![cover image](https://wikiwandv2-19431.kxcdn.com/_next/image?url=https://upload.wikimedia.org/wikipedia/commons/thumb/5/5c/Flag_of_Chola_Kingdom.png/640px-Flag_of_Chola_Kingdom.png&w=640&q=50)
चोल राजवंश
प्राचीन और माध्यमिक भारत का एक हिंदू कुलश्रेष्ठ कायस्थ राजवंश और साम्राज्य / From Wikipedia, the free encyclopedia
चोल (तमिल - சோழர்) प्राचीन भारत का एक राजवंश था। दक्षिण भारत में और पास के अन्य देशों में तमिल चोल शासकों ने 9 वीं शताब्दी से 13 वीं शताब्दी के बीच एक अत्यंत शक्तिशाली हिन्दू साम्राज्य का निर्माण किया।
चोल राजवंश | |||||
| |||||
ध्वज | |||||
![]() अपने चरम उत्कर्ष के समय चोल साम्राज्य तथा उसका प्रभावक्षेत्र (1050 ई.) | |||||
राजधानी | पूर्वी चल: पुहर, उरैयर, मध्यकालीन चोल: तंजावुर गंगकौडे चोलपुरम | ||||
भाषाएँ | तमिल, संस्कृत | ||||
धार्मिक समूह | हिन्दू | ||||
शासन | साम्राज्य | ||||
राजा और शासक | |||||
- | 848–871 | विजयालय चोल | |||
- | 1246–1279 | राजेन्द्र चोल ३ | |||
ऐतिहासिक युग | मध्य युग | ||||
- | स्थापित | 300s ई.पू. | |||
- | मध्यकालीन चोल का उदय | 848 | |||
- | अंत | 1279 | |||
क्षेत्रफल | |||||
- | 1050 est. | 36,00,000 किमी ² (13,89,968 वर्ग मील) | |||
आज इन देशों का हिस्सा है: | ![]() ![]() ![]() ![]() ![]() ![]() ![]() ![]() ![]() ![]() ![]() | ||||
Warning: Value not specified for "common_name" |
'चोल' शब्द की व्युत्पत्ति विभिन्न प्रकार से की जाती रही है। कर्नल जेरिनो ने चोल शब्द को संस्कृत "काल" एवं "कोल" से संबद्ध करते हुए इसे दक्षिण भारत के कृष्णवर्ण आर्य समुदाय का सूचक माना है। चोल शब्द को संस्कृत "चोर" तथा तमिल "चोलम्" से भी संबद्ध किया गया है किंतु इनमें से कोई मत ठीक नहीं है। आरंभिक काल से ही चोल शब्द का प्रयोग इसी नाम के राजवंश द्वारा शासित प्रजा और भूभाग के लिए व्यवहृत होता रहा है। संगमयुगीन मणिमेक्लै में चोलों को सूर्यवंशी कहा है। चोलों के अनेक प्रचलित नामों में शेंबियन् भी है। शेंबियन् के आधार पर उन्हें शिबि से उद्भूत सिद्ध करते हैं। 12वीं सदी के अनेक स्थानीय राजवंश अपने को करिकाल से उद्भत कश्यप गोत्रीय बताते हैं।
चोलों के उल्लेख अत्यंत प्राचीन काल से ही प्राप्त होने लगते हैं। कात्यायन ने चोडों का उल्लेख किया है। अशोक के अभिलेखों में भी इसका उल्लेख उपलब्ध है। किंतु इन्होंने संगमयुग में ही दक्षिण भारतीय इतिहास को संभवत: प्रथम बार प्रभावित किया। संगमकाल के अनेक महत्वपूर्ण चोल सम्राटों में करिकाल अत्यधिक प्रसिद्ध हुए संगमयुग के पश्चात् का चोल इतिहास अज्ञात है। फिर भी चोल-वंश-परंपरा एकदम समाप्त नहीं हुई थी क्योंकि रेनंडु (जिला कुडाया) प्रदेश में चोल पल्लवों, चालुक्यों तथा राष्ट्रकूटों के अधीन शासन करते रहे।