तेन्ग्री धर्म
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तेन्ग्री धर्म (पुरानी तुर्की: , मंगोल: Тэнгэр шүтлэг, अंग्रेज़ी: Tengrism ) एक प्राचीन मध्य एशियाई धर्म है जिसमें ओझा प्रथा, सर्वात्मवाद, टोटम प्रथा और पूर्वज पूजा के तत्व शामिल थे। यह तुर्क लोगों और मंगोलों की मूल धार्मिक प्रथा थी। इसके केन्द्रीय देवता आकाश के प्रभु तेन्ग्री (Tengri) थे और इसमें आकाश के लिए बहुत श्रद्धा रखी जाती थी। आज भी मध्य एशिया और उत्तरी एशिया में तूवा और साइबेरिया में स्थित ख़कासिया जैसी जगहों पर तेन्ग्री धर्म के अनुयायी सक्रीय हैं।[1]
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तेन्ग्री धर्म के भक्त अक्सर 'वेदिक सनातन के नीले आकाश' को पूजा करते हैं, जो मंगोल भाषा में 'मुन्ख़ ख़ुख़ तेन्ग्री' है। मंगोल में 'ख़ुख़ तेन्ग्री' का मतलब 'नीला आसमान' होता है जो तुर्की देश में 'गोक तनरी' (Gök Tanrı) के रूप में मिलता है। तुर्की में तेन्ग्री धर्म को 'गोक तनरी' धर्म कहते हैं। तेन्ग्री धर्म में तेन्ग्री आकाश-देवता के साथ-साथ उमेय (, Umay) नामक पृथ्वी से सम्बंधित देवी-माता में भी आस्था रखी जाती है। एक और देवी गोलोम्त ईज (Golomt Eej) है, जो अग्नि की देवी है और आकाश-देवता की पुत्री है। अक्सर साइबेरिया, मंगोलिया और उन से सम्पर्क में रहे देशों (जैसे कि ईराक के कुछ भागों) में गर्भवती महिलाओं को तीन अलग रंगों की छोटी थैलियाँ दी जाती हैं, जिनके रंग नीले, हरे और पीले/लाल होते हैं। इसमें नीला रंग तेन्ग्री का प्रतीक, हरा रंग उमेय का प्रतीक और पीला या लाल रंग गोलोम्त ईज का प्रतीक होता है और माना जाता है कि इस से होने वाले शिशु और उसकी माता कि रक्षा होती है।[2]