पूर्णहृदरोध
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पूर्णहृदरोध, (जिसे कार्डियोपल्मोनरी अरेस्ट या सर्कुलेटरी अरेस्ट) हृदय द्वारा प्रभावी ढंग से सिकुड़ने में विफलता की वजह से रक्त के सामान्य संचरण का ठहराव है।[1] चिकित्सा कर्मी एक अप्रत्याशित पूर्णहृदरोध को सडेन कार्डियक अरेस्ट या SCA सन्दर्भित कर सकते हैं।
Cardiac Arrest वर्गीकरण एवं बाह्य साधन | |
CPR being administered during a simulation of cardiac arrest. | |
आईसीडी-१० | I46. |
आईसीडी-९ | 427.5 |
एम.ईएसएच | D006323 |
अचानक हृदय की गति बंद | |
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अचानक हृदय की गति बंद | |
विशेषज्ञता क्षेत्र | कार्डियोलॉजी, आपातकालीन चिकित्सा |
लक्षण | चेतना का नुकसान, असामान्य या सांस नहीं लेना |
उद्भव | बड़ी उम्र |
कारण | कोरोनरी धमनी रोग, जन्मजात हृदय दोष, प्रमुख रक्त हानि, ऑक्सीजन की कमी, बहुत कम पोटेशियम, हृदय गति रुकना |
निदान | कोई नाड़ी ढूँढना |
निवारण | धूम्रपान न करना, शारीरिक गतिविधि, स्वस्थ वजन बनाए रखना, स्वस्थ भोजन |
चिकित्सा | कार्डियोपल्मोनरी रिससिटेशन (सीपीआर), डीफिब्रिलेशन |
चिकित्सा अवधि | कुल मिलाकर जीवित रहने की दर ~ 10% (अस्पताल के बाहर) 25% (अस्पताल में); प्रकार और कारण पर दृढ़ता से निर्भर करता है |
आवृत्ति | प्रति वर्ष 13 प्रति 10,000 लोग (अमेरिका में अस्पताल के बाहर) |
पूर्णहृदरोध, दिल के दौरे से भिन्न है (लेकिन उसकी वजह से हो सकता है) जिसके तहत हृदय की मांसपेशी में रक्त का प्रवाह बाधित हो जाता है।[2]
बाधित रक्त परिसंचरण, शरीर में ऑक्सीजन के वितरण को रोक देता है। मस्तिष्क में ऑक्सीजन की कमी से चेतना का लोप हो जाता है, जिसके परिणामस्वरूप सांस लेने में असामान्यता आ जाती है या श्वास अनुपस्थिति हो जाती है। यदि पूर्णहृदरोध पांच मिनट से अधिक देर तक अनुपचारित रहे तो मस्तिष्क घात की संभावना होती है।[3][4][5] बचने और स्नायविक लाभ के सबसे अच्छे मौके के लिए तत्काल और निर्णायक इलाज आवश्यक है।[6]
पूर्णहृदरोध एक चिकित्सकीय आपातस्थिति है, कुछ ख़ास स्थितियों में अगर इसका समय से इलाज किया जाए तो संभावित रूप से सुधार आ जाता है। जब अप्रत्याशित पूर्णहृदरोध से मौत हो जाती है तो इसे सडेन कार्डिएक डेथ (SCD)[1] कहा जाता है। पूर्णहृदरोध का उपचार कार्डियोपल्मोनरी पुनरुत्थान (CPR) है जिसके द्वारा परिसंचरण समर्थन प्रदान किया जाता है, जिसके बाद यदि कंपन देने योग्य लय मौजूद है तो डिफ़ाइब्रिलेशन होता है। सीपीआर और अन्य नैदानिक उपायों के बाद अगर कम्पन देने योग्य लय विद्यमान नहीं है तो मौत अनिवार्य है।