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चिड़ियाघर या प्राणिउपवन (Zoological garden) वह संस्थान है जहाँ जीवित पशु पक्षियों को बहुत बड़ी संख्या में संग्रहीत कर रखा जाता है। लोग इन संग्रहित पशु पक्षियों को सुविधा और सुरक्षापूर्वक देख सकें इसकी भी व्यवस्था की जाती है। यहाँ उनके प्रजनन और चिकित्सा आदि की भी व्यवस्था होती है। दुनिया भर में आम जनता के लिए खोले गए प्रमुख पशु संग्रहालयों की संख्या अब 1,000 से भी अधिक है और उनमें से लगभग 80 प्रतिशत शहरों में हैं।
जीवित पशु पक्षियों के संग्रह को रखने की परिपाटी बहुत प्राचीन है। ऐसे उपवनों के होने का सबसे पुराना उल्लेख चीन में ईसा के 1200 वर्ष पूर्व में मिलता है। चीन के चाऊ वंश के प्रथम शासक के पास उस समय ऐसा एक पशु पक्षियों का संग्रहालय था। ईसा के 2000 वर्ष पूर्व के मिस्रवासियों की कब्रों के आसपास पशुओं की हड्डियाँ पाई गई हैं, जिससे पता लगता है कि वे लोग आमोद प्रमोद के लिए अपने आसपास पशुओं को रखा करते थे। पीछे रोमन लोग भी पशुओं को पकड़कर अपने पास रखते थे। प्राचीन रोमनों और यूनानियों के पास ऐसे संग्रह थे जिनमें सिंह, बाघ, चीता, तेंदुए आदि रहते थे। ऐसा पता लगता है कि ईसा के 29 वर्ष पूर्व ऑगस्टस ऑक्टेवियस (Augustus Octavious) के पास 410 बाघ, 260 चीते और 600 अफ्रीकी जंतुओं का संग्रह था, जिसमें बाघ राइनोसिरस, हिपोपॉटैमस (दरियाई घोड़ा), भालू, हाथी, मकर, साँप, सील (seal), ईगल (उकाब) इत्यादि थे। पीछे जंतुओं के संग्रह की दिशा में उत्तरोत्तर वृद्धि हेती रही है और आज संसार के प्रत्येक देश और प्रत्येक बड़े-बड़े नगर में प्राणिउपवन विद्यमान हैं।
विश्व की पहली व्हाइट टाइगर सफारी मुकुंदपुर में है जिसका नाम महाराजा मार्तण्ड सिंह जूदेव व्हाइट टाइगर सफारी मुकुंदपुर ,रीवा ,मध्यप्रदेश में है। जिसकी स्थापना 3 अप्रैल 2016 में किया गया है। अब सफ़ेद बाघ को फिर से विंध्य के जंगल में बसाने की अनुमति मिली है
ऐसे उपवनों के आज तीन प्रमुख उद्देश्य हैं :
इस अंतिम उद्देश्य की पूर्ति के कारण ही हम अनेक नई नई ओषधियों के आविष्कार करने में समर्थ हुए हैं। इन ओषधियों से अनेक असाध्य रोगों की चिकित्सा आज सफलता से की जा रही है। कुछ पशुओं की शारीरिक क्रिया मनुष्य की शारीरिक क्रिया से बहुत मिलती जुलती है। इस कारण नई ओषधियों का जो प्रभाव उन पशुओं पर पड़ता है वैसा ही प्रभाव मानव शरीर पर भी पड़ता है। पशुओं पर किए गए प्रयोग मनुष्य के लिए बड़े उपयोगी सिद्ध हुए हैं।
एशिया में अनेक प्राणिउपवन हैं जिनमें अलीपुर स्थित कलकत्ते का प्राणिउपवन बड़े महत्व का है। भारत का यह सबसे बड़ा प्राणिउपवन है। इसकी स्थापना 1875 ई. में बंगाल सरकार द्वारा हुई। इसमें पशु पक्षियों का संग्रह बहुत अच्छा है। इसके अतिरिक्त बंबई, दिल्ली और लखनऊ में भी प्राणिउपवन हैं। पाकिस्तान में कराची का प्राणिउपवन उत्कृष्ट कोटि का है। सिंगापुर, बटैविया और सुराबाया में भी प्राणिउपवन हैं। सुमात्रा के पश्चिमी तट पर फोर्ट-द-कॉक तथा जोहोर बाहरू में भी जंतुओं का संग्रह उत्तम है। जापान में दर्जनों प्राणिउपवन हैं, जिनमें टोकियो, नागोया, क्योटो, ओसाका और कोबे के प्राणिउपवन प्रमुख हैं। शंघाई का प्राणिउपवन यद्यपि छोटा है, तथापि उसमें चीन के जंतुओं का संग्रह अच्छा है। रूस के मॉस्को नगर में जो प्राणिउपवन है उसमें उत्तरी और विदशी जंतुओं का बहुत अच्छा संग्रह है।
ऑस्ट्रेलिया और न्यूज़ीलैंड में भी अनेक प्राणिउपवन हैं। ऑस्ट्रेलिया के सिडनी, मेलबर्न, ऐडिलेड और पर्थ के प्राणिउपवन महत्व के हैं, पर इनमें ऑस्ट्रेलिया के पशु पक्षियों का संग्रह अच्छा है। न्यूज़ीजैंड के वेलिंग्टन और ऑकलैंड के उपवन अपेक्षया छोटे हैं, पर वेलिंग्टन में पशु पक्षियों का संग्रह अत्युत्तम है।
अफ्रीका में महत्व के प्राणिउपवन गिज़ा और काहिरा में है। इनमें अफ्रीकी जंतुओं का संग्रह बहुत अच्छा है। इन प्राणी उपवनों का प्रबंध वहाँ की सरकार द्वारा होता है। खारतूम में भी एक प्राणिउपवन है, जिसका प्रबंध वहाँ की नगरपालिका करती है। इन प्राणिउपवनों के सिवाय प्रिटोरिया और जोहैनिसबर्ग में भी उपवन है, जिनका प्रबंध वहाँ की सरकार द्वारा होता है।
उत्तरी अमरीका के कैनाडा, मेक्सिको और संयुक्त राज्य, अमरीका, में अनेक प्राणिउपवन हैं। वस्तुत: वहाँ प्रत्येक नगर में किसी न किसी उपवनों में पशु पक्षियों का संग्रह बहुत अच्छा है। संयुक्तराज्य अमरीका, के प्राणिउपवन अपेक्षया बड़े बड़े हैं और कुछ बहुत बड़े क्षेत्र, 265 एकड़ भूमि तक, में फैले हुए हैं। इनमें ब्रोंक्स का प्राणिउपवन सबसे बड़ा है। इसका समस्त खर्च नगरपालिका वहन करती है। वाशिंगटन में जो उपवन है उसे 'नैशनल जोओलॉजिकल पार्क' कहते हैं। इसकी स्थापना 1889-1890 ई. में आमोद प्रमोद, शिक्षा और प्राणिविज्ञान के अनुसंधान के विकास के लिए हुई थी। यह भी बहुत बड़े क्षेत्र में फैला हुआ है। फिलाडेल्फिया का 'फेयर माउंट पार्क जू' एक दूसरा सुप्रसिद्ध प्राणिउपवन है। यह लंदन के प्राणिउपवन के आदर्श पर 1859 ई. में बना था। इसके निर्माण का प्रमुख उद्देश्य शिक्षा का प्रसार था।
यूरोप के प्राय: सब देशों, इंग्लैंड, फ्रांस, जर्मनी, इटली इत्यादि, में अनेक प्राणिउपवन हैं। यूरोप का सबसे प्राचीन उपवन शोनब्रुन (Schonbrrun) का है। बूडापेस्ट के प्राणिउपवन में यूरोप के पक्षियों का अच्छा संग्रह है। लंदन का प्राणि-उपवन यद्यपि छोटा है, तथापि यहाँ संग्रह सर्वोत्कृष्ट है। मैंचेस्टर और क्लिफ़्टन में भी छोटे छोटे प्राणिउपवन हैं। एडिनबरा का उपवन पेंगुइन के लिए सुप्रसिद्ध है। डब्लिन के प्राणिउपवन में सिंहों का संग्रह बहुत विशाल है। यूरोप के अन्य देशों के नगरों, रोम, लिसबन, मैड्रिड इत्यादि, में भी छोटे-बड़े प्राणिउपवन विद्यमान हैं।
लंदन जू, जिसकी शुरूआत 1828 में की गई थी, प्रारम्भ में उसे एक चिड़ियाघर या "जीव-विज्ञान उद्यान" कहा जाता था, जो "लंदन के प्राणी विज्ञान सोसायटी के उद्यान और चिड़ियाघर का" एक संक्षिप्त रूप है।[1] 1847 के आस-पास संक्षिप्त पद्यांश "जू" को मुद्रित रूप में सबसे पहले ब्रिटेन में देखा गया और इसका इस्तेमाल क्लिफटॉन जू के लिए किया गया, उस समय यह उतना लोकप्रिय नहीं था, लेकिन कुछ बीस साल बाद संगीत कलाकार अल्फ्रेड वेंस द्वारा "वाकिंग इन द जू ऑन संडे" गीत में संक्षिप्त रूप काफी लोकप्रिय बना। [1] वॉशिंगटन डी॰ सी॰ और न्यू यॉर्क के ब्राँक्स में "प्राणि उद्यान" शब्द का इस्तेमाल अधिक प्रशस्त सुविधाओं के लिए किया जाता था, जिसे क्रमशः 1891 में और 1899 में खोला गया था।[2]
चिड़ियाघर के लिए अपेक्षाकृत आधुनिक शब्द "संरक्षण पार्क" या "बायोपार्क" को बीसवीं सदी के अंत में गढ़ा गया। कुछ चिड़ियाघर विशेषज्ञों द्वारा नए नाम को ग्रहण करना एक रणनीति थी जिसके तहत उन्होंने चिड़ियाघरों की उन्नीसवीं सदी की पारम्परिक और वर्तमान की आलोचनात्मक अवधारणा से अपने संस्थानों को दूर किया।[3] 1980 के दशक के अंत में "बायोपार्क" शब्द को वॉशिंगटन डी॰ सी॰ के नेशनल जू द्वारा गढ़ा और विकसित किया गया।[4] 1993 में न्यूयॉर्क जूलोजिकल सोसाइटी ने अपने नाम को बदलकर वाइल्डलाइफ कंसरवेटिव सोसायटी किया और अपने अधिकार-क्षेत्र के तहत चिड़ियाघर को "वाइल्डलाइफ कंसरवेशन पार्क" के रूप में पुनः चिन्हित किया।[5]
पशु शाला, प्राणी उद्यान का पूर्ववर्ती चरण है जिसका प्राचीन काल से लेकर आधुनिक काल तक एक लम्बा इतिहास है। 2009 में मिस्र के हिएराकोनपोलिस में खुदाई के दौरान प्राचीनतम ज्ञात प्राणि संग्रह का पता चला. उस प्राणी संग्रह का समय लगभग 3500 B.C. था। असाधारण जानवरों में दरियाई घोड़ा, हर्टेबिस्ट, हाथी, लंगूर और जंगली बिल्ली शामिल हैं।[6] दूसरी शताब्दी BCE में, चीनी महारानी टांकी ने एक "हिरण का घर" बनवाया था और झोउ के राजा वेन ने एक 1,500 एकड़ का प्राणी उद्यान रखा था जिसे लिंग-यू, या गार्डेन ऑफ इंटेलिजेस कहा जाता था। अन्य जानवरों के संग्रह करने वाले प्रसिद्ध व्यक्तियों में इस्राइल और जेडाह साम्राज्य के राजा सोलोमान, अशीरिया के राजा सेमीरामी और अशुरबानीपल और बेबीलोनिया के राजा नेबूचद्रेज़र शामिल हैं।[7] चौथी सदी BCE तक, ग्रीस के अधिकांश शहरों में पशु उद्यान अस्तित्व में थे: महान सिकंदर को अपने सैन्य अभियान में पाए गए पशुओं को ग्रीस में वापस भेजने के लिए जाना जाता है। रोमन सम्राटों ने अध्ययन या अखाड़े में इस्तेमाल के लिए जानवरों के निजी संग्रह को रखा,[7] जिसमें से बाद वाला उपयोग कुख्यात रहा। 19वीं सदी के इतिहासकार W.E.H. लेकी ने रोमन खेल के बारे में लिखा, जिसे सबसे पहले 366 BCE में आयोजित किया गया:
At one time, a bear and a bull, chained together, rolled in fierce combat across the sand ... Four hundred bears were killed in a single day under Caligula ... Under Nero, four hundred tigers fought with bulls and elephants. In a single day, at the dedication of the Colosseum by Titus, five thousand animals perished. Under Trajan ... lions, tigers, elephants, rhinoceroses, hippopotami, giraffes, bulls, stags, even crocodiles and serpents were employed to give novelty to the spectacle ...[8]
इंग्लैंड के हेनरी I के पास अपने महल वूडस्टॉक में जानवरों का संग्रह था जिसमें कथित तौर पर शेर, तेंदुएं और ऊंट शामिल थे।[9] मध्ययुगीन इंग्लैंड में सबसे प्रमुख संग्रह टॉवर ऑफ लंदन में था, जिसे राजा जॉन I द्वारा 1204 के प्रारम्भ में निर्मित किया गया था। 1235 में पवित्र रोमन साम्राज्य प्रेडरिक II की तरफ से हेनरी III को शादी के उपहार के रूप में तीन तेंदुएं मिले थे और 1264 में जानवरों को टॉवर के मुख्य द्वार के करीब बुलवार्क में स्थानांतरित किया गया और उसके नाम को परिवर्तित कर लायन टॉवर रखा गया। 16वीं सदी में एलिजाबेथ के शासनकाल के दौरान इसे सार्वजनिक रूप से खोल दिया गया।[10] 18वीं शताब्दी के दौरान प्रवेश की कीमत साढ़े तीन पेंस रखी गई या शेर के भोजन के लिए एक बिल्ली या कुत्ता ले जाना था।[9] खुलने पर जानवरों को लंदन चिड़ियाघर में स्थानांतरित कर दिया गया।
अस्ट्रिया में विएना चिड़ियाघर सबसे पुराना मौजूदा चिड़ियाघर है जिसका विकास विएना में स्कोनब्रून पैलेस एक राजशाही पशुशाला से हुआ, एक भव्य पशु शाला जिसकी स्थापना 1752 में हब्सबर्ग शासन द्वारा की गई और 1765 में इसे सार्वजनिक किया गया। 1775 में मेड्रिड में एक चिड़ियाघर को स्थापित किया गया था और 1795 में जेक्स-हेनरी बर्नारडिन द्वारा पेरिस के जर्डिन डेस प्लानटेस के भीतर शाही पशु शाला के जानवरों के साथ एक चिड़ियाघर की स्थापना की गई, जिसका मुख्य उद्देश्य वैज्ञानिक अनुसंधान और शिक्षा था। रशिया का सबसे पहला चिड़ियाघर कजान चिड़ियाघर की स्थापना 1806 में कज़ान राज्य विश्वविद्यालय के प्रोफेसर कार्ल फुक्स द्वारा की गई। 1826 में स्टैमफोर्ड रफेल्स द्वारा जूलॉजिकल सोसायटी ऑफ लंदन की स्थापना की गई, 1828 में जब उन्होंने रिजेंट पार्क में लंदन चिड़ियाघर की स्थापना की तब उन्होंने पेरिस चिड़ियाघर के विचारों को अपनाया, जिसे 1847 में भुगतान आगंतुकों के लिए खोला गया।[7] ऑस्ट्रेलिया में प्रथम प्राणि उद्यान मेलबोर्न चिड़ियाघर था, जिसे 1860 में खोला गया। इसी वर्ष एक सेंट्रल पार्क चिड़ियाघर को न्यूयॉर्क में खोला गया जो संयुक्त राज्य अमेरिका का पहला सार्वजनिक चिड़ियाघर था, हालांकि 1859 में फिलाडेल्फिया जीव विज्ञान सोसायटी ने एक चिड़ियाघर की स्थापना के लिए प्रयास किया था, लेकिन अमेरिकी गृह युद्ध के कारण 1874 तक इसे खोलने में देरी हुई।
1907 में जर्मन उद्यमी कार्ल हजेनवैक ने स्टेलिजेन में टिएरपार्क हेगेनबेक की स्थापना की, जो अब हैम्बर्ग का क्वार्टर है। इसे खुले प्रांगण के पहले चिड़ियाघर के रूप में जाना जाता है, जानवरों के अनुरूप बेहतर प्राकृतिक वातावरण के लिए बंद पिंजरों की बजाए इसमें खंदक का इस्तेमाल किया गया था।[11]
1970 के दशक में जब पारिस्थितिकी, सार्वजनिक रूचि के रूप में उभरी तो कुछ चिड़ियाघरों ने संरक्षण को अपनी प्रमुख भूमिका बनाने पर विचार किया जिसमें जर्सी चिड़ियाघर के गेराल्ड ड्यूरेल, ब्रुकफील्ड चिड़ियीघर के जॉर्ज रब्ब और ब्राँक्स चिड़ियाघर के विलियम कोनवे (वन्यजीव संरक्षण सोसायटी) ने मुख्य रूप से चर्चा में भाग लिया। तब से, चिड़ियाघर पेशेवर, संरक्षण कार्यक्रमों में तेजी से स्वयं को जागरूक करने की जरूरतों से परिचित हुए और अमेरिकन चिड़ियाघर एसोसिएशन जल्द ही कहा कि संरक्षण उनकी उच्चतम प्राथमिकता थी।[12] क्योंकि वे संरक्षण के मुद्दों पर जोर देना चाहते थे और कई बड़े चिड़ियाघरों ने आगंतुकों के लिए जानवरों द्वारा प्रदर्शन करने की प्रथा को बंद कर दिया। उदाहरण के लिए डेट्रोएट चिड़ियाघर ने 1969 में उनके हाथी शो और चिंपांज़ी शो को 1983 में बंद कर दिया और स्वीकार किया कि प्रशिक्षकों ने जानवरों से प्रदर्शन करवाने के लिए संभवतः बुरा व्यवहार किया।[13]
संभवतः यूरोपीय और गैर यूरोपीय मूल के लोगों के बीच मतभेदों को वर्णन करने के लिए कभी-कभी अमानुष पशुओं के साथ मनुष्यों को भी पिंजरों में प्रदर्शित किया जाता था। सितंबर 1906 में, न्यू यॉर्क जूलॉजिकल सोसायटी के प्रमुख मेडिसन ग्रांट के साथ - ब्रोंक्स चिड़ियाघर के निदेशक विलियम होर्नाडे का एक समझौता हुआ था - उनके पास एक कोंगों का बौना ओटा बेंगा था, जिसे उन्होंने एक चिम्पांजी के साथ पिंजरे में प्रदर्शित किया, उसके बाद एक वनमानुष जिसका नाम डोहोंग था उसे एक तोते के साथ प्रदर्शित किया था। प्रदर्शन के पीछे उद्देश्य को वनमानुष और श्वेत मनुष्य के बीच "लापता सम्बन्ध" के एक उदाहरण के रूप में बताया गया। इस बात ने शहर के पादरियों के विरोध को प्रेरित किया, लेकिन लोग कथित तौर पर इसे देखने के लिए जमा होते थे।[14][15]
1931 में औपनिवेशिक पेरिस प्रदर्शनी के दौरान भी मनुष्यों को पिंजरे में प्रदर्शित किया जाता था और 1958 के अंत में ब्रसेल्स के एक्स्पो 58 में "कोंगोलिज विलेज" में भी उन्हें प्रदर्शित किया गया।[16]
20 वीं शताब्दी के उत्तरार्ध में चिड़ियाघरों को दिए गए कुछ अपेक्षाकृत नए नाम "संरक्षण पार्क" या "बायो पार्क" हैं। नए नाम अपनाने की यह रणनीति कुछ चिड़ियाघर पेशेवरों द्वारा अपने संस्थानों को रूढ़िवादी और आजकल आलोचना की जाने वाली 19 वीं शताब्दी की चिड़ियाघर अवधारणा से दूर करने के लिए की गई है। शब्द "बायो पार्क" की खोज सबसे पहले 1980 के दशक के अंत में वाशिंगटन डी.सी. के राष्ट्रीय चिड़ियाघर ने की थी और वहीं से यह विकसित हुआ। [17] 1993 में, न्यूयॉर्क जूलॉजिकल सोसाइटी ने अपना नाम बदलकर वाइल्डलाइफ कंसरवेशन सोसायटी (वन्यजीव संरक्षण सोसायटी) कर लिया और अपने अधिकार क्षेत्र के चिड़ियाघरों को "वाइल्डलाइफ कंसरवेटिव पार्क" (वन्यजीव संरक्षण पार्क) के रूप में नामित कर दिया।
चिड़ियाघर के जानवरों को आमतौर पर एक घेराव में रखा जाता है जिसे उनके प्राकृतिक आवास की ही तरह बनाने का प्रयास किया जाता है, जो आगंतुकों और जानवरों के लिए लाभदायक होता है। निशाचर जानवरों के लिए उनके पास एक विशेष भवन हो सकता है जिसमें दिन के दौरान मद्धिम सफेद या लाल प्रकाश का इस्तेमाल होता है, जिसके कारण जब आंगुतक आते हैं तो जानवर सक्रिय हो जाते हैं और रात में तेज रोशनी उन्हें सोने में मदद करती हैं। पेंगुइन जैसे नितांत भिन्न जलवायु के जानवरों के लिए विशेष जलवायु परिस्थिति का निर्माण किया जाता है। पक्षियों कीड़े, रेंगने वाले जानवर, मछली और अन्य जलीय जीव-जंतुओं के लिए विशेष घेराव का भी विकास किया गया है। कुछ चिड़ियाघरों में भीतर प्रवेश की अनुमति होती है जहां आंगतुक गैर-आक्रामक प्रजातियों के घेराव में प्रवेश करते हैं, जैसे लीमर, अफ्रीकन बंदर, पक्षी, छिपकली और कछुआ. आगंतुकों को पथ पर रहने के लिए बोला जाता है और खाद्य पदार्थ को दिखाने या खाने से बचने के लिए कहा जाता हैं क्योंकि हो सकता है जानवर उनसे छीन लें.
कुछ चिड़ियाघरों में सीमित जानवरों को बड़े, विस्तृत घेराव में रखा जाता है जिसमें पिंजरे की बजाए खन्दक और बाड़ होते हैं। सफारी पार्क को जू पार्क और शेर फार्म के रूप में भी जाना जाता है, जिसमें आगंतुकों को उनके पास से गुजरने और जानवरों के समीप आने की अनुमति दी जाती है।[7] इस तरह का पहला चिड़ियाघर इंगलैंड के बेडफोर्डशायर का व्हीप्सनेड पार्क था, जिसकी शुरूआत 1931 में जूलॉजिकल सोसायटी ऑफ लंदन की ओर से की गई थी और जो 600 एकड़ जमीन (2.4 km²) को आवृत करती है। 1970 के दशक के प्रारम्भ से सैन डिएगो के करीब सन पास्कल घाटी में 1,800-एकड़ (7 km²) की एक पार्क है जिसे सन डिएगो वाइल्ड एनिमल पार्क कहते हैं और इसे सन डिएगो के जूलॉजिकल सोसायटी द्वारा चलाया जाता है। नोर्थ केरोलिना के एशीबोरो में 535-एकड़ की नोर्थ केरोलिना चिड़ियाघर दो राज्यों द्वारा सहायता प्राप्त एक चिड़ियाघर है। ऑस्ट्रेलिया के मेलबोर्न में 500 एकड़ की वेर्रीबी मुक्त-सीमा चिड़ियाघर है जिसमें सवाना में रह रहे जानवरों को प्रदर्शित किया जाता है।
1853 में पहला सार्वजनिक एक्वेरियम लंदन चिड़ियाघर में खोला गया था। इसके बाद महाद्वीपीय यूरोप में सार्वजनिक एक्वेरियम खोले गए (उदाहरण के लिए, पेरिस 1859, हैम्बर्ग 1864, बर्लिन 1869, ब्रिटन 1872) और संयुक्त राज्य अमेरिका में (बोस्टन 1859, वाशिंगटन 1873, सैन फ्रांसिस्को वूड वार्ड गार्डन 1873, न्यूयॉर्क बैटरीपार्क 1896). 2005 में अटलांटा, जॉर्जिया में एक गैर लाभ जॉर्जिया एक्वेरियम खोला गया जिसमें समुद्र और शुद्ध पानी का 8 मिलियन गैलन है (30,000 m³; 30,000,000 लीटर) और इसमें 500 विभिन्न प्रजातियों के 100,000 से भी अधिक जानवर हैं। इस एक्वैरियम के नमूनों में व्हेल शार्क और बेलुगा व्हेल्स शामिल हैं।
उत्तर अमेरिका के चारों ओर विशेष रूप से सुदूरवर्ती इलाकों में सड़क के किनारे चिड़ियाघरों को देखा जा सकता है। वे छोटे, अविनियमित, लाभ के लिए चिड़ियाघर होते हैं, एक गैस स्टेशन जैसे कुछ अन्य सुविधाओं से अक्सर आगंतुकों को आकर्षित करना इनका उद्देश्य होता है। जानवरों को प्रदर्शन करने के लिए प्रशिक्षित किया जा सकता है और आगंतुक बड़े चिड़ियाघरों की तुलना में यहां जानवरों के काफी करीब आने में सक्षम होते हैं।[18] चूंकि वे अविनियमित होते हैं, सड़क के किनारे चिड़ियाघर उपेक्षा[19] और क्रूरता[20] के लिए बदनाम रहे हैं।
पालतू चिड़ियाघर को चिल्ड्रेन फार्म या बच्चों का चिड़ियाघर कहा जाता है, जिसमें घरेलू जानवर और जंगली प्रजातियों का संयोजन होता है और वे इतने विनम्र होते हैं कि उन्हें छुआ और खिलाया भी जा सकता है। पशुओं के स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए, उनके लिए खाना चिड़ियाघर द्वारा उपलब्ध कराया जाता है, या तो विक्रय मशीन या नजदीकी कीओस्क द्वारा आपूर्ति की जाती है।
एक पशु थीम पार्क चिड़ियाघर और मनोरंजन पार्क का संयोजन होता है, जो कि मुख्यतः मनोरंजन और व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए होता है। सी वर्ल्ड और मरीनलैंड जैसे मरीन मैमल पार्क अपेक्षाकृत एक बृहद डोल्फिनेरियम होते हैं जिसमें व्हेल्स होती हैं और जो अतिरिक्त मनोरंजन आकर्षण युक्त होते हैं। पशु थीम पार्क के एक और प्रकार में पारम्परिक चिड़ियाघर के मुकाबले अधिक मनोरंजन और मनोरंजन के तत्व शामिल होते हैं, जैसे स्टेज शो, रोलर कोस्टर और पौराणिक प्राणी. टम्पा, फ्लोरिडा में बूश गार्डेन टम्पा बे, ओरलेंडो, फ्लोरिडा में डिज्नी एनिमल किंगडम, नोर्थ योर्कशायर, इंग्लैंड में फ्लेमिगों लैंड और वलेजो, कैलिफोर्निया में सिक्स फ्लैग डिस्कवरी किंगडम इसके कुछ उदाहरण हैं।
आधुनिक चिड़ियाघर में प्रदर्शन पर लगाए गए 20 जानवरों में से कैद में पांच जानवर का प्रजनन होता है। जब वे चिड़ियाघर में आते हैं, जानवरों को संगरोध में रखा जाता है और धीरे-धीरे घेराव के वे आदि हो जाते हैं जो प्राकृतिक वातावरण की नकल होती है। उदाहरण के लिए, पेंगुइन की कुछ प्रजातियों को प्रशीतित घेराव की आवश्यकता हो सकती है। इस प्रकार के जानवरों के देखभाल के लिए आवश्यक दिशा निर्देश को इंटरनेशनल जू इयरबुक में प्रकाशित किया गया है।[21]
ऑस्ट्रालासिया, यूरोप और उत्तरी अमेरिका के अधिकांश आधुनिक चिड़ियाघरों की स्थिति यह है, विशेष कर वैज्ञानिक समाज वाले, कि जानवरों का प्रदर्शन प्राथमिक रूप से लुप्तप्राय प्रजातियों के संरक्षण के लिए करते हैं और साथ ही साथ अनुसंधान प्रयोजनों और शिक्षा के लिए भी, लेकिन आगंतुकों का मनोरंजन करना गौण होता है,[22][23] एक तर्क जिसका आलोचकों द्वारा खंडन किया जाता है। अपने चार्टर में लंदन की जूलोजिकल सोसाइटी कहती है कि इसका उद्देश्य "जीव विज्ञान की उन्नति और पशु शरीर विज्ञान और पशु साम्राज्य के नए और जिज्ञासु विषयों की शुरूआत करना है।" नुफेल्ड इंस्टिट्यूट ऑप कॉमपेरेटिव मेडिसीन और व्लकम इंस्टिट्यूट ऑफ कॉमपेरेट्व फिजियोलॉजी, दो अनुसंधान संस्थानों चिकित्सा का निर्वाह करता है। अमेरिका में, फिलाडेल्फिया चिड़ियाघर के पेनरोस अनुसंधान प्रयोगशाला विकृति विज्ञान के तुलनात्मक अध्ययन पर केंद्रित है।[7] चिड़ियाघरों और एक्वेरियम के वर्ल्ड एसोसिएशन ने 1993 में पहली संरक्षण रणनीति का निर्माण किया और नवम्बर 2004 में, इसने नई रणनीति अपनाई जो कि इक्कसवीं शताब्दी के प्राणी उद्यानों के उद्देश्य और मिशन को स्थापित करती है।[24]
लुप्तप्राय प्रजातियों के प्रजनन को सहकारी प्रजनन कार्यक्रम के द्वारा समन्वित किया गया है जिसमें अंतरराष्ट्रीय स्टडबुक और समन्वयक शामिल हैं, जो अलग-अलग जानवरों और संस्थानों की भूमिका का एक वैश्विक या क्षेत्रीय परिप्रेक्ष्य में मूल्यांकन करता है और लुप्तप्राय प्रजातियों के संरक्षण के लिए यहां दुनिया भर में क्षेत्रीय कार्यक्रम किए जाते हैं।[25]
पशु अधिकार संगठन पिपुल फॉर द एथिकल ट्रीटमेंट ऑफ एनिमल (PETA), ने चिड़ियाघर की स्थिति पर तर्क दिया कि उनका मुख्य उद्देश्य संरक्षण में अनुसंधान और सहायता करना है, उन्होंने आरोप लगाया कि अधिकांश अनुसंधान में प्रजनन के नए तरीके और कैद में जानवरों को संभालने पर जोर दिया गया है।[26] ऑक्सफोर्ड सेंटर फॉर एनिमल एथिक्स के निदेशक एंड्रयू लिंजी ने तर्क दिया है कि चिड़ियाघर "संरक्षण के लिए एक सूक्ष्म योगदान" देता है।[27]
जंगल में पकड़े गए प्रत्येक जानवर के अलावा कई अन्य उस प्रक्रिया के दौरान मारे जाते हैं। इसलिए, चिड़ियाघर के भीतर जानवरों के प्रजनन को प्रोत्साहित किया जाता है।[21] यूनिवर्सिटी जीन-मोलिन, लयोन के एरिक बाराटे औप एलिजाबेथ हरडौन-फ्यूजिएर ने कहा कि समग्र रूप जानवरों की "स्टॉक आवर्त" पूरे साल में एक-पांचवें से एक चौथाई है- जिसमें प्रथम इक्कीस महीने में तीन-चौथाई बंदरों की मृत्यु कैद में हो रही है। वे कहते हैं कि उच्च मृत्यु दर का कारण "बड़े पैमाने पर आयात" है।[28]
कैद में पशुओं के प्रजनन का नकारात्मक पहलू यह है कि हर साल उनमें से हजारों को "अधिशेष सूची" में रखा जाता है और सर्कस, पशु व्यापारियों, नीलामियों, पालतू पशु मालिकों और खेल फार्मों को बेच दिया जाता है। सैन जोस मर्करी न्यूज़ ने दो साल का एक अध्ययन आयोजित किया जो यह खुलासा करता है कि 1992 से 1998 के बीच अमेरिका के मान्यता प्राप्त चिड़ियाघरों में 19,361 स्तनधारियों को छोड़ा गया था और जिसमें से 7,420 (38 प्रतिशत) डीलरों, नीलामियों, शिकार पशु-फार्मो, अमान्यता प्राप्त चिड़ियाघरों और व्यक्तिगत और खेल फार्मों में चला गया।[29]
एनिमल फाइन्डर्स गाइड में चिड़ियाघरों ने अधिशेष जानवरों को विज्ञापित किया था, यह एक चिड़ियाघर न्यूज़लेटर है जिसमें शिकारी पशु-फार्मों के मालिक जानवरों की बिक्री और निलामी को विज्ञापित करते हैं।[30] मैथ्यू स्कल्ली लिखते हैं कि अधिकांश शिकारी, चिड़ियाघरों के जानवरों को मारना पसंद करते हैं क्योंकि वे सुंदर दिखने वाली ट्राफियां बना सकते हैं, जंगली शेर की अपेक्षा चिड़ियाघर का अयाल ज्यादा साफ होता है।[30] एक मामले में एक चिड़ियाघर के मालिक जिसका नाम विलियम हम्पटॉन था, उसे जानवरों को खरीदकर और सिलसिलेवार रूप से उनकी खाल, सिर और चमड़े से बने ट्रॉफीयों को बेचने के लिए जानवरों हत्या करते हुए पाया गया था।[31]
हिरण, बाघ और शेर जैसे नस्ल जिनका प्रजनन बहुधा होता है, मांस के लिए उन्हें मारा जा सकता है, नूर्नबर्ग चिड़ियाघर के उप निदेशक, हेल्मुट मग्डेफ्राउ, ने कहा कि "यदि हम जानवरों के लिए अच्छे घर नहीं मिलते, हम उनकी हत्या कर देते हैं और भोजन के रूप में उसका उपयोग करते हैं।"[32] खराब स्थिति के साथ अन्य जानवरों को छोटे चिड़ियाघरों को बेचा जा सकता है। PETA ने एडिथ का उदाहरण दिया है, एक चिंपांज़ी को टेक्सस के एक सड़क के किनारे चिड़ियाघर में पाया गया था जिसका अमारिल्लो वाइल्डलाइफ रिफ्यूजी कहा जाता है। उसका जन्म सेंट लुई चिड़ियाघर में हुआ था, लेकिन उसे उसके तीसरे वर्ष में ही बेच दिया गया था और एक सड़क किनारे चिड़ियाघर में आने से पहले 37 वर्षों के लिए उसने पांच चिड़ियाघरों में अपना समय बिताया.[33]
मार्च 2008 में यह आरोप लगाया गया है कि सैकड़ों बर्लिन चिड़ियाघरों में 23,000 जानवर लापता हैं, यह आरोप लगाया गया कि उनका हत्या किया गया है और कुछ बाघों और तेंदुओं को पारम्परिक चीनी दवाओं के लिए चीन भेजा गया था। ग्रीन पार्टी की नेता क्लाउडिया हेमरलिंग ने कहा कि उनके पास इस बात का सबूत है कि चार एशियाई काले भालू और एक दरियाई घोड़े को बर्लिन से एक नए घर में स्थानांतरित करने के लिया गया था लेकिन उसकी बजाए उन्हें बेल्जियम में वर्टेल में ले जाया गया, जिसे द गार्जियन ने चिड़ियाघर की बजाए एक कसाईखाना घोषित किया है। चिड़ियाघर के निदेशक बर्नहार्ड ब्लाज़्केविट्ज़ ने इसका उत्तर दिया और कहा कि आरोप असत्य, अर्द्ध सत्य और झूठ थे।"[32]
पशुओं की हालत व्यापक रूप से भिन्न होती है, खास करके उन देशों के चिड़ियाघरों में जहां थोड़े या कोई नियम नहीं हैं। अधिकांश गैर लाभ और वैज्ञानिक उन्मुख संस्थान जानवरों के घेराव में सुधार करने में लगे हुए हैं, हालांकि आकार और खर्च जैसी बाधाएं डॉल्फ़िन और व्हेल्स जैसी कुछ प्रजातियों के लिए आदर्श कैद माहौल का निर्माण में कठिनाई पैदा करते हैं, .[34][35]
कुछ आलोचकों का तर्क है कि चिड़ियाघर में रहने वाले प्राणियों के साथ जीवित प्राणी के बजाए दृश्यरतिक वस्तु के रूप में व्यवहार किया जाता है और उनके मुक्त और जंगली जीवन को कैद में बदल दिया जाता है और पूर्ण रूप से मनुष्यों पर निर्भर कर दिया जाता है जिससे अक्सर वे पागलपन की स्थिति में पहुंच जाते हैं।[36]
ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के चार दशक के अध्ययन में पाया गया है कि कैद में ध्रुवीय भालू, शेर, बाघ और चीतों में सबसे अधिक तनाव की स्थिति देखा गया है।[37][38] अमेरिका में PETA की चिड़ियाघर जांच में पाया गया कि भालुओं की कई प्रजातियां पेसिंग, चक्कर काटने और झुकने या सिर को रोलिंग करने सहित तांत्रिक रोग, रूढ़िबद्ध व्यवहार में व्यस्त हैं।[39] चीन में बादलटियरिंग सफारी पार्क में मून भालू की एक जोड़ी को एक छोटे से पिंजरे में रखा जाता है जिसमें वे चारों ओर मुड़ भी नहीं सकते. जनवरी 2008 में डेली मेल ने यह सूचना दी है कि उनमें से एक पागल हो गया है और सिर को हिलाते हुए और पिंजरे के एक हिस्से में अपना सिर पीटते हुए समय बिताता है।[40]
चीन के बादलटियरिंग सफारी पार्क में, चिड़ियाघर में आने वाले आगंतुक शेर के प्रांगण में जिन्दा बकरी को फेंक देते हैं और उसका शिकार होते देखते हैं या जिन्दा मुर्गी को £2 के बराबर में खरीदकर बांस की लाठी में बांध कर शेर के प्रंगण में झुलाते है। विशेष रूप से डिजाइन किए गए फिसलनी के साथ बसों में आगंतुक शेर के परिसर में प्रवेश कर सकते हैं और जिससे आंगतुक परिसर में मुर्गियों को धक्का देते हैं। दक्षिण पूर्व चीन के गुलिन के करीब जियोंगसेन बियर और टाइगर माउंटेन गांव में दर्शकों के मनोरंजन के लिए जिन्दा गाय और सुअरों को बाघ के सामने फेंका जाता है।[40][41]
बीजिंग के पास क़िंगदाओ चिड़ियाघर में, आगंतुक "कछुआ प्रलोभन" में काफी भाग लेते हैं, जहां कछुओं के गले में इलास्टिक बैंड बांधकर छोटे कमरो में रख दिया जाता है ताकि वे अपने सिर को अंदर न कर सके। और आगंतुक उन पर सिक्के फेंकते हैं। ऐसा कहा जाता है कि यदि आप उनके सिर पर निशाना लगा कर कोई इच्छा जाहिक करेंगे तो आपकी इच्छा पूरी हो जाएगी.[40]
संयुक्त राज्य अमेरिका में किसी भी सार्वजनिक पशु प्रदर्शनी के लिए लाइसेंस और संयुक्त राज्य अमेरिका के कृषि विभाग, संयुक्त राज्य अमेरिका पर्यावरण संरक्षण एजेंसी, औषध प्रवर्तन एजेंसी, व्यावसायिक सुरक्षा और स्वास्थ्य प्रशासन और अन्यों द्वारा जांच होना जरूरी है। जानवरों के आधार पर वे प्रदर्शन करते हैं, चिड़ियाघरों की गतिविधियां कानून द्वारा विनियमित होती हैं जिसमें लुप्तप्राय प्रजाति अधिनियम, पशु कल्याण अधिनियम, 1918 के प्रवासी पक्षी संधी अधिनियम और अन्य शामिल हैं।[42] इसके अलावा, उत्तरी अमेरिका के चिड़ियाघर को (एक्वैरियम और चिड़ियाघर एसोसिएशन द्वारा मान्यता प्राप्त करनी हो सकती है (AZA). मान्यता प्राप्त करने के लिए चिड़ियाघर को एक आवेदन और निरीक्षण प्रक्रिया को पारित करना चाहिए और समझौता या पशु स्वास्थ्य और कल्याण, अनुदान संचयन, चिड़ियाघर कर्मचारी और वैश्विक संरक्षण के प्रयासों में भागीदारी में AZA के मानकों को पार करना चाहिए। निरीक्षण तीन विशेषज्ञों द्वारा किया जाता है (आम तौर पर एक पशु चिकित्सक, पशु देखभाल के क्षेत्र में एक विशेषज्ञ और चिड़ियाघर प्रबंधन और संचालन में एक विशेषज्ञ) और मान्यता देने से पहले बारह विशेषज्ञों के एक पैनल द्वारा समीक्षा की जाती है। इस मान्यता की प्रक्रिया को प्रत्येक पांच वर्ष में एक बार दोहराया जाता है। AZA का अनुमान है कि यहां फरवरी 2007 तक लगभग 2,400 जानवर प्रदर्शनियां हैं जिसका परिचालन USDA के लाइसेंस के तहत किया गया है, जिसमें 10 प्रतिशत से भी कम को मान्यता प्राप्त है।[43]
अप्रैल 1999 में यूरोपीय संघ ने चिड़ियाघरों की संरक्षण भूमिका को मज़बूत बनाने के लिए एक निर्देश की शुरूआत की और इसे संवैधानिक रूप से आवश्यक बनाया ताकी वे संरक्षण और शिक्षा में भाग ले सके और और उनके लाइसेंस और निरीक्षण सिस्टम के लिए सभी सदस्यों की भागीदारी को आवश्यक बनाया। [44] 1981 के चिड़ियाघर लाइसेंसिंग अधिनियम द्वारा चिड़ियाघर विनियमित है, जो कि 1984 में अस्तित्व में आया। एक चिड़ियाघर को, ऐसी "स्थापना जहां जंगली जानवरों को प्रदर्शनी के लिए रखा जाता है।.. जहां जनता का प्रवेश शुल्क के साथ या निःशुल्क हो, लगातार बारह महीने के समय में सात या उससे अधिक दिनों तक जिसकी प्रदर्शनी हो", सर्कस और पालतू पशुओं की दुकानों को छोड़कर, के रूप में परिभाषित किया गया। अधिनियम के अनुसार सभी चिड़ियाघरों को निरीक्षण और लाइसेंस की आवश्यकता है और जानवरों को उपयुक्त वातावरण वाले घेराव में रखे जाने चाहिए जहां वे सबसे अधिक सामान्य व्यवहार दिखा सके। [44]
चिड़ियाघर को विक्षनरी में देखें जो एक मुक्त शब्दकोश है। |
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