नागौर का किला
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नागौर फोर्ट या नागौर का किला करीबन 137 कि.मी उत्तर के क्षेत्र में मौजूद है। किले का परकोटा लगभग 5000 फीट लंबा है तथा इसकी प्राचीर में 28 विशाल बुर्जे लगी हुई है। किले 6 विशाल दरवाजे है। यह किला 2100 गज के घेरे मे फैला हुआ है। किले में 1570 ई. में मुगल सम्राट अकबर ने नागौर दरबार का आयोजन किया। नागौर का किला अपने अध्भुत और विशाल किलो की वजह से विश्व भर में प्रसिद्ध है। नागौर का यह किला प्राचीन राजस्थान का इतिहास, कलात्मक, पारम्परिक जीवन शैली का अद्भुत और आकर्षक नमूना है। नागौर में प्रवेश करते ही वहां की सुन्दरता आपको आकर्षित करती है। नागौर का निर्माता चौहान शाषक सोमेश्वर के सामंत कैमास को माना जाता है। किले की नींव 1154 ई. में रखी गयी। दूसरी शताब्दी में नागवंशियों ने नागौर का किला बनवाया उनका पुनः निर्मणा मोहम्मद बाहलीम जो गज़निवेट्स के गवर्नर थे उन्होंने करवाया। नागौर दुर्ग में स्वागत के लिए तीन द्वार है नाकाश, देहली ,और त्रिपोलिया। नागौर दुर्ग एक सात दरवाजों और सात तालाबों के परकोटे के बीच स्थित स्थित था, समय के साथ दरवाजों और परकोटे क्षतिग्रस्त हुए हैं जिनमे से नक्काश पोल, दिल्ली पोल, अजमेरी पोल, कुमारी पोल, नया पोल, माही दरवाजा, समस बारी यह मुख्य दरवाजे थे और इनके साथ परकोटे की दीवार से जुड़े थे, प्राचीन शहर इन्हीं दरवाजों के भीतर बसा था, सभी दरवाजों के बाहर गणेश मन्दिर और सात तालाब थे उसके बाद महल के मुख्य पोल और पोल से आगे अंदर कई महल, फव्वारे, मंदिर और खूबसूरत बगीचे भी बनाये गए है। शहर में स्थित नागौर के किले को देखने के लिए देश-विदेश के कई सारे पर्यटक आते है। [उद्धरण चाहिए]