फ्रीड्रिक फ्रोबेल
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फ़्रीड्रिक विलियम अगस्त फ्रोबेल (Friedrich Wilhelm August Fröbel ; जर्मन उच्चारण : [ˈfʁiːdʁɪç ˈvɪlhɛlm ˈaʊɡʊst ˈfʁøːbəl] ; 21 अप्रैल, 1782 – 21 जून, 1852) जर्मनी के प्रसिद्ध शिक्षाशास्त्री थे। वे पेस्तालोजी के शिष्य थे। उन्होने किंडरगार्टन (बालवाड़ी) की संकल्पना दी। उन्होने शैक्षणिक खिलौनों का विकास किया जिन्हें 'फ्रोबेल उपहार' के नाम से जाना जाता है।
व्यक्तिगत जानकारी | |
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जन्म | फ़्रीड्रिक विलियम अगस्त फ्रोबेल 21 अप्रैल 1782 Oberweißbach, Schwarzburg-Rudolstadt, Germany |
मृत्यु | 21 जून 1852(1852-06-21) (उम्र 70) Schweina, Germany |
वृत्तिक जानकारी | |
युग | 19th-century philosophy |
क्षेत्र | Western philosophy |
शिक्षा जगत में फ्रोबेल का महत्वपूर्ण स्थान है। बालक को पौधे से तुलना करके, फ्रोबेल ने बालक के स्वविकास की बात कही। वह पहला व्यक्ति था जिसने प्राथमिक स्कूलों के अमानवीय व्यवहार के विरूद्ध आवाज उठाई और एक नई शिक्षण विधि का प्रतिपादन किया। उसने आत्मक्रिया स्वतन्त्रता, सामाजिकता तथा खेल के माध्यम से स्कूलों की नीरसता को समाप्त किया। संसार में फ्रोबेल ही पहला व्यक्ति था जिसने अल्पायु बालकों की शिक्षा के लिए एक व्यवहारिक योजना प्रस्तुत किया। उसने शिक्षकों के लिए कहा कि वे बालक की आन्तरिक शक्तियों के विकास में किसी प्रकार का हस्तक्षेप न करें, बल्कि प्रेम एवं सहानुभूति पूर्वक व्यवहार करते हुए बालकों को पूरी स्वतन्त्रता दें। शिक्षा के क्षेत्र में इस प्रकार का परिवर्तन लाने के लिए फ्रोबेल को हमेशा याद किया जायेगा।