क्रिस्टोफ़र हिचन्स
अंग्रेज़ी-अमेरिकी लेखक एवं पत्रकार (1949-2011) विकिपीडिया से, मुक्त विश्वकोश
अंग्रेज़ी-अमेरिकी लेखक एवं पत्रकार (1949-2011) विकिपीडिया से, मुक्त विश्वकोश
क्रिस्टोफ़र हिचन्स (Christopher Hitchens), एक ब्रिटेन में जन्मे, अमेरिकी लेखक, पत्रकार और साहित्यिक आलोचक थे। उन्हें धर्म की आलोचना के लिए विशेष रूप से जाना जाता है। उन्हें न्यू लिबरेशन मूवमेंट के चार घुड़सवारों में से एक माना जाता है। (बाक़ी तीन: सैम हैरिस, रिचर्ड डॉकिंस, डैनियल डेनेट )।
व्यक्तिगत जानकारी | |
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जन्म | क्रिस्टोफ़र एरिक हिचन्स 13 अप्रैल 1949 पॉर्ट्स्मथ, हैम्पशायर, इंग्लैंड |
मृत्यु | 15 दिसम्बर 2011 62 वर्ष) ह्यूस्टन, अमेरिका | (उम्र
जीवनसाथी(याँ) | |
वृत्तिक जानकारी | |
युग | Contemporary philosophy |
क्षेत्र | पाश्चात्य दर्शन |
विचार सम्प्रदाय (स्कूल) | New Atheism[2] |
राष्ट्रीयता |
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मुख्य विचार | Politics, philosophy of religion,[2] history, literary criticism |
प्रमुख विचार | हिचन्स का रेज़र |
शिक्षा | The Leys School, Cambridge |
प्रभाव
George Orwell,[3] Leszek Kolakowski, Voltaire, Baruch Spinoza, Thomas Paine, Thomas Jefferson, George Eliot, Che Guevara, Karl Marx, Leon Trotsky, Rosa Luxemburg, John Stuart Mill, Joseph Heller, Richard Dawkins, Daniel Dennett, Sam Harris, Noam Chomsky, Gore Vidal, Edward Said, Salman Rushdie, Vladimir Nabokov, Richard Llewellyn, Aldous Huxley, PG Wodehouse, Evelyn Waugh, Richard Hofstadter, Paul Mark Scott, James Joyce, Albert Camus, Oscar Wilde, Conor Cruise O'Brien, Martin Amis, Kingsley Amis, James Fenton, Jessica Mitford, Ian McEwan, Colm Tóibín, Bertrand Russell, Wilfred Owen, Israel Shahak,[4] Isaiah Berlin, W. H. Auden, Susan Sontag[5]
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हस्ताक्षर |
पहले उन्हें पश्चिमी देशों के वामपंथी राजनीतिक विचारकों का समर्थन प्राप्त था। लेकिन सलमान रुश्दी के खिलाफ ईरान के इस्लामी मुल्लाओं के फतवा जारी करने का विरोध करने पर वामपंथियों ने अपना समर्थन वापस ले लिया। उन्होंने 18 से अधिक पुस्तकें लिखी हैं। इनमें से उनकी दो सबसे विवादास्पद पुस्तकें मदर टेरेसा पर उनकी पुस्तक "द मिशनरी पोज़ीशन" (The Missionary Position) और उनकी पुस्तक "गॉड इज़ नॉट ग्रेट" (God Is Not Great) शामिल हैं, जो धार्मिक विश्वास की आलोचना करती हैं।
वे ईश्वरवाद-विरोधी थे, और सभी धर्मों को गलत, हानिकारक और सत्तावादी मानते थे।[9] उन्होंने स्वतंत्र अभिव्यक्ति और वैज्ञानिक खोज के पक्ष में तर्क दिया, और कहा कि वे मानव सभ्यता के लिए नैतिक आचार संहिता के रूप में धर्म से श्रेष्ठ हैं। उन्होंने धर्म और राजनीति को एक-दूसरे से अलग रखने की भी वकालत की। "जो दावा बिना सबूत के किया जा सकता है, वह बिना सबूत के खारिज किया जा सकता है" को हिचेन्स के रेजर के रूप में जाना जाता है।
हिचंस पर जॉर्ज ऑरवेल, थॉमस पायने, थॉमस जेफरसन, कार्ल मार्क्स, रिचर्ड डॉकिंस, लियोन ट्रॉट्स्की इत्यादि का प्रभाव रहा है।
हिचन्स एक ईश्वरवाद-विरोधी (anti-theist) थे। उन्होंने कहा कि एक व्यक्ति "नास्तिक हो सकता है और चाहता है कि ईश्वर में विश्वास सही हो", लेकिन "एक ईश्वरवाद-विरोधी, एक शब्द जिसे मैं संचलन में लाने की कोशिश कर रहा हूं, ऐसा व्यक्ति है, जिसे इस बात से राहत मिलती है कि ईश्वर के होने का कोई सबूत नहीं है।"[12] वह अक्सर इब्राहीमी धर्मों के खिलाफ बोलते थे। न्यूयॉर्क पब्लिक लाइब्रेरी में 2010 के एक साक्षात्कार में, हिचन्स ने कहा कि वह शिशु खतना के खिलाफ थे।द इंडिपेंडेंट (लंदन) के पाठकों द्वारा यह पूछे जाने पर कि वे "बुराई की धुरी" किसे मानते हैं, हिचन्स ने उत्तर दिया "ईसाई धर्म, यहूदी धर्म, इस्लाम - तीन प्रमुख एकेश्वरवाद।" [13]
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