जामा मस्जिद, श्रीनगर
सृनगर का ऐतिहासिक मसजिद, भारत / From Wikipedia, the free encyclopedia
जामा मस्जिद वैसे तो देश के बहुत से शहर में है लेकिन श्रीनगर स्थित जामा मस्जिद की बात ही कुछ और है ! श्रीनगर में पुराने शहर स्थित नौहट्टा में जामा मस्जिद पूरे जम्मू-कश्मीर में सबसे बड़ी मस्जिद है ! स्थानीय लोग इसे “शुक्रवार मस्जिद” के नाम से भी पहचानते हैं ![1]
जामा मस्जिद | |
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धर्म संबंधी जानकारी | |
सम्बद्धता | Islam |
प्रोविंस | जम्मू और कश्मीर |
वर्तमान स्थिति | Active |
अवस्थिति जानकारी | |
अवस्थिति | Nowhatta, श्रीनगर |
ज़िला | श्रीनगर |
देश | India |
भौगोलिक निर्देशांक | 34.098352°N 74.809180°E / 34.098352; 74.809180 |
वास्तु विवरण | |
प्रकार | Mosque |
शैली | Indo-Saracenic |
निर्माण पूर्ण | 1402 CE |
आयाम विवरण | |
क्षमता | 33,333 |
लम्बाई | 384 फीट (117 मी॰) |
चौड़ाई | 381 फीट (116 मी॰) |
गुंबद | 4 (turrets) |
मीनारें | None |
निर्माण सामग्री | Deodar, Stones, Bricks |
इस मस्जिद का निर्माण सुल्तान सिकंदर शाहमीरी ने सन 1394 में करवाना आरम्भ किया जो कि सन 1404 में बनकर तैयार हुआ ! इस मस्जिद को लेकर कहा जाता है कि उस वक़्त के महाराज तारापदी ने इस जगह पर 693-697 ई. में एक मन्दिर का निर्माण करवाया था जिसे सिकन्दर ने तोड़कर उसकी सारी सामग्री मस्जिद बनाने में लगा दी थी ! इस मस्जिद को पुराने समय में बहुत बार विवादों के कारण नष्ट कर दिया गया था और हर बार पुनर्निर्माण किया जाता रहा ! आखिरी बार महाराजा प्रताप सिंह ने इसे अपने देखरेख में बनवाया था और तबसे अभी तक ठीक ठाक है ! 1820 से लेकर 1846 तक सिख गुरु महाराजा रणजीत सिंह के शासन के वक़्त इसे बंद कर दिया गया था ! अभी 2018 में लगभग 250 साल बाद इसकी मरम्मत की गयी है !
यह मस्जिद भारतीय और मुग़ल कलाकृति का विशाल नमूना है ! इसकी वास्तुकला को ब्रिटिश वास्तुकारों ने डिज़ाइन किया था, जिसे “इंडो-सारासेनिक वास्तुकला” के नाम से जानते हैं ! इस डिज़ाइन में एक भी गुम्बद नहीं है जो कि अधिकतर मस्जिद में होती है ! ये कुछ हद तक बौद्ध धार्मिक स्थानों से मिलता जुलता है ! इसकी लम्बाई 384 फ़ीट और चौड़ाई 38 फ़ीट है ! इस मस्जिद में एक साथ 33333 लोगों को नमाज़ पढ़ने की जगह है ! इस मस्जिद का देखने लायक मुख्य हिस्सा प्रार्थना हॉल है जो कि 370 खभों पर खड़ा हुआ है और ये सभी खंभे देवदार के मोटे तनों से बने हैं ! यहाँ की शांत वातावरण बहुत आनंदित करने वाला है और बाहर के शोरगुल वाले बाज़ारों से बिलकुल अलग माहौल के कारण दर्शकों के लिए मुख्य केंद्र है !
कश्मीर में कभी कभार जुमे की नमाज़ के बाद शरारती तत्वों द्वारा विरोध प्रदर्शन के लिए भी इस मस्जिद का उपयोग किया जाता रहा है ! अभी पिछले साल जब मस्जिद खाली थी तभी कुछ युवकों ने ISIS के झण्डे लगाकर विरोध किया था ! हालांकि भारतीय सेना की देखरेख में ये सब बंद हो रहा है और उम्मीद है कि घाटी में अब अमन चैन आएगा और कश्मीर के इस गौरव को देखने सम्पूर्ण विश्व के कोने से लोग आएंगे !