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भारत में नदी विकिपीडिया से, मुक्त विश्वकोश
घग्गर-हकरा नदी भारत और पाकिस्तान में वर्षा-ऋतु में चलने वाली एक मौसमी नदी है। इसे हरयाणा के ओटू वीयर (बाँध) से पहले घग्गर नदी के नाम से और उसके आगे हकरा नदी के नाम से जाना जाता है।[3] कुछ विद्वानों के हिसाब से यह प्राचीनकाल में बहने वाली महान सरस्वती नदी ही का बचा हुआ रूप है हालांकि इसपर मतभेद है और अन्य विद्वानों के अनुसार ऋग्वेद में कुछ स्थानों पर जिस सरस्वती नदी का ज़िक्र है वह यह नदी नहीं थी। इसका उद्गम चण्डीगढ के निकट हिमाचल व हरियाणा की सीमाओं पर शिवालिक पर्वत है। चण्डीगढ के पास इसी नाम का रेल्वे स्टेशन भी है। पटियाला, संगरूर, सिरसा, हनुमानगढ व श्रीगंगानगर जिलों से होती हुई, राजस्थान की अनूपगढ तहसील से यह पाकिस्तान में प्रवेश कर जाती है। इसके बरसाती जल व कठोर चिकनी मिट्टी में धान की भरपूर खेती होती है। [4][5][6]
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घग्गर-हकरा नदी | |
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| |
स्थान | |
Country | India, Pakistan |
भौतिक लक्षण | |
नदीशीर्ष | |
• स्थान | Shivalik Hills, Himachal Pradesh, India |
नदीमुख | |
• स्थान |
Ottu, Haryana, India |
प्रवाह | |
• स्थान | [2] |
जलसम्भर लक्षण | |
उपनदियाँ | |
• बाएँ | Kaushalya river |
• दाएँ | Markanda river, Sarsuti, Tangri river, Chautang |
जलसमूह | Kaushalya Dam, Ottu barrage |
घग्गर मॉनसून की बारिशों के दौरान हिमाचल प्रदेश के शिवालिक पहाड़ों में शिमला के पास से निकलती है हरियाणा के कालका सेे अंबाला और पंजाब से गुज़रती है। यहाँ से यह राजस्थान में दाख़िल होती है जहाँ एक द्रोणी में यह अपने बहाव में मौसम में तलवारा झील बनाती है। इस नदी से राजस्थान में दो सिंचाई की नहरें भी निकाली जाती हैं। घग्गर-हकरा नदी की कुछ उपनदियाँ भी हैं। हरियाणा के अम्बाला ज़िले के छोटी पहाड़ियों वाले इलाक़े से सरसूती नदी आती है (जिसका नाम 'सरस्वती' का बिगड़ा हुआ रूप है) और पंजाब में शत्राना के पास घग्गर में मिल जाती है। सदूलगढ़ के पास सतलुज नदी की एक छोटी-सी धार घग्गर में मिला करती थी लेकिन अब सूख चुकी है। इसी तरह चौतंग नदी (जिसका प्राचीन वैदिक नाम शायद दृषद्वती नदी था) सूरतगढ़ के पास घग्गर को मिलती है।
घग्गर नदी के फर्श की चौड़ाई देखकर लगता है कि यह नदी कभी आज से बहुत ज़्यादा बड़ी रही होगी। सम्भव है कि यह लगभग १०,००० साल पहले पिछले हिमयुग के ख़त्म होने पर हिमालय की कुछ महान हिमानियाँ (ग्लेशियर) पिघलने से हुआ हो। सम्भव है कि उन दिनों में यह आगे तक जाकर कच्छ के रण में ख़ाली होती हो। कुछ विद्वान मानते हैं कि समय के साथ इस नदी में पानी देने वाली उपनदियाँ सिन्धु नदी और यमुना नदी के मंडल में पानी देने लगीं जिस से घग्गर-हकरा सूखने लगी| इसे मृत नदी के नाम से भी जाना जाता है|
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