तत्वबोधिनी पत्रिका
१६ अगस्त १८४३ को महर्षि देवेन्द्रनाथ टैगोर द्वारा स्थापित किया गया था। यह कोलकाता, भारत से प्रका / From Wikipedia, the free encyclopedia
तत्वबोधिनी पत्रिका, महर्षि देवेन्द्रनाथ ठाकुर द्वारा १६ अगस्त १८४३ को स्थापित की गयी थी। यह तत्वबोधिनी सभा की पत्रिका थी जिसका प्रकाशन १८८३ तक होता रहा। यह कोलकाता से बांग्ला में प्रकाशित होती थी।
ब्राह्मधर्म के प्रचार एवं तत्त्वबोधिनी सभा के सभासदों के मध्य नियमित वार्तालाप के उद्देश्य से इसकी स्थापना की गयी थी। अक्षय कुमार दत्त के सम्पादकत्व में तत्त्बबोधिनी पत्रिका का प्रथम प्रकाशन हुआ। इसके पीछे देबेन्द्रनाथ ठाकुर का नेतृत्व था। उन्नीसवीं शताब्दी के श्रेष्ठ गद्यलेखक ईश्वरचन्द्र विद्यासागर, राजनारायण बसु, द्विजेन्द्रनाथ ठाकुर इस पत्रिका में नियमित लिखते थे। उनके लेखों से उस समय बांग्ला भाषा और साहित्य एक नवयुग का सूत्रपात हुआ।
वेदान्त-प्रतिपाद्य ब्रह्मबिद्या का प्रचार पत्रिका का मुख्य उद्देश्य था और ज्ञानविज्ञान, इतिहास, साहित्य, धर्म, राजनीति, अर्थनीति, समाजतत्त्व एवं दर्शन से सम्बन्धित मूल्यवान रचनाएँ इसमें प्रकाशित होतीं थीं। अन्तरराष्ट्रीय व्यापार में बंगालियों की हिस्सेदारी तथा राजनैतिक स्वाधीनता की प्राप्ति के लिए अपना संगठन बनाने का आह्वान होता था। इस प्रकार उस समय की बंगाली संस्कृति और सभ्यता की उन्नति में इस पत्रिका ने विशेष योगदान किया।