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कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ़ क्यूबा के पूर्व अध्यक्ष और क्यूबा के पूर्व राष्ट्रपति (1926-2016) विकिपीडिया से, मुक्त विश्वकोश
फिदेल ऐलेजैंड्रो कास्त्रो रूज़ (जन्म: 13 अगस्त 1926 - मृत्यु: 25 नवंबर 2016) क्यूबा के एक राजनीतिज्ञ और क्यूबा की क्रांति के प्राथमिक नेताओं में से एक थे , जो फ़रवरी 1959 से दिसम्बर 1976 तक क्यूबा के प्रधानमंत्री और फिर क्यूबा की राज्य परिषद के अध्यक्ष (राष्ट्रपति) रहे, उन्होंने फरवरी 2008 में अपने पद से इस्तीफा दिया। फ़िलहाल वे क्यूबा की कम्युनिस्ट पार्टी के प्रथम सचिव थे। 25 नवंबर 2016 को उनका निधन हो गया।
फिदेल कास्त्रो | |
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वर्ष १९५९ में संयुक्त राज्य अमेरिका में कास्त्रो | |
पद बहाल दिसम्बर २, १९७६ – फ़रवरी २४, २००८ | |
प्रधानमंत्री | स्वयं |
उप राष्ट्रपति | राउल कास्त्रो |
पूर्वा धिकारी | ओस्वाल्डो डोर्तिकोस तोर्रादो |
उत्तरा धिकारी | राउल कास्त्रो |
कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ़ क्यूबा की केन्द्रिय समिति के प्रथम सचिव | |
पद बहाल जून २४, १९६१ – अप्रैल १९, २०११ | |
सहायक | राउल कास्त्रो |
पूर्वा धिकारी | ब्लास रोका कल्देरियो |
उत्तरा धिकारी | राउल कास्त्रो |
क्यूबा मंत्रि-परिषद् के अध्यक्ष | |
पद बहाल दिसम्बर २, १९७६ – फ़रवरी २४, २००८ | |
राष्ट्रपति | स्वयं |
पूर्वा धिकारी | स्वयं (प्रधानमंत्री के रूप में) |
उत्तरा धिकारी | राउल कास्त्रो |
पद बहाल फ़रवरी १६, १९५९ – दिसम्बर २, १९७६ | |
राष्ट्रपति | मैनुअल उर्रुतिया लियो ओस्वाल्डो डोर्तिकोस तोर्रादो |
पूर्वा धिकारी | जोस मिरो कादोना |
उत्तरा धिकारी | स्वयं (मंत्रि-परिषद् के अध्यक्ष के रूप में) |
पद बहाल सितम्बर १६, २००६ – फ़रवरी २४, २००८ | |
पूर्वा धिकारी | अब्दुल्लाह अहमद बदावी |
उत्तरा धिकारी | राउल कास्त्रो |
पद बहाल सितम्बर १०, १९७९ – मार्च ६, १९८३ | |
पूर्वा धिकारी | जूनिअस रिचर्ड जयवर्धने |
उत्तरा धिकारी | नीलम संजीव रेड्डी |
जन्म | अगस्त १३, १९२६ बिरान, होल्गुइन प्रोविन्स, क्यूबा |
मृत्यु | नवम्बर 25, 2016 90 वर्ष) हवाना, Cuba | (उम्र
जन्म का नाम | फिदेल एलेजांद्रो कास्त्रो रुज़ |
राजनीतिक दल | पार्तिदो ओर्थोदोक्सो (१९४६–५२) २६ जुलाई का आन्दोलन (१९५३–६५) कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ़ क्यूबा (१९६५–२०१६) |
जीवन संगी | मिर्ता डियाज़ बालार्ट (१९४८–५५) डालिया सोटो डेल वेले (१९८०–२०१६; मृत्यु पर्यन्त) |
संबंध | राउल, रेमन, जुयनिता |
बच्चे | ९, एलिना फर्नांडीज सहित |
निवास | सैंटियागो डे क्यूबा |
शैक्षिक सम्बद्धता | हवाना विश्वविद्यालय |
पेशा | वकील |
हस्ताक्षर | |
*जुलाई ३१ से राष्ट्रपति अधिकार राउल कास्त्रो को स्थानान्तरित किये। |
वे एक अमीर परिवार में पैदा हुए और कानून की डिग्री प्राप्त की। जबकि हवाना विश्वविद्यालय में अध्ययन करते हुए उन्होंने अपने राजनीतिक जीवन की शुरूआत की और क्यूबा की राजनीति में एक मान्यता प्राप्त व्यक्ति बन गए।[1] उनका राजनीतिक जीवन फुल्गेंकियो बतिस्ता शासन और संयुक्त राज्य अमेरिका का क्यूबा के राष्ट्रहित में राजनीतिक और कारपोरेट कंपनियों के प्रभाव के आलोचक रहा है। उन्हें एक उत्साही, लेकिन सीमित, समर्थक मिले और उन्होंने अधिकारियों का ध्यान आकर्षित किया।[2] उन्होंने मोंकाडा बैरकों पर 1953 में असफल हमले का नेतृत्व किया जिसके बाद वे गिरफ्तार हो गए, उन पर मुकदमा चला, वे जेल में रहे और बाद में रिहा कर दिए गए। इसके बाद बतिस्ता के क्यूबा पर हमले के लिए लोगों को संगठित और प्रशिक्षित करने के लिए वे मैक्सिको[3][4] के लिए रवाना हुए. वे और उनके क्रांतिकारी साथियों ने दिसम्बर 1956 में मेक्सिको छोड़ दिया और पूर्वी क्यूबा के लिए चल गये।
कास्त्रो क्यूबा की क्रांति के जरिये अमेरिका[5] समर्थित फुल्गेंकियो बतिस्ता की तानाशाही को उखाड़ फेंक सत्ता में आये थे। [6] और उसके बाद शीघ्र ही क्यूबा के प्रधानमंत्री बने। [7] 1965 में वे क्यूबा की कम्युनिस्ट पार्टी के प्रथम सचिव बन गए और क्यूबा को एक-दलीय समाजवादी गणतंत्र बनाने में नेतृत्व दिया। 1976 में वे राज्य परिषद और मंत्रिपरिषद के अध्यक्ष (राष्ट्रपति) बन गए। उन्होंने क्यूबा के सशस्त्र बलों के Comandante en jefe (कमांडर इन चीफ) का पद भी अपने पास ही रखा। कास्त्रो द्वारा तानाशाही की आलोचना के बावजूद उन्हें एक तानाशाह के रूप में ही चित्रित किया गया।
पाचन क्रिया में एक अज्ञात पाचन बीमारी के लिए आंतों की सर्जरी से डाईवरटीकलटिस[8] हो जाने से कास्त्रो ने अपने पहले उपराष्ट्रपति राउल कास्त्रो, जो उनके छोटे भाई थे। , को 31 जुलाई 2006 के दिन अपनी जिम्मेदारियां हस्तांतरित कर दीं। अपने जनादेश के समाप्त होने के पांच दिन पहले 19 फ़रवरी 2008 को उन्होंने घोषणा की थी कि वे फिर से राष्ट्रपति और कमांडर इन चीफ नहीं बनना चाहते।[9][10] 24 फ़रवरी 2008 को नेशनल असेंब्ली ने राउल कास्त्रो को क्यूबा के राष्ट्रपति के रूप में निर्वाचित किया।[11]
फिदेल ऐलेजैंड्रो वित्तोरे कास्त्रो रूज़ वर्तमान आधुनिक प्रान्त होल्गुंइन के मयारी के करीब बीरन के चीनी उत्पादक एक परिवार में पैदा हुए थे। यह क्षेत्र तब ओरिएंटे प्रान्त में था, फिलहाल जिसकी हालत बदतर थी। वे एंजेल कास्त्रो वाय अर्गिज़ की तीसरी संतान थे। उनके पिता स्पेन के गरीब इलाके से आये गलिसिंअन अप्रवासी थे, जो चीनी उद्योग में काम करके और सफल निवेश के माध्यम से अपेक्षाकृत समृद्ध बने। [12] उनकी मां, लीना रूज़ गोंजालेज, एक घरेलू नौकर थी। एंजेल कास्त्रो ने मारिया लुइसा अर्गोता[13] नामक एक दूसरी औरत से शादी की। 15 साल की उम्र तक फिदेल को अपनी अवैधता और अपने पिता के घर से दूर विभिन्न पालक घरों से आ रही चुनौतियों का सामना करना पड़ा.
कास्त्रो के दो भाई, रेमन और राउल और चार बहनें, एंजिलीटा, जूआनिटा, इनमा और अगस्तिना हैं, जो सभी विवाह पूर्व पैदा हुए. उनके दो सौतेले भाई बहन, लीडिया और पेद्रो एमिलियो भी है, जिन्हें एंजेल कास्त्रो की पहली पत्नी ने पाला-पोसा.
फिदेल का बप्तिस्मा 8 साल की उम्र तक नहीं हुआ था, जो बहुत असामान्य बात थी, जिस कारण भी अन्य बच्चों के सामने उन्हें शर्मिंदगी उठानी पड़ी और उपहास का पात्र बनना पड़ा.[14][15] एंजेल कास्त्रो ने आखिरकार अपनी पहली से तलाक ले लिया और फिदेल की मां से शादी कर ली, तब फिदेल 15 साल के थे। जब वे 17 के थे, तब कास्त्रो को औपचारिक रूप से अपने पिता की पहचान मिली और उनका उपनाम कानूनी तौर पर रुज़, जो उनकी मां का उपनाम था, से कास्त्रो हुआ।[14][15] हालांकि उनकी शिक्षा के मामले में मतभेद है, ज्यादातर सूत्र सहमत हैं कि वे एक बौद्धिक रूप से प्रतिभाशाली छात्र थे, शिक्षा के बजाय खेलों में वे अधिक रुचि रखते थे। और उनके कई साल एक निजी कैथोलिक बोर्डिंग स्कूल में बीते. हाई स्कूल की पढ़ाई उन्होंने 1945 में हवाना के एक जेसुइट स्कूल El Colegio de Belén से पूरी की। [16] बेलेन में कास्त्रो ने स्कूल में एक बेसबॉल टीम बनाया। वहां लगातार अफवाहें फैलती रही कि कास्त्रो को अमेरिका की विभिन्न बेसबाल टीम द्वारा खोजा जा रहा था, [17] लेकिन इस बात का कोई सबूत नहीं है।[18]
1945 के आखिरी चरण में, कास्त्रो ने हवाना विश्वविद्यालय में कानून की पढ़ाई के लिए दाखिला लिया। वह जल्द ही विश्वविद्यालय के राजनीतिक माहौल में उलझ गए, जो कि उस दौरान क्यूबा की एक अस्थिर राजनीति का केंद्र था। 1930 के दशक में राष्ट्रपति गेरार्डो मचाडो के पतन के बाद छात्र राजनीति विकृत हो कर विभिन्न गुटों में बंट कर गुंडागर्दी में तब्दील हो गई और कास्त्रो ने महसूस किया कि यह गुंडागर्दी उनकी आकांक्षाओं के लिए एक वास्तविक खतरा बन गई है। बाद में उन्होंने अपने इस अनुभव को "निर्णय का महान क्षण"[19] बताया। एक संक्षिप्त अंतराल के बाद वे विश्वविद्यालय लौट आये और विश्वविद्यालय के चुनावों के मद्देनजर उन्होंने खुद को पूरी तरह से विभिन्न हिंसक संग्राम और विवादों में झोंक दिया और वे रोनाल्डो मास्फेर्रेर के MSR एक्सन ग्रुप से जुड़ी कई गोलिबरियों की घटनाओं में फंस गए। बाद में कास्त्रो ने कहा कि "वापस नहीं लौटने से गुंडों को छुट्टा छोड़ देने जैसी बात होती, जो मेरे सिद्धांत के खिलाफ होता".[19] इस दौरान प्रतिद्वंद्विता इतनी तगडी थी कि मास्फेर्रेर पर एक जानलेवा हमले में जाहिर तौर पर कास्त्रो शामिल हुए.[19] मास्फेर्रेर का अर्द्धसैनिक गुट लेस टाईग्रास बाद में बातीस्ता[20] शासन के अर्न्तगत सरकारी हिंसा फैलाने का एक यंत्र बन गया था, जो हिंसक प्रतिशोध के लिए बराबर नौजवान विद्याथियों कि खोज में रहता.[21]
1947 में सामाजिक न्याय[उद्धरण चाहिए] के लिए बेताबी के कारण कास्त्रो पार्टीडो ओर्टोडॉक्स में शामिल हो गए, जो कि एडुआर्डो चिबास द्वारा नया-नया गठित किया गया था। एक करिश्माई व्यक्तित्व चिबास राष्ट्रपति पद के लिए वर्तमान राष्ट्रपति रेमन ग्रौ सान मार्टिन के खिलाफ चुनाव लड़ रहे थे। मार्टिन ने अपने कार्यकाल के दौरान बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार पनपने दिया था। [उद्धरण चाहिए] पार्टीडो ओर्टोडॉक्स ने सार्वजनिक रूप से भ्रष्टाचार को उजागर किया और सरकारी और सामाजिक सुधार की मांग की। इसने क्यूबाइयों में राष्ट्रीय भावना पैदा करने को लक्ष्य बनाया, क्यूबा को संयुक्त राज्य अमेरिका से आर्थिक रूप से आजाद किया और स्वतंत्रता की स्थापना की। साथ ही क्यूबा की राजनीति में अभिजात वर्ग की शक्ति को नष्ट किया।[उद्धरण चाहिए] हालांकि चिबास चुनाव हार गए, मगर कास्त्रो ने उनके कामों को पूरी उग्रता के साथ जारी रखा। वे चिबास को अपना गुरु मानते थे। 1951 में, जब चिबास राष्ट्रपति चुनाव दुबारा लड़ रहे थे, तब एक रेडियो प्रसारण के दौरान उन्होंने अपने पेट में खुद गोली मार ली। वहां कास्त्रो मौजूद थे और वे उन्हें अस्पताल ले गए, जहां उनकी मृत्यु हो गयी।[16]
1948 के दौरान, कास्त्रो का नाम तीन बार राजनैतिक हत्या से जुड़ा.[1] 22 फ़रवरी को हुई मानोलो कास्त्रो की हत्या के लिए उन पर शक किया गया।[1] विश्वविद्यालय पुलिस ऑस्कर फर्नांडीज अपने घर के सामने 6 जून को मारा गया था। अंतिम सांस लेते ऑस्कर फर्नांडीज और अन्य गवाहों ने हत्यारे के रूप में कास्त्रो की पहचान की। [1] घटना आयी-गयी हो गयी।[1] 1948 में, कास्त्रो एक अमेरिका विरोधी प्रदर्शन यात्रा में शामिल होने के लिए कास्त्रो बोगोटा, कोलम्बिया गए, अर्जेंटीना सेना के कर्नल और राष्ट्रपति जूआन पेरोन ने इसका खर्च उठाया.[1] कास्त्रो भीड़ की हिंसा और संपत्ति के विनाश में कास्त्रो शामिल हुए और बाद में अर्जेंटीना दूतावास में शरण मांगी.[1]
1948 में, कास्त्रो ने मिरता डाएज बलार्ट नामक छात्रा से, जो क्यूबा के एक धनी परिवार की बेटी थी, शादी की और उनके माध्यम से वे क्यूबा के कुलीन वर्ग की जीवन शैली से अवगत हुए. मिरता के पिता ने न्यूयॉर्क में तीन महीने हनीमून मनाने के लिए दसियों हज़ार दिए थे।[22] पूर्व राष्ट्रपति फुल्गेंकियो बतिस्ता ने भी उन्हें शादी का तोहफा में 1,000 डॉलर दिए, जो दोनों परिवारों के दोस्त थे।[1][22] हालांकि कास्त्रो ने मैनहट्टन के एक निजी विश्वविद्यालय कोलंबिया विश्वविद्यालय में दाखिला ले लिया था, मगर वे अपनी डिग्री पूरी करने के लिए क्यूबा वापस लौट गए।[1]
कास्त्रो ने रूपये-पैसे की समस्याएं शुरू कर दी। उन्होंने काम पर जाने से इनकार कर दिया। उनके परिवार का खर्च दूसरों को चलाना पड़ता.[1][22] अपनी पत्नी के साथ भी उनका संबंध तनावपूर्ण था। 1950 में उन्होंने डॉक्टर ऑफ लॉ करके कानून की डिग्री प्राप्त की और हवाना में एक छोटी-सी साझेदारी के साथ कानून की प्रक्टिस शुरू की। [22] अब तक वे अपने उत्कट राष्ट्रवादी विचारों और संयुक्त राज्य अमेरिका के तीव्र विरोध के कारण विख्यात हो चुके थे। कोरियाई युद्ध में दक्षिण कोरिया का पक्ष लेने के कारण संयुक्त राज्य अमेरिका के खिलाफ सार्वजनिक रूप से कास्त्रो बोलते रहे। [1]
1951 में फिदेल कास्त्रो ने बतिस्ता से कहा "मुझे यहां एक खास किताब नहीं दिखाई देती." बतिस्ता द्वारा पूछे जाने पर कि कौन सी किताब, कास्त्रो ने कहा, "कर्जियो मलापरते की द टेक्निक ऑफ़ द कूप डी'एतेट".[22] राफेल डाएज बल्लार्ट के मुताबिक, फिदेल कास्त्रो ने महसूस किया कि बतिस्ता अब एक 'क्रांतिकारी' नेता नहीं रहा बावजूद इसके दोनों एक दूसरे को आदर की नजरों से देखा करते.[22]
राजनीति में रुचि बढ़ने के कारण 1952 के चुनाव में कास्त्रो क्यूबा की संसद में सदस्यता के लिए उम्मीदवार बने जब पूर्व राष्ट्रपति जनरल फुल्गेंकियो बतिस्ता ने राष्ट्रपति कार्लोस प्रीओ सोकार्रास का तख्तापलट किया, चुनाव रद्द कर दिया; और सरकार में "अस्थायी राष्ट्रपति" बन गए। बतिस्ता को क्यूबा समाज के संस्थागत तत्वों, शक्तिशाली क्यूबाई एजेंसियों और और श्रमिक यूनियनों का समर्थन मिला।
कास्त्रो अब पार्तिदो ओर्टोडोक्सो से अलग हो गए और 1940 में बने संविधान के पर आधार पर औपचारिक रूप से बतिस्ता पर संविधान का उल्लंघन करने का आरोप लगाया. उनकी याचिका ज़र्पजो को संवैधानिक प्रत्याभूत कोर्ट ने खारिज कर दिया और उन्हें सुनवाई की अनुमति नहीं दी। [23] इस घटनाक्रम ने कास्त्रो के मन में बतिस्ता सरकार के खिलाफ बीज बो दिया और उनके मन में यह बात घर कर गयी कि बतिस्ता को सत्ताच्युत करने का क्रांति ही एकमात्र रास्ता है।[24]
बतिस्ता द्वारा किये गए तख्तापलट से लोगों में असंतोष बढ़ता गया, तब कास्त्रो ने कानून की प्रक्टिस छोड़ दी और अपने भाई राउल और मारियो चांस डे आर्म्स समेत समर्थकों को लेकर एक भूमिगत संगठन का गठन किया। इन सबके साथ वे सक्रिय रूप से बतिस्ता को उखाड़ फेंकने के लिए योजना बनाई। उन्होंने बंदूकें और गोला बारूद इकट्ठा किया और बतिस्ता संतिअगो दे क्यूबा के बाहर सबसे बड़ी चौकी मोंकाडा बैरकों पर एक सशस्त्र हमले के लिए अपनी योजनाओं को अंतिम रूप दिया। 26 जुलाई 1953 के दिन उन्होंने मोंकाडा बैरकों पर हमला किया। बायामो में सेस्पेदेस चौकी पर भी ध्यान हटाने के लिए हमला किया गया।[3] हमला विनाशकारी साबित हुआ और इसमें शामिल 'एक सौ पैंतीस गुर्रिल्लों में से साठ से अधिक मारे गए थे।
कास्त्रो और टीम के अन्य जीवित सदस्य सैंटियागो के पूर्वी पहाड़ के बीहड़ सिएरा मेस्त्रा[25] के एक हिस्से में जा छिपे, लेकिन वे अंततः और पकड़े गए। यद्यपि इस पर मतभेद है कि आखिर कास्त्रो और उनके भाई राउल को फांसी क्यों नहीं दी गयी, जबकि उनके अनेक साथियों को बख्शा नहीं गया। इसके सबूत है कि एक अधिकारी अपने विश्वविद्यालय के दिनों से कास्त्रो को जानता था और वह उनके साथ रहमदिली से पेश आया, जबकि 'गैरकानूनी' अनधिकृत आदेश था कि उन्हें मार डाला जाये.[3] 26 जुलाई आंदोलन के सैन्य कमांडर अन्गेल प्राडो का कहना है कि हमले की रात कास्त्रो का चालक गुम हो गया और वह कभी वापस नहीं लौटा. वो रात "एल कार्नवाल दे संतियागो" की रात थी और संतियागो दे क्यूबा की सड़कें पार्टी जाने वालों से भरी हुई थी।
1953 में कास्त्रो पर मुकदमा चला और उन्हें पंद्रह साल की सजा हुई। मुकदमे के दौरान कास्त्रो ने अपना प्रसिद्ध भाषण दिया हिस्ट्री विल ऐबज़ॉल्भ मी[26]. उन्होंने अपने विद्रोही कार्यों का बचाव किया और जोरदार तरीके से अपने राजनैतिक विचारों की घोषणा की :
I warn you, I am just beginning! If there is in your hearts a vestige of love for your country, love for humanity, love for justice, listen carefully... I know that the regime will try to suppress the truth by all possible means; I know that there will be a conspiracy to bury me in oblivion. But my voice will not be stifled – it will rise from my breast even when I feel most alone, and my heart will give it all the fire that callous cowards deny it... Condemn me. It does not matter. History will absolve me.
जब वे इस्ला दे पिनोस में राजनैतिक गतिविधियों के लिए जेल में थे, वे बतिस्ता को उखाड़ फेंकने की तैयारी में लगे रहे। मुक्ति के बाद फिर से संगठन बनाने और लोगों को प्रशिक्षण देने की योजना बनाते रहे। [3] दो साल से कम सजा काटने के बाद राजनैतिक दबाव में बतिस्ता द्वारा दी आम माफ़ी में वे मई 1955 को रिहा हुए और योजना के मुताबिक मेक्सिको चले गए।[4]
मैक्सिको में कास्त्रो की मुलाकात क्यूबा के अन्य निर्वासित बंधुओं से हुई और उन्होंने 26 जुलाई आंदोलन की नींव डाली। मोंकाडा बैरकों पर विफल हमले की याद में यह नाम दिया गया। लक्ष्य वही फुल्गेंकियो बतिस्ता को अपदस्थ करना ही रहा। कास्त्रो ने मोंकाडा अनुभव से सीखा कि बतिस्ता की सेना को हराना है तो नई रणनीति अपनानी होगी। इस बार, भूमिगत गुरिल्ला रणनीति अपनाने का फैसला किया गया। पिछली बार क्युबाईयों ने एक साम्राज्यवादी शासन को जन उभार द्वारा उखाड़ फेंकने के लिए इसी नीति का प्रयोग किया था। स्पैनिश शासन से आजादी के लिए क्यूबा में गुरिल्ला युद्ध प्रणाली का आरंभ हुआ था, जिसके बारे में क्यूबा अभियान खत्म हो जाने के बाद वे एक बार पढ़ पाए, लेकिन वो पुस्तक एमिलियो एगुइनाल्दो फिलीपींस ले गए। एक बार फिर, सरकार गिराने के लिए गुरिल्ला युद्ध किया गया।
मेक्सिको में कास्त्रो की मुलाकात एर्नेस्तो "चे" ग्वेरा से हुई, जो गुरिल्ला युद्ध प्रणाली के समर्थक थे। ग्वेरा विद्रोहियों के गुट में शामिल हो गए और उन्होंने कास्त्रो के राजनैतिक मान्यताओं को आकार देने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.लैटिन अमेरिका में गरीबों के दुख-दर्द पर ग्वेरा की टिप्पणियों से उन्हें यकीन हो गया कि केवल समाधान हिंसक क्रांति से ही इसका समाधान संभव है।
एक केजीबी एजेंट निकोलाई सेर्गीविच लेओनोव जो मेक्सिको सिटी में था, के साथ उनके नियमित संपर्क के बाद भी हथियार आपूर्ति की आशा पूरी नहीं हुई[27], तब वे संयुक्त राज्य अमेरिका जाकर वहां के क्यूबाइयों से रहने से कर्मी और धन जुटाने का फैसला किया। इनमे कार्लोस प्रियो सोकार्रस भी थे, जिन्हें 1952 में बतिस्ता ने अपदस्थ राष्ट्रपति पद से अपदस्थ किया था। मेक्सिको वापस आकर, स्पेनिश नागरिक युद्ध के दिग्गज, क्यूबा में जन्मे अलबर्टो बायो[26] के मातहत अपने गुट को प्रशिक्षित किया। स्पेन में फ्रांसिस्को 'फ्रेंको की जीत के बाद अलबर्टो बायो मेक्सिको भाग आये थे। 26 नवम्बर 1956 को कास्त्रो और उनके 81 अनुयायी, ज्यादातर निर्वासित क्यूबाइ, टक्स्पन, वेराक्रुज़, से एक नौका ग्रानमा पर सवार होकर क्यूबा में विद्रोह शुरू करने के लिए निकल पड़े.[26]
2 दिसम्बर 1956 को मंज़निल्लो के पूर्वी शहर के निकट लास कोलोरैदास से सटे पलाया लॉस कायुएलोस में वे उतरे.ज़ल्द ही, कास्त्रो पुरुषों के अधिकांश गुर्रिल्ले बतिस्ता सेना द्वारा मार डाले गए, या भगाए गए या कैद कर लिए गए।[28] हालांकि सही संख्या विवाद में है, लेकिन इस पर सहमति है कि 82 में से सिर्फ 20 लोग ही इस मुठभेड़ में बच पाए और सिएरा मेस्त्रा के पहाड़ों में भागने में सफल रहे। [29] बच निकलने वालों में फिदेल कास्त्रो, चे ग्वेरा, राउल कास्त्रो और कैमिलो इएन्फ़ुएगोस शामिल थे। बचने वालों को गांववालों की सहायता मिली। वे ओरिएंटे प्रांत में सिएरा मेस्त्रा में फिर से संगठित हुए और फिदेल कास्त्रो की कमान में एक फौजी टुकड़ी बना ली।
सिएरा मेस्त्रा पहाड़ों में अपने पड़ाव से 26 जुलाई आंदोलन ने बतिस्ता सरकार के खिलाफ एक गुरिल्ला युद्ध छेड़ा. नगरों और बड़े शहरों में भी, विरोध समूह संगठित किये गए, जब तक कि भूमिगत समूह हर जगह छा गए। इनमे सबसे मजबूत फ्रैंक पेस द्वारा गठित सैंटियागो में था।[30][31]
1957 की गर्मियों में, पेस का संगठन कास्त्रो के 26 जुलाई आंदोलन के साथ मिला दिया गया। कास्त्रो आंदोलन को शहरों और ग्रामीण इलाकों में लोगों का समर्थन प्राप्त होता गया, तब इसमें आठ सौ से ज्यादा लोग शामिल हो गए। 1957 के मध्य में कास्त्रो ने चे ग्वेरा को एक दूसरी टुकड़ी का जिम्मा सौंपा. न्यूयॉर्क टाइम्स का एक पत्रकार, हर्बर्ट मैथ्यूज, सिएरा मेस्त्रा में उनसे साक्षात्कार करने आया, जिससे संयुक्त राज्य अमेरिका में कास्त्रो के आन्दोलन के प्रति लोगों का ध्यान आकर्षित हुआ। न्यूयॉर्क टाइम्स के पहले पन्ने पर मैथ्यूज ने कास्त्रो को दाढ़ी वाले और अस्त-व्यस्त वर्दी वाले एक रोमांटिक और आकर्षक क्रांतिकारी के रूप में प्रस्तुत किया।[32][33] कास्त्रो और मैथ्यूज का एंड्रयू सेंट जॉर्ज टीवी के कर्मचारी द्वारा पीछा किया गया। कहा जाता है कि वह एक CIA का एक संपर्क व्यक्ति था।[34] कास्त्रो की प्रारंभिक अंग्रेजी भाषा और करिश्माई व्यक्तित्व ने टेलीविजन के माध्यम से उन्हें सीधे अमेरिकी दर्शकों को अपील करने के लिए सक्षम बनाया।
1957 में, कास्त्रो ने सिएरा मेस्त्रा के घोषणापत्र पर हस्ताक्षर किए[35], जिसमें 1943 के चुनाव संहिता के तहत सत्ता में आने के पहले 18 महीने के भीतर चुनाव कराने और 1940 के संविधान के उन सभी प्रावधानों को फिर से बहाल करने घोषणा की, जिन्हें बतिस्ता शासन के तहत निलंबित कर दिया गया था। हालांकी घोषणापत्र की कुछ घोषणाओं को सत्ता में आने पर लागू किया गया, लेकिन घोषित समय पर वे क्यूबा में चुनाव कराने में विफल रहे, जो उनके कार्यक्रम का सबसे सबसे महत्वपूर्ण भाग था।
1958 फ़रवरी में कोरोनेट पत्रिका में आंदोलन के लक्ष्यों पर कास्त्रो का एक प्रसिद्ध बयान प्रकाशित हुआ।[36] उन्होंने कहा कि "हम क्यूबा में तानाशाही को खत्म करने और एक वास्तविक प्रतिनिधि सरकार की नींव की स्थापना के लिए लड़ रहे हैं" और उन्होंने "सफलता पाने के बारह महीने के भीतर सही मायने में ईमानदार आम चुनाव कराने" का वादा किया। उन्होंने यह भी कहा, "विदेशी निवेश को ज़ब्त करने या राष्ट्रीयकरण की हमारी कोई योजना नहीं है।" उन्होंने क्यूबा की अर्थव्यवस्था पर अपने हमले को जायज बताते हुए बतिस्ता तानाशाही को गिराने का इसे एकमात्र रास्ता करार दिया। तानाशाही को उनके द्वारा खारिज करने के बावजूद खुद कास्त्रो को एक तानाशाह के रूप में वर्णित किया गया है।[37][38][39]
1958 मई में, बतिस्ता ने कास्त्रो और अन्य सरकार विरोधी गुटों को कुचलने के लिए ऑपरेशन वेरानो शुरू किया। बागियों (अलार्कोंन रामीरेज़, 1997) द्वारा इसे ला ओफेंसिवा (आक्रमण) कहा जाता था। हालांकि कागज में बतिस्ता की सेना से कम तादाद में होने के बावजूद कास्त्रो की छापामार सेना जीत हासिल करती गयी। बतिस्ता सेना के कम प्रशिक्षित और अवचनबद्ध युवा सैनिक बतिस्ता सेना छोड़कर उनके साथ मिलते गए। ला पलटा युद्घ के दौरान कास्त्रो सेना ने एक पूरी बटालियन को हरा दिया। हालांकि समर्थक कास्त्रो समर्थक क्यूबा के सूत्रों ने बाद में इन लड़ाइयों में कास्त्रो छापामार सेना की भूमिका पर खास जोर दिया, मगर दूसरे संगठन और अन्य नेता भी इसमें शामिल थे, जैसे कि एस्कोपेतेरोस (जो अल्प प्रशिक्षित अनियमित सैनिक थे). लास मर्सिडीज युद्ध के दौरान, कास्त्रो की छोटी सेना हार के करीब थी, लेकिन जनरल कान्तिल्लो के साथ समझौता बातचीत शुरू करके अपने सैनिकों को चुपके से जाल से बाहर निकालने में वे सफल रहे।
जब ऑपरेशन वेरानो खत्म हो गया, तब कास्त्रो ने ग्वेरा, जैमे वेगा और कैमिलो इएन्फ़ुएगोस की कमान की तीन टुकडियों को केंद्रीय क्यूबा पर आक्रमण करने का आदेश दिया, जहां उन्हें इस क्षेत्र में लंबे समय से काम कर रहे विद्रोही तत्वों द्वारा तगड़ा समर्थन मिला। कास्त्रो की एक टुकडी काउटो प्लेन्स चली गयी। यहां, उन्हें ह्यूबर मातोस, राउल कास्त्रो और प्रान्त अति पूर्वी भाग में सक्रिय दुसरे लोगों का समर्थन मिला। मैदानी इलाकों में, कास्त्रो सेना ने पहले ग्रानमा प्रांत में गुइसा शहर को घेर लिया और दुश्मन को खदेड़ भगाया. उसके बाद उन शहरों की ओर बढ़े, जिन पर 1895-1898 में क्यूबा की आजादी के युद्ध में कालिक्स्तो गार्सिया ने कब्जा जमा लिया था।
1958 दिसम्बर में, चे ग्वेरा और कैमिलो इएन्फ़ुएगोस की टुकडी ने लास विल्लाज़ प्रांत में लगातार आगे बढ़ते रहे। वे कई शहरों पर कब्जा करने में सफल रहे और फिर प्रांतीय राजधानी सांता क्लारा पर हमले के लिए तैयारी शुरू की। ग्वेरा सेनानियों ने क्यूबा के सांता क्लारा चारों ओर क्यूबा की सेना पर एक भयंकर हमला शुरू किया और एक खतरनाक घर-घर में एक खतरनाक लड़ाई शुरू की। उन्होंने एक हथियारबंद ट्रेन पटरी से उतार दी, जो बतिस्ता ने शहर में अपने सैनिकों की सहायता के लिए भेजी थी जबकि इएन्फ़ुएगोस ने यागुअजय की लड़ाई जीत ली थी। हर ओर की हार से बतिस्ता की सेना का मनोबल टूट गया। दिसम्बर 31,1958 को प्रांतीय राजधानी पर एक दिन से भी कम समय में कब्जा हो गया।
सांता क्लारा के युद्ध में हार के बाद और अपनी सेना द्वारा विश्वासघात की आशंका के कारण, बतिस्ता (निर्वाचित राष्ट्रपति चुनाव एन्ड्रेस रिवेरो अगुएरो के साथ) एक विमान से 1 जनवरी 1959 को तड़के डोमिनिकन गणराज्य भाग गए। निर्वासन में बतिस्ता अपने साथ से अधिक 300,000,000 डॉलर से अधिक की राशि ले गए, जो उन्होंने "भ्रष्टाचार और रिश्वत" के जरिये जमा कर रखे थे।[40]
बतिस्ता अपने पीछे एक सैनिक शासक जनरल एउलोगियो कान्तिल्लो छोड़ गया जो हाल ही में ओरिएंटे प्रांत का कमांडर था और जो कास्त्रो के विद्रोह का केंद्र था। सैनिक शासकों ने 1940 के संविधान की धारा के तहत तत्काल क्यूबा के अस्थायी राष्ट्रपति के रूप में सुप्रीम कोर्ट के सबसे पुराने न्यायाधीश डॉ॰कार्लोस पिएद्र, का चयन किया। कास्त्रो ने अस्थायी राष्ट्रपति के लिए पिएद्र के चयन को स्वीकार करने से इनकार कर दिया और उच्चतम न्यायालय ने न्यायाधीश को पद की शपथ दिलाने से मना कर दिया। [41]
फिदेल कास्त्रो की विद्रोही सेना ने तेजी से पूरे द्वीप पर कब्जा जमा लिया।[41] 32 की उम्र में, कास्त्रो ने सफलतापूर्वक सिएरा मेस्त्रा के अपने मुख्यालय से एक क्लासिक छापामार अभियान सफलता से चलाया और बतिस्ता को खदेड़ भगाया.
8 जनवरी 1959 को कास्त्रो की थलसेना हवाना में विजयी भाव के साथ दाखिल हुई। [42] बतिस्ता सरकार के पतन की खबर जैसे ही हवाना में फैली, द न्यूयॉर्क टाइम्स ने सड़कों पर ख़ुशी मनाते और गाड़ियों के हार्न बजाती भीड़ के दृश्य का वर्णन किया। 26 जुलाई आंदोलन के काले और लाल झंडे गाड़ियों और इमारतों पर लहराये गए। माहौल अराजक था।[41] कास्त्रो ने पिएद्र सरकार के विरोध में आम हड़ताल का आह्वान किया। उसने मांग की है कि डॉ॰उर्रुटिया संतियागो दे क्यूबा के अरजेंसी कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश डॉ॰उर्रुटिया को अंतरिम राष्ट्रपति बनाया जाय. इस द्वीप के महत्वपूर्ण चीनी उद्योग की ओर से क्यूबा के चीनी मिल संघ ने कास्त्रो और उनके आंदोलन को समर्थन दिया। [उद्धरण चाहिए]
5 जनवरी को कानून के प्रोफेसर जोस मिरो कार्डोना ने प्रधानमंत्री और मैनुअल उर्रुटिया लिएओ ने राष्ट्रपति बनकर एक नई सरकार बनाई। संयुक्त राज्य अमेरिका ने आधिकारिक तौर पर नई सरकार को दो दिन बाद मान्यता दी। [43] खुद कास्त्रो ने हवाना पहुंचकर उत्साही भीड़ का अभिनन्दन किया और 8 जनवरी को सशस्त्र बलों के कमांडर-इन-चीफ का पद ग्रहण किया।
"Until Castro, the U.S. was so overwhelmingly influential in Cuba that the American ambassador was the second most important man, sometimes even more important than the Cuban president."
– Earl T. Smith, former American Ambassador to Cuba, during 1960 testimony to the U.S. Senate[44]
फिदेल कास्त्रो ने जोस मिरो कार्डोना और मैनुअल उर्रुटिया लिएओ जैसे उदारवादी और डेमोक्रेट्स को हटाने कि मांग की। [22] फ़रवरी में प्रोफेसर जोस कार्डोना को कास्त्रो के हमलों के कारण इस्तीफा देना पड़ा. 16 फ़रवरी 1959 को कास्त्रो ने प्रधानमंत्री पद की शपथ ली। [7] प्रोफेसर मिरो जल्द ही निर्वासन में संयुक्त राज्य अमेरिका चले गए और बाद में कास्त्रो सरकार के खिलाफ बे ऑफ़ पिग्स इन्वेसन में शामिल हुए. राष्ट्रपति मैनुअल उर्रुटिया लिएओ चुनाव बहाल करना चाहते थे, लेकिन कास्त्रो ने स्वतंत्र चुनाव का विरोध किया।[45] कास्त्रो का नारा था "क्रांति पहले, चुनाव बाद में".[46] नई सरकार ने संपत्ति जब्त करना शुरू किया और कंपनियों द्वारा कृत्रिम रूप से अपनी संपत्ति का असली मूल्य कम करके दिखाए जाने को ही आधार बनाकर मुआवजा देना घोषित किया। नगण्य कर देने के लिए कंपनियां ऐसा करती. [उद्धरण चाहिए] इस दौरान कास्त्रो बार बार खुद कम्युनिस्ट होने से इंकार करते रहे। [47][48][49][50][51] उदाहरण के लिए न्यूयॉर्क में 25 अप्रैल को उन्होंने कहा कि "...[ कम्युनिस्ट] प्रभाव कुछ नहीं है। मैं साम्यवादी विचारों से सहमत नहीं हूं. हम लोकतंत्र हैं। हम सभी प्रकार के तानाशाहों के खिलाफ हैं ... यही कारण है कि हम साम्यवाद का विरोध करते हैं।[52]
15 अप्रैल और 26 अप्रैल के बीच कास्त्रो और औद्योगिक तथा अंतरराष्ट्रीय प्रतिनिधियों के एक प्रतिनिधिमंडल ने प्रेस क्लब के मेहमान के रूप में अमेरिका का दौरा किया। कास्त्रो ने अपने और उनकी हाल ही में शुरू हुई सरकार के प्रति लोगों में आकर्षण पैदा करने के लिए संयुक्त राज्य अमेरिका में सबसे अच्छी जनसंपर्क कंपनी को नियुक्त किया। कास्त्रो ने धृष्ट सवालो का जवाब मजाक में दिया और हॉट डॉग्स तथा हैम्बर्गर खाया. अपनी अस्त-व्यस्त वर्दी और गंदी दाढ़ी के करण वे आसानी से एक प्रामाणिक नायक के रूप में लोकप्रिय हो गए।[53] उन्होंने राष्ट्रपति एइसेन्होवेर के साथ एक बैठक से इनकार कर दिया था। संयुक्त राज्य अमेरिका की अपनी यात्रा के बाद, वे सोवियत नेता निकिता ख्रुश्चेव के साथ मिलने गए।[42]
17 मई 1959 को कास्त्रो ने पहले कृषि सुधार कानून पर हस्ताक्षर किया, जिससे मालिकाना हक 993 एकड़ (4 प्रति किमी²) तक सीमित हुआ और विदेशी भूमि के स्वामित्व निषेध किया गया।[54][55]
कास्त्रो ने राष्ट्रपति मैनुअल उर्रुटिया लिएओ पर हमले शुरू कर दिया. कास्त्रो ने क्यूबा के प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया और बाद में उस दिन टेलीविजन पर उर्रुटिया के खिलाफ एक लम्बा भाषण देते हुए कहा कि उर्रुटिया ने सरकार कि स्थिति "जटिल" बना दी है और उनके "अति-व्याकुल साम्यवाद विरोध" का एक हानिकारक प्रभाव पड़ रहा है। कास्त्रो की भावनाओं को व्यापक समर्थन मिला। संगठित लोगों ने राष्ट्रपति भवन को घेर लिया और उर्रुटिया से इस्तीफे की मांग की, जो उन्हें मिल भी गया। 23 जुलाई को, कास्त्रो फिर से प्रधानमंत्री बने और नए राष्ट्रपति के रूप में ओसवाल्डो डोर्तिकोस को नियुक्त किया।[56]
1959 जुलाई की शुरुआत में कास्त्रो के खुफिया प्रमुख रेमिरो वाल्डेज ने KGB से मेक्सिको सिटी में संपर्क किया।[27] इसके बाद USSR ने एनरिक लिस्टर फ़ोर्जेन समेत एक सौ से अधिक स्पैनिश बोलनेवाले सलाहकारों को क्रांति की रक्षा के लिए समितियों का निर्माण करने के लिए भेजा.
फरवरी 1960 में क्यूबा ने USSR से तेल खरीदने के समझौते पर हस्ताक्षर किया। जब क्यूबा में अमरीकी स्वामित्व वाले तेल शोधनागारों ने तेल का शोधन करने से इनकार कर दिया, तब उन तेल शोधनागारों का स्वामित्व छीन लिया गया। तब संयुक्त राज्य अमेरिका ने कास्त्रो की सरकार के साथ कूटनीतिक संबंधों को तोड़ लिया। एइसेन्होवेर प्रशासन की ओर से चिंतित होकर क्यूबा ने सोवियत संघ के साथ घनिष्ठ संबंध स्थापित करना शुरू किया। कास्त्रो और सोवियत राष्ट्रपति निकिता ख्रुश्चेव के बीच हुए कई समझौतों की वजह से क्यूबा को USSR से आर्थिक और सैन्य सहायता मिलने लगी। उनके बीच संबंध आकार लेने लगा। क्यूबा पर अमरीकी पकड़ ढीला पड़ते जाने से अमेरिका की निराशा से कास्त्रो का भय बढ़ता चला गया। इसी के साथ USSR पर क्यूबा की निर्भरता बढ़ती चली गयी। [उद्धरण चाहिए]
1 मई 1961 को कास्त्रो ने क्यूबा को समाजवादी राज्य घोषित किया और सरकारी तौर पर बहुदलीय चुनाव समाप्त कर दिया। [1] आलोचकों ने कहा कि कास्त्रो को इस बात का डर था कि चुनाव उन्हें सत्ता से बेदखल कर देगा। [1]
जून 1960 में एइसेन्होवेर द्वारा क्यूबा के चीनी आयात का कोटा 7,000,000 टन से कम कर दिया गया और इसके जवाब में क्यूबा ने लगभग 850 लाख डॉलर मूल्य की अमरीकी संपत्ति और कारोबार का राष्ट्रीयकरण कर लिया। स्वास्थ्य और शिक्षा मामले का समाजीकरण कर दिया गया। इससे दोनों ही क्षेत्रों में नाटकीय रूप से सुधार हुआ। [उद्धरण चाहिए] नई सरकार ने देश के तमाम उद्योगों का राष्ट्रीयकरण, संपत्ति का पुनर्वितरण, कृषि को सामूहिक कर और नीतियों का निर्माण सब अपने नियंत्रण में ले लिया। इससे गरीबों को लाभ हुआ। गरीबों के बीच लोकप्रिय होने के बावजूद इन नीतियों ने क्रांति के कई पूर्व समर्थकों को क्यूबा मध्यम और उच्च वर्गों से विमुख कर दिया। बाद में मियामी, फ्लोरिडा में कास्त्रो-विरोधी एक मुखर समुदाय का गठन करने के लिए दस लाख से अधिक क्यूबाइ अमेरिका चले गए, जहां उन्हें अमेरिकी प्रशासन द्वारा सक्रिय रूप से समर्थन और वित्तीय मदद मिली। [उद्धरण चाहिए]
1960 में शरद ऋतु के प्रारंभ में अमेरिकी सरकार कास्त्रो को सत्ता से हटाने के लिए एक अर्द्ध-खुफिया अभियान में लग गयी।[57]
1960 सितम्बर में कास्त्रो ने क्रांति की रक्षा के लिए समितियां बनायीं. इन समितियों का काम "जवाबी क्रांतिकारी" गतिविधियों को उखाड़ फेंकने के लिए पड़ोसी जासूसी को कार्यान्वित करना था।[58]
1960 के अंत तक सभी विरोधी अखबारों को बंद किया गया था और रेडियो और टीवी स्टेशनों को राज्य के नियंत्रण में ले लिया गया और इन्हें लेनिनवादी सिद्धांत के तहत सिद्धांत के तहत लोकतान्त्रिक केंद्रवाद से चलाया जाने लगा। [58] नरमपंथी, शिक्षकों और प्रोफेसरों का शुद्धिकरण किया गया।[58] उन्हें अपने 20,000 विरोधियों को अमानवीय परिस्थितियों में बंदी बनाये रखने और उन्हें यातना देने का आरोप लगाया गया।[58]
1960 के दशक में कुछ ग्रुप को जैसे समलैंगिकों को नए सिरे से चिकित्सकीय और राजनैतिक "पुन:शिक्षा" के लिए एकाग्रता शिविरों में बंद कर दिया गया।[59] कास्त्रो ने क्यूबा के ग्रामीण जीवन का वर्णन (देशी में कोई समलैंगिकों[60] नहीं था") करने के दौरान प्रशंसा में कास्त्रो ने जो कुछ कहा है उससे साफ़ हो जाता है कि उनकी नजर में समलैंगिकता एक बुर्जुआ अपसंस्कृति है और उन्होंने इसे "maricones" (समलिंगी) और साम्राज्यवाद का "एजेंट" घोषित किया।[61] कास्त्रो ने कहा कि "समलैंगिकता की किसी भी हालत में अनुमति नहीं दी जायेगी, क्योंकि इससे युवाओं पर इसका बुरा प्रभाव पड़ेगा."[62]
देश में सभी नियुक्तियां कास्त्रो के प्रति वफादारी का प्राथमिक मानदंड बन गई।[63] एक पार्टी के शासन में कास्त्रो के प्रधानमंत्री बनने से कम्युनिस्ट पार्टी मजबूती मिली। [58]
1961 में नव वर्ष के परेड में कास्त्रो ने सोवियत संघ के टैंक और अन्य हथियारों का प्रदर्शन किया।[63]
बे ऑफ़ पिग्स आक्रमण (क्यूबा में La Batalla de Girón, या Playa Girón के रूप में जाना जाता है), निर्वासित क्यूबाइयों द्वारा फिदेल कास्त्रो की सरकार को उखाड़ फेंकने के लिए दक्षिणी क्यूबा पर असफल हमला किया था, जिन्हें अमरीकी सेना ने प्रशिक्षित किया था और हमले के समय मदद भी दी थी।
संयुक्त राज्य अमेरिका में राष्ट्रपति पद पर जॉन एफ कैनेडी के आने के बाद तीन महीने से कम समय में 1961 अप्रैल में योजना शुरू की गयी।पूर्वी ब्लॉक देशों से प्रशिक्षित और सुसज्जित, क्यूबा के सशस्त्र बलों ने तीन दिनों में निर्वासित लड़ाकों को हरा दिया। ख़राब क्यूबा-अमेरिकी संबंध 1962 के क्यूबा मिसाइल संकट से बदतर हो गए।
आक्रमण का नाम बे ऑफ़ पिग्स पड़ा, क्योंकि स्पेनिश Bahia de Cochinos का यही एक संभव अनुवाद है। बे ऑफ़ पिग्स में मुख्य लैंडिंग प्लाया गिरों नामक समुद्र तट पर हुई।
1 मई 1961 को कास्त्रो ने अपने लाखों श्रोताओं के सामने घोषणा की थी कि
The revolution has no time for elections. There is no more democratic government in Latin America than the revolutionary government. ... If Mr. Kennedy does not like Socialism, we do not like imperialism. We do not like capitalism.[64]
2 दिसम्बर 1961 को एक राष्ट्रीय स्तर पर प्रसारित भाषण में कास्त्रो ने घोषणा की थी कि वे एक मार्क्सवादी-लेनिनवादी हैं और क्यूबा साम्यवाद अपना रहा है। 7 फ़रवरी 1962 को अमेरिका ने क्यूबा के खिलाफ एक प्रतिबंध लगा दिया। यह प्रतिबंध 1962 और 1963 के दौरान बढ़ता गया, जिसमे अमेरिकी पर्यटकों के लिए एक सामान्य यात्रा पर भी प्रतिबंध शामिल था।[65]
1962 मिसाइल संकट के दौरान क्यूबा और अमेरिका के बीच तनाव बढ़ गया, जिससे अमेरिका और सोवियत संघ परमाणु संघर्ष के करीब आ गए। संभावित अमेरिकी हमले के एक निवारक के रूप में क्यूबा में मिसाइल रखने का विचार ख्रुश्चेव का था और तुर्की में अमेरिकी मिसाइल तैनाती के जवाब में उन्होंने इसे एक उचित कदम बताया। सैन्य सलाहकारों के साथ बातचीत के बाद उन्होंने संबंध बनाने के मुद्दे तय करने के लिए जुलाई में राउल कास्त्रो के नेतृत्व में आये क्यूबा के विशेष प्रतिनिधि मंडल के साथ मुलाकात की। क्यूबा की धरती पर सोवियत R-12 MRBM तैनात करने पर सहमति बनी। लेकिन अमेरिकी लॉकहीड U-2 टोही विमान ने 15 अक्टूबर 1962 को वह ठिकाना देख लिया जहां मिसाइल लगाये जाने थे। अमेरिकी सरकार ने की वेस्ट के दक्षिण में सोवियत संघ के परमाणु हथियारों90 मील (145 कि॰मी॰) की तैनाती को अमेरिका की सुरक्षा के लिए एक आक्रामक कार्रवाई के रूप में देखा. परिणामस्वरुप, अमेरिका के सार्वजनिक रूप से 22 अक्टूबर 1962 को अपनी इस खोज की घोषणा की और क्यूबा के आसपास एक संगरोध बना दिया और क्यूबा की ओ़र जानेवाले जहाजों की जांच शुरू हुई। इस दौरान रूसियों के साथ कास्त्रो के सम्पर्क के लिए निकोलाई सेर्गेविच लेओनोव, जो केजीबी खुफिया[66] निदेशालय जनरल और वॉर्सा में केजीबी के उप प्रमुख बने, अनुवादक का काम किया करते थे।
ख्रुश्चेव को एक व्यक्तिगत पत्र में 27 अक्टूबर 1962 को कास्त्रो ने आग्रह किया कि अमरीका अगर क्यूबा पर हमला करता है तो उस पर परमाणु हमला करने में सोवियत संघ पहलकदमी करे, मगर ख्रुश्चेव ने ऐसा करने से इंकार कर दिया। [67] हालांकि, क्यूबा में सोवियत के फील्ड कमांडरों को अमेरिका द्वारा हमले की स्थिति में रणनीतिक परमाणु हथियारों का उपयोग करने के लिए अधिकृत किया गया। अमेरिका द्वारा क्यूबा पर आक्रमण नहीं करने की शर्त पर ख्रुश्चेव मिसाइलें हटाने पर सहमत हुए और एक समझदारी यह भी बनी कि अमरिका तुर्की और इटली, से सोवियत संघ को निशाना बनाये हुए अमेरिकी MRBM चुपचाप हटा ले. कुछ महीने बाद अमरिका ने इस पर अमल किया। दोनों ओर की मिसाइलें हटाने का प्रचार नहीं किया गया, क्योंकि कैनेडी प्रशासन ने गोपनीयता की मांग की, ताकि नाटो संबंधों को बनाए रखा जा सके और आगामी अमेरिकी चुनाव में डेमोक्रेटिक पार्टी के उम्मीदवार पर कोई आंच नहीं आये।
लंबे समय से कास्त्रो की रक्षा में रहे फबियन एस्कालान्ते के हिसाब से CIA ने कास्त्रो की हत्या के लिए 638 बार प्रयास किये या योजनाएं बनाईं. विस्फोटक सिगार, एक फफूंद-संक्रमित स्कूबा-डाइविंग सूट और माफिया शैली की शूटिंग कुछ ऐसे कथित प्रयास हैं। 638 वेस टू कील कास्त्रो शीर्षक से एक वृत्तचित्र में कास्त्रो को मार डालने के कुछ षड़यंत्र दिखाए गए हैं।[68] इन प्रयासों में से एक उनकी पूर्व प्रेमिका मारिता लोरेन्ज द्वारा किया गया, जिनसे 1959 में उनकी मुलाकात हुई थी। वह कथित तौर पर CIA की सहायता पर सहमत हुई और उनके कमरे में जहर की गोलियों वाली कोल्ड क्रीम का जार पहुंचने की कोशिश की। जब कास्त्रो को इसका पता चला तो कहते है कि उन्होंने उसे एक बंदूक दे दी और उससे कहा कि वह उन्हें मार डाले, लेकिन उसकी हिम्मत जवाब दे गयी।[69] अपने जीवन पर हुए हमलों के प्रयास पर कास्त्रो ने एक बार कहा था, "हत्या के प्रयास में बचने पर अगर एक ओलंपिक आयोजन होता तो मैं स्वर्ण पदक जीत जाता."
CIA द्वारा 2007 में विवर्गीकृत किये गए परिवार के महत्वपूर्ण दस्तावेजों के अनुसार बे ऑफ़ पिग्स आक्रमण से पहले हत्या के प्रयास में जॉनी रोसेल्ली और अल कपोन के शिकागो के उत्तराधिकारी सल्वातोरे गिंकाना और उसका दाहिना हाथ सैंटोस त्रफ्फिकान्ते शामिल रहे। उन्हें व्यक्तिगत रूप से तत्कालिन अमेरिका के अटॉर्नी जनरल रॉबर्ट कैनेडी द्वारा अधिकृत किया गया था।[70]
CIA के मध्यस्थ रॉबर्ट महेऊरॉबर्ट महेऊ द्वारा एक हत्या के प्रयास की संभावना के बारे में गिंकाना और मियामी सिंडीकेट नेता सैंटोस त्रफ्फिकान्ते को संपर्क किया गया, इससे पहले लॉस वेगास सिंडीकेट के सदस्य और गिंकाना के दूसरे नंबर के सरगना जॉनी रोसेल्ली से महेऊ ने इस सिलसिले में संपर्क किया था। महेऊ खुद को क्यूबा में कई अंतरराष्ट्रीय व्यापारिक फर्मों के एक प्रतिनिधि के रूप में प्रस्तुत कर चुके थे, कास्त्रो ने जिनकी संपत्ति ज़ब्त कर ली। उसने कास्त्रो को "हटाने" के इस ऑपरेशन के लिए $150,000 डॉलर का प्रस्ताव रखा था। (लेकिन दस्तावेजों के अनुसार न तो रोसेल्ली ने और न गिंकाना और त्रफ्फिकान्ते ने इस काम के लिए कोई भुगतान स्वीकार किया). फाइल के मुताबिक, यह गिंकाना ही था जिसने कास्त्रो के भोजन और पेय में जहर की गोलियों की एक श्रृंखला के इस्तेमाल का सुझाव दिया था। ये गोलियां CIA द्वारा गिंकाना के उम्मीदवार जुआन ओर्ता को दी गई थी, जिसे गिंकाना ने क्यूबा सरकार में एक अधिकारी के रूप में प्रस्तुत किया था, जो जुए के धंधे में लगे लोगो से भी वेतन लिया करता था। उसकी पहुंच कास्त्रो तक थी। कास्त्रो के भोजन में जहर मिलाने के छह बार किये प्रयास के बाद ओर्ता ने अचानक मिशन छोड़ देने की मांग की। उसने यह काम किसी अनाम व्यक्ति को सौंप दिया। बाद में, डॉ॰एंथनी वेरोना के माध्यम से गिंकाना और त्रफ्फिकानते ने एक दूसरा प्रयास किया। डॉ॰एंथनीबी क्यूबा के निर्वासित सैनिकों (जुंटा) के नेता थे। त्रफ्फिकान्ते के अनुसार वे "जुंटा की निष्प्रभावी प्रगति से असन्तुष्ट थे". वेरोना ने खर्च के लिए 10,000 डॉलर और संचार उपकरणों के लिए 1,000 डॉलर का अनुरोध किया। बहरहाल, यह पता नहीं की दूसरा प्रयास कहां तक पहुंच पाया, क्योंकि शीघ्र ही बे ऑफ़ पिग्स आक्रमण के शुरू हो जाने से पूरा कार्यक्रम रद्द कर दिया गया।[71][72][73] कास्त्रो को उनके विरोधियों ने 600 से अधिक बार मारने की नाकाम कोशिश की थी। इसमें से एक कोशिश खुद उनकी गर्ल फ्रेंड ने भी की थी। लेकिन उसके मंसूबों का उन्हें पता चल गया और वह कुछ न कर सकी। [74]
स्पेन के पूर्व प्रधानमंत्री जोस मारिया अजनर ने लिखा कि प्रतिबंध कास्त्रो का सबसे बड़ा मददगार बन गया है, अगर प्रतिबंध हटा लिया जाय तो तीन महीने के अन्दर कास्त्रो का राष्ट्रपतित्व चला जाएगा.[75] 1991 में सोवियत संघ के पतन के बाद दिवालिया हो चुके और अलग-थलग पड़ चुके क्यूबा पर कास्त्रो का नियंत्रण बना रहा। क्यूबा की अर्थव्यवस्था के समन्वित संकुचन से उसका पचासी फीसदी बाज़ार गायब हो गया। साथ ही इसे मदद देने वाली सब्सिडी और व्यापार समझौते भी ख़त्म हो गए। इससे गैस और पानी की आपूर्ति में कमी, गंभीर बिजली संकट और भोजन आपूर्ति की डांवाडोल स्थिति पैदा हो गयी।[76] 1994 में इस द्वीप की अर्थव्यवस्था, जिसे "विशेष अवधि" कहा गया, में फंस गयी और ढहने के कगार पर जा पहुंची. क्यूबा ने अमेरिकी डॉलर के वैधता प्रदान की, पर्यटन पर ध्यान दिया और संयुक्त राज्य अमेरिका में रहने वाले क्युबाईयों को द्वीप में रहनेवाले अपने रिश्तेदारों से अमेरिकी डॉलर के हस्तांतरण को प्रोत्साहित किया।
2001 में मिशेल तूफान की वजह से बड़े पैमाने पर हुए नुकसान के बाद, कास्त्रो ने अमेरिका से सिर्फ एक बार भोजन की नकद खरीद का फैसला किया, जबकि अमेरिका का मानवीय सहायता का प्रस्ताव उन्होंने खारिज कर दिया। [77] प्रतिबंध लगाने के बाद पहली बार 2001 में अमेरिका ने खाद्यान्न के जहाज जाने की अनुमति दी। [78] 2004 के दौरान, कास्त्रो ने ईंधन की कमी के कारण इस्पात संयंत्र, चीनी मिलों और कागज मिलों सहित 118 कारखाने बंद कर दिए[79] और 2005 में वेनेजुएला से तेल के आयात के बदले क्यूबा के हजारों डॉक्टरों को वहां जाने का निर्देश दिया। [80]
सोवियत संघ के साथ राजनयिक संबंधों की स्थापना और मिसाइल संकट के बाद, क्यूबा सोवियत बाजार और सैन्य तथा आर्थिक सहायता पर अधिकाधिक निर्भर होता गया। सोवियत सैन्य सलाहकारों और उपकरणों के जरिए कास्त्रो एक मजबूत सैन्य बल तैयार करने में सक्षम हुए. KGB ने हवाना के साथ निकट संपर्क रखा और कास्त्रो ने सरकार, मीडिया और शिक्षा प्रणाली पर सभी स्तर पर कम्युनिस्ट पार्टी के नियंत्रण को और कड़ा किया। जबकि सोवियत शैली का आंतरिक पुलिस बल विकसित किया गया।
सोवियत संघ के साथ कास्त्रो का गठबंधन भी चे ग्वेरा के साथ उनके विच्छेद का एक कारण बना। 1966 में, ग्वेरा बोलिविया में वहां की सरकार के खिलाफ क्रांति के लिए चले गए। यह प्रयास असफल रहा।
23 अगस्त 1968 को, कास्त्रो ने सोवियत संघ के प्रति अपनी निष्ठां का प्रदर्शन किया, जिससे सोवियत संघ के नेतृत्व ने उन्हें अपने समर्थन की पुन: पुष्टि की। चेकोस्लोवाकिया में प्राग स्प्रिंग नामक आन्दोलन को कुचलने के लिए सोवियत संघ के आक्रमण के दो दिन बाद कास्त्रो ने रेडियो के जरिए सार्वजनिक तौर पर चेक विद्रोहियों की निंदा की। कास्त्रो ने क्यूबा के लोगों को "चेकोस्लोवाकिया के प्रतिक्रांतिकारियों" से आगाह करते हुए कहा कि वे लोग "चेकोस्लोवाकिया को पूंजीवाद की ओर और साम्राज्यवादियों की गो़द में बिठाने जा रहे थे।"उन्होंने विद्रोहियो को "पश्चिम जर्मनी के एजेंट और फासीवादी प्रतिक्रियावादी भीड़ करार दिया। "[81] जब सोवियत संघ के कई सहयोगी देश इस आक्रमण को चेकोस्लोवाकिया की संप्रभुता का उल्लंघन बता रहे थे, तब कास्त्रो के इस खुले समर्थन के बदले में सोवियत संघ ने अतिरिक्त ऋण और तेल का निर्यात करके क्यूबा की अर्थव्यवस्था को मज़बूत किया।
1971 में, कास्त्रो ने चिली की एक महीने लंबी यात्रा की. इसके बाद चिली और क्यूबा के बीच फिर से राजनयिक संबंधों की स्थापना हुई. अमेरिकी राज्यों के सम्मेलन (American States convention) के संगठन में होने के बावजूद चिली ने ऐसा किया। संगठन का कोई भी पश्चिमी गोलार्ध का सदस्य देश क्यूबा के साथ रिश्ता नहीं रख सकता था। (सिर्फ मैक्सिको अपवाद रहा, क्योंकि उसने संगठन की यह बात मानने से इंकार कर दिया था). यात्रा के दौरान कास्त्रो ने देश की आंतरिक राजनीति में सक्रिय रूप से भाग लिया और विशाल रैली आयोजित की और सल्वादोर अल्लेंदे को सार्वजनिक सलाह दी. इन बातों को राजनीतिक विरोधियों ने अपने दृष्टिकोण के समर्थन में एक सबूत के तौर पर पेश करते हुए कहा कि "समाजवाद का चिली का रास्ता" दरअसल चिली को क्यूबा के पथ पर ले जाने का प्रयास है।[82]
जब सोवियत नेता मिखाइल गोर्बाचेव ने 1989 में क्यूबा की यात्रा की, तब गोर्बाचेव के आर्थिक और राजनीतिक सुधारों के कार्यान्वयन की वजह से हवाना और मॉस्को के बीच के दोस्ताना रिश्ते तनावपूर्ण हो गए थे।" 1989 नवम्बर में कास्त्रो ने कहा कि "हम अन्य समाजवादी देशों में अफसोसजनक बाते देख रहे है, बहुत ही अफसोसनाक बातें" वे सोवियत संघ सहित पूर्वी जर्मनी, हंगरी और पोलैंड में आ रहे बदलावों के सिलसिले में ऐसा कह रहे थे।[83] 1991 में सोवियत संघ के पतन के बाद क्यूबा पर तत्काल और विनाशकारी प्रभाव पड़ा.
As I have said before, the ever more sophisticated weapons piling up in the arsenals of the wealthiest and the mightiest can kill the illiterate, the ill, the poor and the hungry, but they cannot kill ignorance, illness, poverty or hunger.
– Fidel Castro, 2002[84]
4 नवम्बर 1975 को, कास्त्रो ने दक्षिण अफ्रीका समर्थित UNITA विपक्षी सेना के खिलाफ अंगोला में मार्क्सवादी MPLA सरकार की मदद के लिए, क्यूबा के सैनिकों की तैनाती के आदेश दिए। मास्को ने अंगोला में क्यूबा के सैनिकों को बड़े पैमाने पर विमानों से उतारकर क्यूबा की सहायता की। अंगोला में क्यूबा की भूमिका पर नेल्सन मंडेला ने टिप्पणी की कि "क्यूबा के अंतरराष्ट्रवादियों ने अफ्रीकियों की आजादी, स्वतंत्रता और न्याय के लिए बहुत कुछ किया।"[85] क्यूबा के सैनिकों को इथियोपियाई सेना की सहायता के लिए 1977 में मार्क्सवादी इथियोपिया भेजा गया। इथियोपियाई सेना तब सोमालिया से ओगाडेन युद्ध में लगी हुई थी। इसके अतिरिक्त, कास्त्रो पूरे लैटिन अमेरिका में मार्क्सवादी क्रांतिकारी आंदोलनों को समर्थन देने में जुटे हुए थे। इसी सिलसिले में उन्होंने 1979 में निकारागुआ की सोमोजा सरकार को उखाड़ फेंकने में सान्दिनिस्ता की सहायता की। मुक्त क्यूबा[86] के लिए धन मुहैया करानेवाली संस्था कार्थेज फाउंडेशन द्वारा दावा किया गया है एक अनुमान के अनुसार विदेश में सैन्य कार्रवाई में क्यूबा के 14,000 सैनिक मारे गए थे।[87] कास्त्रो ने इसका खुलासा कभी नहीं किया कि सोवियत अफ्रीकी युद्धों में कितने हताहत हुए, लेकिन एक अनुमान के मुताबिक एक छोटे देश के लिए 14,000, की संख्या काफी बड़ी है।[88]
क्यूबा के एक पूर्व खुफिया मेजर जुआन एंटोनियो रोड्रीगेज़ मेर्निएर ने बताया कि 1970 के दशक में क्यूबा ने नशीले पदार्थों की तस्करी करके बहुत कमाया. जुआन एंटोनियो 1987 में क्यूबा से भाग गए थे। नकदी फिदेल के स्विस बैंक के खातों में जमा की गई। कहा गया कि इनसे "मुक्ति आंदोलनो को आर्थिक मदद दी जानी है".[89] कास्त्रो परिवार से टूटे एक भाई नोर्बेर्तो फुएंतेस ने इन आपरेशनों के बारे में जानकारी प्रदान की है। उनके अनुसार, फिलिस्तीन की मुक्ति के डेमोक्रेटिक फ्रंट के सहयोग से क्यूबा के खुफिया विभाग ने लेबनान में 1975-76 गृह युद्ध के दौरान एक बैंक डकैती करके एक अरब डॉलर की सम्पत्ति लूट ली। सोने की ईंटे, गहने, रत्न और संग्रहालय के सामान राजनयिक थैलों में भरकर हवाई मार्ग से बेरूत-मास्को-हवाना भेज दिए गए। कास्त्रो ने व्यक्तिगत तौर पर नायक के रूप में लुटेरों का अभिनन्दन किया।[89]
क्यूबा और पनामा ने 2005 में अपने कूटनीतिक संबंध बहाल किये, जो एक साल पहले टूट गए थे, क्योंकि 2000 में क्यूबा के राष्ट्रपति फिदेल कास्त्रो की हत्या के प्रयास में शामिल चार निर्वासित क्यूबाइयों को पनामा के पूर्व राष्ट्रपति ने माफ़ कर दिया था। दोनों देशों के विदेश मंत्रियो ने हवाना में दस्तावेज पर हस्ताक्षर किये। दस्तावेज में दोनों देशों के बीच की लम्बी बिरादरी की भावना पर जोर दिया गया।[90] लैटिन अमेरिकी पड़ोसियों द्वारा कभी त्याग दिए गए क्यूबा के कोस्टारिका और एल सल्वाडोर को छोड़ अधिकांश देशों से संबंध बन गए।[90]
हालांकि क्यूबा और मेक्सिको के बीच संबंधों में तनाव बना हुआ है, लेकिन दोनों पक्ष इसमें सुधार लाने के लिए प्रयासरत हैं। 1998 में, फिदेल कास्त्रो ने मिकी माउस पर की गयी अपनी टिप्पणियों के लिए माफी मांगी. उन टिप्पणियों के कारण मेक्सिको ने हवाना से अपने राजदूत को वापस बुला लिया। उन्होंने कहा कि उनकी मंशा गलत नहीं रही थी, जब उन्होंने कहा था कि मेक्सिको के ऐतिहासिक व्यक्तित्वों के बजाय मैक्सिकन बच्चों को डिज्नी चरित्रों से नाम चुनना आसान होगा। बल्कि उन्होंने कहा, उनकी बाते अमेरिका के सांस्कृतिक वर्चस्व के खिलाफ थी। [91] मैक्सिकन राष्ट्रपति विसेंट फॉक्स ने 2002 में कास्त्रो से माफी मांगी, जिन्होंने दोनों की टेलेफोन बातचीत टेप की थी, जब फॉक्स कास्त्रो को मेक्सिको में हो रहे संयुक्त राष्ट्र शिखर सम्मेलन में भाग लेने से मना कर रहे थे, क्योंकि वहां राष्ट्रपति बुश भी आने वाले थे। कास्त्रो ने इस पर बयान देकर आपत्ति जतायी थी।[92]
1998 में सोलह कैरेबियाई देशों के शिखर सम्मेलन में कास्त्रो ने क्षेत्रीय एकता का आह्वान करते हुए कहा कि कैरेबियाई देशों के बीच सहयोग मजबूत होने से ही वैश्विक अर्थव्यवस्था में अमीर देशों के वर्चस्व को रोका जा सकेगा। [93] कैरेबियन देशों ने क्यूबा के फिदेल कास्त्रो को अपना लिया, जबकि व्यापार वादो को तोड़ने के लिए अमेरिका की आलोचना की। हाल तक कैरेबियाई देशों के लिए अछूत रहे कास्त्रो ने कैरेबियाई देशों के लिए अनुदान और छात्रवृत्ति बढ़ा दी, जबकि पिछले पांच वर्षों में अमेरिका की सहायता में 25 फीसदी की गिरावट आयी है।[94] क्यूबा ने कैरिबियाई समुदाय में चार अतिरिक्त दूतावास खोले: अंटीगुआ और बारबूडा, डोमिनिका, सूरीनाम, सेंट विंसेंट और द ग्रेनाडाइन्स. इस कदम से क्यूबा एकमात्र ऐसा देश बन गया, जिसके दूतावास सभी कैरिबियाई समुदाय के स्वतंत्र देशों में है।[95]
उत्तर कोरिया ने कास्त्रो को "स्वर्ण पदक (हंसुआ और हथौडा) और राष्ट्रीय ध्वज का प्रथम श्रेणी का सम्मान प्रदान किया।[96]
लीबिया डी फैक्टो के वास्तविक नेता मुअम्मर अल-गद्दाफीने कास्त्रो को "लीबिया का मानवाधिकार पुरस्कार" प्रदान किया।[97] 1998 में दक्षिण अफ्रीका की यात्रा पर गए कास्त्रो का राष्ट्रपति नेल्सन मंडेला ने गर्मजोशी से स्वागत किया।[98] राष्ट्रपति मंडेला ने कास्त्रो को विदेशियों के लिए दक्षिण अफ्रीका का सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार, आर्डर ऑफ़ गुड होप प्रदान किया।[99] बोत्सवाना राष्ट्रपति के अनुसार, पिछले दिसम्बर को कास्त्रो ने बोट्सवाना के लिए 100 चिकित्सा कार्यकर्ताओं को भेजकर अपना वादा निभाया। इन चिकित्सा कार्यकर्ताओं ने बोत्सवाना में HIV/AIDS के खिलाफ युद्ध में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभायी. बोत्सवाना में क्यूबा की सबसे पहली राजदूत अन्ना वल्लेजेरा के अनुसार HIV/AIDS के खिलाफ वैश्विक लड़ाई में उनके देश की प्रतिबद्धता और लड़ाई का एक हिस्सा है उनके स्वास्थ्य कार्यकर्ता.[100]
1960 में मैल्कम X के साथ होटल थेरेसा में उनकी ऐतिहासिक यात्रा के कारण हार्लेम में उन्हें एक प्रतीक के रूप में देखा गया।[101]
कास्त्रो को कनाडा के पूर्व प्रधानमंत्री पिएर्रे त्रुदौ का एक दोस्त माना जाता है। अक्टूबर 2000 में त्रुदौ के अंतिम संस्कार में कास्त्रो मानद कोफीन वाहक थे। त्रुदौ के कार्यालय छोड़ने के बाद भी त्रुदौ की मृत्यु तक दोनों की दोस्ती जारी रही। कनाडा क्यूबा के साथ खुलेआम व्यापार शुरू करने वाला पहला अमेरिकी सहयोगी देश बना। क्यूबा का अभी भी कनाडा के साथ एक अच्छा रिश्ता है। 1998 में कनाडा के प्रधानमंत्री जेअन चरेतिएन क्यूबा गए और राष्ट्रपति कास्त्रो से मिलने के बाद दोनों के घनिष्ठ संबंध पर प्रकाश डाला। 1976 में पिएर्रे त्रुदौ की हवाना यात्रा के बाद वह कनाडा सरकार के पहले नेता बने जिन्होंने द्वीप की यात्रा की। [102]
यूरोपीय संघ ने कास्त्रो शासन पर "मानव अधिकारों तथा बुनियादी स्वतन्त्रताओ के सतत खुला उल्लंघन" का आरोप लगाया.[103] दिसम्बर 2001 में, यूरोपीय संघ के प्रतिनिधियों ने हवाना में वार्ता के एक सप्ताह की वार्ता के अंत में कहा कि क्यूबा के साथ उनकी राजनीतिक बातचीत पटरी पर लौट रही है। यूरोपीय संघ ने मानव अधिकारों के सवाल पर चर्चा करने की क्यूबा कि इच्छा की प्रशंसा की। क्यूबा ही एकमात्र लैटिन अमेरिकी देश है, जिसका यूरोपीय संघ के साथ आर्थिक सहयोग समझौता नहीं है। हालांकि, अमेरिकी व्यापार प्रतिबंध के बाद से अमेरिकी प्रतिद्वंद्विओं से मुक्त क्यूबा के साथ कई यूरोपीय देशों का व्यापार संबंध मज़बूत हुआ।[104] 2005 में, यूरोपीय संघ के विकास आयुक्त लुईस मिशेल की क्यूबा यात्रा इस उम्मीद के साथ समाप्त हुई कि कम्युनिस्ट देश के साथ उनके रिश्ते मजबूत होंगे। यूरोपीय संघ क्यूबा का सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार है। क्यूबा द्वारा 75 असंतुष्टों को कारावास और तीन अपहर्ताओं को फांसी देने से कूटनीतिक संबंध तनावपूर्ण हुए.हालांकि, यूरोपीय संघ आयुक्त फिदेल कास्त्रो की इन सब विषयों पर चर्चा करने की इच्छा से प्रभावित हुए, लेकिन कास्त्रो ने कोई वादा नहीं किया। क्यूबा ने उन्हें राजनीतिक कैदी मानने से इनकार कर दिया। उसके अनुसार वे संयुक्त राज्य अमेरिका के भाड़े के सैनिक है।[105]
लैटिन अमेरिका में हाल ही में बनी समाजवादी सरकारों द्वारा कास्त्रो को एक प्रतीक के रूप में देखा जाता है। वेनेजुएला के ह्यूगो शावेज़ उनके पुराने प्रशंसक है और क्यूबा के साथ एक समझौते के तहत चिकित्सा सहायता के बदले रियायती दर पर पेट्रोलियम देने पर सहमत हुए. बोलीविया के एवो मोरालेस ने उन्हें "सभी लैटिन अमेरिकी क्रांतिकारियों का दादा" (दादाजी) बताया। [106]
क्यूबा के संविधान के अनुच्छेद 94 के अनुसार, राष्ट्रपति की बीमारी या मौत पर पहले उप-राष्ट्रपति राष्ट्रपति पद के कर्तव्यों को पूरा करेंगे। फिदेल कास्त्रो के राष्ट्रपति पद पर रहते हुए राउल कास्त्रो पिछले 32 वर्षों से उस पद पर रहे।
राष्ट्रपति के उत्तराधिकार और कास्त्रो की लंबी उम्र के मुद्दे पर, वहां कास्त्रो के स्वास्थ्य और निधन को लेकर अफवाहें, अटकलें और छल-कपट का दौर लम्बे समय तक चलता रहा। 1998 में खबरें आयी कि वे एक गंभीर मस्तिष्क रोग से पीड़ित हैं, मगर बाद में इसका खंडन हो गया।[107] जून 2001 में, कैरेबियाई धूप में लगातार सात घंटे तक भाषण देते हुए वे बेहोश हो गए।[108] बाद में उस दिन भाषण समाप्त करने के बाद वे सेना की वर्दी में खुशमिजाजी के साथ टेलीविजन स्टूडियो में घूमते और पत्रकारों से मजाक करते नज़र आये। [109]
जनवरी 2004 में, बोगोटा के महापौर लुईस एडुआर्डो गर्जोंन ने कहा कि "कास्त्रो बहुत बीमार लग रहे थे". क्यूबा में छुट्टी बिताने के दौरान कास्त्रो के साथ एक बैठक के बाद उन्होंने ऐसा कहा.[110] मई 2004 में, कास्त्रो के चिकित्सक ने खंडन किया कि उनका स्वास्थ्य ख़राब चल रहा है। उन्होंने अनुमान लगाया कि कास्त्रो 140 साल तक जीने वाले है। डॉ॰एउगेनियो सलमान हौसें ने कहा कि "प्रेस हमेशा कुछ न कुछ उनके बारे में अटकलें लगाता रहता है। एक बार दिल का दौरा पड़ने का, तो कभी कैंसर का, तो कभी कुछ न्यूरोलॉजिकल समस्या होने की अटकलें लगायी गयी।" लेकिन उनका दावा रहा कि कास्त्रो का स्वास्थ्य अच्छा है।[111]
20 अक्टूबर 2004 को एक रैली में भाषण देते हुए कास्त्रो फिसल गये और उनका घुटना और दाहिना हाथ टूट गया।[112] वे दो महीने बाद ही चलने-फिरने और सार्वजनिक तौर पर उपस्थित हो पाने में समर्थ हो पाए.[113]
क्यूबा में उनकी बड़ी भूमिका के कारण देश-विदेश में उनकी बढ़ती उम्र के साथ उनकी सेहत को लेकर अटकले लगायी जाती रही। कास्त्रो के स्वास्थ्यको लेकर CIA की खास दिलचस्पी है।[114]
2005 में, CIA ने कहा कि उन्हें लगता है कि कास्त्रो को पार्किंसंस रोग है।[115][116] कास्त्रो ने इसका खंडन करते हुए और पोप जॉन पॉल II की मिसाल देते हुए यह भी कहा कि वे बीमारी से नहीं डरते.[117]
31 जुलाई 2006 को कास्त्रो ने अपने भाई राउल कास्त्रो को राज्य परिषद का अध्यक्ष, मंत्रिपरिषद् का अध्यक्ष, क्यूबा की कम्युनिस्ट पार्टी का प्रथम सचिव और सशस्त्र बलों का प्रमुख कमांडर के रूप में नियुक्त किया। कर्तव्यों के इस हस्तांतरण को अस्थाई बताया गया। कहा गया कि फिदेल जब तक ठीक नहीं हो जाते, तब तक के लिए यह व्यवस्था है। "आंतो में लगातार हो रहे रक्त स्राव" के कारण उनकी सर्जरी हुई थी।[118] 2 दिसम्बर 2006 को ग्रानमा बोट लैंडिंग की 50वीं वर्षगांठ के राष्ट्रीय समारोह में भी वे हिस्सा नहीं ले सके। वो समारोह उनका विलंबित 80वां जन्मदिन समारोह बन गया। कास्त्रो की अनुपस्थिति से अफवाह जोर हुई कि कास्त्रो को जानलेवा अग्नाशयी कैंसर है और वे इलाज से इनकार कर रहे है[119]. लेकिन 17 दिसम्बर 2006 को क्यूबा प्रशासन ने कहा कि उन्हें कोई लाइलाज बीमारी नहीं है और वे अपने सार्वजनिक कार्य करने लगेंगे.[120][121]
जब क्यूबा यह दावा कर रहा था कि कास्त्रो को लाइलाज कैंसर नहीं है, तब 24 दिसम्बर 2006 को स्पेनिश अखबार El Periódico de Catalunya ने खबर दी कि स्पेनिश सर्जन जोस लुइस गार्सिया सब्रिदो क्यूबा सरकार के एक सनदी जहाज से क्यूबा के लिए रवाना हुए है। डॉ॰ गार्सिया सब्रिदो आंतों के विशेषज्ञ है, जिन्होंने बाद में कैंसर के इलाज में भी महारत हासिल की। जिस हवाई जहाज से डॉ॰ गार्सिया सब्रिदो यात्रा कर रहे थे, उसमें बताया गया कि बड़ी मात्रा में आधुनिक चिकित्सा उपकरण भी ले जाये गए।[122][123] मैड्रिड लौटने के बाद ज़ल्द ही 26 दिसम्बर 2006 को डॉ॰ गार्सिया सब्रिदो ने एक संवाददाता सम्मेलन करके कास्त्रो के स्वास्थ्य के बारे में प्रश्नों के उत्तर दिए। उन्होंने कहा कि "उन्हें कैंसर नहीं है, वे अपने पाचनतंत्र की समस्या से पीड़ित है।" और कहा कि "उनकी हालत स्थिर है। एक बहुत गंभीर ऑपरेशन के बाद अब वे ठीक हो रहे हैं। इस वक़्त उनका एक और ऑपरेशन करवाने की कोई योजना नहीं है".[124] हालांकि अधिकांश क्यूबाई यह मानते रहे कि कास्त्रो गंभीर रूप से बीमार हैं और अनेक लोग बिना कास्त्रो के भविष्य के बारे में चिंतित दिखे.[125]
16 जनवरी 2007 को स्पेन के अखबार अल पेस ने ग्रेगोरियो मारनॉन अस्पताल के दो अनाम सूत्रों के हवाले से बताया कि कास्त्रो की हालत 'काफी गंभीर' है। मैड्रिड के इसी अस्पताल में डॉ॰गार्सिया सब्रिदो कार्यरत है। अख़बार के अनुसार कास्त्रो तीन असफल ऑपरेशन होने के बाद उन्हें साईंकेट्रीजिंग की समस्या हो गयी और डाईवरटीकुलिटिस के एक गंभीर मामले की वजह से आंतों में संक्रमण से जटिलताएं पैदा हुई। बहरहाल, डॉ॰गार्सिया सिब्रिदो ने सीएनएन को बताया कि उस रिपोर्ट के स्रोत वे नहीं है। उन्होंने कहा कि "कोई भी बयांन, जो चिकित्सा दल [कास्त्रो की] की ओर से सीधे न आया हो आधारहीन है।"[126] इसके अलावा, मैड्रिड में क्यूबा के एक राजनयिक ने कहा कि खबरें झूठी है और उन्होंने इस पर टिप्पणी से इंकार कर दिया। जबकि व्हाइट हाउस के प्रेस सचिव टोनी स्नो ने कहा कि "रिपोर्ट पिछले स्वास्थ्य रिपोर्टो का महज एकत्रीकरण भर लगता है। इसमें हमें कोई नयी बात नहीं मिली."[127][128][129] 30 जनवरी 2007 को क्यूबा के टीवी और जुवेंतुद रेबेल्दे नामक अखबार ने कास्त्रो और हूगो चावेज़ के बीच एक बैठक के ताजा वीडियो और तस्वीरे दिखाई, जिन्हें एक दिन पहले का बताया गया।[130][131]
मध्य फरवरी 2007 में एसोसिएटेड प्रेस ने खबर दी कि कार्यवाहक राष्ट्रपति राउल कास्त्रो ने कहा है कि फिदेल कास्त्रो के स्वास्थ्य में सुधार हुआ है और वे सरकार के सभी महत्वपूर्ण मामलो में भाग ले रहे हैं। राउल कास्त्रो ने कहा कि "सभी महत्वपूर्ण विषयों पर सलाह ली जा रही है". "वे हस्तक्षेप नहीं करते, मगर उन्हें सब चीजों की जानकारी है।"[132] 27 फ़रवरी 2007 को, रायटर्स ने बताया कि हूगो चावेज़ द्वारा आयोजित आलो प्रेसिदेंते, नामक लाइव रेडियो टॉक शो में फिदेल कास्त्रो को आमंत्रित किया गया, जहां वे तीस मिनट की बातचीत में "बहुत स्वस्थ और अधिक स्पष्ट" दिखे. जुलाई में हुई सर्जरी के बाद जारी किसी भी ऑडियो और वीडियो में वे ऐसे नहीं लगे थे। कास्त्रो ने चावेज़ से बार-बार कहा कि, "मैं बेहतर महसूस कर रहा हूं. मैं महसूस कर रहा हूं कि मुझमे और अधिक ऊर्जा और अधिक शक्ति है तथा अध्ययन के लिए और अधिक समय है", हंसते हुए उन्होंने कहा, "मैं फिर से एक छात्र बन गया।" बातचीत के दौरान (स्पेनिश की प्रतिलिपि, ऑडियो) विश्व के शेयर बाजार में उस दिन आई गिरावट पर टिप्पणी करते हुए उन्होंने कहा कि यह उनके विचार का सबूत है कि विश्व पूंजीवादी व्यवस्था संकट में है।[133]
उनकी हालत में सुधार की रिपोर्ट मार्च और अप्रैल की शुरुआत में बराबर प्रसारित होती रही। 13 अप्रैल 2007 को, एसोसिएटेड प्रेस ने चावेज़ के हवाले से बताया कि कास्त्रो "लगभग पूरी तरह से स्वस्थ" हो चुके हैं। उसी दिन, क्यूबा के विदेश मंत्री फेलिप रोक (Felipe Roque) ने वियतनाम में एक संवाददाता सम्मेलन के दौरान पुष्टि की कि कास्त्रो की सेहत में तेजी से सुधार हुआ है और वे अपनी कुछ जिम्मेदारियां भी पूरी करने लगे हैं।[134] 21 अप्रैल 2007 को सरकारी अखबार ग्रानमा ने बताया कि हवाना दौरे पर आये चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के पोलित ब्यूरो के सदस्य वू वान्जेंग से कास्त्रो ने एक घंटे से अधिक बातचीत की। उनकी बैठक की तस्वीरों में कास्त्रो का स्वास्थ्य पहले से बेहतर दिखा.[135]
कास्त्रो की सेहत में आ रहे सुधार की ख़बरों पर एक टिप्पणी करते हुए अमेरिकी राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू बुश ने कहा: "एक दिन ईश्वर फिदेल कास्त्रो को ले जाएगा". इसे सुनकर कास्त्रो, जो एक नास्तिक हैं, ने व्यंग्य में कहा: "अब मैं समझा, मैं बुश तथा अन्य राष्ट्रपतियों की योजना से कैसे बच गया, जिन्होंने मेरी हत्या का आदेश दिया था: ईश्वर ने मेरी रक्षा की."[136]
जनवरी 2009 में कास्त्रो ने क्यूबाइयों से कहा कि वे हाल में उनके खबरिया स्तम्भ की कमी, उनके गिरते स्वास्थ्य की चिंता न करें और न ही उनकी भविष्य में होनेवाली मौत को लेकर परेशान हों.[137] ठीक उसी समय 21 जनवरी 2009 को अर्जेंटीना के राष्ट्रपति क्रिस्टीना फर्नांडीज के साथ कास्त्रो की बैठक की तस्वीरें जारी की गयीं। [138]
विकिसमाचार पर संबंधित समाचार देखें: Fidel Castro resigns as Cuban president |
"I'm really happy to reach 80. I never expected it, not least having a neighbor - the greatest power in the world - trying to kill me every day."— Fidel Castro, जुलाई 21, 2006[139]
18 फ़रवरी 2008 को लिखे एक पत्र में कास्त्रो ने घोषणा की कि वे 24 फ़रवरी 2008 की नेशनल असेंब्ली की बैठक में राष्ट्रपति और कमांडर-इन-चीफ का पद स्वीकार नहीं करेंगे। उन्होंने कहा "मैं राज्य परिषद् का अध्यक्ष और कमांडर-इन-चीफ न बनना चाहता हूं और न ही ये पद स्वीकार करूंगा - दुबारा कहता हूं कि न बनना चाहता हूं और न ही ये पद स्वीकार करूंगा",[140] उन्होंने प्रभावी ढंग से औपचारिक सार्वजनिक जीवन से अपने संन्यास की घोषणा की। [141][142][143] उनका पत्र कम्युनिस्ट पार्टी के अखबार ग्रानमा द्वारा ऑनलाइन प्रकाशित किया गया। इसमें कास्त्रो ने कहा कि उनके निर्णय के लिए स्वास्थ्य ही मुख्य वजह है। उन्होंने कहा कि "मेरी अंतरात्मा के साथ यह धोखा करना होगा, अगर मैं ऐसी जिम्मेदारी लेता हूं, जिसमे गतिशीलता और पूरी निष्ठा की आवश्यकता पड़ती है, जो कि मैं अपनी शारीरिक हालत के कारण प्रदान नहीं कर सकता."[144]
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24 फ़रवरी 2008 को पीपुल्स पावर की नेशनल असेम्बली ने सर्वसम्मति से उनके भाई राउल कास्त्रो को फिदेल के उत्तराधिकारी के रूप में क्यूबा का राष्ट्रपति चुना। [11] फिदेल के उत्तराधिकारी के रूप में अपने पहले भाषण में उन्होंने नेशनल असेंबली के सामने प्रस्ताव रखा कि रक्षा, विदेश नीति और "देश के सामाजिक आर्थिक विकास के मामलों" में फिदेल से सलाह ली जाती रहेगी. नेशनल असेंबली के 597 सदस्यों ने तुरंत और सर्वसम्मति से इस प्रस्ताव को पारित कर दिया। राउल ने कहा कि फिदेल का कोई विकल्प नहीं हो सकता.[145] फिदेल कम्युनिस्ट पार्टी के प्रथम सचिव बने हुए हैं।[146]
कास्त्रो बचपन से एक रोमन कैथोलिक के रूप में पले-बढ़े, लेकिन इस पर उन्होंने अमल नहीं किया। ओलिवर स्टोन के वृत्तचित्र कमांडेंट में कास्त्रो कहते हैं, "मैं कभी भी आस्तिक इन्सान नहीं रहा" और उन्हें इस बात का दृढ़ विश्वास है कि जीवन केवल एक ही बार मिलता है।[147] 1962 में पोप जॉन XXIII ने कास्त्रो को पोप पीउस XII के साम्यवाद के खिलाफ फरमान के आधार पर जाति से बहिष्कृत कर दिया था। यह फरमान 1949 का एक फरमान था जिसमें कैथोलिको को साम्यवादी सरकारो का समर्थन करने से मना किया गया था।
1992 में कास्त्रो धर्म पर प्रतिबंधों को शिथिल करने पर राजी हुए और साथ ही चर्च जानेवाले कैथोलिकों को क्यूबा के कम्युनिस्ट पार्टी में शामिल होने देने के लिए भी सहमत हुए. उन्होंने अपने देश को "नास्तिक" कहने के बजाय "धर्मनिरपेक्ष" कहना शुरू किया।[148] 1998 में पोप जॉन पॉल II ने क्यूबा का दौरा किया, यह किसी भी पोप की पहली यात्रा थी। यात्रा के दौरान ऐसे कई अवसर भी आये जब सार्वजनिक रूप से कास्त्रो और पोप अगल-बगल नजर आएं. सार्वजनिक बैठकों में पोप के साथ कास्त्रो अपनी वर्दी के बजाय गहरे नीले बिजनेस सूट में नजर आएं और श्रद्धा और सम्मान के साथ उनसे पेश आएं.[149] 1969 में कम्युनिस्ट पार्टी द्वारा आधिकारिक रूप से खत्म कर दिए गए क्रिसमस दिवस के उत्सव को दिसम्बर 1998 में कास्त्रो ने औपचारिक रूप से पुनर्बहाल किया।[150] क्यूबा के लोगों को फिर से क्रिसमस की छुट्टी मनाने की अनुमति मिल गई और साथ में खुलेआम धार्मिक जुलूस निकालने की भी अनुमति दे दी गई। पोप ने कास्त्रो को एक टेलीग्राम भेजकर क्रिसमस का दिन सार्वजनिक अवकाश के रूप में बहाल करने के लिए उन्हें धन्यवाद दिया। [151]
2003 में कास्त्रो ने एक रोमन कैथोलिक कॉन्वेंट आशीर्वाद समारोह में भाग लिया। क्यूबा में पोप की यात्रा की पांचवीं वर्षगांठ के अवसर पर पुराने हवाना में एक कॉन्वेंट के नवीकरण में मदद देने के लिहाज से इस अप्रत्याशित घटना का आयोजन किया गया था।[152]
2004 में ऑर्थोडॉक्स क्रिश्चियन के वरिष्ठ आध्यात्मिक नेता क्यूबा पहुंचे। यह पहला मौका था जब चर्च के इतिहास में किसी ऑर्थोडॉक्स क्रिश्चियन के प्रधान ने लैटिन अमेरिका का दौरा किया। सार्वभौम प्रधान बर्थोलोम्युइ ने हवाना में एक कैथेड्रल की स्थापना की और फिदेल कास्त्रो को एक सम्मान प्रदान किया।[153] उनके सहयोगियों का कहना है कि हवाना के प्राणकेंद्र में रूढ़िवादी ईसाइयों के लिए एक छोटा-सा ऑर्थोडॉक्स कैथेड्रल बनाकर दान देने के क्यूबा के सरकारी फैसले के पीछे उन्हीं का हाथ था।[154]
अप्रैल 2005 में पोप जॉन पॉल II की मृत्यु के बाद भावुक कास्त्रो ने उनके सम्मान में हवाना के कैथेड्रल चर्च में उनके शोक सभा में भाग लिया और वेटिकन दूतावास में पोप की शोक पुस्तिका पर हस्ताक्षर किया।[155] 46 साल की उम्र में अपनी एक बहन की शादी के मौके पर 1959 में कैथेड्रल में उन्होंने आखिरी दौरा किया था। कार्डिनल जैमे लुकास ओर्टेगा वाई अलामिनो ने इस शोकसभा की अध्यक्षता की और कास्त्रो का स्वागत किया, जो काले सूट में इस शोकसभा में शामिल हुए थे। उन्होंने पूरे क्यूबा की ओर से अपनी सदभावना जताते हुए यह कहा कि "फादर जॉन पॉल द्वितीय की मृत्यु से हम मर्माहत है।"[156]
सैनिक वर्दी में आम प्रदर्शनों की अगुवाई करते हुए कास्त्रो की छवि हमेशा एक सर्वकालिक क्रांतिकारी की रही है। वे ज्यादातर सैनिक पोशाक में देखे जाते रहे हैं, लेकिन उनके निजी दर्जी, मेरेल वान'टी वाआउट ने उन्हें कभी-कभी बिजनेस सूट भी पहनने के लिए मना लिया।[157] कास्त्रो को अक्सर "कमांडेंट" के रूप में उल्लेखित किया गया है, साथ में उन्हें, उपनाम "एल काबल्लो ", जिसका अर्थ है "हार्स" यानि घोड़ा कहकर भी पुकारा जाता रहा है। पहले पहल क्यूबा में लोगों का मनोरंजन करनेवाले बैनी मोरे को यह उपनाम दिया गया था। इस उपनाम से प्रभावित कास्त्रो जब अपने लोगो के साथ रात में हवाना की सड़कों पर घूमते, तब जोर से चिल्लाते कि "लो आ गया घोड़ा".[158] क्रांतिकारी अभियान के दौरान कास्त्रो के बागी साथी उन्हें "द जाइंट" के नाम से बुलाते थे।[159] आम तौर पर घंटों चलनेवाले कास्त्रो के जोशीले भाषण को सुनने के लिए लोगों का बड़ा हुजूम इकट्ठा हो जाता. कास्त्रो के निजी जीवन के अनेक तथ्यों के बारे में, विशेष रूप से उनके परिवार के सदस्यों के बारे में, मीडिया को प्रचार करने से मना कर दिया गया था।[160] क्यूबा की दुकानों, कक्षाओं, टैक्सीकैब और राष्ट्रीय टेलीविजन में कास्त्रो की तस्वीर अक्सर दिखाई देती है।[161] कास्त्रो ने कहा है कि व्यक्तिपूजा को उन्होंने कभी बढ़ावा नहीं दिया। [162]
उनकी पहली पत्नी मीरटा डाएज बलार्ट, जिनसे उन्होंने 11 अक्टूबर 1948 को शादी की थी, से फिदेल कास्त्रो के एक बेटे फिदेल एंजेल "फिदेलीटो" कास्त्रो दायेज़ बलार्ट का जन्म 1 सितंबर 1949 को हुआ था। 1955 में डाएज बलार्ट और कास्त्रो का तलाक हो गया और उन्होंने एमिलियो नुनेज ब्लांको से दोबारा शादी की। मैड्रिड में कुछ दिन बिताने के बाद बताया जाता है कि डाएज "फिदेलीटो" और अपने परिवार के साथ रहने के लिए हवाना लौट आयीं। [163] फिदेलीटो क्यूबा में बड़े हुए. कुछ समय तक वे परमाणु ऊर्जा आयोग को चलाते रहे, जब तक कि उनके पिता ने उन्हें वहां से हटा नहीं दिया। [164] डाएज बलार्ट के दो भतीजे, लिंकन डाएज बलार्ट और मारियो डाएज बलार्ट अमेरिकी कांग्रेस में रिपब्लिकन पार्टी से हैं और कास्त्रो सरकार के मुखर आलोचक हैं।
फिदेल कास्त्रो की दूसरी पत्नी डालिया सोटों डेल वाल्ले से उनके पांच बेटे हैं, जिनके नाम - एंटोनियो, ऐलेकजैंड्रो, अलेक्सिस, अलेक्जेंडर "एलेक्स" और एंजेल कास्त्रो सोटों डेल वाल्ले हैं।[164]
फिदेल ने जब मीरटा से शादी की थी, तब उनका प्रेम संबंध नतालिया "नैटी " रेवुएल्टा क्लेवस से था, जिनका जन्म 1925 में हवाना में हुआ था और बाद में उन्होंने ऑरलैंडो फर्नांडीज से शादी की। उनकी एक बेटी ए़लिना फर्नांडीज रेवुएल्टा है।[164] 1993 में ए़लिना ने एक स्पैनिश पर्यटक के छद्मवेश में क्यूबा छोड़ दिया और संयुक्त राज्य अमेरिका में शरण ली। [165] वे अपने पिता की नीतियों की मुखर आलोचक रही है।
एक बेनाम महिला से उनका एक और बेटा हुआ, जिसका नाम जॉर्ज एंजिल कास्त्रो है।
उनकी बहन ज्ञुअनिटा कास्त्रो 1960 के दशक के शुरुआत से संयुक्त राज्य अमेरिका में रह रहीं हैं। अपने प्रवास के दौरान उन्होंने कहा, "मेरे अपने देश में जो कुछ चल रहा है उससे मैं अब उदासीन नहीं रह सकती हूं. मेरे भाई फिदेल और राउल ने इसे पानी से घिरा हुआ जेल बना दिया है। लोगों पर अंतरराष्ट्रीय साम्यवाद थोप दिया गया है, यह एक यंत्रणा हैं।"[166]
कास्त्रो के कई आलोचकों ने उन्हें एक तानाशाह[167][168][169][170][171] कहा है और आधुनिक लैटिन अमेरिका के इतिहास में उनका शासन सबसे लंबे समय तक रहा। [168][169][170][171]
ह्यूमन राइट्स वॉच संगठन ने कास्त्रो को 'दमनकारी मशीनरी" कहते हुए कहा कि वे "क्यूबा के लोगों को उनके बुनियादी अधिकारों से वंचित कर रहे हैं".[172]
सर्जियो दयेज़-ब्रीकुएट्स और जॉर्ज एफ पेरेज़ लोपेज़ सेर्वान्दो ने अपनी पुस्तक क्यूबा में भ्रष्टाचार में लिखा है कि कास्त्रो ने भ्रष्टाचार को "संस्थागत" किया और यह भी कि "कास्त्रो ने राज्य द्वारा संचालित एकाधिकार, स्वजन पोषण चलाने और जवाबदेही के अभाव ने क्यूबा को दुनिया के सबसे भ्रष्ट देशों में से एक बना दिया है".[173] सेर्वान्दो गोंजालेज ने अपनी पुस्तक द सीक्रेट फिदेल कास्त्रो में उन्हें "भ्रष्ट तानाशाह" बताया है।[174]
गोंजालेज के मुताबिक, 1959 में कास्त्रो ने "फिदेल चेकिंग ए़काउंट" की स्थापना, ताकि वे मनमर्जी से पैसे निकाल सकें.[174] कास्त्रो पर आरोप है कि 1970 में उन्होंने "कमांडेंट आरक्षित निधि" बनाया, जिससे उन्होंने अपने देशी-विदेशी कई अंतरंग मित्रों को उपहार दिया। [174] गोंजालेज का दावा है कि कमांडेंट आरक्षित निधि का सम्बन्ध व्यावसायिक साम्राज्य के साथ जालसाजी करने और काले धन को सफ़ेद बनाने में है।[174]
1968 के शुरुआत में उनके एक करीबी दोस्त ने लिखा है कि स्विस बैंकों में कास्त्रो के कई बड़े खाते हैं।[174] आरोप है कि कास्त्रो के सचिव को भी ज्यूरिख बैंकों का इस्तेमाल करते हुए देखा गया है।[174] गोंजालेज का मानना है कि स्विट्जरलैंड के साथ क्यूबा का व्यापार बहुत न होने के बावजूद ज्यूरिख में क्यूबा का अपेक्षाकृत बड़ा राष्ट्रीय कार्यालय होना अजीब तरह से विरोधाभासों है।[174] कास्त्रो ने किसी विदेशी बैंक के खाते में एक डॉलर भी पैसा रखने की बात से इंकार किया है।[175]
कास्त्रो विरोधी और कवि जॉर्ज वाल्स ने खुले तौर पर कहा है कि प्रेम कैसे किया जाता है, कास्त्रो कभी नहीं जान सकें और यह भी कहा कि "फिदेल ने ब्याह को इज्ज़त बख्शने कि कोशिश की लेकिन विफल रहें; राजनीति को भी सम्मान देने की कोशिश की पर असफल रहें".[22]
एक केजीबी अधिकारी अलेक्सई नोविकोव का कहना है कि कास्त्रो की निजी जिंदगी दूसरे संभ्रांत कम्युनिस्टों के जीवन की तरह ही "गोपनीयता का एक अभेद्य दुर्ग" रही है। दूसरी कई बातों के अलावा उन्होंने यह भी कहा कि कास्त्रो के 9,700 से अधिक निजी गार्डों सहित तीन शानदार पाल नौकाएं भी हैं।[174]
अमेरिकी व्यापार और वित्तीय पत्रिका फोर्ब्स ने 2005 में कास्त्रो को कुल 550 मिलियन अमरीकी डालर मूल्य की संपत्ति के साथ दुनिया के सबसे अमीर लोगों में सूचीबद्ध किया। पत्रिका का दावा है कि क्यूबा के नेता की निजी संपत्ति ब्रिटेन की महारानी एलिजाबेथ II से करीब दोगुना है, जबकि राजनयिक और व्यवसायियों से मिली उनकी संपत्ति के घोषित सबूत के आधार पर कहा जा सकता है कि क्यूबा के नेता की निजी जिंदगी बहुत ही सीधी-सादी थी।[175] यह आकलन क्यूबा की सरकारी कंपनियों की कुल मूल्य की आर्थिक स्थिति के आधार पर आंकी गयी है और अनुमान लगाया गया है कि कास्त्रो का उन पर व्यक्तिगत आर्थिक नियंत्रण था।[176] बाद में फोर्ब्स पत्रिका ने उनकी संपत्ति का अनुमान बढा कर 900 मिलियन डॉलर किया। इससे अफवाह को बल मिला कि स्विट्जरलैंड में बड़ी रकम छिपा कर रखी गयी है।[175] पत्रिका ने इस तथ्य का कोई सबूत नहीं पेश किया है[177] और दूसरी तरफ CBS न्यूज के अनुसार, अमीरों की सूची में कास्त्रो का नाम शामिल करने के लिए जो तथ्य उपलब्ध कराये गए हैं, वो बहुत ही कम हैं।[177]
कास्त्रो ने पत्रिका पर मुकदमा ठोंकते हुए कहा कि उसमे दावा किये गए तथ्य "झूठे और बदनीयत" हैं जो उन्हें बदनाम करने के लिए अमेरिकी अभियान के तहत किया गया है।[175] उन्होंने घोषणा कि "अगर वे साबित कर सकें कि किसी एक विदेशी बैंक में मेरे खाते में 900 मिलियन डॉलर, एक मिलियन डॉलर या 500,000 डॉलर, या 100,000 डॉलर या एक भी डॉलर है तो मैं इस्तीफा दे दूंगा."[175] क्यूबा के सेंट्रल बैंक के अध्यक्ष फ्रांसिस्को सोबेरोन ने पत्रिका के दावे को 'हास्यास्पद कलंक' बताते हुए कहा कि क्यूबा की सरकारी स्वामित्ववाली विभिन्न कंपनियों से आया पैसा देश की अर्थव्यवस्था "स्वास्थ्य, शिक्षा, विज्ञान, आंतरिक व राष्ट्रीय सुरक्षा और अन्य देशों के साथ सद्भावना बनाने समेत "देश को मजबूती प्रदान करने में लगाया जाता है।"[176]
फिदेल कास्त्रो हमेशा से एक बहुत ही विवादास्पद शख्स रहे। उनकी विरासत के पहलुओं की व्याख्या सकारात्मक या नकारात्मक रोशनी में जाएगी, इस पर राजनैतिक हलकों में बराबर बहस होती रहती है। जो लोग आम तौर पर उनकी सरकार का समर्थन करते , वे कई खूबियों को गिनाते ; मसलन उनका कहना था कि क्यूबा दुनिया के सबसे ज्यादा साक्षरता वाले देशों में से एक है और यहां सेहत और उसकी देखभाल सम्बन्धी व्यवस्था बहुत प्रभावी है, आर्थिक असमानता बहुत कम, स्थिर सरकार और अफ्रीका में जनवादी संघर्ष का समर्थन करने का उनका एक अच्छा-खासा रिकॉर्ड है। [उद्धरण चाहिए] उनके आलोचक क्यूबा में मानवाधिकार का मामला बड़ा ख़राब होने, सत्तावादी सरकार होने, खस्ताहाल अर्थव्यवस्था, राजनीतिक और दमन जैसे नकारात्मक पहलुओं को गिनाते थे। [उद्धरण चाहिए]
फिदेल कास्त्रो द्वारा पूरी तरह या आंशिक रूप से लिखित
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