डच बंगाल
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बेंगालन 1610 से 1810 में कंपनी के परिसमापन तक, बंगाल में डच इस्ट इंडिया कंपनी का निदेशालय था। 1824 में अंग्रेजों के साथ हुए आंग्ल-डच संधि के बाद, इसे 1825 तक नीदरलैंड साम्राज्य का उपनिवेश बना दिया गया। इस क्षेत्र में डच की उपस्थिति, ओडिशा के सुबरनेरेखा नदी के मुंहाने में पिपली में एक व्यापारिक उपनिवेश की स्थापना से शुरू हुई। पूर्व उपनिवेश जिसे आज डच भारत कहा जाता है उसी का हिस्सा है।[1]
सामान्य तथ्य
डच बंगाल बेंगालन | ||||||
उपनिवेश | ||||||
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राजधानी | पिपली (1627–1635) हुगली-चुचुरा (1635–1825) | |||||
भाषाएँ | डच | |||||
Political structure | उपनिवेश | |||||
संचालक | ||||||
- | 1655–1658 | पीटर स्टेरटेमियस | ||||
- | 1724–1727 | अब्राहम पैत्रस | ||||
- | 1785–1792 | इसाक टिट्सिंह | ||||
- | 1792–1795 | कोर्नेलिस वैन सिटेर्स | ||||
ऐतिहासिक युग | साम्राज्यवाद | |||||
- | पिपली पर एक व्यापारिक उपनिवेश की स्थापना | 1627 | ||||
- | आंग्ल-डच संधि, 1824 | 1825 | ||||
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