पुष्पक्रम
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पुष्पाक्ष पर पुष्पों के लगने के क्रम को पुष्पक्रम कहते हैं। पुष्प एक रुपान्तरित प्ररोह है जहाँ पर प्ररोह का शीर्ष विभज्योतक पुष्पी विभज्योतक में परिवर्तित होता है। पोरियाँ दैर्घ्य में नहीं बढ़ती और अक्ष दबकर रह जाती है। गाँठों पर क्रमानुसार पत्रों की बजाय पुष्पोपांग निकलते हैं। जब प्ररोह शीर्ष पुष्प में परिवर्तित होता है, तब वह सदैव एकल होता है। शीर्ष का पुष्प में परिवर्तित होना है अथवा सतत रूप से वृद्धि के आधार पर पुष्पक्रम को दो प्रकार असीमाक्षी तथा ससीमाक्षी में बाँटा गया है।
असीमाक्षी प्रकार के पुष्पक्रम के प्रमुख अक्ष में सतह वृद्धि होती रहती है और पुष्प पार्श्व में अग्राभिसारी क्रम में लगे रहते हैं। ससीमाक्षी पुष्पक्रम में प्रमुख अक्ष के शीर्ष पर पुष्प लगता है, इसलिए इसमें सीमित वृद्धि होती है। पुष्प तलाभिसारी क्रम में लगे रहते हैं।[1][2][3]