पुल सिरात
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पुल सीरात : (उर्दू : پل صراط) इस्लाम के अनुसार, वह पुल है जिस पर जन्नत (शाब्दिक रूप से 'स्वर्ग') में प्रवेश करने के लिए प्रत्येक व्यक्ति को यौम अल-क़ियामा (शाब्दिक रूप से क़यामत 'पुनरुत्थान का दिन') पर गुजरना होगा। जो पार न कर सके वो नीचे जहन्नम में गिर जायेंगे।
इसका उल्लेख कुरआन में है और हदीस में भी इसका वर्णन है।[1] [2] कहा जाता है कि यह बाल के एक कतरे से भी पतला और सबसे तेज़ चाकू या तलवार जितना तेज़ होता है (इसके ख़तरे के कारण)। [3] इस मार्ग के नीचे नर्क (जहन्नम) की आग है, जो पापियों को जलाकर गिरा देती है। जिन लोगों ने अपने जीवन में अच्छाई के कार्य किए, उन्हें उनके कर्मों के अनुसार गति से होज़े कोसर की ओर ले जाया जाता है।[4] [5] [6]