चक्रसंवर तन्त्र
वाजरायण बौध्द धर्म में अन्ततारोधन तंत्र की मां वर्ग / From Wikipedia, the free encyclopedia
बज्रयान बौद्ध धर्म में चक्रसंवर तन्त्र (तिब्बती: འཁོར་ལོ་བདེ་མཆོག; वायली: 'khor lo bde mchog) को अनुत्तरयोग तन्त्र की जननी माना जाता है। इसे 'श्रीहेरुकाभिधान' या 'लघुसंवर' भी कहते हैं> डेविड बी ग्रे ( David B. Gray) का मत है कि चक्रसंवर तन्त्र का जन्म ८वीं शताब्दी के अन्तिम चरण में या ९वीं शताब्दी के आरम्भिक चरण में हुआ। [1]