गारामुखी (mud volcano, मड वॉल्केनो) या पंकमुखी या पंक ज्वालामुखी एक ऐसी प्राकृतिक रचना को कहते हैं जिसमें ज़मीन के नीचे से उभरते हुए गरम द्रवों और गैसों से एक टीला बन जाए जिसके ऊपर स्थित मुख से गीली मिट्टी और मलबा (यानि 'गारा') उगलता हो। एक तरह से यह ज्वालामुखी की तरह ही होता है हालांकि गारामुखी से लावा नहीं निकलता और इनका तापमान ज्वालामुखियों से बहुत कम होता है। पूरे विश्व में लगभग ७०० गारामुखी ज्ञात हैं और सबसे बड़ा वाला ७०० मीटर ऊँचा है और १० किमी का व्यास (डायामीटर) रखता है।

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अज़रबैजान के गोबुस्तान क्षेत्र में गारामुखियों की एक शृंखला

गारामुखियों से निकलने वाली गैस का लगभग ८५% मीथेन होता है और इसके अतिरिक्त इसमें कार्बन डायोक्साइड और नाइट्रोजन भी होती हैं। इनमें से निकलने वाला द्रव अधिकतर गरम पानी होता है जिसमें महीन धुल और पत्तर के कण मिले होते हैं, हालांकि कुछ मात्रा हाइड्रोकार्बन द्रवों की भी होती है। अक्सर यह द्रव (लिक्विड) अम्लीय (एसिडिक) और नमकीन होता है। कुछ खगोलशास्त्रियों को मंगल ग्रह पर भी गारामुखियों के मौजूद होने का शक है।[1]

इन्हें भी देखें

सन्दर्भ

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