संत दादू दयाल जी का जन्म गुजरात प्रांत के अहमदाबाद में सन् 1544 (वि. स. 1601) को हुआ था, जिन्हें परमेश्वर कबीर जी एक बूढ़े बाबा के रूप में सन् 1551 में मिले थे। दादू जी बहुत दयालु स्वभाव के एक कवि व संत थे यही वजह है कि उन्हें दादू दयाल के नाम से भी जाना जाता है। उनके अनुयायी 'दादूनवासी' कहलाए जाते थे तथा उनके नाम से चलने वाले पंथ को 'दादू पंथ' के नाम से जाना जाता है। दादू हिन्दी, गुजराती, राजस्थानी आदि कई भाषाओं के ज्ञाता थे। इन्होंने शबद और साखी लिखीं। इनकी रचना प्रेमभावपूर्ण है। जात-पाँत के निराकरण, हिन्दू-मुसलमानों की एकता आदि विषयों पर इनके पद तर्क-प्रेरित न होकर हृदय-प्रेरित हैं।
सामान्य तथ्य दादू दयाल, जन्म ...
दादू दयाल |
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![](//upload.wikimedia.org/wikipedia/hi/thumb/8/8f/Dadudayalji.png/225px-Dadudayalji.png) |
जन्म |
दादुराम 1544 अहमदाबाद, गुजरात सल्तनतਬਿਜਲੀ ਰਾਜਭਰ |
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मृत्यु |
1601 नरैना (शहर) श्री दादू पालकांजी भैराणा धाम , राजस्थान, भारत[1]ਬਿਜਲੀ ਰਾਜਭਰ |
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गुरु/शिक्षक |
वृद्ध भगवान, |
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धर्म |
हिन्दू |
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संत मत |
दर्शन |
भक्ति |
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राष्ट्रीयता |
भारतीय |
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