त नियम अथवा फ्लेमिंग का दायां हाथ नियम (Fleming's right-hand rule) से चुम्बकीय क्षेत्र में विद्युत चालक से बने किसी परिपथ की गति से प्रेरण धारा की दिशा ज्ञात की जाती है। इससे जनित्र के घुमाने से उत्पन्न धारा की दिशा ज्ञात की जा सकती है।
किसी परिपथ से जुड़ा हुआ कोई चालक (जैसे तार) जब चुंबकीय क्षेत्र से होकर गुजरता है तो फ़राडे के प्रेरण के नियम के अनुसार तार में विद्युत धारा उत्पन्न होती है। तार में विद्युत धारा की दो दिशाओ संभावित होती हैं। फ्लेमिंग का दायां हाथ नियम इस दिशा को निर्धारित करता है।[1][2]
फ्लेमिंग का दायां हाथ नियम का उपयोग करते समय दायां हाथ इस प्रकार रखा जाता है कि अंगूठा, तर्जनी उंगली और मध्यमा उंगली एक दूसरे के लंबवत (90 डिग्री पर) होती हैं, जैसा कि चित्र में दिखाया गया है।
फ्लेमिंग का बायां हाथ नियम विद्युत मोटरों के लिए इस्तेमाल किया जाता है, जबकि फ्लेमिंग का दायां हाथ नियम विद्युत जनित्र के लिए इस्तेमाल किया जाता है। अर्थात, फ्लेमिंग का बायां हाथ नियम तब इस्तेमाल किया जाता है जब गति उत्पन्न की जाती है, जबकि फ्लेमिंग का दायां हाथ नियम तब इस्तेमाल किया जाता है जब विद्युत उत्पन्न की जाती है।
मोटर और जनित्र के लिए विभिन्न हाथों का उपयोग कारण और प्रभाव के अंतर के कारण होता है।[4]
विद्युत धारा और चुंबकीय क्षेत्र मौजूद होते हैं (जो कारण होते हैं) और वे बल उत्पन्न करते हैं जो गति (प्रभाव) उत्पन्न करता है। इसलिए, बायां हाथ नियम का उपयोग किया जाता है।
गति और चुंबकीय क्षेत्र मौजूद होते हैं (कारण), और वे विद्युत धारा उत्पन्न करते हैं (प्रभाव)। इसलिए, दायां हाथ नियम का उपयोग किया जाता है।
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