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गोपीनाथ मुंडे (१२ दिसम्बर १९४९ – ३ जून २०१४) एक भारतीय राजनेता और महाराष्ट्र के पूर्व उपमुख्यमंत्री थे। १९९५ में हुये विधानसभा के चुनावों में उन्होंने सफलता पाई और महाराष्ट्र राज्य के उपमुख्यमंत्री बने। उन्होंने अपनी पहचान ज़मीन से जुड़े एक कार्यकर्ता के तौर पर बनाई और वे एक राजनेता के साथ-साथ एक कृषक भी थे। मई-२०१४ में वह नरेन्द्र मोदी मंत्रिमंडल में शामिल हुए थे, लेकिन उस के कुछ दिनों बाद ही दिल्ली में एक कार दुर्घटना में उनका देहान्त हुआ।[1][2]
गोपीनाथ पांडुरंग मुंडे | |
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(दैवत) | |
चुनाव-क्षेत्र | बीड |
जन्म | 12 दिसम्बर 1949 नाथ्रा, परळी, बीड,महाराष्ट्र |
मृत्यु | 3 जून 2014 64 वर्ष) ई दिल्ली | (उम्र
राजनीतिक दल | भारतीय जनता पार्टी |
जीवन संगी | प्रज्ञा मुंडे (महाजन) |
बच्चे | पंकजा पालवे मुंडे, प्रीतम मुंडे, यशश्री मुंडे |
निवास | बीड |
धर्म | हिन्दू |
जालस्थल | http://www.gopinathmunde.com |
गोपीनाथ मुंडे महाराष्ट्र राज्य में भारतीय जनता पार्टी का चेहरा थे। [3] लोकसभा में विपक्ष के उपनेता गोपीनाथ मुंडे महाराष्ट्र भारतीय जनता पार्टी के सबसे चमकदार चेहरे थे। [4] मुंडे को महाराष्ट्र में भारतीय जनता पार्टी की ओर से एकमात्र भीड़ जुटाने वाले नेता के तौर पर जाना जाता था। [5] महाराष्ट्र में भारतीय जनता पार्टी को खड़ा करने वालों में उनका नाम लिया जाता था। गोपीनाथ मुंडे महाराष्ट्र के कद्दावर ओबीसी नेता थे। [6] गोपीनाथ मुंडे पिछड़े वर्गों में अच्छा प्रभाव रखने वाले महत्पूर्ण ओबीसी नेता थे। महाराष्ट्र प्रदेश में उन्हें भारतीय जनता पार्टी का अकेला जननेता माना जाता था। वे महाराष्ट्र भारतीय जनता पार्टी में अपना अलग महत्व थे। [7] महाराष्ट्र में एकमात्र जमीनी नेता मुंडे को नाराज करने से वहां भारतीय जनता पार्टी को भारी क्षति पहुंची। महाराष्ट्र में उनके वर्चस्व के सामने कोई चुनौती खड़ी नहीं थी। [8] मायनस मुंडे महाराष्ट्र भारतीय जनता पार्टी की स्थिति बिना नमक समुद्र जैसी होने की आशंका थी। [9]
वे ४० साल से भारतीय जनता पार्टी से जुड़े। ३७ साल से चुनकर आये। गोपीनाथ मुंडे के शिवसेना प्रमुख बाल ठाकरे से, शिवसेना से गठबंधन के संबंध २२ साल पुराने थे। [10] जीवन परिचय - गोपीनाथ पांडुरंग मुंडे का जन्म नाथ्रा, परळी, बीड, महाराष्ट्र में एक कृषक परिवार पांडुरंग मुंडे के घर हुआ था। [11] उनकी माँ का नाम लिंबाबाई मुंडे था। इनके अलावा पांडुरंग मुंडे को दो पुत्र थे। [12] गोपीनाथ मुंडे की प्राथमिक शिक्षा जिल्हापरिषद नाथ्रा में ही सम्पन्न हुई। इसके बाद उन्होंने आंबेजोगाई के योगेश्वरी शिक्षण संस्था स्वामी रामानंद तीर्थ महाविद्यालय में अध्ययन किया। उन्होंने वाणिज्य उपाधि प्राप्त की। [13] इनका विवाह २१ मई इ.स. १९७८ में प्रज्ञा महाजन के साथ सम्पन्न हो गया था। [14] [15] [16] इनके परिवार में तीन पुत्रियां पंकजा पालवे, डॉक्टर प्रीतम मते और यशश्री मुंडे सम्मिलित हुए। [17] [18] [19] गोपीनाथ मुंडे भारतीय जनता पार्टी के दिवंगत नेता प्रमोद महाजन के बहनोई है। [2] विधायक धनंजय मुंडे भाजपा सांसद गोपीनाथ मुंडे के भतीजे है। राजनेता पंडित अण्णा मुंडे भाजपा सांसद गोपीनाथ मुंडे के बड़े भाई है। [20] गोपीनाथराव जब ११ वीं में थे तब से राजनेता पंडित अण्णा मुंडे ने ही उन्हें पाला है। [21]
भारतीय जनता पार्टी नेता गोपीनाथ मुंडे ने उन दिनों को याद किया, जब वे सूपरस्टार राजेश खन्ना की हर पिक्चर देखा करते थे। मुंडे ने बताया कि अपनी युवा अवस्था में उनकी हर फिल्म पहले दिन पहले शो में देखी है। [22]
स्नातक की शिक्षा समाप्त करने के पश्चात वो राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़ गये और देशसेवा का व्रत लेते हुये यहीं से अपने राजनैतिक जीवन की शुरुआत की। मुंडेजी संघवादी थे जो सारा जीवन सादगी से रहे और गरीबों की सेवा में अपनी पूरी जिंदगी को समर्पित किया। उन्होंने अपना जीवन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक के रूप में रहने का संकल्प लेकर प्रारम्भ किया था। [13] मुंडे महाराष्ट्र की विधानसभा में १९८० से २००९ तक विधायक रहे। इस दौरान उन्होंने महाराष्ट्र राज्य के उपमुख्यमंत्री का कार्यभार सरकार में रहते हुए देखा। उपमुख्यमंत्री के रूप में वे अपने अच्छे कामों कारण प्रशंसा में रहे। [1] [2] गोपीनाथ मुंडे को भारतीय जनता पार्टी की महाराष्ट्र इकाई का निर्विरोध अध्यक्ष चुना गया है। [18] [23] मुंडे की प्रतिभा को रेखांकित करने के बाद इन्हें भारतीय जनता पार्टी आलाक़मान ने दिल्ली बुला लिया। वे दिसम्बर २००९ में भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष चुने गए हैं। सन् २००९ में वे लोकसभा के सदस्य चुने गये। [1] [2] गोपीनाथ मुंडे बीड लोकसभा से प्रतिनिधित्व के रूप में पहली बार प्रारम्भ किया था। [24] [25] [26] पहली बार मराठवाड़ा के बीड़ से लोकसभा सांसद बनने के फौरन बाद मुंडे को पहले लोकसभा में भारतीय जनता पार्टी के उपनेता पद प्रदान किया गया। हाल में उन्हें संसद की लोकलेखा समिति का अध्यक्ष मनोनीत किया गया है। मुंडे महाराष्ट्र की जमीनी राजनीति की गहरी समझ और पार्टी के 'ओबीसी चेहरा' है। [27] महाराष्ट्र से गोपीनाथ मुंडे २९ जनवरी २००७ को महासचिव बनाया गया है। वो पहले उपाध्यक्ष थे। [28] [29] लोकसभा में इससे पहले किसी पार्टी ने अपने नए सांसद को इतनी महत्वपूर्ण जिम्मेदारी नहीं दी। |[30] गोपीनाथ मुंडे भारतीय जनता पार्टी-शिवसेना की गठबंधन सरकार में महाराष्ट्र के पूर्व उपमुख्यमंत्री और महाराष्ट्र के पूर्व गृहमंत्री बनाए गए और पांच साल तक पद पर रहे। [6] [31] १९९० के दशक के मध्य तक अंडरवर्ल्ड खुलकर सामने आ गया और उसने नागरिकों को निशाना बनाया। कोई मालदार पार्टी आयोजित करे या ३० लाख रु. की मर्सिडीज खरीदे, माफिया की तरफ से वसूली का फोन आ जाता था। दिनदहाड़े शूटआउट होना आम बात थी। ४०,००० की संख्या वाली मुंबई पुलिस चुपचाप नजारा देखती और भारतीय जनता पार्टी-शिवसेना सरकार की विश्वसनीयता घट रही थी। तत्कालीन गृहमंत्री गोपीनाथ मुंडे ने गैंगस्टरों का सफाया करने के लिए पुलिस को एक तरह से असीमित अधिकार दे दिए। [32]
भारतीय जनता पार्टीने गोपीनाथ मुंडे को उनका गृह जिला बीड से चुनाव मैदान में उतारा था। भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता और महाराष्ट्र के पूर्व उपमुख्यमंत्री रहे गोपीनाथ मुंडे बीड महाराष्ट्र से लोकसभा के लिए प्रत्याशी हैं। वे जनसंघ के दिनों से ही पार्टी में सक्रिय रहे हैं और उन्होंने अपने संबंधी स्वर्गीय प्रमोद महाजन के साथ मिलकर राज्य में पार्टी का जनाधार मजबूत किया है। उन्होंने राज्य में भारतीय जनता पार्टी को काडर बेस्ट पार्टी से मास मूवमेंट में बदलने का काम किया है। [29]
गोपीनाथ मुंडे खुद एक कद्दावर और ताकतवर नेता थे, प्रमोद महाजन का करिश्मा या कहिए नाम का उनको सहारा था। आखिर महाराष्ट्र भारतीय जनता पार्टी में जिन्हें सबकुछ मुंडे के नाम से जाना जाता है। प्रमोद महाजन की हत्या के बाद महाराष्ट्र में भारतीय जनता पार्टी के पास गोपीनाथ मुंडे छोड़ दूसरा कोई बड़ा नेता नहीं बचा था। ऐसे में गोपीनाथ मुंडे को खुला मैदान मिला, लेकिन उनकी ढाल टूट चुकी थी। मुंडे पिछड़ी जाति से हैं और ओबीसी में उनका काफी वजन हैं। मुंडे राष्ट्रीय राजनीति में अपना रास्ता खोजने निकल पड़े। मुंडे राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बने लेकिन उनकी जड़ें महाराष्ट्र में ही रहीं। मुंडे जनाधार वाले नेता बीजेपी के पास नहीं हैं। मुंडे को आम कार्यकर्ताओं में काफी समर्थन था, जिसकी काट किसी के पास नहीं थी। खुद लोकसभा में चले गए, प्रमोद महाजन की बेटी को टिकट मिले इसलिए भी मुंडे को नाकों चने चबाने पड़े। भारतीय जनता पार्टी शिवसेना गठबंधन के शिल्पकार के तौर पर गोपीनाथ मुंडे-प्रमोद महाजन को जाना जाता हैं और इसी बात का फायदा उठाकर मुंडे फिर पार्टी पर दबाव बनाते रहे। गोपीनाथ मुंडे लोकसभा में उपनेता तो बनाया गया। मुंडे आज भी महाराष्ट्र भारतीय जनता पार्टी के एकछत्र नेता हैं। लेकिन महाराष्ट्र में मुंडे के वर्चस्व को कम नहीं आंका जा सकता। अपने करीबियों को टिकट दिलवाने की गलती मुंडे ने जरूर की, लेकिन इसका ये मतलब नहीं हैं कि मुंडे के पीछे जनाधार नहीं हैं। शिवसेना और बीजेपी गठबंधन को बरकरार रखने वाले लाल कृष्ण आडवाणी के बाद गोपीनाथ मुंडे आखिरी कड़ी हैं। राज्य में बहुजन समाज का दूसरा बड़ा नेता भारतीय जनता पार्टी के पास नहीं हैं। अपने दम पर लोगों को चुनाव जितवाए ऐसा करिश्मा भी किसी नेता के पास नहीं हैं। [33]
जेपीसी के गठन की मांग को लेकर विपक्ष के हंगामे के कारण प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने लोकसभा में बयान दे कर जेपीसी के गठन की प्रक्रिया शुरू करने की घोषणा की थी। जेपीसी में लोकसभा से भारतीय जनता पार्टी के गोपीनाथ मुंडे को सदस्य बनाया गया हैं। [34]
लोकसभा में भारतीय जनता पार्टी के उपनेता गोपीनाथ मुंडे को संसद की लोक लेखा समिति (पीएसी) का अध्यक्ष नियुक्त किया गया है। सुषमा स्वराज को विपक्ष का नेता बनाए जाने के बाद हाल ही में उपनेता नियुक्त किए गए मुंडे ३० अप्रैल २०१० तक इस पद पर बने रहेंगे। [35]
भारतीय जनता पार्टी राष्ट्रीय अध्यक्ष ने बयान दिया था कि उनकी शिवसेना प्रमुख बाल ठाकरे से सीधे बात नहीं हो पाती। इस बयान से शिवसेना में भारी रोष था। यहां तक कि भारतीय जनता पार्टी शिवसेना में दरार की अटकलें भी लगाई जाने लगी। भारतीय जनता पार्टी-शिवसेना गठबंधन के रिश्तों में अभी भी ना-नुकर की स्थिति बनी हुई है। भारतीय जनता पार्टी नेता गोपीनाथ मुंडे ने शिवसेना प्रमुख बाल ठाकरे और संजय राउत से मुलाकात की। मुलाकात के बाद गोपीनाथ मुंडे ने दावा किया कि शिवसेना से उनके रिश्ते मजबूत हैं। इसी वजह से शनिवार को मातोश्री में भारतीय जनता पार्टी नेताओं की बाल ठाकरे के साथ बैठक हुई। जिसके बाद भारतीय जनता पार्टी नेता मुंडे ने भरोसा जताया कि शिवसेना का उनसे कोई मनमुटाव नहीं है। [36]
भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता गोपीनाथ मुंडे ने महाराष्ट्रराज्य में कांग्रेस-एनसीपी गठबंधन को हराने के लिए महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (एमएनएस) को साथ लेने का प्रस्ताव किया। [37]
शिवसेना सूत्रों ने कहा कि ठाकरे इससे अवगत हैं कि कांग्रेस-राकांपा गठबंधन को सत्ता से हटाने के उद्देश्य से मुंडे ने शिवशक्ति-भीमशक्ति गठबंधन को अंतिम रूप देने में अहम भूमिका निभाई। [38] भारतीय जनता पार्टी-शिवसेना और आरपीआई की संपन्न रैली की रणनीति तैयार करने वाली बैठक में मुंडे मुखर थे। रामदास आठवले को युति के साथ लाने में भी उनकी भूमिका रही है। महाराष्ट्र की राजनीति की दृष्टि से भीम और शिव शक्ति की एकता महत्वपूर्ण मानी जा रही है, खास तौर पर राष्ट्रीय स्तर पर चल रही उठापटक की पृष्ठभूमि और कांग्रेस की मौजूदा स्थिति में भारतीय जनता पार्टी-शिवसेना के लिए आज की रैली मायने रखती है। [39] गोपीनाथ मुंडे की भारतीय जनता पार्टी में ही रहने की घोषणा से सबसे ज्यादा राहत शिवसेना ने महसूस की है। अगर गोपीनाथ मुंडे भारतीय जनता पार्टी को राम-राम कर देते तो शिवसेना को भी झटका लगता। महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (एमएनएस) को बैलेंस करने के लिए शिवसेना ने शिवशक्ति-भीमशक्ति का जो समीकरण रचा है उसके शिल्पकारों में गोपीनाथ मुंडे ही प्रमुख रहे हैं। इस समीकरण का मुंबई के बीएमसी इलेक्शन के अलावा अगर कहीं सबसे ज्यादा असरकारक परिणाम मिल सकता है तो वो केवल विदर्भ और मराठवाडा ही है। मुंडे जिस मराठवाडा की राजनीति करके केंद्र की राजनीति में पहुंचे हैं उस मराठवाडा में महाराष्ट्र की तकरीबन २५ फीसदी आबादी रहती है। इसमें से तकरीबन १५ फीसदी आबादी दलित और अनुसूचित जाति के लोगों की है। शिवशक्ति-भीमशक्ति के समीकरण की यह सबसे बड़ी प्रयोगशाला है। यही वजह है कि गोपीनाथ मुंडे ने रामदास आठवले की ताकत को अपने साथ मिलाने के लिए मेहनत की और उसमें सफल भी हुए। ऐसे में अगर मुंडे भारतीय जनता पार्टी छोड़ देते तो शिवशक्ति-भीमशक्ति समीकरण की मराठवाडा में बेअसर होने की आशंका थी। जानकार लोगों का मानना है कि शिवसेना के साथ मिलकर मुंडे ने शिवशक्ति-भीमशक्ति का समीकरण बनाने के लिए मेहनत ही इस उद्देश्य से की थी कि इस बार मराठवाडा की ज्यादा से ज्यादा सीटें जीतकर वो महाराष्ट्र भारतीय जनता पार्टी में अपने विरोधियों का मुंह बंद कर सकें। इस बार मुंडे सक्रिय हुए तो रामदास आठवले को पटा लाए। वर्ना महाराष्ट्र भारतीय जनता पार्टी में प्रभावी एक तबका तो ऐसा है जो शिवसेना से गठबंधन खत्म कर महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (एमएनएस) से गठबंधन को प्राथमिकता देता है। मुंडे ने उसकी मंशा पर काबू किया था। [40]
भारतीय जनता पार्टी के नेता गोपीनाथ मुंडे के बड़े भाई पंडित अण्णा के दामाद मधुसुदन केंद्रे ने एनसीपी में जाने की तैयारी कर ली है। मुंडे के करीब रहे केंद्रे ने गत विधानसभा चुनाव में गंगाखेड क्षेत्र से चुनाव लड़ा था। [41] भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता गोपीनाथ मुंडे के की घरेलू कलह का फायदा उठाने के लिए उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने मुंडे के भाई पंडित मुंडे के दामाद भाजपा नेता मधुसूदन केंद्रे को राष्ट्रवादी में प्रवेश देने का फैसला किया। १९ सितंबर को परभणी में आयोजित समारोह में केंद्रे का प्रवेश हुआ। [42] एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार एनसीपी को राज्य की नंबर वन पार्टी बनाने के लिए सारे जोड़-तोड़ और जुगाड़ में लगे हैं और इसके लिए वो विरोधियों की जड़ पर वार करते नजर आ रहे हैं। भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता गोपीनाथ मुंडे के परिवार में दरार डाली। उनके भाई-भतीजे को पार्टी में शामिल करके गोपीनाथ पर करारे वार करवाए। [43] भारतीय जनता पार्टी के नेता एवं सांसद गोपीनाथ मुंडे के भाई अण्णा पंडित के बेटे-धनंजय मुंडे ने खुली बगावत कर दी है। बीड़ जिले की परली नगरपालिका अध्यक्ष पद के लिए हो रहे चुनाव में धनंजय ने चाचा गोपीनाथ के उम्मीदवार के खिलाफ अपना बागी उम्मीदवार खड़ा किया है। [44] गोपीनाथ मुंडे के गृह जिले बीड में एनसीपी के मंच पर उनके बड़े भाई पंडित अन्ना और भतीजे धनंजय मुंडे नजर आए। धनंजय बीजेपी के विधायक हैं लेकिन वो एनसीपी के मंच पर खड़े होकर अपने ही चाचा गोपीनाथ मुंडे के खिलाफ लड़ाई का ऐलान कर रहे हैं। इसमें उनके पिता यानि मुंडे के बड़े भाई पंडित अन्ना भी खुलकर साथ दे रहे हैं। गोपीनाथ मुंडे को एक और झटका में पंडित अन्ना घोषणा की भारतीय जनता पार्टी छोड़कर एनसीपी पार्टी में शामिल हो गये। अपने ही चाचा के खिलाफ धनंजय परली की नगरमहापालिका चुनाव में भी बगावत का बिगुल फूंक चुके हैं। वैसे गोपीनाथ मुंडे के घर में सेंध लगाने का श्रेय एसीपी नेता और महाराष्ट्र के उप मुख्यमंत्री अजित पवार के सिर बंध रहा है। यही वजह है कि अब वो मुंडे को उन हमलों की याद दिला रहे हैं जो उन्होंने उनके चाचा शरद पवार पर किए थे। उधर अपने बीमार छोटे भाई की तीमारदारी में लगे गोपीनाथ मुंडे को अब भी अपने गृहनगर की जनता का भरोसा है। उन्होंने कहा कि उतार-चढ़ाव तो आते रहते हैं। नेता के उतार-चढ़ाव का फैसला जनता करेगी। हर घटना को संयम से लेना मैंने सीखा है। [45] वरिष्ठ भाजपा नेता गोपीनाथ मुंडे ने कहा कि पार्टी अनुशासन का उल्लंघन करने वालों को अनुशासनात्मक कार्रवाई भुगतना होगा। अपने भतीजे धनंजय मुंडे की तरफ स्पष्ट तौर पर इशारा करते हुए वरिष्ठ भारतीय जनता पार्टी नेता गोपीनाथ मुंडे ने सोमवार को कहा कि पार्टी अनुशासन का उल्लंघन करने वालों को अनुशासनात्मक कार्रवाई भुगतना होगा. मुंडे ने औरंगाबाद में संवाददाताओं से कहा, ‘‘कोई भी पार्टी की विचारधारा के खिलाफ जाता है और बगावत का दोषी पाया जाता है तो उनके खिलाफ कार्रवाई आरंभ की जाएगी।’’ [46] भारतीय जनता पार्टी के नेता गोपीनाथ मुंडे के बहुत करीबी मित्र एवं विधायक प्रकाश शेंडगे की नाराजगी को अध्यक्ष नितिन गडकरी के खेमे ने बहुत गंभीरता से नहीं लिया है। मुंडे की तरह शेंडगे ने भी पार्टी पर नाराज होने का ऐलान कर के पार्टी के पदों से इस्तीफा दे दिया है। शेंडगे ने पत्रकारों को बताया कि उन्होंने अभी भारतीय जनता पार्टी छोड़ने के बारे में निर्णय नहीं किया है। ओबीसी में धनगर समाज के शेंडगे के पिता शिवाजीराव कांग्रेस में थे। पर मुंडे से प्रभावित रहे प्रकाश ने भारतीय जनता पार्टी को पसंद किया। [47] भारतीय जनता पार्टी के नेता गोपीनाथ मुंडे के साथ एक जमाने में भारतीय जनता पार्टी का पिछड़ा चेहरा रहे अण्णा डांगे को एनसीपी ने प्रदेश उपाध्यक्ष बनाने की घोषणा की है। याद रहे कि १९८० के दशक में वंजारी जाति के गोपीनाथ मुंडे, धनगर जाति के अण्णा डांगे, सूर्यभान वहाडणे और शिंपी (दर्जी) जाति के ना.स. फरांदे को एक साथ बीजेपी के 'बैकवर्ड फेस' के तौर पर प्रॉजेक्ट किया गया था। मुंडे को छोड़कर बाकी तीनों को ९० के दशक में पार्टी ने उपेक्षित कर दिया। इससे पहले, डांगे १८ वर्षों तक विधानपरिषद के सदस्य रहे और भारतीय जनता पार्टी-शिवसेना सरकार में मुंडे के साथ ग्राम विकास मंत्री रहे। उपेक्षा से नाराज डांगे ने २००६ में अपनी 'लोकराज्य पार्टी' बनाकर सांगली जिले से चुनाव भी लड़ा मगर हार गए। उन्होंने हाल में एनसीपी का दामन थामा। [48] भारतीय जनता पार्टी के नेता गोपीनाथ मुंडे के निकट सपोर्टर एवं बीड़ जिले के गेवराई के पूर्व एमएलए अमरसिंह शिवाजीराव पंडित सोमवार को एनसीपी में शामिल हो गए। मुंडे के लिए यह एक और झटका है। बीड़ जिले में मुंडे को कमजोर करने की रणनीति के तहत एनसीपी ने मुंडे के बड़े भाई पंडित अण्णा और उनके बेटे - धनंजय को पार्टी में खींच लिया है। पर अण्णा जिला परिषद में हार गए। नगर परिषद के चुनाव के बाद अध्यक्ष के चुनाव में धनंजय ने मुंडे के उम्मीदवार को हराया है। [49] भारतीय जनता पार्टी नेता सांसद गोपीनाथ मुंडे ने जनसभा में कहा कि खड़कवासला उपचुनाव में जीत हासिल कर पार्टी ने राज्य में दसमुखी रावण का दहन किया है। इशारों में उन्होंने कहा कि यह महंगाई, भ्रष्टाचार व सत्ता की मस्ती पर जीत है। सत्ता की मस्ती पर जीत का आशय किससे जुड़ा है, लगभग स्पष्ट है। उन्होंने जोर देकर कहा कि राज्य की जनता आडवाणी के साथ है। मंच पर प्रमुख रूप से भाजपा नेता रविशंकर प्रसाद, अनंत कुमार, किरीट सोमैया, विधायक चंद्रशेखर बावनकुले आदि उपस्थित थे। भारतीय जनता पार्टी नेता व सांसद गोपीनाथ मुंडे ने कहा कि खड़कवासला उपचुनाव में मिली जीत भारतीय जनता पार्टी-सेना-रिपाई के महायुति की जीत है। उन्होंने उपमुख्यमंत्री अजित पवार से नैतिकता के आधार पर इस्तीफा देने की मांग की। मुंडे ने कहा कि हिसार उपचुनाव में कांग्रेस की करारी हार हुई है और पूरे देश में कांग्रेस के खिलाफ अब यही माहौल है। [50]
भारतीय जनता पार्टी नेता गोपीनाथ मुंडे को मुंबई हवाई अड्डे पर राज्य पुलिस ने उस समय हिरासत में ले लिया जब वह हिंसा प्रभावित सांगली जिले में एक सभा को संबोधित करने जा रहे थे। डीसीपी बृजेश सिंह ने कहा कि मुंडे को साम्प्रदायिक हिंसा को ध्यान में रखते हुए मिरज जाने से रोक दिया गया और उनका बोर्डिन्ग पास जब्त कर लिया गया है। भारतीय जनता पार्टी सूत्रो ने कहा कि जिले में हालिया दंगों के सिलसिले में मुंडे मिरज में एक सभा को संबोधित करने वाले थे। [51]
भारतीय जनता पार्टी के गोपीनाथ मुंडे ने कहा कि सचिन तेंदुलकर को पहले भारतरत्न दिया जाना चाहिए। [52] गोपीनाथ मुंडे ने कहा कि सचिन तेंदुलकर का सम्मान ही करना था तो उन्हें राज्यसभा सीट देने के बजाय भारतरत्न दिया जाना चाहिए। [53]
भारतीय जनता पार्टी ने मुम्बई में रेलवे के आन्दोलनरत मोटरमैनों की मांगों का समर्थन करते हुए रेलमंत्रालय से उन्हें पूरा करने की मांग की। भारतीय जनता पार्टी के लोकसभा में उपनेता गोपीनाथ मुंडे ने आज यहां पार्टी की नियमित प्रेस ब्रीफिंग में यह मांग की। उन्होंने कहा कि मुम्बई में लोकल ट्रेन वहां की ‘लाइफ लाइन’ है। जिसके कल छह बजे से बन्द होने पर शहर के लाखों नौकरपेशा लोगों के समक्ष भारी दिक्कत पैदा हो गयी है। उन्होंने मोटरमैनों से इसे देखते हुए अपनी हड़ताल वापस लेने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि इन मोटरमैनों को न तो रेलवे ड्राइवरों का ग्रेड मिला है और न ही छठे वेतन आयोग की लागू सिफारिशों के अनुसार नया वेतनमान। उन्होंने इसे उनके साथ सरासर अन्याय बताते हुए रेल मंत्रालय से उनकी मांगे तत्काल पूरी करने की मांग की। उन्होंने आन्दोलनरत मोटरमैनों को भरोसा दिलाया कि भारतीय जनता पार्टी उनकी मांगों को पूरा कराने के लिये सरकार से बातचीत करेगी। मुंडे ने सरकार से भी मोटरमैनों की हड़ताल को लेकर संसद में बयान देने की भी मांग की। [54]
भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता गोपीनाथ मुंडे ने मनसे अध्यक्ष राज ठाकरे के उस बयान को एक सिरे से खारिज कर दिया है जिसमें राज ने मुंबई बम धमाकों के लिए परप्रांतियों को जिम्मेदार ठहराया था। मुंडे ने कहा है कि इस दर्दनाक घड़ी में वोट बैंक की सियासत नहीं होनी चाहिए। सारा भारत एक है। हम सभी को एकजुट होकर आतंक का सामना करना चाहिए। हम सभी भारतीय हैं। भाषा, प्रांत, धर्म से ऊपर उठकर हमें मिलकर आतंकवाद का मुकाबला करना चाहिए। उन्होंने कहा कि वे सहमत नहीं कि आतंकी हमले परप्रातियों की भीड़ से होते हैं। केंद्रीय गृह मंत्री पी.चिदंबरम का वह बयान हैरानी भरा है जिसमें उन्होंने गुप्तचर एंजेसियों की नाकामी से इनकार किया। २६-११ हमले के बाद बड़े-बड़े वादे और आश्वासन दिए गए थे, लेकिन इस हमले ने सरकार की लापरवाहियों की पोल खोल दी है। राहुल गांधी का बयान बेशर्मीभरा था। ४८ घंटे बीत जाने के बाद भी पुलिस किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंच सकी है। मुंडे के मुताबिक पांच वर्ष पहले लोकल ट्रेन में हुए सिलसिलेवार बम धमाकों के फरार 12 आरोपियों की गिरफ्तार नहीं किया जा सका है। २६-११ हमले के बाद गठित की गई राम प्रधान समिति की सिफारिशों पर राज्य सरकार ने कितना अमल किया है? इस संबंध में श्वेत पत्र जारी होना चाहिए। [55]
भारतीय जनता पार्टी नेता गोपीनाथ मुंडे ने बीएमसी चुनाव में रिश्तेदारों को चुनावी टिकट देने का जोरदार विरोध किया है। साथ ही मजबूरी जताई कि ५० प्रतिशत महिलाओं को आरक्षण देने से बड़े व दिग्गजों को दूसरी जगहों पर अडजस्ट भी करना पड़ेगा। रविवार को घाटकोपर में मुंडे ने कहा कि देश में विदेशी दुकानें कतई नहीं खुलने दी जाएंगी। उन्होंने कहा कि यहां विदेशी दुकानें खोले जाने का भारतीय जनता पार्टी पुरजोर विरोध करेगी। चुनावों के दौरान नात-रिश्तेदारों को टिकट देने का उन्होंेने डटकर विरोध किया। मुंडे ने ऐसे लोगों को चुनावी टिकट देने का समर्थन किया जिन लोगों ने पार्टी को बढ़ाने के लिए पसीना बहाया है और लोगों के लिए कुछ काम किया है। मुंडे ने कहा कि दरअसल, स्थानीय निकायों में ५० प्रतिशत महिला आरक्षण लागू किया गया है। इससे कई लोगों को पत्ते कट जाएंगे, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है उस क्षेत्र के नगरसेवक या पार्टी पदाधिकारी के बहन, पत्नी, या फिर घर के ही किसी सदस्या या फिर रिश्तेदार को चुनावी टिकट दिया जाए, लेकिन मुंडे दिग्गजों को कहीं न कहीं सेट करने का समर्थन किया। मुंडे ने किसी कंपनी विशेष का नाम लिए बगैर कहा कि अपने देश में विदेशी दुकानें कतई नहीं खोलने दी जाएंगी। [56]
भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता गोपीनाथ मुंडे ने मालेगांव विस्फोटों की न्यायिक या सीबीआई जांच की मांग करते हुए महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री आर. आर. पाटिल के इस्तीफे की मांग की। पूर्व उपमुख्यमंत्री मुंडे ने कहा कि हाई कोर्ट के मौजूदा जज से इन धमाकों की जांच कराई जानी चाहिए, जिनका मकसद राज्य में सांप्रदायिक तनाव पैदा करना था। आतंकवादी निरोधक दस्ते (एटीएस) के बजाय सीबीआई से जांच कराने की मांग करते हुए उन्होंने कहा कि एटीएस ११ जुलाई को मुंबई में हुए धमाकों की जांच करने में नाकाम रही है। उन्होंने राज्य में कानून व्यवस्था की स्थिति को लेकर गृह मंत्री पाटिल के इस्तीफे की भी मांग की। [57]
भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता गोपीनाथ मुंडे ने मुंबई में हुए सीरीयल ब्लास्ट पर केंद्र की यूपीए सरकार को आड़े हाथों लेते हुए कहा है कि देश में आतंकवाद के खिलाफ कड़ाई से निपटने की जरूरत है। मौजूदा समय में केंद्र सरकार के पास कोई पुख्ता नीति नहीं हैं। मुंडे ने कहा कि अगर अमेरिका आतंकियों के खिलाफ किसी और देश में जाकर कार्रवाई कर सकता है तो भारत को भी इस दिशा में सोचना चाहिए। मुंडे ने कहा कि भारत को पहले अपने ही खुफिया तंत्र को मजबूत करना होगा। आज देश में हालात बिल्कुल भिन्न हो गए हैं। देश को एक पुख्ता और मजूबत खुफिया तंत्र की जरूरत है। मुंबई में सीरियल ब्लास्ट पर भारतीय जनता पार्टी नेता ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी इस कायराना हमले की कड़ी निंदा करती है। मुंडे ने कहा कि भारत विरोधी ताकतों की ओर से मुंबई पर यह जानबूझकर किया गया हमला है। उन्होंने कहा कि इस हमले ने साबित कर दिया है कि भारत पर आतंकी हमले अभी भी जारी है। [58]
भारतीय जनता पार्टी के नेता गोपीनाथ मुंडे ने आरोप लगाया है कि 26 नवम्बर को आतंकी हमले में शहीद हुए पुलिसकर्मियों एवं अधिकारियों को महाराष्ट्र सरकार ने 25 लाख नहीं, सिर्फ 12 लाख रुपये दिए है। इस विषय पर चर्चा करने के लिए मुंडे ने विधानसभा में गृह मंत्री जयंत पाटील के खिलाफ विशेषाधिकार भंग प्रस्ताव रखा था। हमले के बाद मुख्यमंत्री ने शहीद हुए 14 पुलिसकर्मियों को 25 लाख रुपये और सेवानिवृत्ति के कालावधि तक वेतन देने का ऐलान किया था। मुंडे के अनुसार, एक दिसम्बर को राज्य के राजस्व सचिव रमेश कुमार द्वारा जारी जीआर में यह बताया गया कि चूंकि शहीदों को सरकार की ओर से 25 लाख रुपये मिलने वाले है अत: ड्यूटी पर मारे जाने वाली पुलिसकर्मियों को सानुग्रह अनुदान नहीं दिया जाएगा। इस मुद्दे पर हंगामा करते हुए मुंडे ने कहा कि वर्कमेन कॉम्पन्सेशन ऐक्ट के तहत ये कर्मी 13 लाख रुपये पाने के अधिकारी है। इससे घोषित 25 लाख रुपये मुआवजे का सरोकार नहीं है। वह अलग से दिए जाने चाहिए। इसका अर्थ यही हुआ कि सरकार उन्हें 25 लाख नहीं, 12 लाख ही देगी। मुंडे ने सरकार से यह भी जानना चाहा कि एटीएस के अधिकारियों का बीमा प्रीमियम क्या सरकार ने अदा कर दिया है? 8 जुलाई 2005 को सरकार ने एटीएस के पुलिस अधिकारियों का ग्रुप बीमा करने का आदेश दिया था पर उसक प्रीमियम नहीं भरा गया है नतीजतन शहीद हुए पुलिसकर्मी बीमा क्लेम से वंचित रह गए है। मुंडे ने इस बात पर भी कड़ी आपत्ति की कि पुलिस अधिकारी मीडिया को वह सारी जानकारी देते हैं जो सदन में बताई नहीं जाती। उन्होंने कहा पुलिस कस्टडी में बंद अजमल कसब की तस्वीरें मीडिया में कैसे छप रही हैं? मुंडे ने मंत्री पर भी सदन से पहले मीडिया में बयान करने का आरोप लगाया। इसीलिए उन्होंने विशेषाधिकार भंग प्रस्ताव की नोटिस दी है। [59]
उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवारों के लिए भाजपा प्रचारकों की सूची में लोकसभा में भारतीय जनता पार्टी के उपनेता गोपीनाथ मुंडे का नाम शामिल हैं। [26]
संसदभवन परिसर में पत्रकारों से बातचीत में भारतीय जनता पार्टी नेता गोपीनाथ मुंडे ने कहा कि विपक्षी पार्टी के रूप में सरकार की आलोचना करना भारतीय जनता पार्टी का अधिकार है। मुंडे ने कहा, "लोकतंत्र में विपक्ष का यह कर्तव्य है कि वह सरकार की खामियां उजागर करे। लेकिन ऐसा बयान देकर कांग्रेस अध्यक्ष अपनी पार्टी की हताशा प्रदर्शित कर रही हैं क्योंकि कांग्रेस उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव और इसके बाद महाराष्ट्र एवं दिल्ली के निकाय चुनावों को हार चुकी है।" [60]
भारतीय जनता पार्टी ने रेल बजट २००९ की आलोचना करते हुए इसे दिशाहीन बताया है।भारतीय जनता पार्टी नेता गोपीनाथ मुंडे का कहना था कि बजट फास्ट ट्रैक रेल की तरह थी जो ग़रीबों के स्टेशनों पर बिना रुके आगे बढ़ गई। [61]
भारतीय जनता पार्टी नेता गोपीनाथ मुंडे ने रेल बजट २०१२ की आलोचना करते कहा कि सरकार ने बड़ी चालाकी से एनेक्सचर की आड़ में ब्यौरा छिपाया। आम आदमी जहां राहत की उम्मीद कर रहा था, वहां रेल मंत्री ने लोगों को महंगाई की एक और सौगात दी है। [62] रेल यात्री को कुछ नहीं मिला। चालाकी से रेल किराया बढ़ाया गया। मुंबई को कुछ नहीं मिला। [63] लोकसभा में भारतीय जनता पार्टी के उपनेता गोपीनाथ मुंडे ने कहा कि रेल मंत्री ने बेहद चालाकी से किराए की ऐसी मार मारी है कि आम आदमी इससे कभी नहीं उबर सकेगा। बजट में सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़े राज्यों को पूरी तरह से नजरअंदाज किया गया है। उन्होंने कहा कि मुंबई में हर रोज लाखों यात्री रेल में सफर करते हैं लेकिन रेल मंत्री ने उनकी सीधे-सीधे उपेक्षा की है। [64]
भारतीय जनता पार्टीने सूखे को लेकर केंद्र पर राजनीति करने का आरोप लगाया है। लोकसभा में शून्यकाल के दौरान भारतीय जनता पार्टी वरिष्ठ नेता गोपीनाथ मुंडे ने कहा कि महाराष्ट्र में सूखे की स्थिति बेहद खराब है। दो दर्जन से ज्यादा जिलों में पीने का पानी तक नहीं है। विदर्भ और मराठवाड़ा के आठ जिलों में स्थिति सबसे ज्यादा खराब है। तीन माह में सौ से ज्यादा किसान खुदकुशी कर चुके हैं, लेकिन केंद्र की ओर से अब तक सूखा प्रभावित जिलों में कोई राहत कार्य शुरू नहीं किए गए हैं। उन्होंने बताया कि महाराष्ट्र सरकार ने सिर्फ दर्जन भर जिलों को सूखाग्रस्त घोषित किया है, जबकि यह संख्या दो दर्जन से भी ज्यादा है। केंद्र सरकार को राजनीति से ऊपर उठकर सूखा प्रभावित जिलों का सर्वेक्षण कराकर राहत कार्य शुरू करने चाहिए। सूखा प्रभावित क्षेत्रों में चारा, पीने के पानी और अनाज उपलब्ध कराने का प्रबंध किया जाना चाहिए। स्थिति की भयावहता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि किसान और कामगार अपने जानवरों को कत्लगाहों के हवाले कर कर्नाटक पलायन कर रहे हैं। [65]
उन्होंने भारत के सबसे बड़े घोटाले की जांच कर रही संयुक्त संसदीय समिति के सदस्य के रूप में बहुत दमदारी के साथ हिन्दी की आवाज बुलंद की और अपने आक्रामक तेवर से ये भी साबित किया है कि देश के अधिकांश लोग सरलता से हिन्दी समझ सकते है। टू जी आवंटन घोटाले की जांच के लिए बनी संयुक्त संसदीय समिति के सदस्य मुंडे ने इस मामले से जुड़े सभी दस्तावेज हिन्दी में उपलब्ध करने की मांग की। उन्होंने कहा कि समिति के सभी सदस्यों को ठीक समय पर हिन्दी में दस्तावेज उपलब्ध कराए जाने चाहिए ताकि वे गवाहों का परीक्षण करने की तैयारी कर सकें. हिन्दी की आवाज बुलंद करते हुए मुंडे ने ये भी कहा कि यदि उन्हें हिन्दी में कागज़ उपलब्ध नहीं कराए गए तो वो समिति की बैठक में नहीं आएँगे। हिन्दी के पक्ष में आक्रामक तेवरों से गोपीनाथ मुंडे ने एक बहुत बड़ी बात कह दी। मुंडे ने जो कहा वही बात पूरे विश्व में फैला हिन्दी भाषी समाज एक अर्से से कहता आ रहा है। जिसे कारपोरेट जगत तो समझ चुका है लेकिन सत्ता प्रतिष् नों में बैठे लोग और भाषाई आधुनिकता के कथित मोह के शिकार लोग नहीं समझना चाहते। मुंडे की इस बात का मतलब एकदम साफ़ है। इसका मतलब ये है कि देश के एक बड़े तबके के लिए – जिसमें अहिन्दी भाषी लोग भी शामिल है और सैकड़ों सांसद भी – हिन्दी लिखना, पढना और बोलना अंग्रेजी की तुलना में ज्यादा आसान है। हिन्दी के लिए संसदीय समिति की बैठक के बहिष्कार की बात किसी हिन्दी भाषी ने नहीं बल्कि महाराष्ट्र के एक सांसद ने कही मगर हैरानी की बात है कि मुंडे की ये बात हिन्दी के किसी अखबार को रास नहीं आई, शायद यही कारण है कि हिन्दी के किसी भी अखबार ने इसे जगह नहीं दी। हिन्दी के अखबारों के लिए भले ही ये खबर न हो लेकिन हिन्दी से अनुराग रखने वाले लोगों के लिए ये बहुत बड़ी खबर है। तो हिन्दी को कोसने के लिए जो लोग राज आकरे की बुराई करते है उन्हें उससे भी ज़्यादा ताकत के साथ मुंडे की पीठ थपथपाना चाहिए ताकि और भी लोग हिन्दी के पक्ष में सच बोलने की हिम्मत जुटा सके। [66]
लोकसभा में विपक्ष के उपनेता गोपीनाथ मुंडे ने कहा कि पानीपत की तीसरी लड़ाई में शहीद मराठा सैनिकों की स्मृति में युद्ध स्थल पर भव्य स्मारक बनवाया जाएगा। इसके लिए राज्य और केंद्र सरकार से आग्रह किया जाएगा। निराशा मिलने पर जनता के बीच जाकर सहायतार्थ धनराशि एकत्रित कर इस काम को अंजाम दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि स्मारक को ऐसे स्थल के रूप में विकसित किया जाएगा, जहां पहुंचकर आने वाली पीढ़ियां हिंदुस्तान के गौरवशाली इतिहास को जानकार गौरवान्वित हो उठेंगी। मुंडे शुक्रवार को पानीपत की तीसरी लड़ाई के २५० साल पूरे होने पर एसडी विद्या मंदिर स्कूल के आडिटोरियम में आयोजित शौर्य अभिवादन समारोह में बोल रहे थे। समारोह का आयोजन संयुक्त रूप से पानीपत रण संग्राम और महाराष्ट्रची शौर्य गाथा समिति ने किया। भाजपा नेता ने कहा कि यह मराठा जनमानुष की नहीं बल्कि पूरे हिंदुस्तान की लड़ाई थी। इस लड़ाई में भले ही हार मिली हो मगर इसके परिणामस्वरूप ही अगली जीत हासिल हुई। छत्रपति शिवाजी और महाराणा प्रताप जैसे योद्धाओं ने आम आदमी को लेकर जो संघर्ष किया वह सदियों तक हमें प्रेरणा देता रहेगा। समारोह के शुरू होने से पहले मुंडे ने शहीदों को श्रद्धांजलि देने काला आंब पहुंच थे। महाराष्ट्र के पूर्व उपमुख्यमंत्री मुंडे ने कहा कि युवा इस गौरवशाली इतिहास से वंचित रहें। इसीलिए भव्य स्मारक बनवाने का संकल्प लिया गया है। उनका मानना है कि लड़ाई का इतिहास हिंदुस्तान की जनता के सामने आना चाहिए। इसके लिए स्मारक एक बढ़िया माध्यम साबित होगा। स्मारक बनने के बाद लोग लालकिला और अन्य ऐतिहासिक स्मारकों की तरह इसे भी देखने पहुंचेंगे। [67]
एक ओर जहाँ भारतीय जनता पार्टी ने गोपीनाथ मुंडे को राजस्थान भेजा है और वे मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे से चर्चा कर रहे हैं। [68] गूजर अनुसूचित जनजाति का दर्जा दिए जाने की माँग कर रहे हैं। गूजर इस समय अन्य पिछड़ा वर्ग में शामिल हैं लेकिन उनका मानना है कि अनुसूचित जनजाति का दर्जा मिलने पर वे नौकरियों और शिक्षा में मिलने वाली आरक्षण की सुविधा का बेहतर फ़ायदा उठा पाएँगे। गुरुवार को बातचीत का संकेत भारतीय जनता पार्टी के राजस्थान प्रभारी गोपीनाथ मुंडे की ओर से आया जब उन्होंने कहा, "हम गूजर नेताओं से हर हाल में बात करना चाहते हैं।" हालांकि गूजर नेताओं ने इन प्रस्तावों पर कोई जवाब नहीं दिया है लेकिन ये संकेत रहे हैं कि गूजर भी इसके लिए सहमति बना रहे हैं। [69] पहले आंदोलन में मारे गए लोगों के परिजन शव माँग रहे थे कि उनका अंतिम संस्कार किया जा सके और सरकार इसके लिए तैयार नहीं दिख रही थी। अब मामला उलट गया है। अब सरकार चाहती है कि आंदोलन में मारे गए लोगों के शव का पोस्टमार्टम करवा दिया जाए और उन्हें परिजनों को सौंप दिया जाए लेकिन अब गूजर तैयार नहीं हैं। भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता और राजस्थान के प्रभारी गोपीनाथ मुंडे कह चुके हैं कि यदि गूजर तैयार हो जाएँ तो सरकार शवों का पोस्टमार्टम करवाकर उसे सौंपने के लिए तैयार है। [70]
भारतीय जनता पार्टी सांसद गोपीनाथ मुंडे ने संवाददाताओं से कहा, भ्रष्टाचार और बढ़ती महंगाई के ख़िलाफ़ प्रदर्शन कर रहे लोगों पर सरकार बलप्रयोग नहीं कर सकती। इसीलिए चिदंबरम को इस्तीफ़ा देना चाहिए। इसके साथ ही उन्होंने पार्टी कार्यकर्ताओं पर किए गए लाठीचार्ज पर सरकार से सफ़ाई भी मांगी भारतीय जनता पार्टी के युवा कार्यकर्ताओं पर मंगलवार को किए गए पुलिस लाठीचार्ज के ख़िलाफ़ पार्टी संसदों ने प्रश्नकाल नहीं चलने दिया। [71]
भारतीय जनता पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में पार्टी नेता गोपीनाथ मुंडे ने यह आशंका जताई कि देश में एक बार फिर आपातकाल लागू किया जा सकता है, क्योंकि यहां के मौजूदा हालात वर्ष 1974 के आपातकाल के पूर्व के दिनों जैसे ही हैं। उन्होंने कहा, 'वर्ष 1974 जैसे हालात पैदा कर दिए गए हैं।' मुंडे ने कहा, 'उस समय बेरोजगारी व गरीबी की समस्या थी। सरकार इन परिस्थितियों पर नियंत्रण नहीं कर पाई और उसने वर्ष 1975 में देश पर आपातकाल थोप दिया।' उन्होंने कहा, 'उसी तरह की स्थिति आज भी पैदा हो गई है। सरकार महंगाई, भ्रष्टाचार, नक्सलवाद तथा आतंकवाद को काबू नहीं कर पा रही है।' कार्यकारिणी की बैठक के दूसरे दिन भाजपा ने एक राजनीतिक प्रस्ताव भी पारित किया जिसमें आरोप लगाया गया है कि संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार की नीतयां पंगु हो गई हैं। प्रस्ताव में कहा गया है, 'यदि आम आदमी महसूस करता है कि उसके साथ धोखा हुआ है, किसान आत्महत्या कर रहे हैं, औद्योगिक उत्पादन कम हो रहा है, बेरोजगारी बढ़ रही है, भ्रष्टाचार जारी है, संप्रग के कुशासन के कारण अनिश्चितता तथा निराशा बढ़ रही है तो यह भारतीय जनता पार्टी की जिम्मेदारी है कि वह लोगों की इन चिंताओं को दूर करे और पार्टी ऐसा करती रहेगी।' [72]
भारतीय जनता पार्टी के महासचिव गोपीनाथ मुंडे द्वारा पेश इस प्रस्ताव में कहा गया कि जिस विदर्भ में यह अधिवेशन हो रहा है वहां इस योजना के लागू होने के बाद अप्रैल 2008 से 1200 से अधिक किसानों ने आत्महत्या की है। प्रस्ताव में कहा गया पिछले साल सरकार ने किसानों की कर्ज माफी की जो घोषणा की उसका फायदा पांच एकड़ से ज्यादा भूमि वाले किसानों को नहीं मिला। खासकर सिंचाई का लाभ न पाने वाले किसान सूखे रह गए और जिसने एक भी किस्त जमा की उन्हें भी इससे वंचित रखा गया। कांग्रस नीत सरकार की कर्जमाफी की योजना को किसानों के साथ की गई धोखाधड़ी बताते हुए कहा है कि यह परियोजना 80 फीसदी किसानों तक पहुंचने में नाकाम रही है। भारतीय जनता पार्टी की राष्ट्रीय परिषद की बैठक में यहां कृषि पर पारित प्रस्ताव में कहा गया जो योजना ईमानदार और भरोसेमंद किसानों को दंड देती है वह सैद्धांतिक रूप से गलत है। यह देश के गरीब किसानों के साथ की गई धोखाधड़ी है। इस योजना से करीब 80 फीसदी किसानों को कोई फायदा नहीं हुआ। [73]
भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता गोपीनाथ मुंडे ने केंद्र सरकार से राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग के अध्यक्ष बूटा सिंह को उनके पद से बर्खास्त करने की मांग की है। भारतीय जनता पार्टी ने आरोप लगाया है कि बूटा सिंह खुल्लम खुल्ला भ्रष्टाचार में लिप्त हैं। गोपीनाथ मुंडे ने कहा, 'बूटा सिंह ने पाटिल के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए नोटिस जारी किया और मामले को रफा-दफा करने के लिए रिश्वत स्वीकार की। यह खुलेआम भ्रष्टाचार का मामला है और हम मांग करते हैं कि बूटा सिंह को उनके पद से हटाया जाना चाहिए।' [74]
लोकसभा में भारतीय जनता पार्टी के उपनेता गोपीनाथ मुंडे का कहना है, शक होता है कि केंद्रीय कृषिमंत्री शरद पवार अपनी वह बुलंद छवि फिर कैसे हासिल करेंगे जो कई साल पहले थी-ऐसे व्यक्ति की, जो कृषि में क्रांति ला सकता था, ऐसा व्यक्ति जो प्रधानमंत्री बन सकता था। कई लोगों ने उनका सम्मान करना छोड़ दिया है। इसतथ्य के सामने यह बात गौण है कि उन पर अभियोग लगेगा या नहीं। मुंडे ने लोकसभा में एक बार यह सबूत पेश करने का प्रस्ताव रखा था कि पवार ने अपने सरकारी विमान में दाऊद इब्राहिम के कथित शार्पशूटरों शर्मा बंधुओं (अनिल अमर सिंह शर्मा और अनिल निर्भय सिंह शर्मा) को बैठाया था। शर्मा बंधु सनसनीखेज जेजे हॉस्पिटल गोलीबारी में शामिल थे। लेकिन चतुर पवार ने यह कहकर अपनी चमड़ी बचा ली कि जब शर्मा बंधुओं ने उनके साथ यात्रा की थी तब उनके खिलाफ एक भी मामला दर्ज नहीं था। [75]
केंद्र सरकार की ओर से जारी पुरस्कार विजेताओं की सूची में अनिवासी उद्योगपति संत सिंह चटवाल का भी नाम है, जिन्हें पद्म भूषण पुरस्कार के लिए चुना गया है। प्रमुख विपक्षी पार्टी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने इस पर कड़ी आपत्ति जताते हुए राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल और प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को पत्र लिखा है। समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक़ पार्टी प्रवक्ता प्रकाश जावड़ेकर ने पत्रकारों को बताया कि लोकसभा में पार्टी के उपनेता गोपीनाथ मुंडे ने इस पत्र में प्रतिष्ठित पद्म भूषण पुरस्कार चटवाल को दिए जाने के फ़ैसले पर आपत्ति जताई है। पार्टी ने आरोप लगाया है कि चटवाल अपने विवादित वित्तीय लेन-देन के कारण इस पुरस्कार के हक़दार नहीं हैं। पार्टी ने तत्काल ये पुरस्कार वापस लेने की मांग की है। [76]
भारतीय जनता पार्टी के लोकसभा में उपनेता गोपीनाथ मुंडे ने शुक्रवार को कहा कि कश्मीर में शांति नहीं है और वहां कानून व्यवस्था नाम की चीज नहीं है जिससे स्थिति गंभीर रूप ले रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार कानून व्यवस्था को बनाये रखने में विफल रही है। भाजपा नेता ने कहा कि कश्मीरी पंडितों के बाद अब वहां अल्पसंख्यक सिखों को धमकी दी जा रही है और घाटी छोड़ने के लिए कहा जा रहा है। उन्होंने कहा कि आतंकवादी सिखों को धमकी दे रहे हैं कि यदि उन्हें जम्मू कश्मीर में रहना है तो इस्लाम धर्म अपनाना होगा। उन्होंने कहा कि यह मुद्दा संसद के दोनों सदनों में भी उठाया गया। मुंडे ने कहा कि कश्मीर की स्थिति को लोगों को बताने और सरकार पर इस मामले में दबाव बनाने के लिए पार्टी कल देश भर में कश्मीर बचाआ॓ दिवस मनायेगी। इसके तहत अलग अलग प्रदेशों में कार्यक्रम आयोजित किये जायेंगे जिनमें पार्टी के केन्द्रीय नेता अपना संबोधन करेंगे। [77]
भारतीय जनता पार्टी के उपनेता गोपीनाथ मुंडे ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से कहा था कि वह इसरो-देवास सौदे पर स्पष्टीकरण दें. पार्टी ने आरोप लगाया था कि अंतरिक्ष विभाग के प्रभारी होने के नाते इस सौदे में हुई अनियमितताओं के लिए वह सीधे तौर पर जिम्मेदार हैं। गोपीनाथ मुंडे ने कहा, देवास सौदा 2जी स्पेक्ट्रम से भी ब़डा घोटाला है। मुंडे ने इस मामले को संसद में उठाने की बात कही थी। उन्होंने कहा कि अंतरिक्ष विभाग प्रधानमंत्री के अधीन है इसलिए उन्हें संसद में स्पष्टीकरण देना चाहिए. भाजपा संसदीय दल की बैठक में इस मुद्दे पर चर्चा हुई और यह फैसला किया गया था। उन्होंने कहा, राष्ट्रमंडल खेलों के आयोजन में अनियमितताएं. आदर्श हाउसिंग सोसायटी घोटाले, महंगाई, आंतरिक सुरक्षा, सेना का राशन घोटाला, विदेश में जमा काला धन, चीनी घुसपैठ और सीबीआई के कामकाज जैसे मुद्दे भी प्रमुखता से उठाए जाएंगे [78]
भारतीय जनता पार्टी सीनियर लीडर गोपीनाथ मुंडे ने कहा है कि विधानसभाओं और लोकसभा में ओबीसी महिलाओं के लिए अलग कोटा होना चाहिए। हालांकि मुंडे ने इसे अपनी निजी राय बताया। उन्होंने कहा कि मैं कोशिश करूंगा कि मेरी पार्टी भी इस नजरिये को माने। महाराष्ट्र में ओबीसी लीडर्स की एक सभा को संबोधित करते हुए मुंडे ने कहा कि ओबीसी समाज की ओर से विमिंस रिजर्वेशन बिल में ओबीसी कोटा देने की मांग आ रही है। मैंने यह बता दिया है कि इस मामले में बीजेपी की राय अलग है, लेकिन मैंने उन्हें भरोसा दिलाया है कि मैं पार्टी तक उनकी मांग जरूर पहुंचाऊंगा। [79]
महाराष्ट्र में महिला रिजर्वेशन विधेयक पर पार्टी के ओबीसी वर्ग के नेताओं की बैठक में पार्टी के आधिकारिक रूख से अलग राय व्यक्त करते हुए गोपीनाथ मुंडे ने कहा था कि लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में ओबीसी वर्ग की महिलाओं के लिए कोटे पर विचार करने के लिए वह पार्टी पर दबाव बनाएंगे। [80]
भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता गोपीनाथ मुंडे ने यह कह कर महाराष्ट्र के राजनीतिक गलियारों में चर्चा छेड़ दी है कि ओबीसी के अधिकारों के लिए वह एनसीपी नेता छगन भुजबल के नेतृत्व में काम करने को इच्छुक हैं। मुंडे ने एक समारोह में कहा कि वह ओबीसी के राष्ट्रीय आंदोलन में भुजबल के नेतृत्व में काम करने को इच्छुक हैं। इसे बीजेपी नेतृत्व के भुजबल को राज्य में ओबीसी का नेता स्वीकार करने के तौर पर देखा जा रहा है। एक मंच से बोलते हुए मुंडे ने मुखर तौर पर ओबीसी की गणना को वर्तमान जनगणना में शामिल करने की बात कही। मुंडे ने कहा कि अन्य पिछड़े वर्गों की गणना जनगणना में शामिल होनी चाहिए। ऐसा नहीं किया गया, क्योंकि कुछ लोगों को भय है कि अपनी असली क्षमता जानने के बाद ओबीसी एकजुट हो जाएंगे। मुंडे ने कहा कि पहली बार ऐसा हो रहा है, जब ओबीसी जातियों की गिनती जनगणना में जगह नहीं की जा रही है। बीजेपी नेता ने कहा कि उनकी व्यक्तिगत राय है कि विधानसभाओं और लोकसभा में महिला आरक्षण में ओबीसी के लिए भी आरक्षण होना चाहिए और वे प्रयास करेंगे कि उनकी पार्टी (भारतीय जनता पार्टी) यह रुख अपनाए। [81]
लोकसभा में विपक्षी उपनेता गोपीनाथ मुंडे के आग्रह को लेकर भारतीय जनता पार्टी में असमंजस है। ओबीसी को आरक्षण देने के बारे में भी मुंडे ने खुले आम एनसीपी के नेता छगन भुजबल से हाथ मिलाया है। इसीलिए मुंडे ने कोल्हापुर में हुई राज्य कार्यकारिणी की बैठक में इस बात पर जोर दिया कि जाति के आधार पर जनगणना करने की मांग करने का निर्णय उनका नहीं, पार्टी का था। पार्टी के दो दिवसीय कार्यकारिणी की बैठक का समापन करते हुए उन्होंने कहा कि सर्व समाज को सामाजिक न्याय दिलाने की छत्रपति शाहू महाराज की भूमिका से बीजेपी सहमत है। संसद में उसी का समर्थन उन्होंने किया और आखिरी दम तक करते रहेंगे। [82]
लोकसभा में लोकपाल बिल पर संसद में नियम 184 के तहत चर्चा की मांग गोपीनाथ मुंडेजी ने की। अन्ना हजारे के समर्थन में गोपीनाथ मुंडे रामलीला मैदान पहुंचे। [83]
गोपीनाथ मुंडे (मराठी: गोपीनाथ पांडुरंग मुंडे: 12 जन्म दिसंबर 1949), [1] एक भारतीय राजनीतिज्ञ, लोकप्रिय Loknete गोपीनाथ मुंडे के रूप में जाना जाता है। वह भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता है। वह 1980-1985 में पांच शब्दों के लिए सदस्य महाराष्ट्र विधान सभा, 1990-2009. उन्होंने यह भी 1992-1995 के दौरान महाराष्ट्र विधान सभा में विपक्ष के नेता थे। वह पहले आयोजित किया गया है 1995-1999 में महाराष्ट्र के उप मुख्यमंत्री के पद. उन्होंने 2009 में 15 वीं लोकसभा के लिए निर्वाचित किया गया था और वर्तमान में, भारत सरकार लोकसभा में भाजपा के उप नेता के रूप में कार्य करता है। वह व्यापार सलाहकार समिति के सदस्य के रूप में 29 जून 2009 को चुना गया था। वह 6 अगस्त 2009 को लोक लेखा समिति सदस्य के रूप में चुना गया था। वह तो सलाहकार समिति के सदस्य, गृह मंत्रालय के 16 पर सितम्बर 2009 के रूप में चुना गया था। वह सामान्य प्रयोजन समिति के सदस्य समिति के रूप में 19 अक्टूबर 2009 को चुना गया था। वह अगस्त 2009 31 5 जनवरी 2010 से वित्त पर संसद की समिति के पूर्व सदस्य था। तो वह 6 Jan 2010 30 2010 अप्रैल से संसद की लोक लेखा समिति (पीएसी) के अध्यक्ष बने. उन्होंने यह भी 12 जनवरी 2010 को चयनित नैतिकता के आधार पर समिति के सदस्य थे। पर बाद में वह 7 मई 2010 को रसायन और उर्वरक पर संसद की समिति के अध्यक्ष बन गए। [2] वह महाराष्ट्र के बीड जिले में परली के शहर से है। वह लोकसभा में भाजपा प्रतिनिधिमंडल ओर जाता है, महाराष्ट्र के बीड के अपने निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व. वह महाराष्ट्र के क्षेत्रीय राजनीति में प्रमुखता के रूप में के रूप में अच्छी तरह से भारत की राष्ट्रीय राजनीति है। Contents [छिपाने] 1 प्रारंभिक जीवन 2 राजनीतिक जीवन महाराष्ट्र के उप मुख्यमंत्री के रूप में 3 4 हाल ही में राजनीतिक कैरियर 5 बाहरी लिंक 6 सन्दर्भ [संपादित करें] प्रारंभिक जीवन
गोपीनाथ मुंडे श्रीमती पैदा हुआ था। Limbabai मुंडे और Shri.Pandurang मुंडे एक सम्मानित मध्यम वर्ग (जाति) किसान परिवार Vanjari में 12 दिसम्बर 1949 को. अपने जन्मस्थान महाराष्ट्र, भारत में मराठवाड़ा क्षेत्र के बीड़ जिले में Nathra ग्राम, तहसील परली था। [3] मुंडे के अनुसार, उसके माता पिता "भारी बाधाओं के खिलाफ संघर्ष किया था और उसके लिए शिक्षा प्रदान करने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ेगी नहीं". 1969 में अपने पिता की मृत्यु के बाद, उसके भाई और उनकी शिक्षा का ख्याल लिया। गरीबी और सूखे से त्रस्त सनातन रूप से बीड जिले में लोगों की दुर्दशा के खिलाफ उनके संघर्ष को अपने युवा मन पर एक अमिट छाप छोड़ी. शायद यह समय था जब वह पीड़ित लोगों के लिए जयकार लाने के लिए कुछ करने के लिए अपना मन बना लिया है। मुंडे भी अपनी वेबसाइट पर कहा गया है कि अपनी प्राथमिक शिक्षा अपने गांव में था, जो उस समय में, एक स्कूल की इमारत नहीं है और "दलित 12 किलोमीटर की लंबी खिंचाव एक सूजन पैर के साथ परीक्षा के लिए प्रदर्शित होने याद है। माध्यमिक शिक्षा के लिए, वह परली शहर में स्थानांतरित करने के लिए जिला परिषद स्कूल में भाग लेने. मैट्रिक पारित करने के बाद, वह Ambejogai में वाणिज्य में स्नातक स्तर की पढ़ाई के लिए कॉलेज में शामिल हो गए। यहाँ यह था कि वह राजनीति के लिए तैयार किया गया था। वह अपने समूह के सदस्यों की जीत सुनिश्चित करने का दावा है। यह भी माना जाता था कि वह अपनी पत्नी Pradnya, प्रमोद महाजन की बहन से मुलाकात की. उनके परिवार बहन सरस्वती कराड़ शामिल हैं। वह बड़े भाई पंडित अन्ना, जो सक्रिय रूप से सामाजिक और राजनीतिक काम में शामिल है के द्वारा पीछा किया जाता है। वह परिवार में तीसरा बच्चा था। वह छोटे भाइयों, माणिकराव और Venkatrao द्वारा पीछा किया गया था। उनकी बड़ी बेटी पंकजा रुइया कॉलेज, मुंबई से 1999 में पारित कर दिया गया है। वह बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन में मास्टर कार्यक्रम लिया। प्रीतम, उसकी दूसरी बेटी. वह एक चिकित्सक और एक चिकित्सा college.Yashashri, सबसे छोटी बेटी में वर्तमान का अध्ययन बनने की महत्वाकांक्षा थी, मुंबई में अध्ययन है। [4] राजनीतिक कैरियर [संपादित करें]
मुंडे राजनीति में शामिल हो गया जब वह प्रमोद महाजन, एक दोस्त और कॉलेज में सहयोगी से मुलाकात की. हालांकि दोनों अलग - अलग समूहों के लिए थे, वे साथ अच्छी तरह से चला गया और एक चिरस्थायी बंधन का गठन किया। अंत में, मुंडे सक्रिय रूप से अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद में शामिल हो गया जब अपने दोस्तों के लगभग उसे अंदर में शामिल होने के लिए मजबूर किया वह प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा लगाए गए आपातकाल के राज्य के खिलाफ आंदोलन में भाग लिया है और जब तक यह नासिक केंद्रीय जेल में जेल में रखा गया था किया गया था उठाया. एक साल बाद, 1971 में, वह बीड निर्वाचन क्षेत्र में लोकसभा चुनाव में भारतीय जनसंघ के उम्मीदवार के अभियान के साथ जुड़ा हुआ है। उम्मीदवार को खो दिया है, लेकिन वह चुनाव राजनीति का पहला अनुभव है कि अपने कैरियर के दौरान अमूल्य साबित कर दिया था। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्य: अपने कैरियर का महत्वपूर्ण मोड़ था, लेकिन, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ शिक्षा Varga (प्रशिक्षण शिविर) कि वर्ष पुणे में आयोजित. वह Ambejogai से इस शिविर में जो मान जिसके लिए आरएसएस के लिए खड़ा है आत्मसात करने के लिए भेजा गया था: राष्ट्र के कारण अनुशासन, समर्पण, बलिदान. के रूप में वह पुणे वर्ष कि में आइएलएस लॉ कॉलेज में शामिल हो गए, आरएसएस की गतिविधियों में उनकी भागीदारी में वृद्धि हुई है। वह Motibaag, आरएसएस के एक वर्ष से अधिक के लिए शहर के मुख्यालय में रखा गया था। पुणे में आरएसएस नेताओं उसे नामित मुख्यमंत्री Samaratha शाखा के शिक्षक और बाद में, चाणक्य शाखा के Karyavah. तीन साल बाद वह पुणे के लिए आया था, उसे करने के लिए संस्कारग्राही के रूप में वह माधव सदाशिव गोलवलकर गुरुजी और अटल बिहारी वाजपेयी जैसे दिग्गजों को सुनने का मौका था साबित कर दिया. श्रीपति शास्त्रीजी और दूसरों उसे इस अवधि में प्रभावित किया। वह संघ की गतिविधियों के बारे में अधिक से अधिक जिम्मेदारियों के साथ सौंपा गया था। वह जल्द ही Sambhajinagar मंडल आरएसएस के आधा दर्जन अपनी पुणे शहर छात्र प्रकोष्ठ के तत्कालीन प्रभारी, शाखाओं के बाद देख Karyavah बन गया। बाद में उन्होंने शहर आरएसएस के कार्यकारी समिति के एक सदस्य बनाया गया था। जयप्रकाश नारायण का आंदोलन: जनवरी 1974 में अपने राजनीतिक कैरियर में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। यह देश में एक अशांत अवधि था, जयप्रकाश नारायण के रूप में युवाओं को शामिल करने के लिए प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के कुशासन के खिलाफ लड़ने के संपूर्ण क्रांति के लिए एक आंदोलन शुरू किया था। वह सिटी कॉलेज छात्र समिति की वाहक है कि उसे अपनी पुणे यात्रा के दौरान सम्मान की एक पुस्तक को पेश करने के लिए उत्सुक था। एक 'नागरिक समिति शामिल समाजवादियों और अन्य विपक्षी दल के नेताओं को अपने शब्द वापस चला गया और उन्हें भव्य सार्वजनिक स्वागत में उसे उनके स्क्रॉल को प्रस्तुत करने का अवसर इनकार करने का निर्णय लिया था। उन्होंने रेलवे स्टेशन पर आगे जाने के लिए जयप्रकाश नारायण ने स्वागत करने के लिए निर्धारित की. कॉलेज के छात्रों के सैकड़ों तरफ स्टेशन पर इन बड़ों को धकेल दिया और प्रशस्ति पत्र के तुरंत बाद जया Prakashji ट्रेन से उतरकर पढ़ा. अंत में, इन बड़ों उसे देर रात उसके साथ एक विशेष दर्शकों दिया जब उन्होंने छात्रों से कहा कि खुद को कुल क्रांति के कारण के लिए समर्पित है। आपातकाल के दौरान कारावास: मुंडे लॉ कॉलेज के तीसरे वर्ष में था जब तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की कांग्रेस सरकार (मैं) 1975 में देश में आंतरिक आपातकाल लगाया. जया Prakashji और आंदोलन के और नेताओं और कार्यकर्ताओं के हजारों सलाखों के पीछे डाल दिया गया। भारतीय जनसंघ के नेताओं, मुख्य रूप से श्री वसंतराव भागवत और श्री प्रमोद महाजन, उससे पूछा कि राजनीति में एक डुबकी ले और उसे Sambhajinagar (औरंगाबाद) के लिए आंदोलन का प्रसार करने के लिए भेजा. मुंडे ने 9 अगस्त को एक सत्याग्रह का नेतृत्व किया था और दो महीने के लिए भूमिगत करने के लिए संपूर्ण क्रांति का संदेश फैलाने के लिए और कांग्रेस (आई) के दमनकारी शासन के खिलाफ लोगों के बीच असंतोष का आयोजन. बस के रूप में वह (औरंगाबाद) Sambhajinagar के आरोप में किया गया था, प्रमोद Mahajanji पूरे मराठवाड़ा क्षेत्र में आंदोलन की देखरेख कर रहा था। दोनों को गिरफ्तार कर लिया और नासिक सेंट्रल जेल में भेजा गया है। उत्पीड़न के खिलाफ लड़ो: केंद्रीय जेल में 16 महीने की कैद की उसके जीवन में एक और महत्वपूर्ण मोड़ था। वह अधिक निर्धारित किया है पहले से कहीं ज्यादा निरंतर काम करने के लिए कि दमनकारी था और भ्रष्ट राजनीतिक प्रणाली को उखाड़ फेंकने था। मुंडे जेल में 2000 के बारे में राजनीतिक कैदियों के साथ बातचीत करने, किताबें पढ़ने और में श्री मोहन Dharia, श्री बाबा भिडे, श्री प्रमोद महाजन और Mr.Bapu Kaldate जैसे नेताओं द्वारा शुरू विचार विमर्श में भाग लेने का अवसर था। वह जेल में Dhariaji के नेतृत्व के तहत स्थापित संग्राम समिति के सचिव होने के लिए चुना गया था। तुरंत बाद आपातकालीन निरस्त किया गया है, वह नवगठित जनता पार्टी है कि आजादी के बाद पहली बार के लिए महाराष्ट्र में कांग्रेस केवल पत्थर का खंभा के हो सकता है, को चुनौती दी द्वारा शुरू आंदोलन का हिस्सा बन गया। वह पार्टी की राज्य इकाई है कि कांग्रेस पर लिया के संयुक्त सचिव थे। कांग्रेस (आई) 1977 में लोक सभा चुनाव है कि केंद्र में जनता पार्टी की सरकार में लाया में चोट थी। 1978 में महाराष्ट्र राज्य विधानसभा के लिए चुनाव में कांग्रेस के बाद का सामना करना पड़ा. असफल प्रतियोगिता: पार्टी बीड जिले में Renapur निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव लड़ने के लिए मुंडे पूछा, लेकिन वह केवल 1100 वोट के अंतर से चुनाव हार गए। अपने विरोधियों को उसके खिलाफ अभियान के लिए एक भी अच्छा मुद्दा नहीं मिल सकता है। इसलिये वे परंपरा बाध्य गांव शब्द है कि मुंडे अपने समुदाय के लिए संबंधित नहीं लड़की के साथ चक्कर चल रहा था के प्रसार के लोगों के बीच एक कानाफूसी अभियान का शुभारंभ किया। मुंडे के लिए सार्वजनिक रूप से चुनाव बैठकों है कि वह वास्तव में इस लड़की के साथ प्यार में था और उसे चुनाव के बाद शादी में घोषणा करने का साहस था। इस लड़की प्रद्न्य महाजन, प्रमोद Mahajanji छोटी बहन थी और उन्होंने शादी कर ली के रूप में घोषणा की. पहली बार चुनाव जीत: उनकी पहली चुनावी सफलता 1978 में हुई थी जब पार्टी ने उन्हें अपने गृहनगर बीड जिले में जिला परिषद चुनाव लड़ने को कहा. वह एक मार्जिन है कि राज्य में सबसे ज्यादा था के साथ अपने प्रतिद्वंद्वी फजीहत. जिला परिषद के साथ कार्यकाल संक्षिप्त था, लेकिन उसे बाद उनके जीवन में बड़ा राजनीतिक लड़ाई के लिए तैयार है। दो साल बाद, 1980 में, उन्होंने चुनाव लड़ा और Renapur राज्य विधानसभा सीट जीत ली. भारतीय जनता युवा मोर्चा: विभाजित इस समय तक जनता पार्टी और भारतीय जनता पार्टी के नेताओं ने तत्कालीन भारतीय जनसंघ अस्तित्व में आया था द्वारा स्थापित किया गया था। वह भाजपा की युवा शाखा, भारतीय जनता युवा मोर्चा की महाराष्ट्र इकाई के अध्यक्ष बनाया गया था। वह राज्य में युवाओं के कारण लिया और बेरोजगारों की मांग के लिए एक आंदोलन का आयोजन किया। एक राजनीतिक पार्टी के सबसे कम उम्र के प्रदेश अध्यक्ष: 1982 में महाराष्ट्र में भारतीय जनता पार्टी के सचिव के रूप में, वह राज्य के हर जिले में भारतीय जनता पार्टी के काम का आयोजन शुरू किया। दो साल बाद, वह राज्य इकाई के महासचिव के लिए प्रोत्साहित किया गया था। वह सम्मान देश में किसी भी राजनीतिक पार्टी के सबसे कम उम्र के राज्य अध्यक्ष, जब भारतीय जनता पार्टी ने कहा कि वे 1986 में अपनी महाराष्ट्र इकाई का नेतृत्व करने के लिए किया था। वह श्री द्वारा चुना करने के लिए सम्मानित किया गया। Uttamrao पाटिल, जो 30 साल के एक खंड के लिए भारतीय जनता पार्टी और पहले भारतीय जनसंघ में अपने पूर्ववर्ती था। वह अपने समय और ऊर्जा को समर्पित करने के लिए किसानों और राज्य में सूखे से प्रभावित ग्रामीणों के कारण ले. वह मुंबई और नागपुर में विशाल रैलियों नेतृत्व करने के लिए किसानों के लिए ऋण छूट के लिए मांग प्रेस. वह आदिवासियों के लिए आवाज उठाई, दलितों और महिलाओं के रूप में एक 30 दिन जोरदार अभियान में राज्य के सभी 30 जिलों के लिए बाहर हवा दे दी. भाजपा राज्य एक बार फिर राष्ट्रपति: उन्होंने 1988 में भारतीय जनता पार्टी की राज्य इकाई के अध्यक्ष चुने गए। वह जनता की राय के बाद डॉ॰ बाबासाहेब अम्बेडकर मराठवाड़ा विश्वविद्यालय का नाम बदलने के जुटाए. वह बाहर ले क्षेत्रीय yatras, घृष्णेश्वर, मुंबई के लिए, रामटेक और उरान Tulajapur से बांद्रा के लिए इन क्षेत्रों में लोगों के मुद्दों के लिए सरकारों का ध्यान केंद्रित है। वह इस प्रकार चार वर्षों के दौरान राज्य के प्रत्येक और हर तहसील का दौरा किया और लोगों के साथ संबंध स्थापित कर सकता है। राज्य विधानसभा में भाजपा के नेता: जब वह राज्य विधानसभा के लिए निर्वाचित किया गया था और 1990 में एक बार फिर भारतीय जनता पार्टी ने कहा भाजपा के 42 सदस्यीय समूह का नेतृत्व. एक साल बाद, 12 दिसम्बर 1992 को, वह विधानसभा में विपक्ष के नेता चुने गए थे। वह अविश्वास प्रस्ताव सहित सभी लोकतांत्रिक तरीकों का इस्तेमाल करने के लिए घर में लोगों के मुद्दों को उठाने के लिए और काम करने के लिए कांग्रेस सरकार (मैं) लिया। राजनीति के अपराधीकरण के खिलाफ लड़ो इन दिनों के दौरान उनकी उपलब्धियों के आकर्षण का एक ध्यान मुंडे ने राजनीति के अपराधीकरण के लिए आकर्षित किया। वह नेताओं और न केवल राज्य स्तर पर अपराधीकरण के बीच गठजोड़ के मुद्दे को उठाया है, लेकिन यहां तक कि राष्ट्रीय मंच पर. बंगलौर में भाजपा अधिवेशन राजनीति के अपराधीकरण का विरोध करने के लिए एक प्रस्ताव पारित किया। बाद में 1997 में संसद के संयुक्त सत्र में भारत की आजादी की स्वर्ण जयंती के साथ संबंध में बुलाई, सभी दलों के नेताओं ने अपराधियों को चुनाव टिकट से इनकार सहमत देखा. दो आयामी रणनीति: दोनों घरों में विधायी संसदीय साधनों का उपयोग और सड़कों पर लेने के लिए आम लोगों के बीच जागरूकता पैदा करने, महाराष्ट्र में भाजपा कांग्रेस (आई) के भ्रष्ट और अक्षम सरकार को बेनकाब करने के लिए एक दो आयामी रणनीति को अपनाया. 71 दिन मुंबई में पुणे जिले में शिवनेरी से शिव तीर्थ यात्रा, राज्य में सभी 300 तहसीलों को कवर भारी प्रतिक्रिया के साथ हर जगह जनता द्वारा प्राप्त किया गया था। इस समय तक वह विश्वास है कि महाराष्ट्र में कांग्रेस (आई) गद्दी किया जाएगा जब भी आलोचकों को इस संबंध में उसकी भविष्यवाणी उपहास था। उन्होंने भाजपा नेताओं को जो बाहर एक रणनीति के शिवसेना के साथ एक गठबंधन बनाने के लिए 1995 के चुनावों में कांग्रेस (आई) पर राज्य विधान सभा के लिए ले आकर्षित के बीच किया गया था। रणनीति से काम किया और कांग्रेस (आई) के राज्य में पहली बार असली राज्य में गैर - कांग्रेसी सरकार (मैं) में प्रवेश करने के लिए दीन किया गया था। कांग्रेस दीन: वह मिथक है कि Mr.Sharad पवार, उसकी सहकारी समितियों चीनी लॉबी और कांग्रेस (आई) महाराष्ट्र में अजेय थे विस्फोट करने में सफल रहा. (65) भाजपा और शिवसेना (73) 288 सदस्य राज्य विधानसभा में 148 सीटों पर जीत हासिल की और मंत्रालय के ऊपर भगवा झंडा फहराया. वे जो चुनाव की पूर्व संध्या पर कांग्रेस (आई) को छोड़ दिया था बारे में दो दर्जन स्वतंत्र विधायकों का विश्वास जीता. वे राज्य में Shivshahi के लिए अपने पूरे मन से समर्थन की पेशकश की. (राज्य विधानसभा में पार्टी की स्थिति: भारतीय जनता पार्टी के 65, शिव शिवसेना के 73, कांग्रेस के 80 (मैं), 2 भारत की कम्युनिस्ट पार्टी, 45 निर्दलीय, जनता दल के 11, 1 आंदोलन Nagvidarbha, किसान और श्रमिक 6 पार्टी समाजवादी जनता पार्टी 3. महाराष्ट्रवादी विकास 3 पार्टी, अन्य 1). [5] [संपादित करें] महाराष्ट्र के उप मुख्यमंत्री के रूप में
13 मार्च 1995 को, भाजपा ने गठबंधन के उप नेता बनने का विशेषाधिकार दिया है और वह महाराष्ट्र के उप मुख्यमंत्री जब श्री मनोहर जोशी नेतृत्व वाली सरकार 14 मार्च को राज्य की बागडोर संभाल लिया है के रूप में शपथ ली थी, 1995. शिव शाही की प्रारंभिक अवधि के लिए, वह एक दर्जन से अधिक विभागों की जिम्मेदारी तक मंत्रालय के गठन की प्रक्रिया को पूरा कर लिया गया था। जैसा कि चीजें नीचे बसे, वह घर और ऊर्जा मंत्रालयों, दोनों चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है और अतीत की कांग्रेस (आई) सरकारों से विरासत में मिली समस्याओं के साथ सौंपा गया था। वह कहते हैं कि वह शिव सेना - भाजपा सरकार में Mr.Manohar जोशी के मुख्यमंत्री पद के तहत और बाद में, Mr.Narayan राणे, राज्य प्रशासन के लिए एक नया दृष्टिकोण के बारे में ला सकता है पर गर्व है। साबित गठबंधन की स्थिरता: गठबंधन नियम Shivshahi के 50 महीनों के दौरान, वह क्या वह भाजपा Vachannama, विधानसभा चुनाव से पहले मतदाताओं को दी प्रतिज्ञा में वादा किया था की सबसे प्राप्त करने में सक्षम हो गया है। लेकिन सबसे महत्वपूर्ण उपलब्धि यह है कि गठबंधन सरकार के 50 महीने की एक निरंतर अवधि के लिए, 1973 के बाद से राज्य में किसी भी सरकार द्वारा हासिल उपलब्धि नहीं एक स्थिर और पारदर्शी सरकार प्रदान. आलोचकों को कुछ महीनों के भीतर गठबंधन के एक पतन की भविष्यवाणी की थी, लेकिन गठबंधन के सभी राजनीतिक और अन्य संकट स्पष्ट स्थिर शिवसेना चीफ बालासाहेब ठाकरे और केंद्र में भाजपा के नेता श्री प्रमोद महाजन के मार्गदर्शन के तहत चलाया। [6] हाल ही में राजनीतिक कैरियर [संपादित करें]
मुंडे महासचिव और भारतीय जनता पार्टी के महाराष्ट्र राज्य के Prabhari है। वह भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता है। वह 1980-1985 में पांच शब्दों के लिए सदस्य महाराष्ट्र विधान सभा, 1990-2009. उन्होंने यह भी 1992-1995 के दौरान महाराष्ट्र विधान सभा में विपक्ष के नेता थे। वह पहले आयोजित किया गया है 1995-1999 में महाराष्ट्र के उप मुख्यमंत्री के पद. उन्होंने 2009 में 15 वीं लोकसभा के लिए निर्वाचित किया गया था और वर्तमान में, भारत सरकार लोकसभा में भाजपा के उप नेता के रूप में कार्य करता है। वह व्यापार सलाहकार समिति के सदस्य के रूप में 29 जून 2009 को चुना गया था। वह 6 अगस्त 2009 को लोक लेखा समिति सदस्य के रूप में चुना गया था। वह तो सलाहकार समिति के सदस्य, गृह मंत्रालय के 16 पर सितम्बर 2009 के रूप में चुना गया था। वह सामान्य प्रयोजन समिति के सदस्य समिति के रूप में 19 अक्टूबर 2009 को चुना गया था। वह अगस्त 2009 31 5 जनवरी 2010 से वित्त पर संसद की समिति के पूर्व सदस्य था। तो वह 6 Jan 2010 30 2010 अप्रैल से संसद की लोक लेखा समिति (पीएसी) के अध्यक्ष बने. उन्होंने यह भी 12 जनवरी 2010 को चयनित नैतिकता के आधार पर समिति के सदस्य थे। पर बाद में वह 7 मई 2010 को रसायन और उर्वरक पर संसद की समिति के अध्यक्ष बन गए। [7] मुंडे भारत में महाराष्ट्र राज्य के पूर्व उप मुख्यमंत्री है। वह 15 लोकसभा (2009-2014) के सदस्य है और बीड का प्रतिनिधित्व करता है। वह 12 दिसम्बर 1991 से महाराष्ट्र विधान सभा में विपक्ष के नेता 14 मार्च 1995, [8] जिसके बाद शिवसेना - भाजपा गठबंधन सरकार ने 1995-1999 के दौरान सत्ता में आते हैं। इस समय के दौरान वह महाराष्ट्र राज्य के गृह मंत्री के पद का आयोजन किया। वह माफिया, जो कारण है कि वहाँ एक नारा बन गया है कि "महाराष्ट्र के जोशी - मुंडे gunde समय के विवादास्पद मुठभेड़ों किया
३ जून २०१४ को दिल्ली में एक सड़क दुर्घटना में गोपीनाथ मुंडे की मृत्यु हो गयी। उनके मृत्यु के १ सप्ताह पहले ही वह केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री के रूप में अपना पदभार संभाल चुके थे।
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