चेन्नई बंदरगाह
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चेन्नई पोर्ट, मुंबई पोर्ट के बाद भारत का दूसरा सबसे बड़ा बंदरगाह है। यह १२५ वर्शः से अधिक पुराना है। मुख्य कंटेनर पत्तन बनने से पूर्व यह प्रमुख यात्रा बंदरगाह भी था। २००८ में इसका कंटेनर परिवहन १० लाख टी.ई.यू से अधिक था।[1] यह वर्तमान में आने वाले समय में ९१वां सबसे बड़ा कंटेनर पोर्ट आंका गया है।[2] चेन्नई पोर्ट बंगाल की खाड़ी में सबसे बड़ा बंदरगाह और भारत का दूसरा सबसे बड़ा सागरीय-व्यापार केन्द्र है, जहां ऑटोमोबाइल, मोटरसाइकिल, सामान्य औद्योगिक माल और अन्य थोक खनिज की आवाजाही होती है। मुम्बई के बाद भारत का यही सबसे बड़ा पत्तन है। इस कृत्रिम बंदरगाह में जलयानों के लंगर डालने के लिए कंक्रीट की मोटी दीवारें सागर में खड़ी करके एक साथ दर्जनों जलयानों के ठहराने योग्य पोताश्रय बना लिया गया है। दक्षिणी भारत का सारा दक्षिण-पूर्वी भाग (तमिलनाडु, दक्षिणी आन्ध्रप्रदेश तथा कर्नाटक राज्य) इसकी पृष्ठभूमि है।
यहाँ मुख्य निर्यात मूँगफली और इसका तेल, तमाकू, प्याज, कहवा, अबरख, मैंगनीज, चाय, मशाला, तेलहन, चमड़ा, नारियल इत्यादि हैं तथा आयात में कोयला, पेट्रोलियम, धातु, मशीनरी, लकड़ी, कागज, मोटर-साइकिल, रसायन, चावल और खाद्यान्न, लम्बे रेशे वाली कपास, रासायनिक पदार्थ, प्रमुख हैं। एक छोटा बंदरगाह रोयापुरम में भी है, जो स्थानीय मछुआरों और जलपोतों द्वारा प्रयोग होता है। पूर्वी तट पर चेन्नई की महत्त्वपूर्ण स्थिति ने प्राकृतिक सुविधा के अभाव में भी कृत्रिम व्यवस्था द्वारा एक पत्तन का विकास पाया है। एक बंदरगाह होने के कारण कोलकाता, विशाखापट्टनम, कोलम्बों, रंगून, पोर्टब्लेटर आदि स्थानों से समुद्री मार्ग द्वारा सम्बद्ध है।
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