गोपाल गोडसे
महात्मा गांधी की हत्या में षड्यंत्रकार / From Wikipedia, the free encyclopedia
गोपाल गोडसे (मराठी: गोपाळ विनायक गोडसे, १९१९ - २००५) हिन्दू महासभा का एक कार्यकर्ता था। इसे गान्धी-हत्या के मामले में आजीवन कारावास की सजा मिली थी। ये प्रमुख आरोपी नाथूराम गोडसे का अनुज था। न्यायालय में जब गान्धी-हत्या का अभियोग चला तो मदनलाल पाहवा ने उसमें स्वीकार किया कि जो भी लोग इस षड्यन्त्र में शामिल थे पूर्व योजनानुसार उसे केवल बम फोडकर सभा में गडबडी फैलाने का काम करना था, शेष कार्य अन्य लोगों के जिम्मे था। जब उसे छोटूराम ने जाने से रोका तो उसने जैसे भी उससे बन पाया अपना काम कर दिया। उस दिन की योजना भले ही असफल हो गयी हो परन्तु इस बात की जानकारी तो सरकार को हो ही गयी थी कि गान्धी की हत्या कभी भी कोई कर सकता है। आखिर २० जनवरी १९४८ की पाहवा द्वारा गान्धी की प्रार्थना-सभा में बम-विस्फोट के ठीक १० दिन बाद उसी प्रार्थना सभा में उसी समूह के एक सदस्य नथूराम गोडसे ने गान्धी के सीने में ३ गोलियाँ मारकर गान्धी जी की हत्या कर दी।
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