पुनरावृत्त तनाव क्षति
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पुनरावृत्त तनाव क्षति (अंग्रेज़ी:रेपीटीटिव स्ट्रेन इंजरी, लघुरूप:आर.एस.आई), जिसे रेपीटीटिव मोशन इंजरी, रेपीटीटिव मोशन डिसॉर्डर, क्यूमुलेटिव ट्रॉमा डिसॉर्डर आदि नाम भी मिले हैं, मांसपेशियों और तन्त्रिका तन्त्र में समस्या के कारण होने वाली क्षति होती है।[1] आर.एस.आई होने का प्रमुख कारण बार-बार काम को दोहराने, अत्यधिक मानसिक परिश्रम करने[2], कंपन, याँत्रिक संपीड़न (मैकेनिकल कंप्रेशन) और बैठने की खराब मुद्रा[3] होता है। इस रोग के रोगियों में मुख्यतः तीन तरह के लक्षण देखने में आते हैं। बाहों में दर्द, सहनशक्ति में कमी और कमजोरी जैसी समस्याएं इस तरह की क्षति में आम होती हैं। शारीरिक के साथ-साथ मानसिक समस्या भी होने लगती हैं। २००८ में हुए एक अध्ययन[1] से ज्ञात हुआ है कि ब्रिटेन के ६८ प्रतिशत कर्मचारी आर.एस.आई की समस्या से पीड़ित हैं[2] जिसमें सबसे आम समस्या पीठ, कंधे, हाथ और कलाई की थी।
आरएसआई होने के मुख्य कारक खराब तकनीक, कंप्यूटर का सीमा से ज्यादा प्रयोग, जोड़ों का कमजोर होना, प्रतिदिन व्यायाम करने में कमी, अधिक वजन, मानसिक दबाव, अंगुलियों के नाखून लंबे होने, देर रात तक सोने, तनाव और खराब जीवनशैली होते हैं।[1] इसके प्राथमिक लक्षण के रूप में अंगुलियों, हथेली, कुहनी और कंधों में जलन और दर्द होता है। लंबे समय तक कंप्यूटर पर काम करने से दर्द बढ़ सकता है। इन सबके साथ ही सुन्नपन, झनझनाहट, कड़ापन और सूजन आ जाती है और कभी-कभी नसों का नष्ट होना भी दिखाई दिया है।